Monday 28 May 2018

क्यों तूतिकोरिन की घटना हमारी पूरी की पूरी व्यवस्था की असफलता का प्रतीक है?

आम लोगों का जब कंपनियों के वादों और सरकार की क्षमता पर से भरोसा टूटता है जब तूतिकोरिन जैसी घटनाएं सामने आती हैं

तमिलनाडु के तूतिकोरिन जिले में प्रदूषण फैलाने वाली एक कॉपर (तांबा) फैक्टरी के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में दर्जनभर लोगों को मारा जाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। यह नीति, पुलिस-प्रशासन और कॉर्पोरेट प्रबंधन के स्तर पर एक स्पष्ट असफलता है। और इस असफलता की भरपाई मृतकों को मुआवजा देने भर से नहीं होने वाली।

दूसरे उद्योगों की तरह कॉपर उत्पादन के दौरान भी प्रदूषण फैलता है। इसीलिए तूतिकोरिन की इस फैक्टरी से भी पैदा होने वाले प्रदूषकों को इकट्ठा करने और उनके इस तरह निपटारे की जरूरत है ताकि आसपास की हवा, पानी और जमीन इनके प्रभाव से बची रहे। चूंकि ऐसी फैक्टरियों के बिना समाज चल नहीं सकता, सो हमें प्रदूषण नियंत्रण के उपायों की तरफ ही ध्यान देना होगा।

अतीत में औद्योगीकरण का एक दौर ऐसा भी रहा है कि जब फैक्ट्रियाँ प्रदूषण को उत्पादन का एक स्वाभाविक नतीजा मानते हुए उसके प्रति अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं समझती थीं। अब प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित नियामक प्रदूषण के बदले उद्योगों पर टैक्स बढ़ा देते हैं या ऐसी व्यवस्था बना देते हैं जिससे प्रदूषण के अनुपात में उनके उत्पादन की लागत बढ़ जाए। लेकिन यहाँ आखिरकार उद्योगों को ही ध्यान में रखना होगा कि वे प्रदूषण कम करते हुए अपनी हर तरह की लागत घटाएं।

प्रदूषण के मोर्चे पर यह तूतिकोरिन स्थित स्टरलाइट कॉपर प्लांट की नाकामी ही थी जिसके चलते यहाँ विरोध का ऐसा तगड़ा माहौल बना। परसों की घटना से साफ पता चलता है कि यहाँ के लोगों का न तो प्रदूषण नियंत्रित करवा पाने की सरकार की क्षमता पर भरोसा है, न ही इससे जुड़े फैक्टरी प्रबंधन के वादों पर। और जाहिर है कि जनता का भरोसा टूटने की फिर सबको ऊंची कीमत चुकानी पड़ती है।

यह भी बड़ी अजीब बात है कि तूतिकोरिन में विरोध प्रदर्शन की अगुवाई गैर-सरकारी संगठन कर रहे थे।जबकि यहाँ कोई जिम्मेदार राजनीतिक दल प्लांट के बजाय प्रदूषण के खिलाफ लोगों को लामबंद कर सकता था। प्लांट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन इसलिए जायज नहीं है क्योंकि प्रदूषण से इतर यह रोजगार और आमदनी का जरिया तो है ही, इसके साथ जरूरी उत्पाद भी पैदा कर रहा है।

स्टरलाइट वेदांता ग्रुप की कंपनी है। इस संकटपूर्ण स्थिति में उसे इस प्लांट से सबंधित प्रंबंधन टीम को हटाकर नई टीम लाने की जरूरत है जो प्रदूषण नियंत्रण के उपायों पर ध्यान दे, इस दिशा में निवेश करे, आसपास के लोगों को भरोसे में ले और अपनी इज्जत के साथ-साथ इस प्लांट को भी बचाए।