Thursday 31 May 2018

कैसे पहचानें कि मानसून आ गया है या अब खत्म हो गया

कैसे पता करते हैं कि मानसून आ गया है?     इसके लिए तीन पैरामीटर होते हैं :    1. बारिश : भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने तटीय इलाकों में 14 लोकेशन तय कर रखी हैं। इनमें 11 केरल (तिरुवनंतपुरुम, पुनलुर, कोल्लम, अलप्पूझा, कोट्यम, त्रिशूर, कोचि, कोझीकोड, थियासरी, कन्नुर और कुडूलू ), 2 लक्षद्वीप (मिनी कॉय और अमिनी दिवी) और एक कर्नाटक (मेंगलौर) में हैं। इन 14 लोकेशनों के कम से कम 60 फीसदी लोकेशनों पर (यानी कम से 9 लोकेशनों) पर लगातार दो दिन तक कम से कम 2.5 ML बारिश होनी चाहिए।     2. हवा : इन क्षेत्रों में हवा दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहने लगे और उसकी गति 25 से 30 किमी प्रति घंटा हो।     3. रेडिएशन : मौसम विज्ञान की भाषा में इसे OLR यानी आउटगोइंग लांगवेव रेडिएशन कहते हैं। इसकी मात्रा इन स्पेसिफिक लोकेशन में 200 वॉट स्क्वेअर मीटर से कम होनी चाहिए। इसका मतलब यह होता है कि जमीन के ऊपर बादल बनने शुरू हो गए हैं और उसके सूरज से आने वाले रेडिएशन को रोकना शुरू कर दिया है।  (www.ekawaz18.com)     कैसे पहचानें कि अब मानसून खत्म होने का समय आ गया है?     पूरा खेल हवाओं का होता है। हवाओं की गति जब दक्षिणी-पश्चिमी होती है तो मानसून की शुरुआत होती है। इसीलिए इसे दक्षिणी-पश्चिमी मानसून कहते हैं। जब हवाओं की गति बदलकर उत्तर-पूर्व हो जाती है तो यह मानसून के खत्म होने का संकेत होता है। हवाओं में बदलाव को मौसम वैज्ञानिक ही समझ सकते हैं, लेकिन आम लोगों के लिए सबसे बड़ा संकेत यह होता है कि वातावरण में नमी कम होने लगती है।

कैसे पता करते हैं कि मानसून आ गया है? 

इसके लिए तीन पैरामीटर होते हैं :

1. बारिश : भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने तटीय इलाकों में 14 लोकेशन तय कर रखी हैं। इनमें 11 केरल (तिरुवनंतपुरुम, पुनलुर, कोल्लम, अलप्पूझा, कोट्यम, त्रिशूर, कोचि, कोझीकोड, थियासरी, कन्नुर और कुडूलू ), 2 लक्षद्वीप (मिनी कॉय और अमिनी दिवी) और एक कर्नाटक (मेंगलौर) में हैं। इन 14 लोकेशनों के कम से कम 60 फीसदी लोकेशनों पर (यानी कम से 9 लोकेशनों) पर लगातार दो दिन तक कम से कम 2.5 ML बारिश होनी चाहिए। 

2. हवा : इन क्षेत्रों में हवा दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहने लगे और उसकी गति 25 से 30 किमी प्रति घंटा हो। 

3. रेडिएशन : मौसम विज्ञान की भाषा में इसे OLR यानी आउटगोइंग लांगवेव रेडिएशन कहते हैं। इसकी मात्रा इन स्पेसिफिक लोकेशन में 200 वॉट स्क्वेअर मीटर से कम होनी चाहिए। इसका मतलब यह होता है कि जमीन के ऊपर बादल बनने शुरू हो गए हैं और उसके सूरज से आने वाले रेडिएशन को रोकना शुरू कर दिया है।  (www.ekawaz18.com)

कैसे पहचानें कि अब मानसून खत्म होने का समय आ गया है? 

पूरा खेल हवाओं का होता है। हवाओं की गति जब दक्षिणी-पश्चिमी होती है तो मानसून की शुरुआत होती है। इसीलिए इसे दक्षिणी-पश्चिमी मानसून कहते हैं। जब हवाओं की गति बदलकर उत्तर-पूर्व हो जाती है तो यह मानसून के खत्म होने का संकेत होता है। हवाओं में बदलाव को मौसम वैज्ञानिक ही समझ सकते हैं, लेकिन आम लोगों के लिए सबसे बड़ा संकेत यह होता है कि वातावरण में नमी कम होने लगती है। 

नारियल के उत्पादन और उत्पादकता में विश्व में अग्रणी देश बना भारत


उत्पादकता: प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 10122 फल निर्यात: 1602.38 करोड़ रुपये आयात: 259.70 करोड़ रुपये

भारत में वर्ष 2014-18 के बीच नारियल की खेती में अभूतपूर्व प्रगति हुई है और अब यह नारियल के उत्पादन और उत्पादकता में विश्व में अग्रणी देश बन गया है।
  • वर्ष 2013-14 में प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 10122 फलों की थी जो वर्ष 2017-18 में बढ़कर 11516 फलों तक पहुंच गई।
  • वर्ष 2010-14 के 9,561 हेक्टेयर की तुलना में वर्ष 2014-18 में 13,117 हेक्टेयर क्षेत्र को नये बागान के अंतर्गत लाया गया।
निर्यात
  • नारियल के उत्पादन में बढ़ोतरी की बदौलत भारत अप्रैल 2017 से ही मलेशिया, इंडोनेशिया और श्रीलंका को नारियल तेल का निर्यात करने लगा है, जबकि मार्च 2017 तक भारत नारियल तेल का आयात करता था। इसके साथ ही भारत पहली बार अमेरिका और यूरोपीय देशों को बड़ी संख्‍या में शुष्क नारियल का निर्यात भी कर रहा है। वर्ष 2017-18 के दौरान 1602.38 करोड़ रुपये मूल्‍य के नारियल का निर्यात किया गया, जबकि आयात केवल 259.70 करोड़ रुपये का हुआ था।
  • पिछले चार वर्षों (2014-18) में 5115 नारियल उत्पादक समितियां, 430 नारियल उत्पादक फेडरेशन और 67 नारियल उत्पादक कंपनियां गठित की गईं, जबकि वर्ष 2004-14 के दौरान यह संख्‍या क्रमश: 4467, 305 और 15 थी। नारियल उत्पादों के निर्यात से अर्जित आय वर्ष 2014-18 के दौरान 6448 करोड़ रुपये आंकी गई है जो वर्ष 2004-2014 तक 3975 करोड़ रुपये थी। 
नारियल उत्पादक  क्षेत्र

वैज्ञानिक नारियल खेती विधियों के किसान सहभागिता निर्देशन के अंतर्गत विभिन्न नारियल उत्पादक राज्यों में पिछले चार वर्षों में 62403 हेक्टेयर लाया गया, जो वर्ष 2010-14 तक 36477 हेक्टेयर था। उल्लेखनीय है कि नये क्षेत्रों में नारियल खेती का फैलाव हुआ है। वर्ष 2014-18 तक विभिन्न राज्यों में नारियल खेती के अधीन 13117 हेक्टेयर का नया क्षेत्र लाया गया, जो वर्ष 2010-14 तक कुल 9561 हेक्टेयर था। 

फ्रेंड्स ऑफ कोकोनट ट्री

कौशल विकास कार्यक्रम ‘फ्रेंड्स ऑफ कोकोनट ट्री’ के अंतर्गत 33228 बेरोजगार युवकों को प्रशिक्षण दिलाया गया, जबकि वर्ष 2004-14 तक यह संख्‍या 27770 थी।

बिहार का भूगोल


बिहार लोक सेवा आयोग के परीक्षा में 10 से 15 प्रश्न बिहार से सम्बंधित आते है। इस लेख में बिहार के भूगोल बारे में कुछ परीक्षा उपयोगी तथ्य का संग्रह किया गया है।

बिहार का भूगोल

अक्षांशीय विस्तार – 24° 20′ 50”से 27° 31′ 15” उत्तरी अक्षांश
देशांतरीय विस्तार – 83° 19′ 50”से 88° 17′ 40” पूर्वी देशांतर
आकृति – आयताकार
क्षेत्रफल – 94163 वर्ग किलो मी .
लंबाई (उत्तर से दक्षिण ) –345 किमी
चौड़ाई -(पूर्व से पश्चिम) –483 किमी
औसत ऊंचाई – समुद्र तट से 52 .73 मी.
सीमाएं – उत्तर में नेपाल (7 जिलों से सीमा बनाती है ) ,दक्षिण में झारखण्ड (9 जिलों से ) , पूर्व में पश्चिम बंगाल (3 जिलों से ),पश्चिम में उत्तर प्रदेश (7 जिलों से )
बिहार की जलवायु – मानसूनी
औसत वर्षा – 112 से.मी.
शुद्ध बोया गया क्षेत्र – 56,94,642हेक्टेयर,60.48 प्रतिशत
गैर कृषि कार्यों में लगी भूमि –16,35,467 हेक्टेयर ,17.37 प्रतिशत
ऊसर या गैर कृषि योग्य भूमि – 4,36,503 हेक्टेयर ,4.64 प्रतिशत
स्थायी चारागाह –18,356 हेक्टेयर ,0.19 प्रतिशत
विविध पेड़ व बगीचा – 2,30,286 हेक्टेयर , 2.45 प्रतिशत
बाढ़ प्रवाहित क्षेत्र – 64.41 लाख हेक्टेयर
बिहार की संरचना व उनका विस्तार –

धारवाड़ चट्टान – गया ,नवादा , जमुई ,मुंगेर , बांका
विंध्यन समूह की चट्टानें – कैमूर, रोहतास
टर्शियरी चट्टानें – पश्चिमी चंपारण
क्वार्टरनरी काल की चट्टानें – गंगा के मैदानी भागों में
बिहार में वन

कुल भौगोलिक क्षेत्र – 94,163 sq km
कुल वन क्षेत्र – 7,288 sq km
वन का क्षेत्रफल प्रतिशत में – 7.74%
अति सघन वन क्षेत्र – 248 sq km
राज्य में संरक्षित वन क्षेत्र – 3208.47 sqkm
राज्य में गैर संरक्षित वन क्षेत्र – 76.3 sqkm
राष्ट्रीय पार्क – 1, वाल्मिकीनगर
वन्य जिव अभ्यराण्य – 11
बिहार में सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले जिले – कैमूर ,प चंपारण
बिहार में न्यूनतम वन क्षेत्र वाले जिले – शिवहर ,शेखपुरा
बिहार में वन के प्रकार – दो (आद्र पर्णपाती व शुष्क पर्णपाती वन)
आद्र पर्णपाती वन के वृक्ष – शीशम, शेलम, शाल, खैर
शुष्क पर्णपाती वन के वृक्ष – महुआ, आम, कटहल, जामुन
बिहार के प्रमुख अभ्यारण्य व सम्बंधित जिले

वाल्मिकीनगर राष्ट्रीय उद्यान – प. चंपारण
वाल्मिकी आश्रयणी – प. चंपारण
गौतम बुद्ध अभ्यारण्य – गया
भीम बांध अभ्यारण्य – मुंगेर
विक्रमशीला गंगा डॉलफिन अभ्यारण्य – भागलपुर
कैमूर अभ्यारण्य – रोहतास (बिहार का सबसे बड़ा अभ्यारण्य)
पन्त अभ्यारण्य – नालंदा
परमार डॉल्फिन अभ्यारण्य – अररिया
कावर पक्षी विहार – बेगूसराय
कुशेश्वर पक्षी विहार – दरभंगा
गोगाबिल पक्षी विहार – कटिहार
नागी डैम व नकटी डैम पक्षी विहार – जमुई
सुहियान पक्षी विहार – भोजपुर
संजय गाँधी जैविक उद्यान – पटना
हरिया बारा हिरण पार्क – अररिया
बिहार में सिंचाई

कुल सिंचित क्षेत्र – 45,50,244 हेक्टेयर
सिंचित क्षेत्र (प्रतिशत में) – 48.33%
सिंचाई के मुख्य स्रोत- नलकूप , नहरें ,तालाब , कुआं,जलमग्न गड्ढ़े
नलकूप द्वारा सिंचित भूमि का प्रतिशत – 55.4 %
नहर द्वारा सिंचित भूमि का प्रतिशत – 34 %
तालाब द्वारा सिंचित भूमि का प्रतिशत – 3.2 %
कुआं द्वारा सिंचित भूमि का प्रतिशत – 0.5 %
अन्य साधनों द्वारा सिंचित भूमि का प्रतिशत – 6.5 %
वृहद सिंचाई परियोजना की सिंचाई क्षमता – 10,000 हेक्टेयर से अधिक (कमांड क्षेत्र)
माध्यम सिंचाई परियोजना की सिंचाई क्षमता – 2000 से 10000 हेक्टेयर
लघु सिंचाई परियोजना की सिंचाई क्षमता – 2000 हेक्टेयर से कम
सर्वाधिक सिंचित भूमि वाला जिला – शेखपुरा
न्यूनतम सिंचित भूमि वाला जिला – जमुई
नहर सिंचाई में अग्रणी जिलें – रोहतास , प. चंपारण
नहर द्वारा न्यूनतम सिंचाई वाले जिलें – मुजफ्फरपुर , वैशाली
बिहार की प्रमुख सिंचाई परियोजनाएं एवं नहरें

1 . सोन बहुद्देशीय परियोजना – 1874

प्रमुख नहरें –
पूर्वी सोन नहर- (औरंगाबाद , अरवल ,पटना ,गया , जहानाबाद )
प. सोन नहर – (आरा , बक्सर ,रोहतास )
2 . गंडक परियोजना (त्रिवेणी)-1904

मुख्य बांध – वाल्मिकीनगर डैम
मुख्य नहरें

प. नहर -(गोपालगंज ,सारण,सिवान)
पूर्वी नहर या तिरहुत नहर – (पश्चिमी व पूर्वी चंपारण , मुजफ्फरपुर ,वैशाली )
3 . कोशी बहुद्देशीय परियोजना – 1954 -55

मुख्य बांध– हनुमार नगर बांध
मुख्य नहरें – पूर्वी कोशी नहर (पूर्णिया , अररिया )
बिहार की नवीनतम सिंचाई परियोजनाएं एवं सम्बंधित जिलें

बरनाल जलाशय योजना – भागलपुर ,जमुई
उत्तर कोयल जलाशय योजना – गया , औरंगाबाद
पुनपुन बैराज योजना – औरंगाबाद, गया, पटना ,जहानाबाद
बटेश्वरनाथ पम्प नहर योजना – भागलपुर
जमानिया पम्प नहर योजना – कैमूर
अपर किउल जलाशय योजना – मुंगेर , लखीसराय
तिलैया डायवर्सन योजना – गया, नवादा
दुर्गावती जलाशय योजना – रोहतास , कैमूर
बटाने जलाशय योजना – औरंगाबाद
बागमती परियोजना – सीतामढ़ी
बिहार की नदियां व उनके उदगम स्थान

गंगा – गंगोत्री
घाघरा या सरयू – मचपाचुंग ,तिब्बत
गंडक – सप्तगंडकी नेपाल
बूढी गंडक – सोमेश्वर श्रेणी
बागमती – महाभारत श्रेणी ,नेपाल
कमला – महाभारत श्रेणी , नेपाल
कोसी – सप्तकौशिकी ,नेपाल
महानंदा – मकलादियाराम , दार्जलिंग
कर्मनाशा – विंध्याचल पहाड़ी
सोन – अमरकंटक
पुनपुन – चोराहा पहाड़ी , पलामू
फल्गु – हजारीबाग पठार
पंचानेन – उत्तरी छोटानागपुर
सकरी – उत्तरी छोटानागपुर
अजय – बटपाड़ , चकाई,जमुई
बिहार के जलप्रपात
प्रमुख झरने ,जलकुंड व उनके उदगम स्थल

सप्तधारा या सतघरवा – राजगीर
ब्रह्मकुंड – राजगीर
सूर्यकुंड – राजगीर
नानक कुंड – राजगीर
मख दुम कुंड – राजगीर
गोमुख कुंड – राजगीर
लक्ष्मण कुंड – मुंगेर
सीता कुंड – मुंगेर
रामेश्वर कुंड – मुंगेर
ऋषि कुंड – मुंगेर
जन्म कुंड – मुंगेर
श्रृंगार ऋषि कुंड – मुंगेर
भरारी कुंड – मुंगेर
अग्नि कुंड – गया

Wednesday 30 May 2018

बंगाल के छऊ मुखौटा को जीआई टैग

भौगोलिक संकेतक पंजीयन  तथा भारत बौद्धिक संपदा ने पश्चिम बंगोल के पांच ग्रामीण शिल्पों को जीआई टैग यानी भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication: GI) ) प्रदान किया हैं। ये पांच ग्रामीण शिल्प हैं; पुरूलिया का छऊ मुखौटा, पटचित्र, कुशमांडी का काष्ठ मुखौटा, बंगाल का दोक्रास तथा मधुरकाठी (एक प्रकार की चटाई)।    छऊ मुखौटा छऊ नृत्य में पहना जाता है। पुरूलिया के बागमुंडी ब्लॉक के कलाकार यह मुखौटा बनाते हैं। मुख नृत्य के दौरान पहने जाने वाले काष्ठ मुखौटा कुशमांडी में बनाए जाते हैं। पश्चिमी मेदिनीपुर के पिंगला गांव के लोग पट्चित्र बनाते हैं जो कि रंगीन सूचीपत्र है। वहीं पश्चिम बंगाल के दो जिलों में मधुरकाठी का निर्माण किया जाता है।    जीआई टैग किसी भौगोलिक उत्पति से जुड़े उत्पाद को गुणवत्ता व प्रमाणिकता प्रदान करता है।  जीआई टैग मिलने से न केवल कलाकारों को ब्रांड मिल सकेगा वरन् उनके विशिष्ट शिल्प की नकल के खिलाफ सुरक्षा भी प्राप्त हो सकेगा। खास बात यह है कि जीआई टैग मिलने से उन शिल्पकारों को सहायता मिल सकेगी जो इन शिल्पों के बल पर अपना जीवन चलाने में असमर्थ हो रहे थे। ये वस्तुतः आर्थिक रूप से सीमांत कलाकार हैं।    वस्तुओं का भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण एवं सुरक्षा) एक्ट 1999 के तहत किसी उत्पाद को जीआई टैग प्रदान किया जाता है। दार्जीलिंग चाय यह टैग प्राप्त करने वाला प्रथम उत्पाद है।  वर्ष 2017-18 में 25 उत्पादों को जीआई टैग प्रदान किया जिनमें नौ पश्चिम बंगाल के हैं।

भौगोलिक संकेतक पंजीयन  तथा भारत बौद्धिक संपदा ने पश्चिम बंगोल के पांच ग्रामीण शिल्पों को जीआई टैग यानी भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication: GI) ) प्रदान किया हैं। ये पांच ग्रामीण शिल्प हैं; पुरूलिया का छऊ मुखौटा, पटचित्र, कुशमांडी का काष्ठ मुखौटा, बंगाल का दोक्रास तथा मधुरकाठी (एक प्रकार की चटाई)।

छऊ मुखौटा छऊ नृत्य में पहना जाता है। पुरूलिया के बागमुंडी ब्लॉक के कलाकार यह मुखौटा बनाते हैं। मुख नृत्य के दौरान पहने जाने वाले काष्ठ मुखौटा कुशमांडी में बनाए जाते हैं। पश्चिमी मेदिनीपुर के पिंगला गांव के लोग पट्चित्र बनाते हैं जो कि रंगीन सूचीपत्र है। वहीं पश्चिम बंगाल के दो जिलों में मधुरकाठी का निर्माण किया जाता है।

जीआई टैग किसी भौगोलिक उत्पति से जुड़े उत्पाद को गुणवत्ता व प्रमाणिकता प्रदान करता है।
जीआई टैग मिलने से न केवल कलाकारों को ब्रांड मिल सकेगा वरन् उनके विशिष्ट शिल्प की नकल के खिलाफ सुरक्षा भी प्राप्त हो सकेगा। खास बात यह है कि जीआई टैग मिलने से उन शिल्पकारों को सहायता मिल सकेगी जो इन शिल्पों के बल पर अपना जीवन चलाने में असमर्थ हो रहे थे। ये वस्तुतः आर्थिक रूप से सीमांत कलाकार हैं।

वस्तुओं का भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण एवं सुरक्षा) एक्ट 1999 के तहत किसी उत्पाद को जीआई टैग प्रदान किया जाता है। दार्जीलिंग चाय यह टैग प्राप्त करने वाला प्रथम उत्पाद है।  वर्ष 2017-18 में 25 उत्पादों को जीआई टैग प्रदान किया जिनमें नौ पश्चिम बंगाल के हैं। 

Tuesday 29 May 2018

आईपीएल 2018 पुरस्कार विजेताओं की सूची


आईपीएल 2018 के पुरस्कार विजेतातों की सूची इस प्रकार है 
  • विजेता टीमः चेन्नई सुपर किंग्स 
  • उपविजेता टीमः सनराइजर्स हैदराबाद 
  • फाइनल मैच में मैन ऑफ द मैचः शेन वाटसन (चेन्नई सुपर किंग्स)-57 बॉल पर 117 रन 
  • ऑरैंज कैप (सर्वाधिक रन): केन विलियमसन (सनराइजर्स हैदराबाद कैप्टन)-17 मैचों में 735 रन 
  • पर्पल कैप (सर्वाधिक विकेट): एंडिऊ टवे (किंग्स इलेवन पंजाब)-14 मैचों में 24 विकेट 
  • सर्वाधिक मूल्यवान खिलाड़ीः सुनील नरायण (कोलकाता नाइटराइडर्स)-16 मैचों में 17 विकेट एवं 357 रन परफेक्ट कैच ऑफ द सीजनः ट्रेंट वॉल्ट द्वारा विराट कोहली का विकेट 
  • सीजन का स्टाइलिश प्लेयरः दिल्ली डेयरडेविल्स के ट्टषभ पंत 
  • सीजन का इमर्जिंग प्लेयरः दिल्ली डेयरडेविल्स के ट्टषभ पंत 
  • सुपर स्ट्राइकर ऑफ द सीजनः सुनील नरायण 
  • फेयरप्ले पुरस्कारः मुंबई इंडियंस
  • पिच एवं ग्राउंड पुरस्कारः क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल तथा पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन

करेंट अफेयर्स एक पंक्ति में (भाग-98)


  • वह राज्य जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किशनगंगा पनबिजली परियोजना का उद्घाटन किया – कश्मीर
  • वह योजना जिसे बढ़ावा देने तथा छोटे उद्यमियों को ऋण आवंटन बढ़ाने के लिए वित्त मंत्रालय ने हाल ही में 40 कम्पनियों के साथ समझौता किया है – मुद्रा योजना
  • केरल में चमगादड़ों द्वारा फैल रहे इस वायरस के कारण अब तक छह लोगों की मृत्यु हो गई है – निपाह
  • आईपीएल-11 में सर्वाधिक 37 छक्के लगाने वाले दिल्ली डेयरडेविल्स के जिस विकेटकीपर-बल्लेबाज ने 'इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द सीजन' का खिताब जीत लिया है- ऋषभ पंत
  • वैश्विक पवन उर्जा सम्मेलन 2018 का आयोजन जिस स्थान पर किया जायेगा- हैम्बर्ग
  • हाल ही में पाकिस्तान का अंतरिम प्रधानमंत्री जिसे नियुक्त किया गया है- नासिर-उल-मुल्क
  • हाल ही में विश्व बैंक द्वारा समर्थित स्वच्छ भारत विज्ञापन अभियान को जिस फि‍ल्म अभिनेता द्वारा लॉन्च किया गया- अक्षय कुमार
  • भारत ने हाल ही में जिस देश में अपना दूसरा आईटी कॉरिडोर बनाया- चीन
  • भारत ने अपनी सैन्य आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु रूस से जिस मिसाइल रोधी प्रणाली की खरीद पर बातचीत प्रक्रिया पूरी की है- एस-400 
  • बार्सिलोना के स्ट्राइकर लियोनेल मेसी जितने बार यूरोपियन गोल्डन शू जीतने वाले पहले फुटबॉलर बन गए हैं- 5
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 मई 2018 को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से रूस के जिस शहर में अनौपचारिक मुलाकात की- सोची
  • समुद्र के रास्ते दुनिया का चक्कर लगाने गई भारतीय नौसेना की 6 महिला अधिकारियों वाली पहली नौकायान 'तारिणी' जितने देशों की परिक्रमा कर स्वदेश लौट आई-5
  • जिस आईआईटी ने यूनाइटेड किंगडम की सरकार की मदद से ऊर्जा विनियमन के लिए भारत का पहला केंद्र स्थापित किया है- आईआईटी कानपुर
  • भारतीय मूल के जिस नेता को मलेशिया में कैबिनेट मंत्री बनाए जाने वाले अल्पसंख्यक सिख समुदाय के पहले शख्स बन गए हैं- गोबिंद सिंह देव
  • लैटिन अमेरिकी देश नाटो में शामिल होने वाला पहला देश जो बन गया है- कोलंबिया
  • जिस राज्य सरकार ने राज्य में प्रत्येक किसान के लिए 5 लाख रुपये तक का जीवन बीमा प्रदान करने की एक अनूठी योजना पर काम कर रही है- तेलंगाना
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में जिस राज्य में पतरातू सुपर थर्मल पावर परियोजना का शुभारंभ किया गया- झारखंड
  • भारत ने जिस देश की तरफ से स्टील और एल्यूमीनियम उत्पादों पर अतिरिक्त ड्यूटी लगाने के प्रस्ताव के खिलाफ कड़े कदम उठाने की घोषणा की है- अमेरिका
  • जिस देश ने ईरान पर 'अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध' लगाने का संकल्प लिया हैं- अमेरिका
  • वह पड़ोसी देश जिसके साथ मिलकर सोशल मीडिया द्वारा जानवरों की तस्करी पर रोक लगाने हेतु वॉट्सऐप ग्रुप बनाया है- नेपाल
  • जिस देश में जनमत संग्रह से ‘गर्भपात’ पर लगे प्रतिबंध को खत्म कर दिया गया- आयरलैंड
  • कर्नाटक के जिस नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायक की सड़क हादसे में मौत हो गई है- सिद्दू बी. न्यामगौड़ा
  • केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने स्कूाली शिक्षा के समग्र विकास हेतु जिस योजना को आरंभ की है- समग्र शिक्षा
  • पेशावर की रहने वाली पाकिस्तान की पहली सिख महिला पत्रकार का नाम है – मनमीत कौर

भारत के वायसराय से सम्बंधित प्रश्नोत्तरी (GK Q & A, भाग-124)


  • लॉर्ड कैनिंग के कार्य का समय रहा है - (1856-62 ई.) लॉर्ड कैनिंग
  • भारत में कम्पनी द्वारा नियुक्त अंतिम गवर्नर जनरल तथा ब्रिटिश सम्राट के अधीन नियुक्त किया गया भारत का प्रथम वायसराय कौन था - लॉर्ड कैनिंग
  • लॉर्ड कैनिंग के समय सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक घटना कौन-सी है - 1857 ई. की क्रांति
  • कैनिंग के समय किस एक्ट को पारित कर हाईकोर्ट की स्थापना की गई - इंडियन हाईकोर्ट एक्ट
  • कैनिंग के समय उच्च न्यायालय की स्थापना किन शहरों में की 5. कैनिंग के समय उच्च न्यायालय की स्थापना किन शहरों में की गई - बंबई, कलकत्ता और मद्रास
  • कैनिंग के समय विवाह का कौन सा अधिनियम पास किया गया - पुनर्विवाह अधिनियम 
  • लॉर्ड एल्गिन के कार्य का समय रहा है - (1862-63 ई.) लॉर्ड एल्गिन
  • वहावी के आंदोलन का दमन किसने किया - लॉर्ड एल्गिन
  • सर जॉन लॉरेंस के कार्य का समय रहा है - (1863-69 ई.) सर जॉन लॉरेंस
  • भूटान का महत्वपूर्ण युद्ध किसके समय हुआ - सर जॉन लॉरेंस
  • अफगानिस्तान में लॉरेंस ने कौन सी नीति अपनाई - अहस्तक्षेप की नीति 
  • भारत एवं यूरोप के बीच प्रथम समुद्री टेलीग्राफ सेवा किस वायसराय के समय में शुरू हुई - 1865 ई. में सर जॉन लॉरेंस के समय 
  • लॉर्ड मेयो के कार्य का समय रहा है - (1869-72 ई.) लॉर्ड मेयो
  • किस वायसराय ने अजमेर में मेयो कॉलेज की स्थापना की - लॉर्ड मेयो
  • किस वायसराय की भारत में उसी के शासन काल में हत्या हुई - लॉर्ड मेयो
  • लॉर्ड मेयो की हत्या कब और कहाँ हुई - 1872 ई. में अंडमान में 
  • मेयो की हत्या किसने की - एक अफगान ने 
  • भारत में वित्त के विक्रेंद्रीकरण की शुरुआत किसने की - 1870 ई. में लॉर्ड मेयो ने 
  • लॉर्ड नार्थब्रुक के कार्य का समय रहा है - (1872-76 ई.) लॉर्ड नार्थब्रुक
  • पंजाब का प्रसिद्ध आंदोलन की किस वायसराय के समय हुआ था - लॉर्ड नार्थब्रुक
  • ‘मेरा उद्देश्य करों को हटाना तथा अनावश्यक वैधानिक कार्रवाईयों को बंद करना है’ ये कथन किसका है - लॉर्ड नार्थब्रुक
  • लॉर्ड लिटन के कार्य का समय रहा है - (1876-80 ई.) लॉर्ड लिटन
  • साहित्य जगत में ओवन मैरिडिथ के नाम से किस वायसराय को जाना जाता था - लॉर्ड लिटन
  • लिटन के समय में भारत के किस हिस्से में अकाल पड़ा था - बंबई, मद्रास, हैदराबाद, पंजाब, मध्य भारत 
  • किसकी अध्यक्षता में लिटन ने अकाल आयोग की स्थापना की - रिचर्ड स्ट्रेची
  • लिटन के समय ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को किस सम्मान से सम्मानित करने के लिए दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया था - कैसर-ए-हिन्द (1 जनवरी 1877 ई. में सम्मानित किया गया )
  • समाचार पत्रों पर प्रतिबंध लगाने के लिए लिटन ने कौन सा एक्ट पारित किया - वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट
  • वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट की जद में कौन सा अखबार सबसे पहले आया - राष्ट्रवादी समाचार पत्र सोम प्रकाश
  • किस समाचार पत्र ने वर्नाक्यूलर एक्ट का समर्थन किया था - पायनियर
  • सिविल सेवा परीक्षाओं में प्रवेश की अधिकतम आयु सीमा 21 से घटाकर 19 किस वायसराय के समय में की गई - लॉर्ड लिटन
  • लॉर्ड रिपन के कार्य का समय रहा है - (1880-84 ई.) लॉर्ड रिपन
  • सर्वप्रथम किसने समाचार पत्रों की स्वतंत्रता को बहाल करते हुए वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट को समाप्त कर दिया - लॉर्ड रिपन (1880-84 ई.)
  • भारत में सर्वप्रथम नियमित जनगणना की शुरुआत कब हुई - 1881 ई.
  • भारत में पहली बार जनगणना कब हुई थी - 1872 ई.
  • श्वेत विद्रोह का तालुल्क किस विधेयक के विरोध से है - इल्बर्ट विधेयक
  • किसने रिपन को भारत का उद्धारक की संज्ञा दी - फ्लोरेंस नाइटिंगेल
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की स्थापना कब हुई - 28 दिसंबर, 1885 ई.
  • किसके नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई - ए.ओ. ह्यूम
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कहाँ  हुई - बंबई
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के समय भारत के वायसराय कौन - लॉर्ड डफरिन ( 1884-88 ई.)
  • लॉर्ड लैंसडाऊन के कार्य का समय रहा है - (1888-94 ई.) लॉर्ड लैंसडाऊन
  • किस वायसराय के काल में भारत और अफगानिस्तान के बीच डूरण्ड रेखा का निर्धारण हुआ - लॉर्ड लैंसडाऊन
  • स्त्रियों को प्रतिदिन 11 घंटे से अधिक काम करने पर किस एक्ट के तहत प्रतिबंध लगाया गया - दूसरा कारखाना एक्ट
  • महिला कामगारों के लिए कारखाने में हफ्ते में एक दिन की छुट्टी का प्रावधान किसने बनाया - लॉर्ड लैंसडाऊन
  • इंडियन काउंसिल एक्ट कब पारित हुआ - 1892 ई.
  • लॉर्ड एल्गिन द्वितीय के कार्य का समय रहा है - (1894-99 ई.) लॉर्ड एल्गिन द्वितीय
  • ‘भारत को तलवार के बल पर विजित किया गया है और इसी के बल पर इसकी रक्षा की जाएगी’ ये कथन किस वायसराय का है - लॉर्ड एल्गिन द्वितीय
  • लॉर्ड कर्जन के कार्य का समय रहा है - (1899-05 ई.) लॉर्ड कर्जन
  • किस वायसराय के समय सिंचाई आयोग, पुलिस आयोग और विश्वविद्यालय आयोग की स्थापना की गई - लॉर्ड कर्जन
  • भारतीय विश्विद्यालय अधिनयम कब पास किया गया - 1904 ई.
  • किसकी अध्यक्षता में सिंचाई आयोग की स्थापना की गई - स्कार्ट मॉनक्रीक
  • पुलिस आयोग की स्थापना किसकी अध्यक्षता में हुई - एंड्रयू फ्रेजर
  • विश्वविद्यालय आयोग के किसकी अध्यक्षता में बनी - टॉमस रैले
  • सैन्य अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए लॉर्ड कर्जन ने कहाँ कॉलेज की स्थापना की - क्वेटा
  • किस अधिनियम के तहत कर्जन ने भारत में पहली बार ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा एवं मरम्मत की ओर ध्यान दिया - प्राचीन स्मारक परीक्षण अधिनियम (1904 ई.)
  • प्राचीन स्मारकों की सुरक्षा और मरम्मत के लिए कर्जन ने किस विभाग की स्थापना की - भारीतय पुरातत्व विभाग
  • बंगाल का विभाजन कब हुआ - 1905 ई.
  • लॉर्ड कर्जन के भारत विरोधी कार्यों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य कौन-सा था - बंगाल का विभाजन
  • मुस्लिम लीग की स्थापना किस वायसराय के समय हुई - लॉर्ड मिंटो द्वितीय (1905-10 ई.)
  • मुस्लिम लीग की स्थापना कब और किसने की - 1906 ई. में आगा खां और सलीमुल्ला खां ने ।
  • मुस्लिम लीग की स्थापना कहाँ हुई - ढाका
  • लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय के कार्य का समय रहा है - (1910-1916 ई.) लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय
  • ब्रिटेन के सम्राट जॉर्ज पंचम का भारत आगमन किस वायसराय के समय हुआ था - लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय
  • प्रथम विश्वयुद्ध किस वायसराय के समय में शुरू हुई - लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय
  • प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत किस तारीख से मानी जाती है - 4 अगस्त 1914 ई.
  • होमरूल लीग की स्थापना किसने की - तिलक और एनी बेसेंट
  • किसने और कब हार्डिंग द्वितीय पर बम फेंका, जिससे वह घायल हो गया - 1912 ई. में क्रांतिकारी रास बिहारी बोस ने 
  • लॉर्ड चेम्सफोर्ड के कार्य का समय रहा है - (1916-21 ई.) लॉर्ड चेम्सफोर्ड
  • रौलेट एक्ट किस वायसराय के काल में पास हुआ - लॉर्ड चेम्सफोर्ड
  • रौलेट एक्ट कब पास हुआ - 1919 ई.
  • प्रसिद्ध जालियावाला बाग हत्याकांड किसके शासन में हुआ - लॉर्ड चेम्सफोर्ड
  • जालियावाला बाग हत्याकांड को कब अंजाम दिया गया - 13 अप्रैल 1919 ई.
  • गांधीजी द्वारा चलाया गया पहला असहयोग आंदोलन किस घटना के कारण स्थगित कर दिय गया - चौरी-चौरा की घटना
  • चौरी-चौरा की घटना कब और कहां हुई - 1922 ई. में उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले में 
  • किस वायसराय के समय चौरी-चौरा की घटना घटी - लॉर्ड रीडिंग ( 1921-1926)
  • काकोरी रेल कांड कब हुआ था - 1925 ई. में लॉर्ड रीडिंग के कार्यकाल में 
  • भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी का गठन कब हुआ - 1921 ई.
  • भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी का गठन किसके द्वारा किया गया - एम एन राय
  • विश्वभारती विश्वविद्यालय ने किस वायसराय के समय में कार्य करना आरंभ किया - 1922 ई. में लॉर्ड रीडिंग के समय में 
  • लॉर्ड इर्विन के कार्य का समय रहा है - (1926- 1931 ई.) लॉर्ड इर्विन
  • साइमन कमीशन भारत कब आया - 1928 ई. में लॉर्ड इर्विन के समय में 
  • लॉर्ड इर्विन का कार्यकाल कब से कब तक था - 1926 ई. से 1931 ई. तक
  • गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन कब शुरू किया - 6 अप्रैल 1930 ई.

Monday 28 May 2018

प्रधानमंत्री द्वारा इस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे का उदघाटन


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 27 मई, 2018 को पूर्वी परिधीय एक्सप्रेसवे यानी ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (एनई-2) का उद्घाटन बागपत, उत्तर प्रदेश में किया। 135 किलोमीटर लंबा और 6 लेन वाला यह एक्सप्रेसवे कुंडली एवं पलवल को जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अनुसार 11,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह एक्सप्रेसवे यात्र समय को 4 घंटे से कम कर 72 मिनट कर देगा। छह लेन वाला यह एक्सप्रेसवे देश का प्रथम शत प्रतिशत सोलर पॉवर चालित एक्सप्रसेवे है। एनएचएआई के अनुसार इस एक्सप्रेसवे के कारण 52,000 वाहनों को डायवर्ट किया जा सकेगा और प्रदूषण में 27 प्रतिशत की कमी आएगी।

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे
  • इससे पूर्व प्रधानमंत्री ने 27 मई, 2018 को दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के प्रथम चरण का उद्घाटन किया। 
  • यह देश का प्रथम 14 लेन वाला एक्सप्रेसवे है।
  • यह एक सोलर पॉवर ग्रीन एक्सप्रेसवे है।

चेन्नई सुपर किंग्स ने तीसरी बार जीता IPL का खिताब


चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) ने शेन वॉटसन की शानदार शतकीय पारी की बदौलत आईपीएल 2018 का खिताब अपने नाम कर लिया है। सीएसके ने फाइनल में सनराइजर्स हैदराबाद को 8 विकेट से करारी शिकस्त दी। इस जीत के साथ ही चेन्नई सुपर किंग्स तीसरी बार आईपीएल का खिताब जीतने में सफल रही।

मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में 27 मई 2018 को खेले गए आईपीएल 2018 के फाइनल मुकाबले में सनराइजर्स हैदराबाद ने निर्धारित 20 ओवरों में 6 विकेट के नुकसान पर 178 रन बनाए। जिसके जवाब में चेन्नई सुपर किंग्स ने 2 विकेट खोकर 9 गेंद शेष रहते ही लक्ष्य हासिल कर लिया।

 मैन ऑफ द मैच

शेन वॉटसन को शानदार पारी खेलने के लिए मैन ऑफ द मैच से नावाजा गया। उन्होंने 57 गेदों पर 11 चौकों और 8 छक्को की मदद से 117 रन की नाबाद पारी खेली।

सबसे ज्यादा मैच जीतने वाली पहली टीम

चेन्नई सुपर किंग्स आईपीएल के एक सीजन में किसी टीम के खिलाफ सबसे ज्यादा मैच जीतने वाली पहली टीम बन गई है। मौजूदा सीजन में चेन्नई ने फाइनल सहित सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ रिकॉर्ड 4 मैचों में जीत दर्ज की है, जो आईपीएल इतिहास में पहली बार हुआ है।

 चेन्नई तीसरी बार चैंपियन

चेन्नई सुपर किंग्स तीसरी बार आईपीएल का विजेता बना. दो साल बाद लीग में वापसी करने वाली चेन्नई की यह तीसरी खिताबी जीत है। इससे पहले वो वर्ष 2010 और वर्ष 2011 में खिताब अपने नाम कर चुकी है। इसी के साथ वह सबसे ज्यादा आईपीएल खिताब जीतने के मामले में मुंबई इंडियंस के बराबर पहुँच गई है। दोनों टीमों के नाम सबसे ज्यादा तीन-तीन खिताब हैं। यह चेन्नई का सातवां आईपीएल फाइनल था।

आईपीएल चैंपियन कौन कितनी बार बना?

         टीम                                             वर्ष                                                 कप्तान

चेन्नई सुपर किंग्स                   3 बार (वर्ष 2010, वर्ष 2011 और वर्ष 2018)        महेंद्र सिंह धोनी

मुंबई इंडियंस                       3 बार (वर्ष 2013, वर्ष 2015 और वर्ष 2017)        रोहित शर्मा

कोलकाता नाइट राइडर्स        2बार (वर्ष 2012 और वर्ष 2014)                         गौतम गंभीर

सनराइजर्स हैदराबाद            1 बार (वर्ष 2016)                                             डेविड वॉर्नर

डेक्कन चार्जर्स                      1 बार (वर्ष 2009)                                            एडम गिलक्रिस्ट

राजस्थान रॉयल्स                   1 बार (वर्ष 2008)                                             शेन वॉर्न


चेन्नई सुपर किंग्स पर दो साल का प्रतिबंध

चेन्नई सुपर किंग्स को वर्ष 2016 में स्पॉट फिक्सिंग के मामले में आने के कारण टीम पर 2 साल का प्रतिबंधित लगा दिया गया था। चेन्नई सुपर किंग्स टीम को वर्ष 2016 और वर्ष 2017 के आईपीएल में खेलने पर प्रतिबंधित किया गया था।

 इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल)

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड द्वारा संचालित ट्वेन्टी ट्वेन्टी प्रतियोगिता है। लीग, वर्ष 2007 में भारत (बीसीसीआई) के सदस्य ललित मोदी ने क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा स्थापित किया गया था।आईपीएल अप्रैल और हर साल के मई के ऊपर निर्धारित है. वर्ष 2016 में आईपीएल का टाइटल प्रायोजक विवो इलेक्ट्रॉनिक्स, इस प्रकार लीग को आधिकारिक तौर पर विवो इंडियन प्रीमियर लीग के रूप में जाना जाता है।

आईपीएल की नीलामी हर साल होती है। आईपीएल के नियम के अनुसार कोई भी टीम ज्यादा से ज्यादा 25 और कम से कम 28 खिलाड़ी अपनी टीम में शामिल कर सकती है। जिसमें से 8 खिलाड़ी विदेशी कोई भी टीम अपनी टीम में शामिल कर सकती है।

क्यों तूतिकोरिन की घटना हमारी पूरी की पूरी व्यवस्था की असफलता का प्रतीक है?

आम लोगों का जब कंपनियों के वादों और सरकार की क्षमता पर से भरोसा टूटता है जब तूतिकोरिन जैसी घटनाएं सामने आती हैं

तमिलनाडु के तूतिकोरिन जिले में प्रदूषण फैलाने वाली एक कॉपर (तांबा) फैक्टरी के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में दर्जनभर लोगों को मारा जाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। यह नीति, पुलिस-प्रशासन और कॉर्पोरेट प्रबंधन के स्तर पर एक स्पष्ट असफलता है। और इस असफलता की भरपाई मृतकों को मुआवजा देने भर से नहीं होने वाली।

दूसरे उद्योगों की तरह कॉपर उत्पादन के दौरान भी प्रदूषण फैलता है। इसीलिए तूतिकोरिन की इस फैक्टरी से भी पैदा होने वाले प्रदूषकों को इकट्ठा करने और उनके इस तरह निपटारे की जरूरत है ताकि आसपास की हवा, पानी और जमीन इनके प्रभाव से बची रहे। चूंकि ऐसी फैक्टरियों के बिना समाज चल नहीं सकता, सो हमें प्रदूषण नियंत्रण के उपायों की तरफ ही ध्यान देना होगा।

अतीत में औद्योगीकरण का एक दौर ऐसा भी रहा है कि जब फैक्ट्रियाँ प्रदूषण को उत्पादन का एक स्वाभाविक नतीजा मानते हुए उसके प्रति अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं समझती थीं। अब प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित नियामक प्रदूषण के बदले उद्योगों पर टैक्स बढ़ा देते हैं या ऐसी व्यवस्था बना देते हैं जिससे प्रदूषण के अनुपात में उनके उत्पादन की लागत बढ़ जाए। लेकिन यहाँ आखिरकार उद्योगों को ही ध्यान में रखना होगा कि वे प्रदूषण कम करते हुए अपनी हर तरह की लागत घटाएं।

प्रदूषण के मोर्चे पर यह तूतिकोरिन स्थित स्टरलाइट कॉपर प्लांट की नाकामी ही थी जिसके चलते यहाँ विरोध का ऐसा तगड़ा माहौल बना। परसों की घटना से साफ पता चलता है कि यहाँ के लोगों का न तो प्रदूषण नियंत्रित करवा पाने की सरकार की क्षमता पर भरोसा है, न ही इससे जुड़े फैक्टरी प्रबंधन के वादों पर। और जाहिर है कि जनता का भरोसा टूटने की फिर सबको ऊंची कीमत चुकानी पड़ती है।

यह भी बड़ी अजीब बात है कि तूतिकोरिन में विरोध प्रदर्शन की अगुवाई गैर-सरकारी संगठन कर रहे थे।जबकि यहाँ कोई जिम्मेदार राजनीतिक दल प्लांट के बजाय प्रदूषण के खिलाफ लोगों को लामबंद कर सकता था। प्लांट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन इसलिए जायज नहीं है क्योंकि प्रदूषण से इतर यह रोजगार और आमदनी का जरिया तो है ही, इसके साथ जरूरी उत्पाद भी पैदा कर रहा है।

स्टरलाइट वेदांता ग्रुप की कंपनी है। इस संकटपूर्ण स्थिति में उसे इस प्लांट से सबंधित प्रंबंधन टीम को हटाकर नई टीम लाने की जरूरत है जो प्रदूषण नियंत्रण के उपायों पर ध्यान दे, इस दिशा में निवेश करे, आसपास के लोगों को भरोसे में ले और अपनी इज्जत के साथ-साथ इस प्लांट को भी बचाए।

सौर ऊर्जा पर भारत की निर्भरता: मूल्यांकन

दुनिया की सबसे बड़ी अक्षय ऊर्जा विस्तार योजना के एक भाग के रूप में, भारत एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए सूरज के प्रकाश पर निर्भरता दर्शा कर रहा है।    अगले आने वाले चार वर्षों में, भारत में अक्षय स्रोतों से आने वाली ऊर्जा के 175 गीगावाट (जीडब्ल्यू) हो जाने की उम्मीद है, जिसमें से 100 गीगावाट अकेले सौर ऊर्जा होगी। अब से 12 वर्ष बाद, ऊर्जा की सभी जरूरतों का 40% हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा से आने की उम्मीद में है जोकि वर्तमान समय में 18% है।    वर्ष 2022 की समयसीमा को पाने के लिए भारत के द्वारा 125 अरब रुपये (8.5 ट्रिलियन रुपये) खर्च किये जाने की उम्मीद है। यह राशि अपने आप में बहुत अधिक है, लेकिन यदि यह राशि नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन में सही प्रकार से खर्च हो गई तो भारत चीन और अमेरिका के बाद सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादनकर्ता बन जाएगा।    चुनौतियाँ    पिछले दो दशकों में बिजली की खपत में बहुत अधिक वृद्धि हुई है। अब हम वर्ष 2000 में जितनी ऊर्जा का इस्तेमाल करते थे उससे दुगुना, और वर्ष 1970 के दशक में जितनी ऊर्जा का इस्तेमाल करते थे उससे आठ गुना अधिक ऊर्जा का उपयोग करते हैं। भारत में बिजली की अनुमानित ईंधन लागत बहुत अधिक है, और यह पर्यावरण के लिए अत्यंत विनाशकारी है।    वर्तमान में हमारी ऊर्जा आवश्यकता का आधे से अधिक भाग कोयले और प्राकृतिक गैस जलने से आता है। इस प्रकार का दोहन ग्रह को गर्म करता है, और इसे प्रदूषित करता है और एक समय के बाद इन संसाधनों को समाप्त भी हो जाना है।    भारत के प्रयास:    आने वाले कुछ वर्षों में बनने वाले दुनिया के 10 सबसे बड़े सौर पार्कों में से 5 भारत में बनाये जायेंगे जिनमें से दो सौर पार्क चीन के सबसे बड़े पार्क (तेंग्गर पार्क (1.5 गीगावॉट)) से भी बड़े होंगे। यहाँ तक कि एक 5 गीगावॉट क्षमता वाला सौर पार्क गुजरात के धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र में बनाये जाने की योजना है।    2022 तक, भारत को उम्मीद है कि सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के द्वारा अंतिम उपयोगकर्ताओं को बिजली आपूर्ति करने के लिए 38 सौर पार्क उपलब्ध होंगे।    सौर पार्कों के लाभ:    तुलनात्मक रूप से देखा जाय तो सौर पार्क हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी उत्पादन करने वाले बांधों की तुलना में अत्यधिक लाभकारी हैं। सोलर पार्कों को बनाना आसान है और इनके साथ भूगर्भीय संवेदनशीलता, लोगों का विस्थापन और पर्यावरण ह्रास जैसी समस्याएं अत्यंत कम आती हैं।    वर्ष 2017 में, अधिकांश वाणिज्यिक और औद्योगिक ग्राहकों के लिए ग्रिड पावर की तुलना में सौर ऊर्जा सस्ती हो गई है। कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात में भारत के सबसे बड़े पार्क बनाए जा रहे हैं। इन राज्यों में अधिकतर वह स्थान प्रयोग किया जा रहा जो या तो बंजर है या रेतीला अथवा खाली पड़ा हुआ है।    लेकिन इसके अतिरिक्त पूरे देश में, खेतों, हवाई अड्डों, अस्पतालों, परिसरों, मॉल और कार्यालय परिसरों में अपनी ही सौर ऊर्जा की व्यवस्था स्थापित की जा रही है, जोकि वास्तविक रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है।    सीमायें:    हालांकि, शहरी घर और आवासीय समाज अभी अधिक उत्साही नहीं हैं, क्यूंकि घरों में सोलर पैनल लगाने का खर्च अधिक आता है। अगर इनमें से कुछ उत्साही हों भी तो भी खाली जगह एक गंभीर मुद्दा है। मुंबई या गुरुग्राम जैसे ऊंची इमारतों वाले शहरों में, अक्सर सभी निवासियों के लिए बिजली उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त रौशनी वाली जगह नहीं होती है।    सौर पूर्जा पूर्णतः सूर्य के प्रकाश पर निर्भर है। भारत में मानसूनी जलवायु है और देश के मौसम का एक लम्बा हिस्सा शीत ऋतु के रूप में भी जाता है। इसलिए पूर्णतः सौर ऊर्जा पर निर्भर होना देश के लिए लाभकारी नहीं होगा।

दुनिया की सबसे बड़ी अक्षय ऊर्जा विस्तार योजना के एक भाग के रूप में, भारत एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए सूरज के प्रकाश पर निर्भरता दर्शा कर रहा है।

अगले आने वाले चार वर्षों में, भारत में अक्षय स्रोतों से आने वाली ऊर्जा के 175 गीगावाट (जीडब्ल्यू) हो जाने की उम्मीद है, जिसमें से 100 गीगावाट अकेले सौर ऊर्जा होगी। अब से 12 वर्ष बाद, ऊर्जा की सभी जरूरतों का 40% हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा से आने की उम्मीद में है जोकि वर्तमान समय में 18% है।

वर्ष 2022 की समयसीमा को पाने के लिए भारत के द्वारा 125 अरब रुपये (8.5 ट्रिलियन रुपये) खर्च किये जाने की उम्मीद है। यह राशि अपने आप में बहुत अधिक है, लेकिन यदि यह राशि नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन में सही प्रकार से खर्च हो गई तो भारत चीन और अमेरिका के बाद सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादनकर्ता बन जाएगा।

चुनौतियाँ

पिछले दो दशकों में बिजली की खपत में बहुत अधिक वृद्धि हुई है। अब हम वर्ष 2000 में जितनी ऊर्जा का इस्तेमाल करते थे उससे दुगुना, और वर्ष 1970 के दशक में जितनी ऊर्जा का इस्तेमाल करते थे उससे आठ गुना अधिक ऊर्जा का उपयोग करते हैं। भारत में बिजली की अनुमानित ईंधन लागत बहुत अधिक है, और यह पर्यावरण के लिए अत्यंत विनाशकारी है।

वर्तमान में हमारी ऊर्जा आवश्यकता का आधे से अधिक भाग कोयले और प्राकृतिक गैस जलने से आता है। इस प्रकार का दोहन ग्रह को गर्म करता है, और इसे प्रदूषित करता है और एक समय के बाद इन संसाधनों को समाप्त भी हो जाना है।

भारत के प्रयास

आने वाले कुछ वर्षों में बनने वाले दुनिया के 10 सबसे बड़े सौर पार्कों में से 5 भारत में बनाये जायेंगे जिनमें से दो सौर पार्क चीन के सबसे बड़े पार्क (तेंग्गर पार्क (1.5 गीगावॉट)) से भी बड़े होंगे। यहाँ तक कि एक 5 गीगावॉट क्षमता वाला सौर पार्क गुजरात के धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र में बनाये जाने की योजना है।

2022 तक, भारत को उम्मीद है कि सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के द्वारा अंतिम उपयोगकर्ताओं को बिजली आपूर्ति करने के लिए 38 सौर पार्क उपलब्ध होंगे।

सौर पार्कों के लाभ

तुलनात्मक रूप से देखा जाय तो सौर पार्क हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी उत्पादन करने वाले बांधों की तुलना में अत्यधिक लाभकारी हैं। सोलर पार्कों को बनाना आसान है और इनके साथ भूगर्भीय संवेदनशीलता, लोगों का विस्थापन और पर्यावरण ह्रास जैसी समस्याएं अत्यंत कम आती हैं।

वर्ष 2017 में, अधिकांश वाणिज्यिक और औद्योगिक ग्राहकों के लिए ग्रिड पावर की तुलना में सौर ऊर्जा सस्ती हो गई है। कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात में भारत के सबसे बड़े पार्क बनाए जा रहे हैं। इन राज्यों में अधिकतर वह स्थान प्रयोग किया जा रहा जो या तो बंजर है या रेतीला अथवा खाली पड़ा हुआ है।

लेकिन इसके अतिरिक्त पूरे देश में, खेतों, हवाई अड्डों, अस्पतालों, परिसरों, मॉल और कार्यालय परिसरों में अपनी ही सौर ऊर्जा की व्यवस्था स्थापित की जा रही है, जोकि वास्तविक रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है।

सीमायें

हालांकि, शहरी घर और आवासीय समाज अभी अधिक उत्साही नहीं हैं, क्यूंकि घरों में सोलर पैनल लगाने का खर्च अधिक आता है। अगर इनमें से कुछ उत्साही हों भी तो भी खाली जगह एक गंभीर मुद्दा है। मुंबई या गुरुग्राम जैसे ऊंची इमारतों वाले शहरों में, अक्सर सभी निवासियों के लिए बिजली उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त रौशनी वाली जगह नहीं होती है।

सौर पूर्जा पूर्णतः सूर्य के प्रकाश पर निर्भर है। भारत में मानसूनी जलवायु है और देश के मौसम का एक लम्बा हिस्सा शीत ऋतु के रूप में भी जाता है। इसलिए पूर्णतः सौर ऊर्जा पर निर्भर होना देश के लिए लाभकारी नहीं होगा।