Tuesday 29 January 2019

आईसीएआर की गणतंत्र दिवस झांकी 'किसान गांधी' ने पहला पुरस्कार जीता


भारतीय कृषि अनुंसधान परिषद (आईसीएआर) की गणतंत्र दिवस परेड-2019  में प्रस्तुत झांकी ‘किसान गांधी’ को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है रक्षा मंत्री निर्मला सीता रमण ने 28 जनवरी 2019 को नई दिल्ली में आईसीएआर की टीम को पुरस्कार प्रदान किया

आईसीएआर की झांकी में डेयरी फार्मिंग के महत्व, देसी नस्लों का इस्तेमाल और ग्रामीण समृद्धि के लिए पशुधन आधारित जैविक कृषि दिखाई गई थी गौरतलब है कि आईसीएआर गणतंत्र दिवस झांकी-2018 का विषय मिश्रित खेती, खुशियों की खेती था

70वें गणतंत्र दिवस परेड में 22 झांकियां थीं जिनमें से 16 झांकी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों की और 6 झांकियां विभिन्न केंद्रिय मंत्रालयों और विभागों की थीं


आईसीएआर की झांकी

आईसीएआर की झांकी ‘किसान गांधी’ में ग्रामीण समुदाय की समृद्धि के लिए कृषि और पशुधन सुधारने के गांधी जी के विजन को दिखाया गया गांधी जी 1927 में आईसीएआर-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान केंद्र, बेंगलुरू में डेयरी फार्मिंग पर 15 दिनों का प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हुए थे। उन्होंने 1935  में इंदौर में पौध उद्योग संस्थान में खाद तैयार करने की ‘इंदौर पद्धति’ की सराहना की थी

झांकी में बापू को बकरी और गाय के साथ दिखाया गया है झांकी में जैविक कृषि, कपास तथा दुग्ध उत्पादन में क्रांति और बेहतर स्वास्थ्य के लिए खाद्य सुरक्षा विश्लेषण को दिखाया गया है। कस्तूरबा गांधी को चरखा चलाते हुए और वर्धा आश्रम की बापू कुटी में पशुओं की देखभाल करते हुए दिखाया गया है यह आजीविका आधारित सतत और जलवायु परिवर्तनरोधी कृषि का संकेत देती है


गांधीवादी दर्शन और आईसीएआर

➤ गांधीवादी दर्शन में स्वदेशी नस्लों, जैविक कृषि और बेहतर स्वास्थ्य के लिए बकरी के दूध को प्रोत्साहन देना मुख्य रूप से शामिल है

 गांधी जी के सपनों को साकार करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अथक रूप से भारतीय कृषि को बदलने की दिशा में काम कर रही है ताकि पशुधन सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और अन्नदाता किसानों की आय बढ़ सके

 भारत ने अत्याधुनिक विज्ञान और टेक्नालाजी का विकास और उपयोग करके खाद्य आत्मनिर्भरता में सफलता प्राप्त की है और भारत विश्व में दूध और कपास का सबसे बड़ा उत्पादक है

Thursday 24 January 2019

आखिर शटडाउन क्या होता है?

What is a Government shutdown ? (Author : Rajeev Ranjan)


जैसा की हम जानतें हैं कि अमेरिका में सरकारी शटडाउन की स्थिति अभी तक बनी हुई है। आखिर सरकारी शटडाउन होता क्या है? यह कैसे और किन-किन परिस्थितियों में किया जाता है, उस देश के लोगों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है, अमेरिका में शटडाउन होने से क्या अन्य देशों पर भी प्रभाव पड़ेगा, इत्यादि. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं? अमेरिका में संघीय सरकार (Federal Government) सत्ता में है और शटडाउन के कारण इसके विभिन्न विभाग यानी यानी डिपार्टमेंटस भी शटडाउन हो गए हैं, वहाँ काम नहीं हो पा रहा है यहीं आपको बता दें कि अमेरिका में शटडाउन 22 दिसंबर 2018 को शुरू हुआ था और अभी तक ये चल रहा है


आखिर शटडाउन क्या होता है?

इसे ऐसे समझा जा सकता है कि जब भारत में केंद्रीय सरकार के कई विभाग काम करना बंद कर देते हैं जैसे राजस्व विभाग, विभिन्न मंत्रालय काम करना बंद कर देते हैं, सरकारी कर्मचारीयों को अगर पगार मिलनी बंद हो जाए इत्यादि तो इसको सरकारी शटडाउन कहा जाता है अमेरिका में गवर्नमेंट शटडाउन ही हो रहा है बहुत से मंत्रालय, विभाग काम नहीं कर रहे हैं, सरकारी कर्मचारियों को पगार भी नहीं मिल रही है, लगभग 3.8 लाख कर्मचारी छुट्टी पर चले गए हैं। लेकिन ये पूर्ण रूप से शटडाउन नहीं हैं इसे पार्शियल शटडाउन कहते हैं हालाकि अमेरिका के इतिहास में पहले पूर्ण रूप से भी शटडाउन हो चुका है इससे आर्थिक व्यवस्था को काफी नुक्सान पहुचता है।

यहीं हम आपको बता दें कि आर्थिक संकट के कारण शटडाउन के दौरान संघीय कर्मचारियों को जरूरी और कम-जरूरी जैसे दो समूहों में बांट दिया जाता है इनमें पहली क्ष्रेणी के कर्मचारी काम पर तो आते हैं लेकिन उनको पगार नहीं मिलती है। ये कुछ खास-खास विभाग के कर्मचारी होते हैं जैसे रक्षा फेडरल जेल, सोशल सिक्यूरिटी इत्यादि। वहीं दूसरे क्ष्रेणी के कर्मचारीयों को घर पर बिठा दिया जाता है, जब तक कि शटडाउन खत्म न हो जाए जिनमें होमलैंड सिक्योरिटी, न्याय विभाग, आवास एवं शहरी विकास विभाग शामिल हैं। इन विभागों को कम-जरूरी या गैरजरूरी विभागों में रखा जाता है, जिसके बिना कुछ वक्त तक के लिए काम चल सकता है। शटडाउन के खत्म होने के बाद कर्मचारियों को पगार मिलती है और काम पर बुला लिया जाता है

वर्तमान में अमेरिका में पार्शियल शटडाउन हुआ है जिसके तहत कुछ विभाग काम नहीं कर रहे हैं और कुछ कर रहे हैं। अब सवाल उठता है कि आखिर ये स्थिति बनी कैसे, शटडाउन कैसे और क्यों हुआ आइये देखते हैं


अमेरिका में शटडाउन कैसे और क्यों हुआ?

ये हम सब जानते हैं कि किसी भी सरकार को काम करने के लिए पैसों की जरुरत होती है वहाँ पर कर्मचारियों को पगार देनी होती है वगेरा अमेरिका की फ़ेडरल गवर्नमेंट का नेतृत्व डोनाल्ड ट्रंप करते हैं और उनको यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस (United States Congress) से पैसे मिलते हैं। अमेरिका में संसद को कांग्रेस कहा जाता है और वहाँ पर लोअर हाउस को हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव (House of Representatives) और अप्पर हाउस को सीनेट (Senate) कहा जाता है यहाँ पर भी कोई बिल पास करने के लिए दोनों सदनों की मंजूरी लेनी होती है और फिर मंजूरी मिलने पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते हैं

23 अगस्त, 2018 को, अमेरिकी सीनेट ने वित्तीय वर्ष 2019 के लिए $ 850 बिलियन के खर्च बिल को मंजूरी दी थी। 18 सितंबर को, कांग्रेस ने रक्षा, श्रम, शिक्षा और स्वास्थ्य और मानव सेवा विभागों को वित्तपोषित करने वाला एक अल्पकालिक खर्च विधेयक भी पारित किया। लेकिन ट्रंप की सरकार बिल में 5 बिलियन डॉलर को और जोड़ना चाहती थी यूएस-मेक्सिको वाल बनाने के लिए। आइये अध्ययन करते हैं डिटेल में

यूएस-मेक्सिको सीमा पर दिवार के लिए डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन और विपक्षी पार्टी के बीच फंडिंग के लिए सहमति न होने के कारण बिल पास नहीं हुआ। सीमा की सुरक्षा के लिए वहां की सरकार इस दिवार को बनाना चाहती थी और इसके लिए ट्रंप प्रशासन ने 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का बजट दिया था, जो पास नहीं हुआ बिल में 850 बिलियन डॉलर की दोनों हाउस से सहमति दी गई थी लेकिन सरकार दिवार बनाने के लिए 5 बिलियन डॉलर जोड़ना चाहती थी ऐसा न होने पर सरकार को शटडाउन का सामना करना पड़ रहा है क्या आप जानते हैं कि अमेरिका में एंटी-डेफिशिएंसी नाम का कानून है, जिसके तहत पैसों की कमी होने पर सरकारी कर्मचारियों को काम रोकना होता है ये नौबत तब आती है जब संसद में फंडिंग को लेकर रजामंदी न हो और यहीं अमेरिका में हो रहा है


शटडाउन के होने से क्या-क्या प्रभाव पड़ता है?

शटडाउन के दौरान सरकारी संस्थाओं को कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया जाता है लेकिन मिलिट्री, एयर ट्राफिक कंट्रोल, फेडरल जेल और सोशल सेक्योरिटी पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है इस कारण लाखों लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है और इसका सबसे ज्यादा प्रभाव उस सरकार पर होता है जो कि सत्ता में होती है। इस बात को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है कि शटडाउन के कारण जनता में सरकार के प्रति गुस्सा और अविश्वास भी पैदा होता है


अमेरिका में अब तक कितनी बार शटडाउन हो चुका है?

1981 से यूएस के इतिहास में 12 गवर्नमेंट शटडाउन हो चुके हैं शटडाउन  कितने समय तक चलेगा ये निर्भर करता है कि कब तक राष्ट्रपति और कांग्रेस के बीच में पैसों को या फण्ड को लेकर विवाद चलेगा जब तक वार्ता आगे नहीं बढ़ेंगी शटडाउन चलता रहेगा यहीं आपको बता दें की सबसे बड़ा शटडाउन जो अभी तक अमेरिका में हुआ था वो बिल कलिंगटन के समय में हुआ था ये शटडाउन लगभग 21 दिन चला था वर्तमान में अमेरिका में जो शटडाउन चल रहा है Standard and Poor की Global Analyst Report के अनुसार हर हफ्ते अमेरिका को 6.5 बिलियन डॉलर का नुक्सान होगा अमेरिका की आर्थिक व्यवस्था को काफी नुकसान होगा , विभिन्न कंपनियों को नुक्सान होगा क्योंकि कर्मचारियों को वेतन न मिलने पर वो बजार से समान नहीं खरीदेंगे जिससे डिमांड कम होगी और नुक्सान होगा, आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हो जाती है करीब 1 मिलियन सरकारी कर्मचारियों को अमेरिका में पगार नहीं मिल रही है


इस शटडाउन से दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

अमेरिका के अलावा, मेक्सिको और कनाडा की सरकार को सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है यदि अमेरिका में डिमांड कम होगी तो कनाडा और मेक्सिको की कंपनियां जो चीजों को अमेरिका को निर्यात करती हैं उनमें कमी आएगी। अगर ये शटडाउन कुछ ही दिनों में रुक जाता है तो वर्ल्ड इकॉनमी को कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा लेकिन अगर शटडाउन ज्यादा दिनों के लिए चलता है तो अमेरिका में आर्थिक संकट से दिक्कतें बड़ जाएंगी ओए इससे वर्ल्ड इकॉनमी पर भी फर्क पड़ेगा

तो अब आप समझ गाए होंगे कि अमेरिका का गवर्नमेंट शटडाउन क्या है, अब तक कितनी बार अमेरिका में शटडाउन हो चुका है और इसका अन्य देशों पर क्या प्रभाव पड़ता है इत्यादि

Wednesday 23 January 2019

वर्ष 2017-18 में बिहार की विकास दर शीर्ष पर: CRISIL रिपोर्ट


रेटिंग एजेंसी क्रिसिल द्वारा 17 राज्यों की रैकिंग (ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रॉडक्ट यानी जीएसडीपी) जारी की गई है, इसमें वर्ष 2017-18 के लिए बिहार की विकास दर सबसे बेहतर बताई गई है रिपोर्ट के अनुसार बिहार वित्त वर्ष 2017-18 में राज्यों के विकास दर के मामले में टॉप पर रहा

क्रिसिल द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रॉडक्ट यानी जीएसडीपी) 11.3% की दर से बढ़ा है रेटिंग्स एजेंसी क्रिसिल ने उन 17 राज्यों की रैकिंग जारी की जो केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों (सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स डेटा) पर आधारित विभिन्न मापदंडों के अनुसार विशेष श्रेणी में नहीं आते हैं एजेंसी ने छोटा राज्य होने के कारण गोवा को रैंकिंग में शामिल नहीं किया

क्रिसिल रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

💗 क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, जीएसडीपी के मामले में आंध्र प्रदेश और गुजरात क्रमशः दूसरे एवं तीसरे स्थान पर रहे

💗 वित्त वर्ष 2018 में गुजरात और कर्नाटक विकास, महंगाई और वित्तीय घाटे की रैंकिंग्स में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले शीर्ष तीन राज्यों में शामिल रहे

💗 वित्त वर्ष 207-18 में देश की जीडीपी ग्रोथ में सुस्ती का ट्रेंड दिखा, लेकिन इन 17 में 12 राज्यों की विकास दर पिछले पांच सालों के मुकाबले ज्यादा रही

💗 रिपोर्ट के अनुसार कम आय वाले राज्यों में ऊँची विकास दर लंबे वक्त तक बरकरार नहीं रह पाई जिस कारण वे प्रति व्यक्ति आय के मामले में राज्य ऊँची आय वाले राज्यों के साथ अपनी खाई पाट नहीं सके, बल्कि यह खाई बढ़ी है

💗 रिपोर्ट में कहा गया कि 11 राज्यों में निर्माण, व्यापार, होटल, विनिर्माण, परिवहन और संचार सेवाओं जैसे रोजगार केंद्रित क्षेत्रों में राष्ट्रीय दर की तुलना में कम रफ्तार से वृद्धि हुई है

💗 रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात, बिहार और हरियाणा में रोजगारोन्मुख क्षेत्रों की वृद्धि सबसे तेज रही. वहीं, राजस्थान, झारखंड और मध्य प्रदेश में इनकी वृद्धि दर सबसे कम रही

💗 रिपोर्ट के अनुसार गुजरात और कर्नाटक में उत्पादन ने विकास दर को बढ़ाया, मध्यप्रदेश में कृषि इसके पीछे का मुख्य कारण रही इसके अलावा पश्चिम बंगाल के पिछड़ने का कारण खनन और झारखंड के पिछड़ेपन का कारण बिजली और अन्य सुविधाएं रहीं

Sunday 20 January 2019

प्रधानमंत्री ने मुंबई में भारतीय सिनेमा के राष्ट्रीय संग्रहालय का उद्घाटन किया


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 19 जनवरी 2019 को मुंबई में भारतीय सिनेमा के राष्ट्रीय संग्रहालय ‘नेशनल म्यूजियम ऑफ इंडियन सिनेमा’ (एनएमआईसी) का उद्घाटन किया

यह संग्रहालय श्याम बेनेगल की अध्यक्षता में संग्रहालय सलाहकार समिति के मार्गदर्शन में तैयार किया गया है। प्रसून जोशी की अध्यक्षता में गठित समिति ने एनएमआईसी को उन्नत बनाने में सहयोग किया


भारतीय सिनेमा के राष्ट्रीय संग्रहालय

यह शानदार संग्रहालय 140.61 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित हुआ है। संग्रहालय में विजुअल, ग्राफिक्स, शिल्प और मल्टीमीडिया प्रस्तुतिकरण के जरिए लोगों को किस्से- कहानी के रूप में सिनेमा के एक सदी से अधिक पुराने इतिहास की जानकारी दी जाएगी

यह संग्रहालय दो इमारतों- ‘नवीन संग्रहालय भवन’ और 19वीं शताब्दी के ऐतिहासिक महल ‘गुलशन महल’ में स्थित है। दोनों इमारतें मुंबई में फिल्म प्रभाग परिसर में हैं


नवीन संग्रहालय भवन में चार प्रदर्शनी हॉल मौजूद हैं

गांधी और सिनेमा: यहां महात्मा गांधी की जीवन पर बनी फिल्में मौजूद हैं इसके साथ सिनेमा पर उनके जीवन के गहरे प्रभाव को भी दिखाया गया है

बाल फिल्म स्टूडियो: यहाँ आगुंतकों, खासकर बच्चों को फिल्म निर्माण के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और कला को जानने का मौका मिलेगा इस हॉल में कैमरा, लाइट, शूटिंग और अभिनय से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध होंगी

प्रौद्योगिकी, रचनात्मकता और भारतीय सिनेमा: यहाँ भारतीय फिल्मकारों द्वारा प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की जानकारी मिलेगी रजत पटल पर फिल्मकारों के सिनेमाई प्रभाव को भी पेश किया गया है

भारतीय सिनेमा: यहाँ देशभर की सिनेमा संस्कृति को दर्शाया गया है


गुलशन महल एएसआई ग्रेड– II धरोहर संरचना है. इसे एनएमआईसी परियोजना के हिस्से के रूप में दुरुस्त किया गया है यहाँ पर भारतीय सिनेमा के 100 वर्ष से अधिक की यात्रा दर्शाई गई है

इसे 9 वर्गों में विभाजित किया गया है, जिनमें सिनेमा की उत्पत्ति, भारत में सिनेमा का आगमन, भारतीय मूक फिल्म, ध्वनि की शुरूआत, स्टूडियो युग, द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव, रचनात्मक जीवंतता, न्यू वेव और उसके उपरांत तथा क्षेत्रीय सिनेमा शामिल हैं

केंद्र सरकार ने मिलिट्री पुलिस में 20 फीसदी महिलाओं को भर्ती करने की घोषणा की


केंद्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मिलिट्री पुलिस में 20 फीसदी महिलाओं को भर्ती करने की घोषणा की हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि सेना पुलिस में महिलाओं को चरणबद्ध तरीके से शामिल किया जाएगा।

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने 18 जनवरी 2019 को ट्वीट कर यह घोषणा की। उन्होंने मिलिट्री पुलिस में एक जवान के तौर पर महिलाओं को शामिल करने का फैसला लिया है। यह निर्णय सैन्य बलों में महिलाओं के प्रधिनिधित्व को बढ़ाने के मकसद से लिया गया है। भारतीय सेना में अब महिलाओं की भूमिका और बढ़ने वाली है।


पहली बार सेना पुलिस के कोर में भूमिका

पहली बार कार्मिक निचले अधिकारी रैंक (पर्सनल बिलो आफिसर रैंक) की भूमिका में महिलाओं को शामिल किया जाएगा
सेना की मिलिट्री पुलिस (Corps of Military Police) में महिलाओं को भर्ती करने के लिए लंबे समय से बहस हो रही थी जिस पर आज रक्षा मंत्री ने मुहर लगा दी है


मिलिट्री पुलिस में क्या होगी महिलाओं की भूमिका?

👮 सेना पुलिस में शामिल की जाने वाली महिलाएं दुष्कर्म और छेड़छाड़ जैसे मामलों की जांच करेंगी. सेना पुलिस का रोल सैन्य प्रतिष्ठानों के साथ कैंटोनमेंट इलाकों की देखरेख करना होता है.

👮 सर्च ऑपरेशंस/चेक पोस्ट या तलाशी व घेराबंदी अभियान के दौरान महिलाओं को खोजना होगा

👮 सेना पुलिस शांति और युद्ध के समय जवानों और साजोसामान की मूवमेंट को संचालित करती है

👮 मिलिट्री में अनुशासन कायम रखना भी इनकी पुलिस ड्यूटी में शामिल रहेगा. शरणार्थियों का भीड़ नियंत्रण करना होगा, जिसमें बच्चे और महिलाएं शामिल हों


सेना की मिलिट्री पुलिस (Corps of Military Police) में महिलाओं को भर्ती करने के लिए लंबे समय से बहस हो रही थी जिस पर आज रक्षा मंत्री ने मुहर लगा दी है


पृष्ठभूमि

गौरतलब है कि पिछले वर्ष सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा था कि महिलाओं को लड़ाकू भूमिकाओं प्रदान करने की मंजूरी की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है और महिलाओं को सेना पुलिस में भर्ती किया जाएगा। इसके लिए सेना प्रमुख ने सेना पुलिस में कम से कम 800 महिलाओं को शामिल करने की योजना तैयार की है इसके तहत प्रति वर्ष 52 महिला जवानों को भर्ती किया जाएगा

वर्तमान में महिलाओं को सेना में चिकित्सा, कानून, शिक्षण, सिग्नल तथा इंजीनियरिंग जैसी शाखाओं में जाने का विकल्प मिलता है

Tuesday 15 January 2019

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘फिलिप कोटलर’ पुरस्कार से सम्मानित


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 14 जनवरी 2019 को नई दिल्ली में पहली बार फिलिप कोटलर प्रेसिडेंसियल सम्मान सम्मानित किया गया है

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में बताया गया है कि हर वर्ष राष्ट्रीय नेता को दिए जाने वाले इस सम्मान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बार सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार तीन आधार बिन्दुओं पर केंद्रित है- जिसमें लोग, लाभ और प्लेनेट शामिल है


मुख्य तथ्य

➤ पुरस्कार के प्रशस्तिपत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चयन ‘‘देश को उत्कृष्ट नेतृत्व’’ प्रदान करने के लिये किया गया है। इसके अनुसार, अथक ऊर्जा के साथ भारत के लिये उनकी निःस्वार्थ सेवा की वजह से देश ने बेहतरीन आर्थिक, सामाजिक और प्रौद्योगिकीय विकास किया है

 प्रशस्तिपत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की पहचान अब नवाचार और मूल्यवर्धित विनिर्माण (मेक इन इंडिया) के साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी, लेखांकन एवं वित्त जैसे पेशेवर सेवाओं के केन्द्र के रूप में उभरी है

 प्रशस्तिपत्र पत्र में यह भी कहा गया है कि उनके दूरदर्शी नेतृत्व की वजह से सामाजिक लाभ और वित्तीय समावेशन के लिये विशिष्ट पहचान संख्या, आधार सहित डिजिटल क्रांति (डिजिटल इंडिया) हो सकी


कौन हैं फिलिप कोटलर?

फिलिप कोटलर नॉर्थवेस्टरन यूनिवर्सिटी, केलॉग स्कूल ऑफ मेनेजमेंट में मार्केटिंग प्रोफेसर हैं इन्हीं के सम्मान में हर वर्ष यह पुरस्कार देश के सबसे लोकप्रिय नेता को दिया जाता है। वे मार्केटिंग (विपणन) पर 55 से अधिक विपणन पुस्तकों के लेखक है

बता दें कि पीएम मोदी को इस सम्मान से सम्मानित करने के लिए फिलिप कोटलर की जगह इमोरी यूनिवर्सिटी के जगदीश सेठ को प्रतिनियुक्त किया गया

Monday 14 January 2019

गुजरात आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10% आरक्षण देने वाला पहला राज्य बना


गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी द्वारा शिक्षा और रोज़गार में गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण को 14 जनवरी से लागू करने का निर्णय लिया गया है। केंद्र सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी हैअधिसूचना जारी होने के एक दिन बाद ही गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने यह घोषणा की


गुजरात सरकार द्वारा की गई घोषणा के मुख्य बिंदु

➤ शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से पिछड़ों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा

 यह आरक्षण अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे के अतिरिक्त दिया जाएगा

 पहले से घोषित उन भर्तियों में भी यह आरक्षण लागू होगा, जिनकी अभी कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है

 जिन भर्तियों के लिए लिखित, मौखिक और कंप्यूटर परीक्षा ली जा चुकी है, उन पर यह लागू नहीं होगा

 गुजरात में आरक्षण की यह नई व्यवस्था मकर संक्रांति से लागू होगी


किसे मिलेगा लाभ?

 ऐसे परिवार, जिनकी सालाना आय आठ लाख या उससे कम होगी

 आर्थिक रूप से पिछड़े वह लोग जिनके पास पांच एकड़ या उससे कम कृषि योग्य भूमि है

 ऐसे परिवार, जिनके पास एक हजार वर्ग फीट या उससे कम का मकान है

 अधिसूचित नगरीय क्षेत्र में जिनके पास 100 गज का प्लॉट है

 गैर-अधिसूचित नगरीय क्षेत्र में 200 या उससे कम का प्लॉट है

 वह लोग जो अभी तक किसी भी तरह के आरक्षण के अंतर्गत नहीं आते थे

Saturday 12 January 2019

राष्ट्रीय युवा दिवस 12 जनवरी को मनाया गया


भारत में 12 जनवरी 2019 को स्वामी विवेकानंद जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया गया इस मौके पर भारतीय युवाओं को प्रेरित करने के लिये छात्रों द्वारा स्वामी विवेकानंद के विचारों से संबंधित व्याख्यान और लेखन भी किया जाता है


उद्देश्य

इस दिवस का उद्देश्य विवेकानंद की शिक्षाओं एवं आदर्शों को भारतीय युवाओं के लिए रोल मॉडल के रूप में पेश किया जाना है इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि देश के युवा स्वामी विवेकानंद के जीवन, कार्य शैली, चेतना और आदर्श से प्रेरणा ले सकें

राष्ट्रीय युवा दिवस के रुप में स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस को मनाने के लिये वर्ष 1984 में भारतीय सरकार द्वारा घोषणा की गयी थी। इसे मनाने का मुख्य लक्ष्य भारत के युवाओं के बीच स्वामी विवेकानंद के आदर्शों और विचारों के महत्व को फैलाना है

इस दिन देश भर के विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में तरह-तरह के कार्यक्रम होते हैं जैसेः- रैलियाँ निकाली जाती हैं, योगासन की स्पर्धा आयोजित की जाती है, पूजा-पाठ होता है, व्याख्यान होते हैं, विवेकानन्द साहित्य की प्रदर्शनी लगती है


राष्ट्रीय युवा सप्ताह

इस वर्ष स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर 12 जनवरी से 19 जनवरी तक विभिन्न जिलों में राष्ट्रीय युवा सप्ताह के कार्यक्रम मनाया जायेगा इस दौरान पूरे हफ्ते भर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा


स्वामी विवेकानंद के बारे में

➽ स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था

 वे वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे

 उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था

 उन्होंने पश्चिमी देशों में भारत के वेदांत एवं योग के दर्शन का प्रचार एवं प्रसार किया

 उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में वर्ष 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था

 वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे

 उन्हें औपनिवेशिक भारत में राष्ट्रवाद की अवधारणा बनाये रखने के लिए भी जाना जाता है

 विश्व के अन्य धर्मों के बीच हिन्दू धर्म का प्रसार करने का श्रेय उन्ही को जाता है

Thursday 10 January 2019

आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10% आरक्षण वाला विधेयक राज्यसभा में भी पारित

Cabinet announces 10 percent reservation for economically weaker upper castes (Author : Rajeev Ranjan)


राज्यसभा ने करीब 10 घंटे तक चली बैठक के बाद संविधान (124 वां संशोधन), 2019 विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से मंजूरी दे दी इससे पहले सदन ने विपक्ष द्वारा लाए गए संशोधनों को मत विभाजन के बाद नामंजूर कर दिया। गौरतलब है कि संविधान संशोधन के लिए सदन के आधे से ज्यादा सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य होती है इसके अलावा विधेयक को दो तिहाई समर्थन से पास होना जरूरी होता है राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 245 है ऐसे में सदन में कम से कम 123 सदस्यों की मौजूदगी अनिवार्य होती है

इससे पहले सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए लाया गया संविधान (124वां संशोधन) विधेयक लोकसभा में 08 जनवरी 2019 को पारित हो गया था। लगभग पाँच घंटे की चर्चा के बाद देर रात विधेयक पर मतदान हुआ। समर्थन में 323 मत पड़े जबकि विरोध में केवल 3 मत डाले गए। विधेयक पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके इसे ऐतिहासिक बताया उन्होंने लिखा, "संविधान (124वां संशोधन) विधेयक, 2019 लोकसभा में पास होना हमारे देश के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण है. यह समाज के सभी तबकों को न्याय दिलाने के लिए एक प्रभावी उपाय को प्राप्त करने में मदद करेगा"

केंद्र सरकार ने 07 जनवरी 2019 को महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों (सामान्य वर्ग) के लिए सरकारी नौकरियों व शिक्षण संस्थानों में 10% आरक्षण दिए जाने की घोषणा की थी


संविधान में होगा संशोधन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस संबंध में संवैधानिक संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है सरकार इस संबंध में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए संवैधानिक संशोधन विधेयक 2018 (कांस्टीट्यूशन एमेंडमेंट बिल टू प्रोवाइड रिजर्वेशन टू इकोनॉमिक वीकर सेक्शन -2018) लोकसभा में लेकर आएगी इस विधेयक के जरिए संविधान की धारा 15 व 16 में संशोधन किया जाएगा. सवर्णों को दिया जाने वाला आरक्षण मौजूदा 50 फीसदी आरक्षण से अलग होगा


आरक्षण की पात्रता के लोग सामान्य श्रेणी के वे लोग होंगे -

➦जिनकी सालाना आय 8 लाख रुपये से कम हो
➦जिनके पास 5 हेक्टेयर से कम की खेती की जमीन हो
➦जिनके पास 1000 स्क्वायर फीट से कम का घर हो
➦जिनके पास निगम की 109 गज से कम अधिसूचित जमीन हो
➦जिनके पास 209 गज से कम की निगम की गैर-अधिसूचित जमीन हो
➦जो अभी तक किसी भी तरह के आरक्षण के अंतर्गत नहीं आते थे


अनुच्छेद 15 के प्रावधान

अनुच्छेद 15 समस्त नागरिकों को समानता का अधिकार देता है अनुच्छेद 15 (1) के अनुसार राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा। अनुच्छेद 15 के अंतर्गत ही अनुच्छेद 15 (4) और 15 (5) में सामाजिक और शैक्षिणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों या अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए विशेष उपबंध की व्यवस्था की गई है यहाँ कहीं भी आर्थिक शब्द का प्रयोग नहीं है ऐसे में सवर्णों को आरक्षण देने के लिए सरकार को इस अनुच्छेद में आर्थिक रूप से कमजोर शब्द जोड़ने की जरूरत पड़ेगी


अनुच्छेद-16 के प्रावधान

अनुच्छेद-16 सार्वजनिक रोजगार के संबंध में अवसर की समानता की गारंटी देता है और राज्य को किसी के भी खिलाफ केवल धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, वंश, जन्म स्थान या इनमें से किसी एक के आधार पर भेदभाव करने से रोकता है किसी भी पिछड़े वर्ग के नागरिकों का सार्वजनिक सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनुश्चित करने के लिए उनके लाभार्थ सकारात्मक कार्रवाई के उपायों के कार्यान्वयन हेतु अपवाद बनाए जाते हैं, साथ ही किसी धार्मिक संस्थान के एक पद को उस धर्म का अनुसरण करने वाले व्यक्ति के लिए आरक्षित किया जाता है


भारत में आरक्षण का उद्देश्य और वर्तमान स्थिति

आरक्षण की व्यवस्था केंद्र और राज्य में सरकारी नौकरियों, कल्याणकारी योजनाओं, चुनाव और शिक्षा के क्षेत्र में हर वर्ग की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए की गई ताकि समाज के हर वर्ग को आगे आने का मौका मिले। इसके लिए पिछड़े वर्गों को तीन श्रेणियों - अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में बांटा गया. इस समय भारत में कुल 49.5% आरक्षण दिया जा रहा है जिसका वर्गीकरण इस प्रकार है:

अनुसूचित जाति (SC):15%
अनुसूचित जनजाति (ST): 7.5%
अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC): 27%
कुल आरक्षण: 49.5 %


किन्हें मिलेगा फायदा?

केंद्र सरकार द्वारा सवर्णों को दिए जाने वाले 10% आरक्षण का लाभ केवल हिन्दू सवर्णों को ही नहीं मिलेगा अपितु सभी धर्मों अथवा सम्प्रदायों के सामान्य वर्ग के उन लोगों को मिलेगा जो इस श्रेणी की पात्रता शर्तों का मानदंड रखते हों यह आरक्षण धर्म, जाति, रंग अथवा किसी अन्य प्रकार के भेदभाव के आधार पर नहीं दिया गया है।


इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ 1992 मामला

इंदिरा साहनी एवं अन्य बनाम केंद्र सरकार (यूनियन ऑफ़ इंडिया) में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़े वर्गों के लिए अलग से आरक्षण लागू करने को सही ठहराया था वर्ष 1992 में पहली बार इंदिरा साहनी केस में कहा गया कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के अधिकारियों और कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण सही नहीं है संसद ने इस पर विचार किया और 77वां संविधान संशोधन लाया गया इस संशोधन में कहा गया कि राज्य सरकार और केन्द्र सरकार को यह अधिकार है कि वह पदोन्नति में भी आरक्षण दे सकती है यह मामला फिर सुप्रीम कोर्ट में गया और वहाँ से फैसला आया कि आरक्षण दिया जा सकता है लेकिन वरिष्ठता नहीं मिलेगी इसके उपरांत 85वां संविधान संशोधन उसी संसद से पास हुआ और यह कहा गया कि कॉनसीक्वैंशियल सीनियॉरिटी भी दी जायेगी इन्दिरा साहनी प्रकरण में उच्चतम न्यायालय की जजों वाली संविधानिक पीठ ने दिनांक 16.11.1992 को संविधान के अनुच्छेद 16(4) के अंतर्गत अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए राजकीय संवाओं में पदोन्नति में आरक्षण को सही नहीं माना तथा यह आदेश दिया कि इन वर्गों को पदोन्नति में आरक्षण केवल अगले 5 वर्ष तक ही यथावत रखा जाएगा

Monday 7 January 2019

76वें गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड की घोषणा


76वें गोल्डन ग्लोब 2019 अवॉर्ड की घोषणा हो चुकी है। इस अवॉर्ड सेरेमनी का आयोजन कैलिफोर्निया के बेवर्ली हिल्स में किया गया है। इस साल बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड रामी मालेक को मिला है, जबकी ग्लेन क्लोज को बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड दिया गया है

अवॉर्ड सेरेमनी को सेंड्रा और एंडी सेमबर्ग ने होस्ट किया सेरेमनी में कई अलग-अलग कैटेगरी में फिल्मों और कलाकारों को अवॉर्ड दिए गए. बोहिमियन र्हेपसोडी को बेस्ट ड्रामा मोशन पिक्चर्स का अवॉर्ड दिया गया है

अमेरिका के लॉस एंजेलिस में आयोजित 76वें गोल्डन ग्लोब में एक तरह जहाँ कई हस्तियां यौन उत्पीड़न रोकने का समर्थन करने वाले 'टाइम इज अप एक्स2' कलाई बैंड पहने नजर आईं तो वहीं, अभिनेता-निर्माता रयान सीक्रैस्ट को इसके कारण आलोचना झेलनी पड़ी

76वें गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड की सूची:

76वें गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड की सूची: मोशन पिक्चर

💖 बेस्ट एक्टर, ड्रामा - रामी मालेक, बोहेमिया रेपसॉडी
💖 बेस्ट डायरेक्टर इन एनी मोशन पिक्चर - अल्फांसो कुआरों, रोमा
💖 बेस्ट मोशन पिक्चर, म्यूजिकल/कॉमेडी - ग्रीन बुक
💖 बेस्ट एक्ट्रेस ड्रामा - ग्लेन क्लोज, द वाईफ
💖 बेस्ट एक्ट्रेस, म्यूजिकल/कॉमेडी - ओलिविया कोलमैन, द फेवरिट
💖 बेस्ट एक्टर, म्यूजिकल/कॉमेडी - क्रिश्चियन बेल, वाइस
💖 बेस्ट स्पोर्टिंग एक्टर इन एनी मोशन पिक्चर - माहेरशला अली, ग्रीन बुक
💖 बेस्ट स्पोर्टिंग एक्ट्रेस इन एनी मोशन पिक्चर - रेजिना किंग, इफ बील स्ट्री क्लाउड टॉक
💖 बेस्ट मोशन पिक्चर, फॉरेन लैंग्वेज - रोमा, मैक्सिको
💖 बेस्ट मोशन पिक्चर, एनिमेटेडः स्पाइडर - मैन इनटू द स्पाइडर-वर्स
💖 बेस्ट स्क्रीनप्ले इन एनी मोशन पिक्चर - पीटर फरेले, निक वैलेलोंगा, ब्रायन क्यूरी, द ग्रीन बुक
💖 बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग इन एनी मोशन पिक्चर - शैलो, अ स्टार इज बॉर्न
💖 बेस्ट ओरिजनल स्कोर इन एनी मोशन पिक्चर - जस्टिन हर्वित्ज, फर्स्ट मैन


76वें गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड की सूची: टेलीविजन सीरीज

💖 बेस्ट टीवी सीरीज ड्रामा - द अमेरिकन्स
💖 बेस्ट एक्टर इन टेलीविजन सीरीज, ड्रामा - सैंड्रा ओह, किलिंग ईव
💖 बेस्ट टेलीविजन सीरीज, म्यूजिक या कॉमेडी - द कोमेंस्की मैथड (नेटफ्लिक्स)
💖 बेस्ट एक्ट्रेस, टेलीविजन सीरीज/मोशन पिक्चर मेड फॉर टेलीविजन - पैट्रिशिया आर्केट, एस्केप ऐंट डैनेमोरा
💖 बेस्ट एक्ट्रेस, टेलीविजन सीरीज, म्यूजिकल या कॉमेडी - रेचल ब्रॉसनन, द मार्वलस मिसेज मेजल
💖 टेलीविजन सीरीज में बेस्ट एक्टर - डैरेन क्रिस, द एसेसिनेशन ऑफ जियानी वर्साचे - अमेरिकन क्राइम स्टोरी
💖 बेस्ट एक्टर, टेलीविजन सीरीज, ड्रामा - रिचर्ड मैडन, बॉडीगार्ड
💖 बेस्ट एक्टर, टेलीविजन सीरीज, म्यूजिकल या कॉमेडी - माइकल डगलस, द कोमेंस्की मैथड
💖 टेलीविजन सीरीज में बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस -- बेन व्हीशॉ, अ वेरी इंग्लिश स्कैंडल
💖 टेलीविजन सीरीज में बेस्ट स्पोर्टिंग एक्ट्रेस - पैट्रिक क्लार्सन- शार्प ओब्जेक्ट

अभिनेता माइकल डगलस ने टेलीविजन शो 'द कोमिंक्सकी मेथड' के लिए गोल्डन ग्लोब पुरस्कार जीता है जिसे उन्होंने अपने पिता व अभिनेता कर्क डगलस को समर्पित किया है