Saturday 19 May 2018

जानें ईरान परमाणु डील क्या है, जिससे अमेरिका ने खुद को किया अलग


अमेरिका ने ईरान परमाणु डील से खुद को अलग कर लिया है जिसके बाद दुनियाभर में हड़कंप मचा हुआ है। इस डील से अलग होने की घोषणा के साथ ही अमेरिका ने ईरान पर और कड़े प्रतिबंध लगाने की बात कही है।
आईए जानते हैं क्या है यह परमाणु डील जिसे लेकर हंगामा मचा हुआ है।

यह है डील
  • ईरान द्वारा किए जा रहे कथित परमाणु कार्यक्रमों से नाराज अमेरिका ने वर्ष 2015 में राष्ट्रपति ओबामा के कार्यकाल में ईरान के हथियार खरीदने और मिसाइल टेक्नोलॉजी के आदान-प्रदान पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद ईरान के लिए परमाणु बम बनाने असंभव हो गया लेकिन इसके बदले अमेरिका ने उस पर से कई प्रतिबंध हटा लिए थे।
  • देश पर बढ़ते दबाव के कारण ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम के एक बड़े हिस्से को बंद करने के अलावा विशेषज्ञों को अपने देश में स्थित परमाणु स्थलों के निरीक्षण पर भी सहमति जताई थी। इस डील के तहत ईरान अपने पास केवल 300 किलोग्राम कम ताकत वाला यूरेनियम रख सकता था। वो इसे इतना की परिष्क्रत कर सकता था जिससे ईंधन बन जाता, बजाय 90 प्रतिशत क्षमता के जो हथियार बानाने के काम में आता।
  • हालांकि, इस डील से माध्यम से ईरान को सीधे तौर पर बलैस्टिक मिसाइल परीक्षण से नहीं रोका गया था। इसके अलावा इतने सालों में अलग-अलग वक्त पर शर्तों की उम्र भी तय थी।
  • इस समझौते में अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी भी शामिल थे। हालांकि इस समझौते के तोड़ने पर ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी कई बार अमेरिका को खुलेआम चेतावनी भी दे चुके हैं।
  • यह हुआ डील के दौरान
  • इतने सालों की डील के दौरान ईरान कोई परमाणु बम नहीं बना सका और इस डील के रद्द होने के बाद उसे ऐसा करने के लिए कम से कम एक साल और लगेगा। अगर ईरान इस डील को रद्द करता तो उस पर फिर से प्रतिबंध लागू हो जाते।

ऐसे शुरू हुआ था ईरान का परमाणु कार्यक्रम
  • ईरान का परमाणु कार्यक्रम अमेरिका की मदद से ही शुरू हुआ था। यह कार्यक्रम एटम ऑफ पीस के तहत शुरू किया गया था। अमेरिका ने एक टेस्ट रिएक्टर भेजा था जो तेहरान में 1967 में पहुंचा। उस समय साह मोहम्मद रेजा देश की सत्ता में थे। लेकिन 1979 में यह मदद तब खत्म हो गई जब इस्लामिक रिवॉल्यूशन ने शाह को सत्ता से बेदखल कर दिया।
  • 1990 में ईरान ने अपना कार्यक्रम आगे बढ़ाया और पाकिस्तान में परमाणु कार्यक्रम के पिता कहे जाने वाले एक्यू खान से उपकरण खरीदे। आईएईए के अनुसार इस दौरान आशंका जताई गई कि ईरान ने बम बनाने के लिए डिजाइन भी पा लिया। अगस्त 2002 तक वेस्टर्न इंटेलीजेंस सर्विसेस और ईरानी विपक्षी समुहों ने नतांज में एक खुफिया परमाणु साइट के बारे में बताया। हालांकि, ईरान हमेशा इस बात से इन्कार करता रहा कि परमाणु कार्यक्रम को लेकर उसका कोई सैन्य उद्देश्य है।

वार्ता और प्रतिबंध
सन 2000 के दौरान ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने ईरान के साथ परमाणु नेगोसिएशन शुरू किए लेकिन अमेरिका इससे अलग रहा। अक्टूबर 2003 में ईरान ने अपना यूरेनियम संवर्धन कम किया लेकिन 2006 में राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के नेतृत्व में इसे फिर बढ़ाया। इसके बाद दुनिया ने ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए।