Thursday 28 March 2019

भारत और ओमान के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास अल नागाह-2019 का समापन

 
भारतीय सेना और ओमान की शाही सेना के बीच तीसरा संयुक्त सैन्य अभ्यास अल नगाह- 2019 ओमान के जबल अल अखजर ट्रेनिंग कैम्प में 25 जनवरी 2019 को समाप्त हो गया इस समापन समारोह में भारत की तरफ से ओमान में भारतीय राजदूत मनु महावर और मेजर जनरल एके समनतारा ने हिस्सा लिया

ओमान की शाही सेना का प्रतिनिधित्व मेजर जनरल मातर बिन सालिम बिन रशीद अल बलूशी और कई वरिष्ठ अधिकारियों ने किया. दोनों देशों के सैन्य दलों के कमांडरों ने प्रतिनिधिमंडल को अभ्यास की प्रगति की जानकारी दी। इस अभ्यास में दोनों देशों की ओर से 60-60 सैनिकों ने हिस्सा लिया था। इस अभ्यास का आरम्भ 12 मार्च 2019 को हुआ था। अभ्यास अल-नगाह से दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत होंगे और संयुक्त राष्ट्र के तहत सैन्य गतिविधियों के मद्देनजर दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ेगा


उद्देश्य

इस संयुक्त सैन्य अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं के बीच मैत्री संबंध स्थापित करना, संयुक्त ऑपरेशन परिचालित करने की क्षमता को बढ़ावा देना तथा कौशल एवं अनुभव का आदान-प्रदान करना है


संयुक्त सैन्य अभ्यास अल नगाह

➽ इस युद्ध अभ्यास के द्वारा विभिन्न परिस्थितियों में आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन को पूरा करने के लिए अभ्यास किया गया

 इस युद्ध अभ्यास में भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व गढ़वाल राइफल्स की 10वीं बटालियन द्वारा किया गया. जबकि ओमान की रॉयल आर्मी का प्रतिनिधित्व जबल रेजिमेंट द्वारा किया गया

 इस चौदह दिवसीय अभ्यास में दोनों देशों की सेनाओं ने रणनीति तथा हथियार चलाने जैसी कई विधाओं में अपने अनुभवों को एक-दूसरे से साझा किया

 इस प्रकार के सैन्य अभ्यास से संयुक्त ऑपरेशन परिचालित करने की क्षमता को बढ़ावा मिलेगा

 अल नागाह प्रथम का आयोजन जनवरी 2015 में ओमान के मस्कट में किया गया था। जबकि अल नागाह द्वितीय का आयोजन हिमाचल प्रदेश में मार्च 2017 में किया गया था। भारत और ओमान सुरक्षा संबंधी पिछले कुछ वर्षों से मजबूत हो रहे हैं तथा यह संयुक्त सैन्य अभ्यास इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है

खाड़ी क्षेत्र में मौजूद ओमान भारत का महत्वपूर्ण मित्र राष्ट्र है। दोनों देशों के बीच लम्बे समय से ऐतिहासिक एवं वाणिज्यिक संबंध रहे हैं। देशों के बीच वर्तमान समय में आर्थिक सहयोग भी बेहतर हुआ है तथा व्यपारिक आदान-प्रदान तेज़ी से बढ़ रहा है ऐसे में सीमाओं की रक्षा के लिए खाड़ी क्षेत्र के इस देश के साथ सैन्य अभ्यास करना महत्वपूर्ण कदम है

आरबीआई ने पीएनबी पर लगाया 2 करोड़ रुपये का जुर्माना, ये है वजह

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) पर 2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। आरबीआई द्वारा यह घोषणा 26 मार्च 2019 को की गई थी। पीएनबी पर वित्तीय लेन-देन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सॉफ्टवेयर का दुरुपयोग करने का आरोप है। दरअसल आरबीआई ने स्विफ्ट परिचालन के संदर्भ में नियामकीय निर्देशों का अनुपालन नहीं करने को लेकर सरकारी क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) पर दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया है 

मामला क्या है?
स्विफ्ट वैश्विक मैसेजिंग सॉफ्टवेयर है, जिसका इस्तेमाल वित्तीय इकाइयों द्वारा वैश्विक स्तर पर होने वाले लेनदेन के लिए किया जाता है. पीएनबी में आभूषण कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी द्वारा किए गए 14,000 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में इसी मैसेजिंग सॉफ्टवेयर का दुरुपयोग किया गया था। 

मुख्य तथ्य
आरबीआई ने विभिन्न निर्देशों के समयबद्ध क्रियान्वयन और स्विफ्ट परिचालन को मजबूत करने में विफल रहने वाले 36 सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों पर 71 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। 
आरबीआई द्वारा जिन प्रमुख बैंकों पर जुर्माना लगाया गया था उनमें एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक, एचएसबीसी, बैंक ऑफ बड़ौदा, सिटी बैंक, केनरा बैंक और यस बैंक शामिल हैं. हालांकि, इस सूची में पीएनबी का नाम नहीं था। 
रिपोर्ट्स के अनुसार, आरबीआई ने मार्च 2019 में विभिन्न निर्देशों का पालन नहीं करने को लेकर चार बैंकों पर जुर्माना लगाया था जिसमें भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), यूनियन बैंक, देना बैंक और आईडीबीआई बैंक शामिल थे। 
इसमें यूनियन बैंक पर तीन करोड़ रुपये, देना बैंक पर दो करोड़ रुपये और आईडीबीआई बैंक तथा एसबीआई पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया गया था। 

स्विफ्ट क्या है?
स्विफ्ट एक ऐसा नेटवर्क प्रदान करता है जो वित्तीय संस्थानों को एक सुरक्षित, मानकीकृत और विश्वसनीय वातावरण में वित्तीय लेनदेन के बारे में जानकारी भेजने और प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।  स्विफ्ट प्रत्येक वित्तीय संगठन को एक अनोखा कोड प्रदान करता है, जिसमें आठ अक्षर या 11 वर्ण हैं।  कोड को एकांतर रूप से बैंक पहचानकर्ता कोड (बीआईसी), स्विफ्ट कोड, स्विफ्ट आईडी या आईएसओ 9362 कोड कहा जाता है। 

भारत ने सैटेलाइट तक मार करने वाली मिसाइल बनाई, बना अंतरिक्ष महाशक्ति


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 मार्च 2019 को राष्‍ट्र के नाम संदेश प्रसारित किया। उन्‍होंने एक ट्वीट में इसकी जानकारी दी थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संदेश टीवी, रेडियो तथा सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित किया गया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जानकारी दी कि भारत ने एक एंटी-सैटेलाइट हथियार के जरिए धरती से करीब एक लाइव सैटेलाइट को सफलतापूर्वक निशाना बनाया है प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने जो किया है, वह भारत के वैज्ञानिक, सामरिक और आर्थिक प्रगति का प्रतीक है उन्‍होंने कहा कि हमारा उद्देश्‍य शांति बरकरार रखना है, युद्ध का माहौल बनाना नहीं हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम का मकसद शांति, भारत की आर्थिक और तकनीकी प्रगति है उन्होंने बताया कि मिशन शक्ति के तहत A सेट मिसाइल ने 3 मिनट में लाइव सेटेलाईट को मार गिराया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा की हमारे उपग्रहों का लाभ सभी को मिल रहा है, सभी जगह उपग्रहों का उपयोग किया जा रहा है स्पेस का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे ही इन सभी उपकरणों की सुरक्षा करना बहुत जरुरी है। भारत की विकास यात्रा की दृष्टि से यह मिशन महत्वपूर्ण है भारत ने अन्तरिक्ष क्षेत्र में काम करने का मुख्य उद्देश्य भारत की तकनीकी प्रगति है। आज का यह मिशन शक्ति भारत के सपनों को सुनिश्चित करने की ओर एक कदम है


मिशन क्यों खास है?

यह मिशन भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस मिशन के तहत भारत जल, नभ और थल के अलावा अंतरिक्ष में भी दुश्मन की हरकतों पर नजर रख सकता है अर्थात् अगर कोई दुश्मन देश अंतरिक्ष में सैटेलाइट के जरिए भारत पर नजर रख रहा है या फिर जासूसी कर रहा है तो भारत उसकी मिसाइल को नष्ट कर सकता है


मिशन शक्ति

📡 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में मिशन शक्ति के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इस मिशन के बाद भारत अंतरिक्ष में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी महाशक्ति बन गया है

📡 मिशन शक्ति के तहत भारत ने सैटेलाईट को निशाना बनाने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण किया है

📡 भारत ने इस मिशन के जरिए लो अर्थ ऑरबिट यानि LEO में मौजूद एक सैटेलाइट को मार गिराया

📡 भारत की ओर से DRDO ने यह परीक्षण किया है

📡 विदित हो कि एंटी सैटेलाइट वैपेन एक ऐसी मिसाइल होती है जिसके जरिए अंतरिक्ष में घूम रहे सैटेलाइट को निशाना बनाया जाता है

📡 इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ही यह उपलब्धि हासिल कर सके हैं और अब भारत चौथी महाशक्ति के रूप में उभरा है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन से कुछ समय पूर्व सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई थी नरेंद्र मोदी ऐसे समय में देश को संबोधित कर रहे हैं जब लोकसभा चुनाव के लिए मतदान की शुरुआत में दो सप्‍ताह से भी कम का समय बचा है सात चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव का पहला चरण 11 अप्रैल से शुरू होगा 19 मई 2019 को आखिरी चरण का मतदान होगा और परिणाम की घोषणा 23 मई को की जाएगी. वर्तमान एनडीए सरकार का कार्यकाल 22 मई को समाप्‍त हो रहा है


क्या है एंटी सैटेलाइट (ए-सैट) मिसाइल

📡 यह मिसाइल किसी भी देश को अंतरिक्ष में सैन्य ताकत देने का काम करता है

📡 एंटी सैटेलाइट वैपेन एक ऐसी मिसाइल होती है जिसके जरिए अंतरिक्ष में घूम रहे सैटेलाइट को निशाना बनाया जाता है

📡 यह मिसाइल धरती से कई किलोमीटर दूर ऑपरेशन को अंजाम दे सकते हैं

📡 सामरिक सैन्य उद्देश्यों में इस्तेमाल सैटेलाइट को मार सकता है

📡 यह मिसाइल किसी भी देश के कम्यूनिकेशन सिस्टम को खत्म किया जा सकता है

📡 युद्ध के समय दुश्मन देश के सैटेलाइट को मार गिराया जा सकता है

लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) या पृथ्वी की निचली कक्षा 160 किलोमीटर और 2,000 किलोमीटर के बीच ऊंचाई पर स्थित पृथ्वी के चारों ओर एक कक्षा (ऑर्बिट) है। लगभग 160 किलोमीटर (99 मील) या उससे नीचे वस्तुएँ बहुत तेजी से कक्षीय क्षय (ऑर्बिटल डीकेय) और ऊंचाई नुकसान (एल्टीट्यूड लॉस) का अनुभव करती हैं

Wednesday 27 March 2019

Filmfare Awards 2019: जानिए विजेताओं की पूरी सूची


बॉलीवुड फिल्मों के लिए दिए जाने वाले सबसे प्रसिद्ध पुरस्कार फिल्मफेयर अवार्ड्स 2019 हाल ही में मुंबई में प्रदान किये गये यह पुरस्कार 20 से अधिक श्रेणियों में दिए गये हैं इस वर्ष फिल्म ‘राजी’ के लिए आलिया भट्ट ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता, वहीं रणबीर कपूर ने ‘संजू’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार प्राप्त किया


64वें फिल्मफेयर पुरस्कारों की सूची

1.    बेस्ट एक्टर (पुरुष) - रणबीर कपूर (संजू)

2.    बेस्ट एक्टर (महिला) - आलिया भट्ट (राजी)

3.    क्रिटिक्स कैटेगरी बेस्ट एक्टर (पुरुष) - रणवीर सिंह(पद्मावत), आयुष्मान खुराना (अँधाधुन)

4.    बेस्ट डायरेक्टर - मेघना गुलजार (राजी) 

5.    क्रिटिक्स कैटेगरी बेस्ट एक्टर (महिला) - नीना गुप्ता (बधाई हो )

6.    पॉपुलर च्वायस कैटेगरी बेस्ट फिल्म - राजी

7.    बेस्ट स्टोरी - अनुभव सिन्हा (मुल्क) 

8.    बेस्ट स्क्रीनप्ले - अंधाधुन

9.     बेस्ट डायलॉग - बधाई हो

10.    क्रिटिक्स कैटेगरी में बेस्ट फिल्म - अँधाधुन

11.    बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर (महिला) - सुरेखा सिकरी (बधाई हो)

12.    बेस्ट एक्टर इन सपोर्टिंग रोल - विक्की कौशल (संजू) गजराज राव (बधाई हो)

13.    बेस्ट डेब्यू (पुरुष) - ईशान खट्टर (बियाण्ड द क्लाउड्स)

14.    बेस्ट डेब्यू (महिला) - सारा अली खान (केदारनाथ)

15.    बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर - अमर कौशिक (स्त्री)

16.    बेस्ट प्लेबैक (पुरुष) - अरिजीत सिंह (राजी)

17.    सर्वश्रेष्ठ गीतकार – गुलजीर (राजी)

18.    बेस्ट प्लेबैक (महिला) - श्रेया घोषाल

19.    बेस्ट बैकग्राउड स्कोर - डेनियल जॉर्ज (अँधाधुन)

20.    बेस्ट सिनेमेटोग्राफी - पंकज कुमार (तुम्बाड)

21.    बेस्ट वीएफएक्स - रेड चिलीज एंटरटेनमेंट (जीरो) 

22.    बेस्ट कोरियोग्राफी - कृति महेश मिद्या और ज्योति तोमर (पद्मावत)

23.    बेस्ट कॉस्टयूम - शीतल शर्मा (मंटो)

24.    बेस्ट प्रोडक्शन डिज़ाइन - नितिन जिहानी चौधरी और राजेश यादव (तुम्बाड)


फिल्मफेयर अवार्ड्स पृष्ठभूमि 

फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे पुरानी और प्रमुख घटनाओं में से एक रही है। इसकी शुरुआत सबसे पहले 1954 में हुई जब राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की भी स्थापना हुई थी पुरस्कार जनता के मत एवं ज्यूरी के सदस्यों के मत दोनों के आधार पर हर साल दिया जाता है

21 मार्च 1954 को होने वाले पहले पुरस्कार समारोह में सिर्फ पाँच पुरस्कार रखे गये थे जिसमें दो बीघा जमीन को सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशन के लिए बिमल राय (दो बीघा जमीन), सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए दिलीप कुमार (दाग), सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए मीना कुमारी (बैजू बावरा), एवं इसी फिल्म में सर्वश्रेष्ठ संगीत के लिए नौशाद को सम्मानित किया गया था

न्यूनतम आय गारंटी योजना और यूनिवर्सल बेसिक इनकम


हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा सरकार बनने पर न्यूनतम आय गारंटी योजना के तहत देश के बीस प्रतिशत परिवारों को 72 हजार रुपये प्रतिवर्ष दिए जाने का वादा किया गया राहुल गांधी ने कहा है कि यदि कांग्रेस सरकार आई तो 25 करोड़ लोगों को इस योजना के तहत का लाभ दिया जाएगा राहुल गांधी द्वारा यह भी कहा गया कि कांग्रेस की इस योजना के तहत न्यूानतम आय की सीमा 12 हजार रुपये रखी गई है 12 हजार से कम आय वाले ही इस योजना का लाभ उठा पाएंगे। 

इससे पहले वर्ष 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण में यूनिवर्सल बेसिक इनकम की अवधारणा पेश की गई थी। इस सर्वेक्षण में कहा गया कि अब तक की सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के लाभों के हस्तांतरण के मामले में निराशाजनक प्रदर्शन के मद्देनजर जरूरतमंदों तक सार्वभौमिक रूप से वित्तीय सहायता की सीधी पहुँच सुनिश्चित किये जाने की आवश्यकता है। यदि ऐसा होता है, तो इससे गरीबी-उन्मूलन की प्रक्रिया तेज होगी और गरीबों के लिए बेहतर जिंदगी सुनिश्चित की जा सकेगी इसके लिए लाभार्थियों का जनधन, आधार और मोबाइल से जुड़ा होना जरूरी होगा


न्यूनतम आय गारंटी योजना क्या है?

 न्यूनतम आय गारंटी योजना में यह प्रावधान होता है कि सरकार गरीबी रेखा के तय मानक के अनुसार उस श्रेणी के लोगों को एक निश्चित रकम देती है

 यह रकम गरीबी रेखा के मानक से तय की जा सकती है। इसके तहत सरकार एक निश्चित रकम तय करती है और फिर एक मानक स्थापित कर इसका वितरण करती है

 यह एक न्यूनतम आधारभूत आय की गारंटी है जो केवल गरीब नागरिकों को बिना शर्त सरकार द्वारा दी जाती है

 इसके लिये व्यक्ति की आय तय मानक के अनुसार होनी चाहिए और उसे उस देश का नागरिक होना जरूरी होता है, जहाँ इसे लागू किया जाना है


यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI)


यूनिवर्सल बेसिक इनकम की अवधारणा अपने मूल रूप में सभी नागरिकों के लिए वित्तीय सहायता के रूप में प्रति माह उस न्यूनतम राशि के बिना शर्त अंतरण पर बल देती है जिससे वो अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा कर सकें और जिससे उनके लिए गरिमामय जीवन संभव हो सके


2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण में यूनिवर्सल बेसिक इनकम

वर्ष 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण में यूनिवर्सल बेसिक इनकम के बारे में विस्तृत विवरण दिया गया था। इसमें कहा गया था कि भारत में केंद्र सरकार की तरफ से प्रायोजित कुल 950 योजनाएँ हैं और जीडीपी बजट आवंटन में इनकी हिस्सेदारी लगभग 5% है। ऐसी ज्यादातर योजनाएँ आवंटन के मामले में छोटी हैं और प्रमुख 11 योजनाओं की कुल बजट आवंटन में हिस्सेदारी 50% है इसे ध्यान में रखते हुए सर्वे में यूनिवर्सल बेसिक इनकम को मौजूदा स्कीमों के लाभार्थियों के लिये विकल्प के तौर पर पेश करने का प्रस्ताव दिया गया है


उद्देश्य:- आर्थिक समीक्षा में सामजिक न्याय को सुनिश्चित करना, नागरिकों को गरिमामय जीवन उपलब्ध कराना, गरीबी में कमी, रोजगार-सृजन एवं श्रम-बाजार में लोचशीलता के जरिये लोगों को कार्य-विकल्प उपलब्ध कराना, व्यापक प्रशासनिक दक्षता और वित्तीय समावेशन को इस स्कीम का लक्ष्य बताया गया है और संकेतों में कहा गया है कि वर्तमान में चलायी जा रही लोक-कल्याणकारी योजनाओं की तुलना में यह योजना इन लक्ष्यों की प्राप्ति में कहीं अधिक सहायक है


सैद्धांतिक आधार

1. सार्वभौमिकता, ताकि सभी नागरिकों को इसके दायरे में लाया जा सके;

2. बिना शर्त अर्थात् न तो आय की शर्त और न ही रोजगार की शर्त; तथा

3. बुनियादी आय, ताकि बिना किसी अतिरिक्त आय गरिमापूर्ण जीवन जीना संभव हो सके


न्यूनतम आय गारंटी और यूनिवर्सल बेसिक इनकम में अंतर

न्यूनतम आय गारंटी गरीबी ग्रामीण क्षेत्रों अथवा विशेष श्रेणी के लोगों को दी जाने वाली न्यूनतम आय है जबकि यूनिवर्सल बेसिक इनकम योजना वर्षों तक दी जाने वाली न्यूनतम आय की गारंटी है

 न्यूनतम आय गारंटी की योजना नागरिकों का अधिकार नहीं है जबकि जबकि कुछ यूरोपियन देशों में बेसिक इनकम को लोगों के अधिकार के रूप में सुनिश्चित किया गया है

 न्यूनतम आय गारंटी लोगों को आर्थिक आधार पर दिया जाने वाली सुविधा है जबकि यूबीआई उन्हें सुनिश्चित तौर पर मिलना तय है।


Tuesday 26 March 2019

WEF के वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक में भारत 76 वें स्थान पर


विश्व आर्थिक मंच (WEF) के वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक में भारत 76वें स्थान पर है भारत ने पिछले सूचकांक की तुलना में दो स्थान की छलांग लगायी है विश्व आर्थिक मंच द्वारा जारी सालाना सूचकांक के नये संस्करण में स्वीडन इस साल भी शीर्ष पर बना हुआ है

जिनेवा स्थित विश्व आर्थिक मंच द्वारा संकलित वार्षिक सूची में 115 अर्थव्यवस्थाओं को स्थान दिया गया है कि वे ऊर्जा सुरक्षा तथा पर्यावरणीय स्थिरता और सामर्थ्य के मार्ग को संतुलित करने में कितने सक्षम हैं


मुख्य बिंदु

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत उच्च प्रदूषण स्तर वाले देशों में शामिल है और इसकी ऊर्जा प्रणाली में अपेक्षाकृत उच्च कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) तीव्रता है

 स्वीडन के बाद सूचकांक में दूसरे स्थान पर स्विट्जरलैंड और तीसरे स्थान पर नार्वे है

 नये सूचकांक में चीन का स्थान 82वां है

 ब्रिक्स देशों में सूचकांक में भारत से बेहतर सिर्फ ब्राजील की स्थिति है जिसे 46वां स्थान मिला है

 हालांकि भारत उन चुनिंदा पांच देशों में से एक है जिसका स्थान पिछले सूचकांक की तुलना में बेहतर हुआ है

 इस सूचकांक में ब्रिटेन सातवें स्थान पर, सिंगापुर 13वें स्थान पर, जर्मनी 17वें स्थान पर, जापान 18वें स्थान पर और अमेरिका 27वें स्थान पर है

 एशियाई देशों में मलेशिया 31वें स्थान पर, श्रीलंका 60वें स्थान पर, बांग्लादेश 90वें स्थान पर और नेपाल 93वें स्थान पर है

 सूचकांक में कहा गया कि पांच साल पहले की तुलना में दुनिया भर में ऊर्जा माध्यम महंगे हुए हैं और पर्यावरण हेतु अधिक नुकसानदेह हो गये हैं। हालांकि ऊर्जा की उपलब्धता पहले से बेहतर हुई है और अब एक अरब से कम लोग ही ऐसे हैं जिनके पास बिजली की उपलब्धता नहीं है


विश्व आर्थिक मंच के बारे में

 विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) स्विट्ज़रलैंड में स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था है। इसका मुख्यालय जिनेवा में है। स्विस अधिकारीयों द्वारा इसे एक निजी-सार्वजनिक सहयोग के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है

 इसका मिशन विश्व के व्यवसाय, राजनीति, शैक्षिक और अन्य क्षेत्रों में अग्रणी लोगों को एक साथ ला कर वैशविक, क्षेत्रीय और औद्योगिक दिशा तय करना है

 विश्व आर्थिक मंच की स्थापना साल 1971 में यूरोपियन प्रबंधन के नाम से जिनेवा विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर क्लॉस एम श्वाब द्वारा की गई थी। उस वर्ष यूरोपियन कमीशन और यूरोपियन प्रोद्योगिकी संगठन के सौजन्य से इस संगठन की पहली बैठक हुई थी

 इस फोरम की सर्वाधिक चर्चित घटना वार्षिक शीतकालीन बैठक में होती है जिसका आयोजन दावोस नामक स्थान पर किया जाता है


Sunday 24 March 2019

कजाखस्तान के राजधानी अस्ताना का नाम बदला


कजाखस्तान की संसद ने 20 मार्च 2019 को देश के लंबे समय से राष्ट्रपति रहे नूरसुलतान नजरबायेव के सम्मान में राजधानी अस्ताना का नाम बदल कर नूरसुलतान करने का सर्वसम्मति से फैसला किया 

सरकारी समाचार एजेंसी ‘काजिन्फॉर्म’ ने संसद में मतदान की सूचना देते हुए कहा की अस्ताना का अब आधिकारिक रूप से नूरसुलतान नाम कर दिया गया है इसकी घोषणा हाल ही में नए राष्ट्रपति कासिम-जोमात तोकायेव ने की। हाल ही में नूरसुल्तान नजरबायेव ने कजाखस्तान के राष्ट्रपति के पद से तीस वर्ष बाद इस्तीफा दिया था। नजरबायेव के अचानक इस्तीफे के बाद नए अंतरिम राष्ट्रपति कासिम-जोमार्त तोकायेव ने अस्ताना का नाम बदलने का प्रस्ताव किया था अस्ताना को पहले अकमोला, त्सेलिनोग्राड और अकमोलिंस्क के नाम से जाना जाता था


नूरसुल्तान नजरबायेव

नूरसुल्तान नजरबायेव कजाखस्तान के पहले राष्ट्रपति हैं। वे 24 अप्रैल 1990 से 19 मार्च 2019 तक कजाखस्तान के राष्ट्रपति रहे। कजाखस्तान में बहुत से लोग नूरसुल्तान नजरबायेव को हीरो तरह देखते हैं लेकिन कई ऐसे भी हैं जो उन्हें अहंकारी तानाशाह मानते हैं उन्हें साल 1989 को कम्युनिस्ट पार्टी का प्रथम सचिव चुना गया था

बाद में सोवियत संघ से कजाखस्तान की स्वतंत्रता के बाद वे देश के पहले राष्ट्रपति बने गौरतलब है कि अप्रैल 2015 में उन्हें 98 प्रतिशत वोट के साथ पुनः कजाखस्तान का राष्ट्रपति चुना गया था। नूरसुल्तान नजरबायेव का जन्म 6 जुलाई 1940 को भूतपूर्व सोवियत संघ के चेमोलगन में हुआ था

कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना में नूरसुल्तान नजरबायेव की तस्वीरें हर जगह दिख जाती हैं। इसे बड़े से बर्फीले  देश में हवाई अड्डों, सड़कों, स्कूल और चौक-चौराहों पर उनका नाम लिखा हुआ मिलता है। 


कजाखस्तान के बारे में


कजाखस्तान यूरेशिया में स्थित एक देश है क्षेत्रफल की दृष्टि से यह विश्व का 9वां सबसे बड़ा देश है यह देश अधिकतर एशिया में स्थित है, इसका पश्चिमी हिस्सा यूरोप में स्थति है. इस देश में तेल और गैस प्रचुर मात्र में उपलब्ध है। कजाखस्तान ने 16 दिसम्बर 1991 को भूतपूर्व सोवियत संघ से स्वतंत्रता की घोषणा की थी यहाँ के मुख्य निवासी कजाख लोग हैं जो तुर्क मूल के हैं। कजाखस्तान में शुष्क महाद्वीपीय जलवायु है, जिसका अर्थ है कि सर्दी काफी ठंडी होती है और गर्मी गर्म होती है

प्रसन्नता रिपोर्ट में 7 स्थान नीचे फिसला भारत, फिनलैंड सबसे खुशहाल देश


संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की 'विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट 2019' के मुताबिक, भारत खुशहाल देशों की सूची में पिछले साल के मुकाबले 7 स्थान नीचे गिरकर 140वें पायदान पर पहुंच गया है

इस सूची में 156 देशों को शामिल किया गया है जिसमें फिनलैंड लगातार दूसरी बार शीर्ष पर है। प्रसन्नता रिपोर्ट सामान्यतः प्रति व्यक्ति आय, जीडीपी, स्वास्थ्य, सामाजिक सहयोग, आपसी विश्वास,  जीवन संबंधी निर्णय लेने की स्वतंत्रता और उदारता जैसे संकेतकों पर तैयार की जाती है हर साल स्थितियां विश्व स्तर पर बदल जाती हैं


मुख्य तथ्य

 इस रिपोर्ट में लगातार दूसरी बार फ़िनलैंड को शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ है

 फिनलैंड के बाद डेनमार्क, नॉर्वे, आइसलैंड तथा नीदरलैंड को स्थान प्राप्त हुआ है

 इस रिपोर्ट में यूनाइटेड किंगडम को 15वां स्थान (पिछली बार 18 वां स्थान), जर्मनी को 17वां (पिछली बार 17वां स्थान) और अमेरिका को 19वां स्थान (पिछली बार 18वां स्थान) प्राप्त हुआ है

 इस रिपोर्ट में जापान 58वें स्थान (पिछले वर्ष 54वां स्थान), रूस 68वें स्थान (पिछले वर्ष 59वां स्थान) और चीन को 93वां स्थान (पिछले वर्ष 86वां स्थान) प्राप्त हुआ है


भारत की रैंकिंग

➦ भारत की रैंकिंग में भी इस बार गिरावट हुई है, पिछले वर्ष भारत को 133वां स्थान प्राप्त हुआ था, इस वर्ष भारत को 140वां स्थान प्राप्त हुआ है

 इस रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व भर में उदासी, चिंता तथा गुस्से जैसी नकारात्मक भावनाओं में वृद्धि हुई है पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले विश्व की औसत प्रसन्नता दर में भारी कमी आई है


पृष्ठभूमि

भूटान से ही प्रसन्नता को मापने की अवधारणा शुरू हुई थी। भूटान के प्रस्ताव पर सतत विकास समाधान नेटवर्क ने संयुक्त राष्ट्र संघ हेतु साल 2012 में पहली विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट जारी की थी और 20 मार्च को विश्व प्रसन्नता दिवस घोषित किया था। पहली रिपोर्ट में भारत का स्थान 111वां था और डेनमार्क पहले स्थान पर था

23 मार्चः विश्व मौसम विज्ञान दिवस


विश्व मौसम विज्ञान दिवस 23 मार्च 2019 को दुनिया भर में मनाया गया। इस दिवस का उद्देश्य लोगों को मौसम विज्ञान तथा इसमें हो रहे परिवर्तन के बारे में जागरूक करना है।

विश्व मौसम विज्ञान दिवस के अवसर पर प्रत्येक वर्ष, मौसम विज्ञान शोध के लिए पुरस्कार दिए जाते हैं। इन पुरस्कारों में  प्रोफेसर डॉ. विल्हो वाईसाईला अवार्ड, इंटरनेशनल मेटरोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन प्राइज और द नोर्बर्ट गेरबीयर- मुम्म इंटरनेशनल अवार्ड शामिल हैं।


विश्व मौसम विज्ञान दिवस का विषय

वर्ष 2019 के विश्व मौसम विज्ञान दिवस का विषय “The Sun, the Earth and the Weather” है। प्रत्येक साल 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस मनाया जाता है। यह दिवस विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा मनाया जाता है


विश्व मौसम विज्ञान दिवस

विश्व मौसम विज्ञान दिवस प्रतिवर्ष 23 मार्च को मनाया जाता है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा वर्ष 2011 में विश्व मौसम विज्ञान दिवस के अवसर पर 'जलवायु हमारे लिए' (Climate for You) विषय पर जोर दिया गया

इस दिवस पर देश के विभिन्न हिस्सों में बैठकें, संगोष्ठियां और अन्य कार्यक्रम होते हैं जिनमें मौसम वैज्ञानिक आपस में विचार एवं अनुभव बांटते हैं

विश्व मौसम विज्ञान संगठन सम्मेलन में वर्ष 1950 में संगठन के गठन के उद्देश्य को लागू करने के लिए 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस के तौर पर मनाया जाता है


विश्व मौसम विज्ञान संगठन

➦ विश्व मौसम विज्ञान संगठन एक मौसम विज्ञान संगठन है, जिसे 11 अक्टूबर 1947 को हुई संधि के बाद 23 मार्च 1950 में स्थापित किया गया था। इसका मुख्यालय जेनेवा (स्विट्जरलैंड) में है

 अंतरराष्ट्रीय मैसम विज्ञान संगठन मौसम विज्ञान, परिचालन जल विज्ञान और संबंधित भू-विज्ञान के लिए वर्ष 1951 में संयुक्त राष्ट्र का विशेष एजेंसी बना था। विश्व मौसम विज्ञान संगठन में कुल 191 सदस्य देश एवं क्षेत्र हैं

 संगठन की स्थापना का उद्देश्य मानव के दुखदर्द को कम करना एवं संपोषणीय विकास को बढावा देना है पहले के विपरीत वर्तमान में मौसम विज्ञान में केवल मौसम संबंधी विधा शामिल नहीं है बल्कि इसमें पूरा भू-विज्ञान है

 यह संगठन, पृथ्वी के वायुमंडल की परिस्थिति और व्यवहार, महासागरों के साथ इसके संबंध, मौसम और परिणामस्वरूप जल संसाधनों के वितरण के बारे में जानकारी के बारे में, संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक आवाज है

 इस संगठन का उपयोग बाढ़, सूखा एवं भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदा का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है

मौसम विज्ञान अध्ययन द्वारा विश्वभर में जलवायु परिवर्तन की परिघटना को बेहतर समझने के लिए अंतरिक्ष में बड़ी संख्या में उपग्रह लगाए जाते हैं। इससे भारतीय वैज्ञानिक मौसम और जलविज्ञान अध्ययन करते रहते है यह दिवस आपदा जोखिम को कम करने में शुरुआती चेतावनी एक महत्वपूर्ण बिंदु है और कई खतरों की चेतावनियां, जैसे बाढ़, तूफानों और अन्य बड़े खतरों के घटने से काफी पहले हमें उनका एक साथ समाधान करने के लिए सक्षम बनाती हैं