भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने एनसीईआरटी, एनडीएमसी, उत्तरी एमसीडी और क्वालिटी लि. के साथ मिलकर स्कूलों में ‘प्रोजेक्ट धूप’ की शुरुआत की है। इसके तहत स्कूलों में सुबह की असेम्बली को 11:00 बजे से 1:00 बजे करने का आग्रह करते हुए 'प्रोजेक्ट धूप' की शुरुआत की गई है।
प्रोजेक्ट धूप क्यों?
एफएसएसएआई द्वारा कराये गये अध्ययन में पता चला है कि भारत के 90 प्रतिशत स्कूली बच्चों में विटामिन डी की कमी है तथा उनकी हड्डियाँ सामान्य की अपेक्षा कमजोर हैं। दिल्ली के 90 से 97 प्रतिशत स्कूली बच्चों (6-17 वर्ष आयु वर्ग के) में विटामिन डी की कमी पाई गई है। भारत में अधिकतर बच्चे विटामिन डी की कमी से पीड़ित हैं, इसके बावजूद अभिभावक इसके गंभीर परिणामों से अवगत नहीं हैं।
प्रोजेक्ट धूप क्या है?
एफएसएसएआई ने बच्चों में विटामिन डी की समस्या को देखते हुए दिल्ली के 25 स्कूलों में प्रोजेक्ट धूप की शुरूआत की है। इसके तहत स्कूलों में सुबह की असेंबली का समय बदलकर, सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे के बीच करने की सलाह दी गई है। ऐसा करने से बच्चे धूप के संपर्क में आएंगे और जिससे विटामिन डी की कमी को दूर किया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त एफएसएसएआई ने बच्चों की स्कूल ड्रेस को नए तरीके से डिजाईन करने की सलाह दी है ताकि स्कूल ड्रेस को ऐसा बनाय़ा जाए जिससे बच्चों के हाथ- पैर और चेहरे पर धूप लग सके. शरीर को पूरी तरह से ढकने पर सूर्य की किरणें त्वचा के संपर्क में नहीं आ पातीं और इससे विटामिन डी का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।
विटामिन डी की कमी एवं पूर्ति के उपाय
विटामिन डी की कमी से मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द रहना, दिन में भी नींद आना, हमेशा थकान रहना, वजन बढ़ना, कमर दर्द होना तथा कई अन्य रोग घेर सकते हैं। विटामिन डी मुख्य रूप से सूर्य के प्रकाश के संपर्क में प्राप्त होता है, जिसके बिना कमी की संभावना होती है। कोलेस्ट्रॉलिन पर सूर्य का प्रकाश यकृत और गुर्दे में अतिरिक्त रूपांतरणों के माध्यम से कोलेस्ट्रॉल को विटामिन डी में बदल देती है। सूर्य की रोशनी के अतिरिक्त अंडा, मशरूम, मछली, कॉड लीवर आदि से भी विटामिन डी प्राप्त होता है।