Tuesday 1 January 2019

अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के तीन द्वीप के नाम मे परिवर्तन


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30 दिसंबर 2018 को अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह श्रृंखला के प्रसिद्ध तीन द्वीपों को दूसरा नाम दिए जाने की घोषणा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पोर्ट ब्लेयर में 30 दिसंबर 1943 को भारतीय भूमि पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा तिरंगा फहराने की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक विशाल सभा को संबोधित कर रहे थे।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंडमान के तीन द्वीपों रॉस, नील और हवेलॉक के नाम बदलने की घोषणा की। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री ने मरीना पार्क में 150 फुट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज फहराया। यहाँ उन्होंने पार्क में स्थित नेताजी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि भी अर्पित की।

अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के तीन द्वीप के नाम मे परिवर्तन किया है। विद्वानों का मानना है के "अण्डमान" शब्द "हनुमान" का एक और रूप है और संस्कृत मूल से मलय भाषा से होते हुए प्रचलित हो गया है। मलय में रामायण के "हनुमान" पात्र को "हन्डुमान" कहते हैं।


रॉस आईलैंड का नया नाम:- नेताजी सुभाषचंद्रबोस द्वीप

यह द्वीप ब्रिटिश वास्तुशिल्प के खंडहरों के लिए प्रसिद्ध है। रॉस द्वीप 200 एकड़ में फैला हुआ है। फीनिक्स उपसागर से नाव के माध्यम से चंद मिनटों में रॉस द्वीप पहुँचा जा सकता है। सुबह के समय यह द्वीप पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है। 

नील आईलैंड का नया नाम:- शहीद द्वीप

नील आइलैंड: 37 स्क्वॉयर किलोमीटर में फैला छोटा, लेकिन खूबसूरत आईलैंड है नील यह अंडमान आईलैंड्स से दक्षिण में रिची द्वीप समूह क्षेत्र में स्थित है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या 3,000 से भी कम है यहाँ के कोरल रीफ और अंग्रेजी शासन के समय के खंडहर बेहद प्रसिद्ध हैं। कोरल रीफ और बेहतरीन बायोडायवर्सिटी की वजह से यह भी अंडमान के हॉट टूरिस्ट स्पॉट में शामिल है। इसे vegetable bowl भी कहा जाता है आईलैंड को करीब दो घंटे में पैदल भी घूमा जा सकता है। पोर्ट  ब्लेयर से स्पीड बोट के जरिए आईलैंड पर पहुंचा जा सकता है

हैवलॉक आईलैंड का नया नाम:- स्वराज द्वीप

हैवलॉक द्वीप का नाम ब्रिटिश जनरल सर हेनरी हैवलॉक के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने ब्रिटिश प्रशासन के दौरान भारत में सेवाएं दी थीं यह केंद्र शासित प्रदेश का सबसे बड़ा द्वीप है यह अंडमान और निकोबार में ही था, जहाँ साल 1943 में स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद की अस्थायी सरकार की स्थापना की थी 

स्वराज द्वीप भारत के अण्डमान व निकोबार द्वीपसमूह के अण्डमान द्वीपसमूह भाग के बृहत अण्डमान द्वीपों से पूर्व में स्थित रिची द्वीपसमूह का सबसे बड़ा द्वीप है। यह द्वीप अण्डमान व निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से 57 किमी पूर्वोत्तर में स्थित है। हैवलॉक आईलैंड सफेद बालू के बीचों वाला खूबसूरत जगह है जो रिच कोरल रीफ और ग्रीन फॉरेस्ट से घिरा है। करीब 113 स्क्वॉयर किलोमीटर एरिया में फैला यह अंडमान ग्रुप में एक सबसे अधिक आबादी वाला आईलैंड भी है। हैवलॉक आईलैंड पर स्थित राधानगर बीच को 2004 में टाइम मैगजीन के सर्वे में बेस्ट बीच इन एशिया बताया गया था करीब 2 किलोमीटर लंबे बीच पर टूरिस्ट खूबसूरत सनसेट देखने के लिए आते हैं

इस द्वीप समूह पर 17 वीं सदी में मराठों द्वारा अधिकार किया गया था। इसके बाद इस पर अंग्रेजों का शासन हो गया और बाद में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जापान द्वारा इस पर अधिकार कर लिया गया। कुछ समय के लिये यह द्वीप नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आजाद हिन्द फौज के अधीन भी रहा था। बहुत कम लोगों को ही पता होगा कि देश में कहीं भी पहली बार पोर्ट ब्लेयर में ही तिरंगा फहराया गया था। यहाँ नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने 30 दिसम्बर 1943 को यूनियन जैक उतार कर तिरंगा झंडा फहराया था। इसलिय अंडमान निकोबार प्रशासन की तरफ से 30 दिसम्बर को हर साल एक भव्य कार्यक्रम मनाने की शुरूआत की गई है। जनरल लोकनाथन भी यहाँ के गवर्नर रहे थे। 1947 में ब्रिटिश सरकार से मुक्ति के बाद यह भारत का केन्द्र शासित प्रदेश बना।

ब्रिटिश शासन द्वारा इस स्थान का उपयोग स्वाधीनता आंदोलन में दमनकारी नीतियों के तहत क्रांतिकारियों को भारत से अलग रखने के लिये किया जाता था। इसी कारण यह स्थान आंदोलनकारियों के बीच काला पानी के नाम से कुख्यात था। कैद के लिये पोर्ट ब्लेयर में एक अलग कारागार, सेल्यूलर जेल का निर्माण किया गया था जो ब्रिटिश इंडिया के लिये साइबेरिया के समान था।

अंग्रेजी सरकार द्वारा भारत के स्वतंत्रता सैनानियों पर किए गए अत्याचारों की मूक गवाह इस जेल की नींव 1897 में रखी गई थी। इस जेल के अंदर 694 कोठरियां हैं। इन कोठरियों को बनाने का उद्देश्य बंदियों के आपसी मेल जोल को रोकना था। आक्टोपस की तरह सात शाखाओं में फैली इस विशाल कारागार के अब केवल तीन अंश बचे हैं। कारागार की दीवारों पर वीर शहीदों के नाम लिखे हैं। यहाँ एक संग्रहालय भी है जहाँ उन अस्त्रों को देखा जा सकता है जिनसे स्वतंत्रता सैनानियों पर अत्याचार किए जाते थे।