Wednesday, 9 May 2018

नई पहल ‘साथी’ (SAATHI)


भारत में पावरलूम क्षेत्र मुख्य रूप से एक असंगठित क्षेत्र है। इस क्षेत्र में सूक्ष्म एवं लघु इकाइयां बड़ी संख्या में कार्यरत हैं, जो देश के कुल वस्त्र उत्पादन का 57 प्रतिशत उत्पादित करती हैं। देश में 24.86 लाख पावरलूम इकाइयां हैं जिनमें से अधिकांश पुराने ढंग की प्रौद्योगिकी का उपयोग करती हैं। हाल ही में वस्त्र मंत्रालय एवं विद्युत मंत्रालय ने पावरलूम क्षेत्र की प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए एक नई पहल ‘साथी’ (Saathi) के लिए साझेदारी की है।

24 अक्टूबर, 2017 को वस्त्र मंत्रालय और विद्युत मंत्रालय ने एक नई पहल ‘साथी’ (SAATHI : Sustainable and Accelerated Adoption of Efficient Textile Technologies to Help Small Industries) के लिए साझेदारी की है।
  • ‘साथी’ पहल के अंतर्गत विद्युत मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई ‘ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड‘ (EESL) द्वारा थोक में ऊर्जा दक्ष पावरलूम, मोटर, रैपिअर किट (Rapier Kits) की खरीद की जाएगी और उन्हें बिना किसी अग्रिम लागत के लघु एवं उद्यम इकाइयों को उपलब्ध कराया जाएगा।
  • सरकार की ‘साथी’ पहल का कार्यान्वयन अखिल भारतीय आधार पर संयुक्त रूप से ‘ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड’ और ‘वस्त्र आयुक्त कार्यालय’ द्वारा किया जाएगा।
  • ‘साथी’ पहल का कार्यान्वयन प्रारंभ करने के लिए इरोड, सूरत, इचलकरंजी (Ichalkaranji) आदि जैसे प्रमुख संकुलों में संकुल वार (Cluster Wise) प्रदर्शन परियोजनाओं एवं कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।
  • उपर्युक्त ऊर्जा दक्ष उपकरणों के उपयोग से पावरलूम धारक को ऊर्जा एवं लागत की बचत होगी।
  • पावरलूम धारक द्वारा 4-5 वर्ष की अवधि में ऊर्जा दक्ष उपकरणों की लागत का पुनर्भुगतान ‘ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड’ को किया जाएगा।
  • गौरतलब है कि पावरलूम क्षेत्र की प्रौद्योगिकी को उन्नत बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा पावरटेक्स इंडिया (Powertex India) के भाग के रूप में साधारण (Plain) पावरलूम के उन्नयन को कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • इसके तहत साधारण पावरलूम को प्रक्रिया नियंत्रण उपकरण (Proless Control Equipment) उपकरण से जोड़ दिया जाता है जिसकी वजह से उच्चतर उत्पादकता, बेहतर गुणवत्ता एवं 50 प्रतिशत से अधिक अतिरिक्त मूल्य प्राप्ति होती है।
  • अभी तक पावरटेक्स इंडिया योजना के तहत 1.70 लाख साधारण पावरलूमों का उन्नयन किया गया है, जिसमें भारत सरकार की कुल सब्सिडी 186 करोड़ रुपये की थी।