Monday 30 April 2018

वसीयत और नसीहत


एक घर मे तीन भाई और एक बहन थी...बड़ा और छोटा पढ़ने मे बहुत तेज थे। उनके माँ-बाप उन चारों से बेहद प्यार करते थे मगर मंझले बेटे से थोड़ा परेशान से थे। 

बड़ा बेटा पढ़ लिखकर डाक्टर बन गया। छोटा भी पढ़ लिखकर इंजीनियर बन गया। मगर मंझला बिलकुल अवारा और गंवार बनके ही रह गया। सबकी शादी हो गई। बहन और मंझले को छोड़ दोनों भाईयो ने Love मैरीज की थी।

बहन की शादी भी अच्छे घराने मे हुई थी। आखीर भाई सब डाक्टर इंजीनियर जो थे। अब मंझले को कोई लड़की नहीं मिल रही थी। बाप भी परेशान माँ भी। बहन जब भी मायके आती सबसे पहले छोटे भाई और बड़े भैया से मिलती। मगर मंझले से कम ही मिलती थी। क्योंकि वह न तो कुछ दे सकता था और न ही वह जल्दी घर पे मिलता था। वैसे वह दिहाड़ी मजदूरी करता था। पढ़ नहीं सका तो...नौकरी कौन देता। मंझले की शादी किये बिना बाप गुजर गये।

माँ ने सोचा कहीं अब बँटवारे की बात न निकले इसलिए अपने ही गाँव से एक सीधी साधी लड़की से मंझले की शादी करवा दी। शादी होते ही न जाने क्या हुआ की मंझला बड़े लगन से काम करने लगा ।

दोस्तों ने कहा... ए चन्दू आज अड्डे पे आना।
चंदू - आज नहीं फिर कभी 
दोस्त - अरे तू शादी के बाद तो जैसे बीबी का गुलाम ही हो गया? 
चंदू - अरे ऐसी बात नहीं। कल मैं अकेला एक पेट था तो अपने रोटी के हिस्से कमा लेता था। अब दो पेट है आज कल और होगा।

घरवाले नालायक कहते थे कहते हैं मेरे लिए चलता है। मगर मेरी पत्नी मुझे कभी नालायक कहे तो मेरी मर्दानगी पर एक भद्दा गाली है। क्योंकि एक पत्नी के लिए उसका पति उसका घमंड इज्जत और उम्मीद होता है। उसके घरवालो ने भी तो मुझपर भरोसा करके ही तो अपनी बेटी दी होगी...फिर उनका भरोसा कैसे तोड़ सकता हूँ।

इधर घर पे बड़ा और छोटा भाई और उनकी पत्नियाँ मिलकर आपस मे फैसला करते हैं की...जायदाद का बंटवारा हो जाये क्योंकि हम दोनों लाखों कमाते है मगर मझला ना के बराबर कमाता है। ऐसा नहीं होगा।

माँ के लाख मना करने पर भी...बंटवारा की तारीख तय होती है। बहन भी आ जाती है मगर चंदू है की काम पे निकलने के बाहर आता है। उसके दोनों भाई उसको पकड़कर भीतर लाकर बोलते हैं की आज तो रूक जा? बंटवारा कर ही लेते हैं । वकील कहता है ऐसा नहीं होता। साईन करना पड़ता है।

चंदू - तुम लोग बंटवारा करो मेरे हिस्से मे जो देना है दे देना। मैं शाम को आकर अपना बड़ा सा अगूंठा चिपका दूंगा पेपर पर।

बहन- अरे बेवकूफ ...तू गंवार का गंवार ही रहेगा। तेरी किस्मत अच्छी है की तू इतनी अच्छे भाई और भैया मिलें
माँ- अरे चंदू आज रूक जा।

बंटवारे में कुल दस विघा जमीन मे दोनों भाई 5- 5 रख लेते हैं। और चंदू को पुस्तैनी घर छोड़ देते है तभी चंदू जोर से चिल्लाता है।

अरे???? फिर हमारी छुटकी का हिस्सा कौन सा है?
दोनों भाई हंसकर बोलते हैं 
अरे मूरख...बंटवारा भाईयो मे होता है और बहनों के हिस्से मे सिर्फ उसका मायका ही है।

चंदू - ओह... शायद पढ़ा लिखा न होना भी मूर्खता ही है। ठीक है आप दोनों ऐसा करो।
मेरे हिस्से की वसीयत मेरी बहन छुटकी के नाम कर दो।
दोनों भाई चकीत होकर बोलते हैं ।
और तू?

चंदू माँ की और देखके मुस्कुरा के बोलता है
मेरे हिस्से में माँ है न......
फिर अपनी बीबी की ओर देखकर बोलता है...मुस्कुरा के...क्यों चंदूनी जी...क्या मैंने गलत कहा? 

चंदूनी अपनी सास से लिपटकर कहती है। इससे बड़ी वसीयत क्या होगी मेरे लिए की मुझे माँ जैसी सासु मिली और बाप जैसा ख्याल रखना वाला पति।

बस यही शब्द थे जो बँटवारे को सन्नाटा मे बदल दिया। बहन दौड़कर अपने गंवार भैया से गले लगकर रोते हुए कहती है की..मांफ कर दो भैया मुझे क्योंकि मैं समझ न सकी आपको।

चंदू - इस घर मे तेरा भी उतना ही अधिकार है जीतना हम सभी का।
बहुओं को जलाने की हिम्मत कीसी मे नहीं मगर फिर भी जलाई जाती है क्योंकि शादी के बाद हर भाई हर बाप उसे पराया समझने लगते हैं। मगर मेरे लिए तुम सब बहुत अजीज हो चाहे पास रहो या दुर।

माँ का चुनाव इसलिए किया ताकी तुम सब हमेशा मुझे याद आओ। क्योंकि ये वही कोख है जहाँ हमने साथ साथ 9 - 9 महीने गुजारे। माँ के साथ तुम्हारी यादों को भी मैं रख रहा हूँ। 

दोनों भाई दौड़कर मझले से गले मिलकर रोते रोते कहते हैं आज तो तू सचमुच का बाबा लग रहा है। सबकी पलको पे पानी ही पानी। सब एक साथ फिर से रहने लगते है। 

Sunday 29 April 2018

'अनु कुमारी' (आईएएस टॉपर) ('आप की कहानी, आप की जुबानी')


ग्रैजुएशन के 12 साल बाद गांव में रहकर की तैयारी, दूसरे प्रयास में हासिल की दूसरी रैंक

सविल सेवा की परीक्षा में हमें हर साल कुछ ऐसे युवाओं की कहानियाँ सुनने को मिलती हैं जो कठिन परिस्थितियों और चुनौतियों से लड़ते हुए इस मुकाम तक पहुंचते हैं। इस बार भी कई सारे युवाओं ने सफलता हासिल की जिनका सफर मुश्किलों भरा रहा। इस कड़ी में हम आपको हरियाणा की रहने वाली अनु कुमारी से रूबरू कराने जा रहे हैं जिन्होंने 12 साल पहले ग्रैजुएशन किया था।

अनु के परिवार वालों ने उनका काफी सपोर्ट किया। नौकरी छोड़ने के कुछ दिन बाद ही यूपीएससी का नोटिफिकेशन आया और उनके भाई ने फॉर्म भी भर दिया। लेकिन तैयारी के लिए सिर्फ डेढ़ महीने बचे थे। इस दौरान अनु ने थोड़ा बहुत पढ़कर ही एग्जाम दिया।

भारत में आईएएस को देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा माना जाता है। यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा का परिणाम 27 अप्रैल को घोषित हो गया। इस परीक्षा में लाखों युवा होनहारों में अपना भाग्य आजमाया था जिसमें से मात्र कुछ लोगों को ही सफलता हासिल हुई। सबसे कठिन मानी जानी वाली सविल सेवा की परीक्षा में हमें हर साल कुछ ऐसे युवाओं की कहानियां सुनने को मिलती हैं जो कठिन परिस्थितियों और चुनौतियों से लड़ते हुए इस मुकाम तक पहुँचते हैं। इस बार भी कई सारे युवाओं ने सफलता हासिल की जिनका सफर मुश्किलों भरा रहा। इस कड़ी में हम आपको हरियाणा की रहने वाली अनु कुमारी से रूबरू कराने जा रहे हैं जिन्होंने 12 साल पहले ग्रैजुएशन किया था।

हरियाणा के सोनीपत जिले की रहने वाली 31 वर्षीय अनु ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिन्दू कॉलेज से 2006 में फिजिक्स ऑनर्स किया था। इसके बाद उन्होंने आईएमटी नागपुर से एमबीए किया और फिर कॉर्पोरेट की नौकरी में व्यस्त हो गईं। लगभग 8-9 साल तक प्राइवेट नौकरी में रहने के दौरान उन्हें लगा कि वे अपने काम से संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए उन्होंने करियर बदलने का फैसला किया और यूपीएससी के बारे में सोचना शुरू किया। वह अपने घर वापस आ गईं और तैयारी शुरू कर दी। अनु की शादी हो चुकी है और उनका एक चार साल का छोटा बेटा वियान भी है।

अनु के परिवार वालों ने उनका काफी सपोर्ट किया। नौकरी छोड़ने के कुछ दिन बाद ही यूपीएससी का नोटिफिकेशन आया और उनके भाई ने फॉर्म भी भर दिया। लेकिन तैयारी के लिए सिर्फ डेढ़ महीने बचे थे। इस दौरान अनु ने थोड़ा बहुत पढ़कर ही एग्जाम दिया। लेकिन एक नंबर से वे प्री नहीं क्वॉलिफाई कर सकीं। घर पर बेटे के साथ रहने की वजह से उन्हें पढ़ने में कई दिक्कतें आती थीं और ध्यान भी भंग होता था। इसलिए उन्होंने बेटे को अपनी माँ के पास छोड़ा और अपने मौसी के यहां चली आईं। वे बताती हैं कि जिस गांव में रहकर अपनी तैयारी कर रही थीं वहां अखबार तक नहीं आता था। अनु ने इंटरनेट के माध्यम से अपनी तैयारी को अंजाम दिया।

अनु ने लगभग डेढ़ साल तक जमकर मेहनत की और आज उनकी मेहनत का फल पूरी दुनिया के सामने है। अनु ने कहा, 'तकनीकी तौर पर माना जाए तो यह मेरा पहला अटेंम्ट था, क्योंकि पहली बार मैंने कोई तैयारी नहीं की थी।' अनु कहती हैं कि वो सिविल सर्विस इसलिए करना चाहती थीं क्योंकि उनके भीतर महिलाओं और बच्चों के लिए काम करने का जुनून है। अपनी रणनीति के बारे में बताते हुए वह कहती हैं कि किसी को भी इस एग्जाम को पास करने के लिए कोचिंग की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, 'ऑनलाइन रिसोर्स इतनी आसानी से उपलब्ध हैं कि कोचिंग जाने का मतलब ही नहीं है।'

अनु ने मुख्य परीक्षा के लिए समाज शास्त्र को अपना वैकल्पिक विषय चुना था। उन्होंने बताया, 'प्री एग्जाम के पहले दो महीने सिर्फ प्री की तैयारी की। टेस्ट सीरीज जॉइन की और उनका बार-बार रिवीजन किया। पहले मैं 65-70 नंबर स्कोर करती थी, लेकिन बाद में मुझे 140-150 नंबर आने लगे। मुख्य परीक्षा में निबंध के लिए काफी अभ्यास किया।' अनु ने इंटरव्यू के पहले 5 बार मॉक टेस्ट भी दिए, जिससे कि उन्हें काफी मदद मिली। इंटरव्यू में उनसे महिला विकास और संयुक्त परिवार जैसे मुद्दों पर सवाल किए गए। वह कहती हैं कि अगर आप दृढ़ निश्चयी हैं तो आपको मंजिल जरूर मिलेगी।

अनु जिस गांव में रहकर अपनी तैयारी कर रही थीं वहां कोई अखबार तक नहीं आता था। उन्होंने सारी मेहनत इंटरनेट के जरिए ही की। इस सफलता से बेहद प्रसन्न अनु कहती हैं, मैं बहुत खुश हूँ। परिवार दोस्तों की शुक्रगुजार हूँ। शादी और नौकरी लगने के बाद फिर से पढ़ना मुश्किल होता है, लेकिन परिवार वालों की मदद ने इसे आसान बना दिया।' अनु के पिता काफी प्रगतिशील ख्यालों वाले व्यतक्ति हैं। उन्होंने कहा, 'हमें बेटों की तरह ही बेटियों को भी पूरी आजादी देना चाहिए। अगर आपकी बेटी कुछ करना चाहती है तो उसकी पूरी मदद कीजिए।' घर और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाकर सफलता हासिल करने वाली अनु वाकई में पूरे देश की बेटियों के लिए प्रेरणादायक बन गई हैं।

यदि आपके पास है कोई दिलचस्प कहानी या फिर कोई ऐसी कहानी जिसे दूसरों तक पहुँचना चाहिए, तो आप हमें लिख भेजें:- ekawaz18@gmail.com

"आप की कहानी, आप की जुबानी। अपनी आपबीती हमें बताएँ, हम दुनिया को बताएँगे।"
                                                                            
                                                                                            'ekawaz18'

शीतांशु यशचंद्र को सरस्वती सम्मान के लिए चयनित किया गया


गुजराती के प्रमुख कवि, नाटककार एवं विद्वान शीतांशु यशचंद्र को 27 अप्रैल 2018 को 27वां सरस्वती सम्मान दिये जाने की घोषणा की गयी।

लोकसभा के पूर्व महासचिव डा. सुभाष सी. कश्यप की अध्यक्षता वाली 13 सदस्यीय चयन समिति ने यशचंद्र को उनकी कविता पुस्तक ‘वखार’ के लिए वर्ष 2017 का सरस्वती सम्मान पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया। पुरस्कार में 15 लाख रुपये की राशि, एक ताम्र पत्र और प्रशस्ति पत्र शामिल है।


स्मरणीय तथ्य
  • के.के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार गुजरात के भुज में 1941 में जन्मे शीतांशु  यशचंद्र को यह सम्मान भारतीय भाषाओं के साहित्य में प्रमुख योगदान को देखते दिया जा रहा है।
  • यह सम्मान उनके काव्य संग्रह के लिए दिया गया है जो वर्ष 2009 में प्रकाशित हुआ था।
  • यशचंद्र को 2006 में पद्म श्री,  वर्ष 1998 में कवि सम्मान और 1996 में राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार मिल चुका है। 
  • शीतांशु यशचंद्र एक कुशल अनुवादक और नाट्ककार के रूप में भी जाने जाते हैं। 
  • यशचंद्र के तीन कविता संग्रह, 10 नाटक और आलोचना की तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
  • उन्हें वर्ष 1987 में साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है।

सरस्वती सम्मान के बारे में जानकारी

सरस्वती सम्मान वर्ष 1991 में शुरू हुआ था और स्वर्गीय हरिवंश राय बच्चन को पहला पुरस्कार प्राप्त हुआ था। अब तक इस पुरस्कार को पाने वालों में विजय तेंदुलकर, सुनील गंगोपाध्याय, एम. विरप्पा मोइली, गोविंद मिश्र जैसे प्रमुख लोग शामिल हैं। सरस्वती सम्मान में शाल, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिह्न और पंद्रह लाख रुपये की सम्मान राशि दी जाती है।

डोगरी भाषा की साहित्यकार पद्मा सचदेव को वर्ष 2015  का प्रतिष्ठित सरस्वती सम्मान उनकी आत्मकथा ‘चित्त-चेत’ के लिए दिया गया। वर्ष 2016 में सरस्वती सम्मान कोंकणी के जाने-माने साहित्यकार महाबलेश्वर सैल को दिया गया. उनके उपन्यास ‘हाउटन’ के लिए उनको यह सम्मान दिया गया।

Friday 27 April 2018

भारत की परमाणु नीति क्या है?


भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण मई 1974 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के शासनकाल में किया था। इस परमाणु परीक्षण का नाम "स्माइलिंग बुद्धा" था। इसके बाद पोखरण-2 परीक्षण मई 1998 में पोखरण परीक्षण रेंज पर किये गए पांच परमाणु बम परीक्षणों की श्रृंखला का एक हिस्सा था। भारत ने 11 और 13 मई, 1998 को राजस्थान के पोरखरण परमाणु स्थल पर 5 परमाणु परीक्षण किये थे।

इस कदम के साथ ही भारत की दुनिया भर में धाक जम गई। भारत पहला ऐसा परमाणु शक्ति संपन्न देश बना जिसने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। भारत द्वारा किये गए इन परमाणु परीक्षणों की सफलता ने विश्व समुदाय की नींद उड़ा दी थी।

इन परीक्षणों के कारण विश्व समुदाय ने भारत के ऊपर कई तरह के प्रतिबन्ध लगाये थे। इसी कारण भारत ने विश्व समुदाय से कहा था भारत एक जिम्मेदार देश है और वह अपने परमाणु हथियारों को किसी देश के खिलाफ “पहले इस्तेमाल” नही करेगा; जो कि भारत की परमाणु नीति का हिस्सा है।


भारत ने 2003 में अपनी परमाणु नीति बनायीं थी भारत की परमाणु नीति की विशेषताएं इस प्रकार हैं:- 

1. भारत की परमाणु नीति का मूल सिद्धांत "पहले उपयोग नही" है. इस नीति के अनुसार भारत किसी भी देश पर परमाणु हमला तब तक नही करेगा जब तक कि शत्रु देश भारत के ऊपर हमला नही कर देता।

2. भारत अपनी परमाणु नीति को इतना सशक्त रखेगा कि दुश्मन के मन में भय बना रहे।

3. यदि किसी देश ने भारत पर परमाणु हमला किया तो उसका प्रतिशोध इतना भयानक होगा कि दुश्मन को अपूर्णीय क्षति हो और वह जल्दी इस हमले से उबर ना सके।

4. दुश्मन के खिलाफ परमाणु हमले की कार्यवाही करने के अधिकार सिर्फ जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों अर्थात देश के राजनीतिक नेतृत्व को ही होगा हालाँकि परमाणु कमांड अथॉरिटी का सहयोग जरूरी होगा।

5. जिन देशों के पास परमाणु हथियार नही हैं उनके खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नही किया जायेगा।

6. यदि भारत के खिलाफ या भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ किसी कोई रासायनिक या जैविक हमला होता है तो भारत इसके जबाब में परमाणु हमले का विकल्प खुला रखेगा।

7. परमाणु एवं प्रक्षेपात्र सम्बन्धी सामग्री तथा प्रौद्योगिकी के निर्यात पर कड़ा नियंत्रण जारी रहेगा तथा परमाणु परीक्षणों पर रोक जारी रहेगी।

8. भारत परमाणु मुक्त विश्व बनाने की वैश्विक पहल का समर्थन करता रहेगा तथा भेदभाव मुक्त परमाणु निःशस्त्रीकरण के विचार को आगे बढ़ाएगा।


न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी के अंतर्गत एक राजनीतिक परिषद् तथा एक कार्यकारी परिषद् होती है। राजनीतिक परिषद् के अध्यक्ष प्रधानमन्त्री होते हैं जबकि कार्यकारी परिषद् के अध्यक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) होते हैं। NSA न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी को निर्णय लेने के लिए जरूरी सूचनाएँ उपलब्ध कराते हैं तथा राजनीतिक परिषद् द्वारा किये गए निर्देशों का क्रियान्वयन करते हैं।

यह सच है कि भारत में परमाणु हमला करने का निर्णय सिर्फ प्रधानमन्त्री के पास होता है। हालाँकि प्रधानमन्त्री अकेले निर्णय नही ले सकता है। प्रधानमन्त्री के पास एक स्मार्ट कोड जरूर होता है जिसके बिना परमाणु बम को नही छोड़ा जा सकता है। परमाणु बम को दागने का असली बटन तो परमाणु कमांड की सबसे निचली कड़ी या टीम के पास होता है जिसे परमाणु मिसाइल दागनी होती है।


प्रधानमंत्री निम्न लोगों से राय लेकर ही हमले का निर्णय ले सकता है:-

1. सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी

2. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

3. चेयरमैन ऑफ चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी

इस प्रकार ऊपर लिखे गए बिन्दुओं से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि भारत का परमाणु कार्यक्रम किसी देश को धमकाने या उस पर हमला करके कब्जा करने के लिए नही बल्कि भारत की संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा करने के लिए है।

भारत विश्व का चौथा सबसे सहिष्णु देश


विश्वभर में सहिष्णुता के पैमाने को मापने के लिए Ipsos MORI द्वारा हाल ही में एक सर्वेक्षण किया गया जिसके अनुसार विभिन्न देशों को रैंकिंग प्रदान की गई। विश्व पटल पर सहिष्णुता के पैमाने पर भारत चौथे स्थान पर है।

भारत में पिछले कुछ समय से सहिष्णुता को लेकर सवाल उठाये जाते रहे हैं लेकिन इस सर्वेक्षण में भारत को चौथा स्थान दिया गया है।पहले स्थान पर कनाडा, दूसरे और तीसरे स्थान पर चीन एवं मलेशिया हैं।


भारत के संदर्भ में सहिष्णुता सर्वेक्षण के मुख्य तथ्य

➧ यह सर्वेक्षण Ipsos MORI  द्वारा किया गया था। इस सर्वेक्षण में 27 देशों के करीब 20 हजार लोगों का इंटरव्यू किया गया।

 इसमें उन तथ्यों को सामने लाने की कोशिश की गई जो कि नागरिकों के अनुसार मतांतर अथवा समाज को बांटने का काम करते हैं।

 सर्वे के अनुसार 63 प्रतिशत भारतीय अलग-अलग समुदाय, संस्कृति या दृष्टिकोण वाले लोगों के मत पर भारत को सहिष्णु देश मानते हैं।

 सर्वेक्षण द्वारा यह सामने आया कि 53 प्रतिशत भारतीय दूसरे समुदाय, संस्कृति या दृष्टिकोण वाले लोगों से मेलजोल बढ़ने पर आपसी समझ और सम्मान की भावना पैदा होती महसूस करते हैं।

 भारत में लगभग 49 प्रतिशत लोगों को लगता है कि राजनीतिक विचारों में मतभेद समाज में तनाव का कारण बनते हैं।

 48 प्रतिशत लोग इसके लिए धर्म और 37 प्रतिशत लोग सामाजिक-आर्थिक अंतर को इसका कारण मानते हैं।


सर्वेक्षण में अन्य देशों की स्थिति

 विश्व भर के तीन चौथाई लोगों को लगता है कि उनके देश में समाज पहले की अपेक्षा अधिक बंटा हुआ है. विशेषकर यूरोप के लोग मानते हैं कि पिछले 10 वर्षों की तुलना में उनके देश में असहिष्णुता बढ़ी है।

 राजनीतिक विचारों में मतभेद को सबसे अधिक असहिष्णुता का कारण बताया गया है जबकि अमीरी और गरीबी इसके बाद आते हैं।

 जो देश विभाजन के बारे में सबसे ज्यादा चिंतित हैं उनमें सर्बिया के ज्यादातर लोग (93%) कहते हैं कि उनका समाज विभाजित है।

 इसके बाद पेरू और चिली (दोनों 90%), सऊदी अरब (34%) चीन (48%) और जापान (52%) का स्थान आता है।

 इसी प्रकार सर्वेक्षण में पाया गया कि स्पेन के 77% लोगों का मानना है कि उनके देश में पिछले 10 वर्षों में समाज में विभाजन बढ़ा है।


Ipsos MORI  के बारे में जानकारी

यह लोगों, बाजारों, ब्रांड्स और समाज के बारे में उत्सुकता से सर्वेक्षण कराने वाली एक कंपनी है Ipsos MORI सूचना और विश्लेषण प्रदान करती है जिससे जटिल प्रश्नों के बारे में जाना जा सके तथा बेहतर निर्णय लिए जा सकें।

डिडिएर ट्रुचोट, इप्सोस के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं इसका मुख्यालय पेरिस में है जबकि विश्व के विभिन्न देशों में इसके कार्यालय मौजूद हैं।

भारत-मलेशिया के मध्य सैन्य युद्धाभ्यास हरिमऊ शक्ति 2018 आरंभ


भारत और मलेशिया की सेनाएं 30 अप्रैल 2018 से 13 मई 2018 तक मलेशिया के हुलु लंगट स्थित सेंगई परडिक के घने जंगलों में एक संयुक्‍त प्रशिक्षण अभ्‍यास ‘हरिमऊ शक्ति’ का संचालन किया जाएगा।


 उद्देश्‍य

इस अभ्‍यास का उद्देश्‍य दोनों देशों की सेनाओं के मध्‍य परस्‍पर सहयोग और समन्‍वय बढ़ाना तथा घने जंगलों में अराजकता निरोध कार्रवाई के संचालन में विशेषज्ञता को साझा करना है।


हरिमऊ शक्ति – 2018 की मुख्य विशेषताएं

➧ अभ्यास के एक हिस्‍से के रूप में, दोनों देश मलेशिया के हुलु लंगट स्थित सेंगई परडिक के घने जंगलों में एक संयुक्‍त प्रशिक्षण अभ्‍यास आयोजित करने के लिए एक-दूसरे के दलों की विशेषज्ञता साझा करेंगे

 भारतीय सेना का प्रतिनिधित्‍व देश की सबसे पुरानी बटालियनों में से एक, 4 ग्रेनेडियर्स कर रही है. इस बटालियन के पास पारंपरिक तथा अराजकता निरोध कार्रवाई का समृद्ध अनुभव है

 मलेशियाई दल का प्रतिनिधित्‍व 1 रॉयल रंजेर रेजिमेंट तथा रॉयल मलय रेजिमेंट के सैनिक कर रहे हैं. ये दोनों रेजीमेंट जंगल युद्ध में विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं।

 पहली बार मलेशिया की भूमि पर भारत और मलेशिया सैनिकों का इतने बडे पैमाने पर संयुक्‍त प्रशिक्षण अभ्‍यास का आयोजन हो रहा है।

 इस अभ्‍यास के अंतर्गत पहले परस्‍पर प्रशिक्षण चरण तथा इसके बाद हुलु लंगट के जंगलों में 7 दिनों का क्षेत्र प्रशिक्षण चरण आयोजित किया जाएगा


मुख्य फोकस

इसके तहत दोनों सेनाएं संयुक्‍त रूप से प्रशिक्षण प्राप्‍त करेंगी, योजनाएं बनायेंगी तथा प्रशिक्षण गतिविधियों की एक श्रृंखला का संचालन करेगी

इसका फोकस जंगल युद्ध में रणनीतिक कार्रवाई पर रहेगा इस अभ्‍यास से दोनों ही सेनाओं को अपने युद्ध कौशल दिखलाने का अवसर प्राप्‍त हुआ है और यह भारत तथा मलेशिया के बीच रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने में योगदान प्रदान करेगा

उन्नत भारत अभियान 2.0 का शुभारम्भ

25 अप्रैल, 2018 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नई दिल्ली में उन्नत  भारत अभियान 2.0 लॉन्च किया।

मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने एआईसीटीई मुख्यालय में वीडियो संदेश के माध्यम से इस अभियान को शुरू किया। केन्द्रीय मंत्री के अनुसार, उन्नत भारत अभियान 2.0 भारत को बदलने के लिए प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसमें कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्र गांव के लोगों से और उनके दैनिक जीवन समस्याओं से परिचित होंगे। एचआरडी मंत्रालय की यह अनूठी पहल छात्रों के लिए वास्तविक भारत दर्शन के रूप में कार्य करेगी और ग्रामीण लोगों द्वारा सामना की जाने वाली बुनियादी चुनौतियों को जानने और उनके सुधार के लिए व्यावहारिक समाधान खोजने का भी उन्हें अवसर मिलेगा। सरकार उम्मीद कर रही है कि उन्नत भारत अभियान 2.0 गांवों से कस्बों की ओर प्रवासन को रोकेगा। इस पहल के तहत देश के 45000 गांवों को कवर किया जाएगा जिसके लिए उच्च शिक्षा के 8252 संस्थानों की भागीदारी की आवश्यकता होगी।

उन्नत भारत अभियान के बारे में

➧ उन्नत भारत अभियान ग्रामीण संसाधन को समृद्ध करने के इरादे से मानव संसाधन विकास मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम है।

 ग्रामीण विकास प्रक्रिया में परिवर्तनकारी परिवर्तन लाने के लिए देश के प्रीमियर संस्थानों के ज्ञान आधार और संसाधनों का लाभ उठाया जाना है।

 इसका उद्देश्य समाज और उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच एक जीवंत संबंध बनाना है, बाद में ग्रामीण इलाकों में आजीविका में सुधार और समाज में सार्वजनिक और निजी दोनों संगठनों की क्षमताओं को अपग्रेड करने के लिए ज्ञान और प्रौद्योगिकी  के द्वारा सहायता प्रदान करना है।

 उन्नत भारत अभियान 2.0 के तहत, संस्थानों को प्रतिस्पर्धा मोड पर चुना गया है और इस योजना को 750 प्रतिष्ठित उच्च शैक्षिक संस्थानों (देश के सार्वजनिक और निजी दोनों) तक विस्तृत किया गया है।

 इसके अलावा, भाग लेने वाले संस्थानों को संभालने और मार्गदर्शन करने के लिए विषय विशेषज्ञ समूह और क्षेत्रीय समन्वय संस्थान के द्वारा सहायता प्रदान करने के द्वारा दायरा मजबूत किया गया है। आईआईटी दिल्ली को इस कार्यक्रम के लिए राष्ट्रीय समन्वय संस्थान के रूप में कार्य करने के लिए नामित किया गया है और मंत्रालय चरणबद्ध तरीके से सभी प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थानों को कवरेज का विस्तार करना चाहता है।

 प्रत्येक चयनित संस्थान गांवों / पंचायतों के समूह को गोद लेगा और समय-समय पर आउटरीच का विस्तार करेगा।

 अपने संकाय और छात्रों के माध्यम से संस्थान, गोद लेने वाले गांवों में रहने की स्थितियों का अध्ययन करेंगे, स्थानीय समस्याओं और जरूरतों का आकलन करेंगे, तकनीकी हस्तक्षेपों का लाभ उठाने की संभावनाओं को तलाशेंगे और विभिन्न सरकारी योजनाओं की कार्यान्वयन प्रक्रियाओं में सुधार की जरूरत बताएँगे, और चयनित गांवों के लिए कार्य योजना बनायेंग।

 ऐसे ज्ञान इनपुट ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यक्रमों को तैयार करने में मदद करेगा।

 संस्थान जिला प्रशासन, पंचायत / गांवों और अन्य हितधारकों तथा निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ बारीकी से समन्वय के द्वारा विकास योजना और कार्यान्वयन की प्रक्रिया का एक हिस्सा बन पाएंगे।

 इस प्रक्रिया में, ऐसे संस्थानों के संकाय और छात्रों को फिर से उन्मुख किया और ग्रामीण वास्तविकताओं से जोड़ा जाएगा ताकि उनके अभिगम और शोध कार्य समाज के लिए भी अधिक प्रासंगिक हो जाएं।

Wednesday 25 April 2018

Current Affairs in Hindi (भाग-92)

  • हाल ही में मेकोंग नदी में पहली बार इस प्रजाति की जनसंख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई – डॉल्फिन
  • टाटा ने इन्हें वैश्विक कॉरपोरेट मामलों का अध्यक्ष नियुक्त किया है – एस जयशंकर
  • विश्व बैंक द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार इस देश के नागरिक विदेशों से अपने देश में पैसा भेजने में अव्वल हैं – भारत
  • हाल ही में इस आईटी कम्पनी के सीईओ को 38 करोड़ डॉलर यानी 2525 करोड़ रुपए नकद पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की गई - गूगल
  • मॉडल जेसिका लाल के हत्यारे मनु शर्मा को माफ करने वाली उनकी जेसिका की बहन का नाम है – सबरीना लाल
  • वह देश जिसके एक सरकारी बैंक ने रोबोट संचालित पहला मानवरहित बैंक शुरु किया – चीन
  • वह राज्य जहां से 27 वर्ष बाद पूरी तरह से अफस्पा हटाया गया - मेघालय
  • इन्हें हाल ही में इथियोपिया के प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है - अबिये अहमद
  • इन्हें हाल ही में भारतीय नौसेना अकादमी के कमांडर के रूप में नियुक्त किया गया – आर. बी. पंडित
  • लगभग 2654 करोड़ के बैंक घोटाले में ईडी ने इस कम्पनी की 1122 करोड़ की संपत्ति जब्त की - डायमंड पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड
  • रूस में मार्च 2018 में राष्ट्रपति पद के लिए सम्पन्न निर्वाचन में कौन पुन: राष्ट्रपति निर्वाचित हुआ है? – ब्लादिमीर पुतिन
  • 21वें राष्ट्रमण्डल खेल अप्रैल 2018 में आस्ट्रेलिया में कहाँ आयोजित हो रहे है? – गोल्डकोस्ट (क्वींसलैण्ड)
  • भारत के पड़ोसी राष्ट्र चीन में कौन पुन: प्रधानमंत्री मार्च 2018 में निर्वाचित हुआ है? – ली. केकियांग (Li. Keqiang)
  • किस राष्ट्र ने जून 2017 में लापता 39 भारतीय कामगारों के मारे जाने की पुष्टि मार्च 2018 में की गई? – इराक
  • अमरीका की वाणिज्यिक पत्रिका फोब्र्स (Forbes) द्यारा 7 मार्च, 22018 को जारी विश्व के अरबपतियों की सूची में प्रथम स्थान किसका है? – जेफ बेजोस
  • मार्च 2018 में लॉस एंजिल्स में प्रदान किए गए 90वें आॅस्कर पुरस्कारों (एकेडमी पुरस्कार) में किस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार प्रदान किया गया? – द शेप आॅफ वाटर
  • किस ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी का 76 वर्ष की आयु में 14 मार्च, 2018 को निधन हो गया? – स्टीफन हॉकिंग
  • अन्तर्राष्ट्रीय सौर गठबन्धन (International Solar Alliance) का पहला शिखर सम्मेलन 11 मार्च, 2018 को कहाँ सम्पन्न हुआ? – नई दिल्ली
  • बहुराष्ट्रीय नौसैनिक संयुक्ताभ्यास किस नाम से भारत में मार्च 2018 में सम्पन्न हुआ? – मिलन
  • अन्तर्राष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ (IAAF) की 17वीं विश्व इनडोर एथलेक्टिस चैम्पियनशिप का आयोजन मार्च 2018 में कहाँ सम्पन्न हुआ? – ब्रिटेन (बर्मिधम)
  • मलेशिया में मार्च 2018 में आयोजित सुल्तान अजलन शाह कप हॉकी टूर्नामेंट किसने जीता? – आस्ट्रेलिया
  • भारत के पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में किस महिला को पुन: राष्ट्रपति पद पर मार्च 2018 में निर्वाचित किया गया? – विद्या देवी भंडारी
  • जिस देश में अब तक का पहला भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन शुरू हुआ है- स्वीडन
  • वह देश जिसने सीरिया के लिए 50 मिलियन यूरो मानवतावादी सहायता की घोषणा की है- फ्रांस
  • जिस शहर को भारत में सबसे अधिक आय का भुगतान करने वाला शहर माना जाता है- बेंगलुरु
  • वह देश जिसने 16 अप्रैल 2018 को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एनजीओ समिति समेत आर्थिक और सामाजिक परिषद (ईसीओएसओसी) की छह संस्थाओं के चुनाव में जीत दर्ज की है- भारत
  • संयुक्त राष्ट्र की विश्व धरोहर सूची में 1073 स्थल शामिल हैं जिनमें से इटली में 53, चीन में 52 और भारत में जितने स्थल स्थित हैं-36
  • इन्होने हाल ही में आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली डॉयलाग कमीशन(डीडीसी) के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया – आशीष खेतान
  • वह ब्रांड जिसे हाल ही में भारत का सबसे भरोसेमंद ब्रांड बताया गया – सैमसंग
  • हाल ही में इस धार्मिक स्थान को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा साइलेंस ज़ोन घोषित किये जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी – अमरनाथ गुफा
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरोप की यात्रा के दौरान इस देश के साथ जॉइंट एक्शन प्लान जारी किया – स्वीडन
  • राष्ट्रीय पोषण मिशन के लिए राष्ट्रीय परिषद् की पहली बैठक यहां आयोजित की गई – दिल्ली (विज्ञान भवन)

Tuesday 24 April 2018

सुंदरबन को रामसर आर्द्रभूमि स्थल घोषित करने की तैयारी


पश्चिम बंगाल सरकार ने 4260 किलोमीटर क्षेत्र में फैले सुंदरबन को रामसर स्थल घोषित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। अब राज्य वन विभाग भारत सरकार के माध्यम से रामसर अभिसमय सचिवालय ग्लैंड (स्विटजरलैंड) के पास इसे रामसर आर्द्र भूमि स्थल घोषित करने के लिए औपचारिक आवेदन करेगा।

आवेदन के अगले तीन से छह महीनों में सुंदरबन को रामसर स्थल का दर्जा मिल सकता है। 


लाभ

➤ सुंदरबन को रामसर स्थल का दर्जा मिलने के उपरांत इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिल जाएगी, साथ ही इस क्षेत्र की ओर अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक आकर्षण भी बढ़ेगा।

 ज्ञातव्य है कि सुंदरबन की आर्द्र भूमि 1986 के 30.6 प्रतिशत से घटकर 2011 में 24.7 प्रतिशत रह गयी जिसके कारण पर्यावरणविद् चिंतित हैं। 


सुंदरबन के बारे में

 पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिला के पूर्वी हिस्से में स्थित सुंदरबन रिजर्व वन 4260 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।

 इस वन का नामकरण ‘सुंदरी’ (हेरिटियेरा मिरर) नामक मैंग्रोव पौधा के नाम पर हुआ है।

 यह गंगा, ब्रह्पुत्र एवं मेघना नदियों द्वारा निर्मित विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा का हिस्सा है।

 यहां 2114 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में मैंग्रोव वन (भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2017) का विस्तार है जो कि देश के कुल मैंग्रोव वन का लगभग 43 प्रतिशत है।

 यहां 100 रॉयल बंगाल टाइगर का पर्यावास भी है।

 यह एक राष्ट्रीय उद्यान, टाइगर रिजर्व एवं बायोस्फेयर रिजर्व भी है। यूनेस्को ने इसे 2001 में बायोस्फेयर रिजर्व का दर्जा दिया था।

 1987 में यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत स्थल (प्राकृतिक) का दर्जा प्रदान किया था।

 रामसर स्थल घोषित होने के पश्चात यह देश का सबसे बड़ा संरक्षित होगा। 


रामसर आद्रभूमि के बारे में

 रामसर, ईरान में 1971 में हस्ताक्षरित आद्रभूमि सम्मेलन अंतर-सरकारी संधि है, जो आद्रभूमि और उनके संसाधनों के संरक्षण और बुद्धिमतापूर्ण उपयोग के लिए राष्ट्रीय कार्य और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का ढांचा उपलब्ध कराती है।

 रामसर आद्रभूमि का सचिवालय स्विटजरलैंड के ग्लैंड में स्थित है जो आईयूसीएन के साथ साझा करता है।

 वर्तमान में इस सम्मेलन में 158 करार करने वाले दल हैं और 1758 आद्रभूमि (वेटलैंड्स) स्थल हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 161 मिलियन हेक्टेयर है, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वेटलैंड्स की रामसर सूची में शामिल किया गया है।

 एशियन वेटलैंड्स कोष (1989) के अनुसार वेटलैंड्स का देश के क्षेत्रफल (नदियों को छोड़कर) में 18.4 प्रतिशत हिस्सा है, जिसके 70 प्रतिशत भाग में धान की खेती होती है।

 भारत 1982 से इस समझैते का सदस्‍य है.  भारत के अधिकांश आद्रभूमि गंगा, कावेरी, कृष्णा, गोदावरी और ताप्ती जैसी प्रमुख नदी प्रणालियों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।


भारत में वर्तमान में 25 रामसर आद्रभूमि हैं।

 भारत में आद्रभूमि का अनुमानित क्षेत्रफल 4.1 मिलियन हेक्टेयर (सिंचित कृषि भूमि, नदियों और धाराओं को छोड़कर) है, जिसमें से 1.5 मिलियन हेक्टेयर प्राकृतिक और 2.6 मिलियन हेक्टेयर मानव निर्मित है। कुल भौगोलिक क्षेत्र में आद्र भूमि 4.7 प्रतिशत है।

 पर्यावण वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय आद्र भूमि संरक्षण के लिए नोडल मंत्रालय है। यह 1985 से रामसर स्‍थलों सहित आद्र भूमि के संरक्षण और प्रबंधन के लिए प्रबंधनकारी योजना के डिजाइन और कार्यान्‍वन में राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों को समर्थन दे रहा है।

दिन के समय 100% नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा संचालित दीव स्‍मार्ट सिटी भारत का पहला नगर


केंद्रशासित प्रदेश दमन एवं दीव की दीव स्‍मार्ट सिटी भारत का पहला ऐसा नगर बन गया है जो दिन के समय 100% नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित होता है।

➧ हरे-भरे और स्‍वच्‍छ रहने के लिए इस नगर ने दूसरे नगरों के लिए उदाहरण प्रस्‍तुत किया है।

 पिछले वर्ष तक दीव अपनी ऊर्जा आवश्‍यकताओं का 73 प्रतिशत गुजरात से आयात करता था।

 इसके समाधान के लिए दीव ने दो तरीके अपनाए। पहला- 50 एकड़ के पथरीले बंजर भूमि पर 9 मेगावाट शक्‍ति की सौर ऊर्जा परियोजना की स्‍थापना की गई है। इसके अलावे 79 सरकारी भवनों पर सौर पैनल लगाए गए हैं, जिससे 1.3 मेगावाट विद्युत पैदा होती है।

 सौर क्षमता बढ़ाने के लिए दीव ने अपने नागरिकों को छत पर 1-5 किलोवाट की क्षमता वाले सौर पैनल लगाने पर 10,000-50,000 रूपये की सब्‍सिडी देने का प्रस्‍ताव दिया है।

 दीव प्रत्‍येक वर्ष 13,000 टन कार्बन उत्‍सर्जन की बचत कर रहा है। कम लागत वाले सौर ऊर्जा के कारण दीव ने बिजली की घरेलू दरों में पिछले वर्ष 10 प्रतिशत तथा इस वर्ष 15 प्रतिशत की कटौती की है।

200 वर्ष बाद केवल गाय सबसे बड़ी स्तनधारी जीव होगी


हाल ही में किये गये एक शोध के अनुसार पृथ्वी से विशालकाय जानवरों और विलुप्ति की कगार पर पहुँचे जंतुओं का लुप्त होना इसी प्रकार जारी रहा तो 200 साल बाद गाय सबसे बड़ी स्तनधारी जीव होगी

अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू मेक्सिको के शोधकर्ताओं के द्वारा किये गये अध्ययन की मानें तो आने वाले वर्षों में हाथी, जिराफ और दरियाई घोड़े जैसे जीव विलुप्ति के कगार पर पहुँच जायेंगे तथा गाय एकमात्र ऐसा जीव होगा जो विलुप्ति से बचा रहेगा शोधकर्ताओं के अनुसार इसका सबसे बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन नहीं बल्कि मनुष्य हैं

शोध के प्रमुख तथ्य
  • शोधकर्ताओं का कहना है कि जानवरों का लुप्त होना कोई आकस्मिक घटना नहीं है। यह प्रक्रिया करीब एक लाख 25 हजार वर्षो से चली आ रही है।
  • जब अफ्रीका के मूल निवासी प्राचीन मनुष्यों जैसे निएंडरथल ने अन्य महाद्वीपों में फैलना शुरू किया था तब से ही बड़े आकार वाले स्तनधारियों के विलुप्त होने की घटना में तेजी आई।
  • मानवीय क्रियाकलापों के कारण बड़े जानवर विलुप्त हुए थे और वर्तमान में भी ऐसा ही हो रहा है।
  • अध्ययन में बताया गया है कि एक लाख 25 हजार साल पहले अफ्रीका के स्तनधारी जीवों का औसत आकार अन्य महाद्वीप के जीवों से 50 प्रतिशत कम था। प्लेस्टोसीन काल के अंत से ही प्राचीन मानवों ने स्तनधारियों की विविधता और उनके आकार को प्रभावित करना शुरू कर दिया था। 
  • प्लेस्टोसीन 26 लाख साल पहले से 11760 वर्ष पहले तक का काल था। समय के साथ जैसे-जैसे मनुष्यों ने पूरे विश्व में फैलना शुरू किया ऊनी गैंडे, मैमथ, जमीन पर रहने वाले विशालकाय स्लॉथ, छोटे मुँह वाले भालू और जंगली बिल्लियों की कई प्रजातियां विलुप्त हो गईं।


शोधकर्ताओं ने रिपोर्ट में कहा है कि एशिया के बाद अफ्रीका सबसे बड़ा महाद्वीप है और वहाँ बड़ी संख्या में स्तनधारी जीव रहते हैं मनुष्यों ने अपने स्वार्थ के लिए इन बड़े जानवरों को अपना शिकार बनाया जिससे इनकी संख्या में गिरावट आ गई