Friday, 18 May 2018

आरबीआई ने देना बैंक पर ऋण जारी करने और नौकरियां देने पर रोक लगाई


भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बड़ी मात्रा में कर्ज में डूबे सार्वजनिक क्षेत्र के देना बैंक पर नया ऋण और नई नौकरियां देने पर रोक लगाने का निर्देश दिया। आरबीआई द्वारा यह निर्णय 'त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई' के तहत लिया गया।

रिजर्व बैंक ने ऊंचे शुद्ध एनपीए और कर्ज या परिसंपत्तियों पर मिलने वाले नकारात्मक रिटर्न (ROA) के चलते उसके खिलाफ त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई शुरू की है और उस पर कुछ प्रतिबंध लगा दिए हैं। रिजर्व बैंक इससे पहले इलाहाबाद बैंक, आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूको बैंक के खिलाफ यह कार्रवाई शुरू कर चुका है।

देना बैंक पर प्रभाव
रिजर्व बैंक द्वारा देना बैंक को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के कारण खराब वित्तीय स्वास्थ्य को देखते हुए ताजा क्रेडिट बढ़ाने से रोका गया। यह देना बैंक को पीसीए ढांचे के तहत उधार देने पर प्रतिबंध लगाता है। इसका अर्थ है कि बैंक पहले से स्वीकृत क्रेडिट सुविधाओं के लिए ऋण तो बांट सकता है, लेकिन ताजा ऋण स्वीकृत नहीं कर सकता। इसके अतिरिक्त भारतीय रिजर्व बैंक ने देना बैंक में अधिक कर्मचारियों की भर्ती पर भी रोक लगा दी है। यदि बैंक एनपीए में सुधार करता है और खराब ऋण के अनुपात को कम करता है तो आरबीआई इन प्रतिबंधों को हटा सकता है। आरबीआई द्वारा जिस प्रकार कुछ बैंकों पर इस प्रकार के प्रतिबन्ध लगाए गये हैं उससे देश में नैरो बैंकिंग (Narrow Banking) की शुरुआत हो सकती है।

आरबीआई की निगरानी सूची में 11 बैंक

इलाहाबाद

बैंक ऑफ इंडिया

यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया

कारपोरेशन बैंक

ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स

आईडीबीआई बैंक

इंडियन ओवरसीज बैंक

बैंक ऑफ महाराष्ट्र

देना बैंक

यूको बैंक

इन सभी बैंकों की आरबीआई के पीसीए फ्रेमवर्क के तहत जाँच-पड़ताल जारी है लेकिन देना बैंक एकमात्र बैंक है जिसे हाल ही में ऋण देने से मना किया गया है

देना बैंक का एनपीए
देना बैंक ने 18 मई 2018 को जानकारी दी थी कि अधिक एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) के चलते मार्च तिमाही में उसका घाटा बढ़कर 1,225.42 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2016-17 की जनवरी-मार्च तिमाही में उसका शुद्ध घाटा 575.26 करोड़ रुपये था। इससे पहले 2017-18 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बैंक का घाटा 380.07 करोड़ रुपये था।

नैरो बैंकिंग (Narrow Banking) क्या है?
  • बैंक पर आवश्यकता से अधिक कर्ज होने की स्थिति में केन्द्रीय बैंक द्वारा उसे आदेश दिया जा सकता है कि बैंक केवल पैसे जमा करेगा तथा बैंक पर ऋण देने की रोक लगा दी जाती है।
  • इस बैंकिंग के तहत बैंकों को सरकारी बॉन्ड रखने के लिए प्रतिबंधित किया जा सकता है तथा ऋण अन्य वित्तीय मध्यस्थों द्वारा दिए जाने की व्यवस्था की जा सकती है।
  • आर्थिक रूप से कमजोर बैंकों पर घाटे में डूबने का खतरा कम किया जाता है।
  • भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बनाई गई एस.एस. तारापोर समिति ने सुझाव दिया था कि देश के आर्थिक रूप से कमजोर बैंकों को नैरो बैंक बना दिया जाना चाहिए।