Monday 3 February 2020

नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पास करने वाला चौथा राज्य बना पश्चिम बंगाल

West Bengal becomes 4th state to pass resolution demanding scrapping of CAA


पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 27 जनवरी 2020 को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को पारित कर दिया है। वे ऐसा करने वाला चौथा राज्य बन गया है। पश्चिम बंगाल सरकार ने विधानसभा में यह प्रस्ताव पेश किया था कि विवादास्पद सीएए कानून को निरस्त किया जाए और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर), राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को वापस लिया जाए।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रस्ताव पर विधानसभा में कहा कि एनपीआर, एनआरसी और सीएए आपस में जुड़े हुए हैं और नया नागरिकता कानून जन-विरोधी है। उन्होंने कहा कि कानून को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीएए जन विरोधी है और संविधान विरोधी है। यह प्रस्ताव पश्चिम बंगाल के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने सदन में पेश किया था।


कितने राज्यों ने इस प्रस्ताव को पारित किया?




नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने वाला पश्चिम बंगाल देश का चौथा राज्य बन गया है। इससे पहले केरल, पंजाब और राजस्थान में इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 06 सितंबर 2019 को एनआरसी के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया था।


केरल, पंजाब और राजस्थान सरकार ने इस कानून पर क्या कहा?

केरल सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून और अन्य नियमों को चुनौती देते हुए कहा था कि यह कानून अनुच्छेद 14, 21 और 25 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है तथा यह कानून अनुचित और तर्कहीन है।

पंजाब सरकार ने भी नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरुद्ध सदन में पारित किया। पंजाब सरकार ने इस प्रस्ताव में नागरिकता संशोधन कानून को असंवैधानिक बताते हुए मांग की कि इस कानून को खत्‍म किया जाए।

राजस्थान सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरुद्ध विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया था। सरकार ने प्रस्ताव में कहा था कि संसद में हाल ही में पारित किए गए नागरिकता संशोधन कानून का उद्देश्य धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों को अलग-थलग करना है।


नागरिकता कानून पर सुप्रीम कोर्ट

नागरिकता कानून का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया है। कोर्ट ने इस मुद्दे पर सरकार को जवाब देने हेतु चार हफ्ते का समय दिया है. कोर्ट ने सीएए पर अंतरिम रोक लगाने से भी मना कर दिया है। उसने कहा कि अब इस पर फैसला भी संविधान पीठ ही करेगी। सीएए के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में कुल 143 याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें केरल सरकार की याचिका भी शामिल है जिसमें इस कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है।


पृष्ठभूमि

यह कानून राज्य में सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच तकरार का नया विषय बन कर उभरा है। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए गैर-मुस्लिम समुदायों- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी तथा ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।

कानून की शुरुआत के पीछे मुख्य उद्देश्य मुस्लिम-बहुल पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का सामना करने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों की मदद करना है। अभी भी दिल्ली के शाहीन बाग सहित देश के कई इलाकों में इस कानून के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन जारी है