Wednesday 31 May 2017

"सौनी योजना"


गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र के जल संकट को दूर करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2012 में ‘सौराष्ट्र नर्मदा अवतरण सिंचाई योजना’ (सौनी योजना) की घोषणा की थी। इस योजना का उद्देश्य नर्मदा नदी के बाढ़ के एक मिलियन एकड़ फुट अतिरिक्त पानी से सौराष्ट्र क्षेत्र के सभी बांधों को भरना है। वर्ष 2014 में इस परियोजना का शिलान्यास किया गया। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौनी सिंचाई योजना के चरण-1 (लिंक-2) का उद्घाटन किया।
  • 17 अप्रैल, 2017 को बोटाद (Botad) जिले (गुजरात) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सौराष्ट्र नर्मदा अवतरण सिंचाई योजना’ (Saurashtra Narmada Avtaran Irrigation Yojana : SAUNI) के चरण-1 (लिंक-2) पाइपलाइन नहर (Pipeline Canal) का उद्घाटन किया।
  • साथ ही प्रधानमंत्री ने सौनी सिंचाई योजना चरण-2 (लिंक-2) का शिलान्यास भी किया।
  • इस सिंचाई योजना के चरण-1 (लिंक-2) के पाइपलाइन की लंबाई 51 किमी. है जो लिंबडी-भोगावो-II (Limbdi Bhogauo-II) बांध को भीमडाड (Bhimdad) बांध से जोड़ती है।
  • चरण-1 (लिंक-2) की कुल लागत 1313 करोड़ रुपये है।
  • इस सिंचाई योजना के लिंक-2 पाइपलाइन नहर के माध्यम से बोटाद, भावनगर एवं अमरेली जिलों के 17 बांधों को नर्मदा नदी के पानी से भरा जाएगा।
  • उल्लेखनीय है कि 30 अगस्त, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सनोसरा (Sanosara), गुजरात में सौनी सिंचाई योजना के चरण-1 (लिंक-1) पाइपलाइन का उद्घाटन किया था।
  • चरण-1 (लिंक-1) से राजकोट, जामनगर एवं मोरबी जिले के 10 बांधों को नर्मदा के पानी से भरा जा सकेगा।
सौनी योजना : महत्वपूर्ण तथ्य
  • सौनी योजना की परिकल्पना नर्मदा नदी के बाढ़ के एक मिलियन एकड़ फुट अतिरिक्त पानी से सौराष्ट्र क्षेत्र को लाभान्वित करने के लिए की गई है।
  • नर्मदा नदी के बाढ़ के अतिरिक्त पानी से सौराष्ट्र क्षेत्र के 11 जिलों के 115 बांधों को 1126 किमी. 4 लिंक पाइपलाइनों के माध्यम से भरा जाएगा।
  • सौनी योजना के द्वारा सौराष्ट्र क्षेत्र की 10,22,589 एकड़ भूमि को सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।
  • यह योजना वर्ष 2019 तक पूरी होगी।
  • सौनी योजना की चार लिंक पाइपलाइन निम्नलिखित है-
  • लिंक-1 : मोरबी जिले के माछू-II बांध से जामनगर जिले के सैनी (Sani) बांध तक।
  • इस लिंक से राजकोट, मोरबी, देवभूमि द्वारका और जामनगर जिलों के 30 जलाशयों को भरा जाएगा। जिससे 202100 एकड़ क्षेत्र को सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी।
  • लिंक-2 : सुरेंद्र नगर जिले के लिंबडी-भोगावो-II बांध से अमरेली जिले के रायदी (Raidi) बांध तक लिंक-2 से भावनगर, बोटाद एवं अमरेली जिलों के 17 जलाशयों को भरा जाएगा जिससे 274700 एकड़ भूमि की सिंचाई हो सकेगी।
  • लिंक-3 : सुरेंद्र नगर जिले के धोलिधाजा बांध से राजकोट जिले के वेणु-1 बांध तक।
  • लिंक-3 से राजकोट, जामनगर, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, मोरबी और सुरेंद्रनगर जिलों के 28 जलाशयों को भरा जा सकेगा जिससे 198067 एकड़ क्षेत्र की सिंचाई की जा सकेगी।
  • लिंक-4 : सुरेंद्रनगर जिले के लिंबडी-भोगावो-II बांध से जूनागढ़ की हिरण-II सिंचाई योजना तक।
  • इससे राजकोट सुरेंद्रनगर, जूनागढ़, पोरबंदर, गिर सोमनाथ, अमरेली और बोटाद जिलों के 40 जलाशयों को भरा जा सकेगा।
  • इससे 347722 एकड़ भूमि को सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।

नाबार्ड (संशोधन) विधेयक, 2017


भारत में कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र के विकास हेतु नाबार्ड अधिनियम, 1981 द्वारा नाबार्ड (National Bank for Agriculture and Rural Development) की स्थापना की गई थी। ग्रामीण क्षेत्र की उन्नति हेतु नाबार्ड द्वारा कृषि, लघु एवं कुटीर उद्योग, हस्तशिल्प तथा ग्रामीण क्षेत्रों से सहबद्ध अन्य आर्थिक क्रिया-कलापों के ऋण के साथ ही अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाता है और इनका विनियमन भी करता है। इसके बावजूद भी वर्ष 2015-16 की आर्थिक समीक्षा के अनुसार, भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में कृषि की हिस्सेदारी 17.40 प्रतिशत है और कृषि पर जनसंख्या का भारी दबाव बना हुआ है। नाबार्ड पूर्णतः कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र के लिए समर्पित है और इस क्षेत्र के सशक्तीकरण का प्रश्न प्रत्यक्ष नाबार्ड के सशक्तीकरण से जुड़ा प्रश्न है।
  • 5 अप्रैल, 2017 को वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा नाबार्ड (संशोधन) विधेयक, 2017 लोक सभा में पेश किया गया।
  • यह विधेयक नाबार्ड अधिनियम, 1981 में संशोधन के द्वारा नाबार्ड को और अधिक सशक्त बनाने का प्रयास करता है।
  • इस विधेयक के कुछ प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं-
  • नाबार्ड की अधिकृत पूंजी को 5000 करोड़ रुपये तक बढ़ाना।
  • इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार को रिजर्व बैंक के परामर्श से इस अधिकृत पूंजी को 30000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने के लिए प्राधिकृत करने का प्रावधान है।
  • नाबार्ड अधिनियम, 1981 के अनुसार, नाबार्ड की अधिकृत पूंजी 100 करोड़ रुपये है।
  • नाबार्ड में केंद्रीय सरकार की न्यूनतम हिस्सेदारी 51 प्रतिशत निर्धारित की गई है।
  • नाबार्ड अधिनियम, 1981 के अनुसार, नाबार्ड में केंद्र सरकार एवं रिजर्व बैंक की संयुक्त हिस्सेदारी को न्यूनतम 51 प्रतिशत रखने का प्रावधान था।
  • प्रस्ताविक विधेयक द्वारा नाबार्ड में रिजर्व बैंक की हिस्सेदारी का केंद्र सरकार द्वारा अधिग्रहण करने का प्रावधान किया गया है।
  • वर्तमान में रिजर्व बैंक की हिस्सेदारी 0.4 प्रतिशत है जो लगभग 20 करोड़ रुपये के बराबर है।
  • नाबार्ड में भारत सरकार की हिस्सेदारी 99.6 प्रतिशत है और अधिग्रहण के पश्चात यह पूर्णतया केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली संस्था होगी।
  • वर्ष 1981 के प्रावधानों के तहत नाबार्ड केवल लघु उद्यमों (Small-Scale Industries), कुटीर एवं ग्रामोद्योग (Cottage and Village Industries) के लिए ही ऋण उपलब्ध करवाता है।
  • प्रस्तावित विधेयक में इस समूह में सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों (Micro and Medium Enterprises) को भी शामिल करने का प्रावधान है।
  • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए मानकों का निर्धारण एमएसएमई अधिनियम (MSME Act), 2006 के अनुरूप किया जाएगा जो इस प्रकार है-
उद्यमप्लांट एवं मशीनरी में निवेश
सूक्ष्म उद्यम25 लाख रु. तक
लघु उद्यम25 लाख – 5 करोड़ रु. तक
  • मध्यम उद्यम 5 करोड़ रु. – 10 करोड़ रु. तक
  • नाबार्ड अधिनियम, 1981 के विभिन्न प्रावधानों में उल्लिखित ‘कंपनी अधिनियम, 1956’ को ‘कंपनी अधिनियम, 2013’ द्वारा प्रतिस्थापित करने का प्रावधान किया गया है।

Tuesday 30 May 2017

GK Question & Answer (भाग-65)


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Monday 29 May 2017

"बुद्ध" ( GK Q & A, भाग-64)



  • बौद्ध धम्म के संस्थापक - तथागत बुद्ध 
  • तथागत बुद्ध का जन्म - 563 ईसा पूर्व, बुद्ध (वैशाख) पूर्णिमा को कपिलवस्तु की लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ 
  • बुद्ध किस वंश से थे ~ शाक्य वंश 
  • बुद्ध के पिता का नाम ~ शुद्धोधन 
  • बुद्ध की माता का नाम ~ महामाया 
  • बुद्ध के बचपन का नाम ~ सिद्धार्थ 
  • सिद्धार्थ का पालन -पोषण किया था ~ प्रजापति गौतमी (सिद्धार्थ की मौसी)
  • बुद्ध के पिता राजा शुद्धोधन मुखिया थे ~ शाक्य गणराज्य के 
  • बुद्ध की माँ महामाया किस वंश से संबंधित थीं ~ कोलिय वंश 
  • बुद्ध की पत्नी का नाम ~ यशोधरा/गोपा/बिम्बा/भद्कच्छना 
  • बुद्ध के पुत्र का नाम ~ राहुल 
  • बुद्ध ने किस अवस्था में गृह त्याग किया था ~ 29 वर्ष 
  • गृह त्याग की घटना क्या कहलाती है ~ महाभिनिष्क्रमण 
  • बुद्ध के घोड़े का नाम ~ कन्थक 
  • बुद्ध के सारथी का नाम ~ चन्ना (छन्दक)
  • सिद्धार्थ जब कपिलवस्तु की सैर पर निकले तो उन्होंने चार दृश्य क्या देखा था ~ • बूढ़ा व्यक्ति • बीमार व्यक्ति • शव • संन्यासी
  • वे संन्यासी जिनसे गृहत्याग के बाद बुद्ध की मुलाकात हुई ~ आलार कालाम और रूद्रक रामपुत्त 
  • उरूवेला (बोधगया) में मिलने वाले पाँच साधको के नाम ~ कौंडिन्य, वप्प, भद्दिय, महानाम, अस्सागी 
  • ज्ञान प्राप्ति से पहले किसने बुद्ध को खीर खिलाया था ~ सुजाता 
  • वर्ष की आयु में बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति कहाँ पर हुई थी ~ बोधगया [फल्गु (निरंजना) नदी के तट पर उरूवेला (बोधगया) नामक स्थान पर]
  • जिस वृक्ष के नीचे बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ, कहलाता है ~ बोधिवृक्ष (पीपल)
  • बुद्ध ने प्रथम उपदेश कहाँ दिया ~ रिषिपत्तन (सारनाथ)
  • बुद्ध के प्रथम उपदेश को क्या कहा गया ~ धर्मचक्र प्रवर्तन 
  • बुद्ध ने अपने उपदेश किस भाषा में दिए ~ पालि भाषा (धम्म लिपि)
  • बुद्ध का अर्थ है ~ ज्ञान, जागा हुआ या ज्ञानी 
  • एशिया का ज्योतिपुंज (Light of Asia) किसे कहा जाता है ~ तथागत बुद्ध 
  • तथागत का अर्थ ~ सत्य है ज्ञान जिसका अर्थात बुद्ध 
  • वह दिन जिस दिन तथागत बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था ~ बुद्ध (वैशाख) पूर्णिमा 
  • वह स्थान जहाँ बुद्ध ने सर्वाधिक उपदेश दिया ~ श्रावस्ती 
  • 80 वर्ष की अवस्था में बुद्ध की मृत्यु कहाँ पर हुई थी ~ कुशीनगर में 
  • बुद्ध की मृत्यु कब हुई थी ~ 483 ईसा पूर्व, बुद्ध (वैशाख) पूर्णिमा 
  • बुद्ध की मृत्यु की घटना क्या कहलाता है ~ महापरिनिर्वाण 
  • निर्वाण ~ तृष्णा के क्षीण होने की अवस्था को ही बुद्ध ने निर्वाण कहा है
  • बौद्धों का पवित्र ग्रंथ ~ त्रिपिटक 
त्रिपिटक के भाग :~ 
⇒ पिटक शब्द का अर्थ ~ टोकरी, पेटी या पिटारा
⇒ सुत्त पिटक के निकाय ~ दीघ, मज्झिम, संयुक्त, अंगुत्तर, खुद्दक 
⇒ बुद्ध के जीवन के अंतिम क्षणों का वर्णन मिलता है ~ महापरिनिब्बानसूत्त (सबसे प्राचीन ग्रंथ)

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चतुर्थ बौद्ध संगीति में बौद्ध धम्म दो भागों में बँट गया :~
⇒ हीनयान (थेरवाद) ~ जो बुद्ध के दिए हुए सिद्धांत व दर्शन को ज्यों का त्यों मानते हैं 
⇒ महायान ~ जो बुद्ध के दिए हुए सिद्धांत व दर्शन में परिवर्तन करके मानते हैं
बौद्ध संगीतियाँ ~ 
⇒ प्रथम ~ 483 ईसा पूर्व -- राजगृह (स्थान) -- बिम्बिसार (शासक) -- महाकस्सप (अध्यक्ष)
⇒ द्वितीय ~ 383 ईसा पूर्व -- वैशाली (स्थान) -- कालाशोक (शासक) -- साबाकामी (अध्यक्ष)
⇒ तृतीय ~ 251 ईसा पूर्व -- पाटलिपुत्र (स्थान) -- सम्राट अशोक (शासक) -- मोग्गलिपुत्त तिस्स (अध्यक्ष)
⇒ चतुर्थ ~ 72 ईसा पूर्व -- कुण्डलवन (सथान) -- कनिष्क (शासक) -- वसुमित्र (अध्यक्ष)

➽ बुद्ध से जुड़े आठ स्थान जिन्हें बौद्ध ग्रंथों में "अष्टमहास्थान" कहा गया है ~ लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, संकिसा, राजगृह तथा वैशाली 

बुद्ध के जीवन की चार महत्वपूर्ण घटना और उनसे सम्बद्ध चार स्थान ~ 
⇒ जन्म ~ लुम्बिनी 
⇒ ज्ञान प्राप्ति ~ बोधगया 
⇒ प्रथम उपदेश ~ सारनाथ 
⇒ परिनिर्वाण (मृत्यु) ~ कुशीनगर 
  • तथागत बुद्ध की मृत्यु चुन्द द्वारा अर्पित भोजन "सूकरमद्दव" खाने के बाद हुआ। कुछ विद्वानों ने सूकरमद्दव का अर्थ सूअर का मांस निकाला है, किंतु यह तर्कसंगत नहीं है। वस्तुतः यह एक वनस्पति/कवक थी जो सूअर के मांद के पास उगती थी, जैसे कुकुरमुत्ता आदि।
  • पालि भाषा में ऐसे कई शब्द हैं जिनका प्रथम अवयव सूअर है, जैसे ~ सूकरकन्द (शकरकन्द), सूकर -पदिक (सूअर का पैर), सूकरेष्ट (सुअरों द्वारा इच्छित)। 
  • बुद्ध के लिए प्रयुक्त अन्य शब्द और नाम ~ विश्वगुरु, तथागत, शाक्यमुनि, शाक्य-सिंह, शाक्य शिरोमणि, गौतम 
बुद्ध के जीवन से संबंधित बौद्ध धम्म के प्रतीक चिह्न ~
⇒ जन्म ~ हाथी, कमल, सांढ 
⇒ गृह त्याग ~ घोड़ा 
⇒ ज्ञान प्राप्ति ~ बोधिवृक्ष (पीपल)
⇒ निर्वाण ~ पदचिह्न 
⇒ महापरिनिर्वाण (मृत्यु) ~ स्तूप 

➤ भारत मूलत: बौद्ध राष्ट्र है बौद्ध धम्म, हिंदू धर्म का अंग नहीं है बल्कि इसका स्वतंत्र व पृथक अस्तित्व है। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार तथागत बुद्ध सहित अब तक के 28 बुद्धों के नाम बौद्ध ग्रंथों त्रिपिटक, बुद्ध वंश, जातक में उल्लिखित हैं जो निम्नवत हैं ~
⇒ तनहंकर, मेधांकर, शरणंकर, दीपंकर, कौंडिन्य मंगल, सुमन, रेवत, शोभित, अनोमदस्सी, पदुम नारद, पदमुत्तर, सुमेध, सुजात, प्रियदर्शी, अर्थदर्शी, धम्मदर्शी, सिद्धार्थ, तिस्स, फुस्स, विपस्सी, सिखी, वैशब्भू, ककुसन्ध, कोणागमन, कस्यप, तथागत बुद्ध
  • इस प्रकार तथागत बुद्ध 28 वें बुद्ध हैं। भारत में आर्यों (हिंदू) का आगमन ~ 1500 ईसा पूर्व में मध्य एशियाई देशों से हुआ। रिग्वैदिक सभ्यता का काल ~ 1500 -1000 ईसा पूर्व।
  • सैंधव सभ्यता के जो अवशेष मिले हैं वे इस बात का संकेत करते हैं कि यह सभ्यता "बौद्ध विचारधारा" पर आधारित सभ्यता थी। जिसका काल 2500 ईसा पूर्व है। जिसे भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता कहा जाता है। जो रिग्वैदिक व वैदिक सभ्यता से भी प्राचीन है। हिंदू धर्म से हजारों साल प्राचीन है। इससे सिद्ध होता है कि बौद्ध धम्म ही भारत का मूल धर्म है अर्थात भारत के मूलनिवासियों का धर्म, बौद्ध धम्म ही रहा है। 
बौद्ध धम्म के प्रतीक ~
⇒ 563, नमो बुद्धाय , पंचशील ध्वज 
⇒ चार आर्य सत्य का चिह्न, तथागत बुद्ध का हाथ 
⇒ कमल, पदचिह्न, स्तूप, बोधिवृक्ष (पीपल का पेड़)
⇒ हाथी, घोड़ा, शेर, हिरण, सांढ़, मोर, बाघ 
⇒ 32 तिल्लियों वाला चक्र, 24 तिल्लियों वाला चक्र, 8 तिल्लियों वाला चक्र 
सम्राट अशोक स्तंभ (4 शेर वाला), सिंह स्तंभ, अश्व (घोड़ा) स्तंभ, सांढ़ स्तंभ, हाथी स्तंभ 
⇛ भारत ने अपने राज्य चिह्न के रूप में बौद्ध प्रतीकों को ही ग्रहण किया है जिसके कारण वह शांति व सह अस्तित्व का पोषक बना हुआ है

Sunday 28 May 2017

भारत का NSG में शामिल होना क्यों जरूरी है? एनएसजी में शामिल होने से देश क्या फायदे होंगे?



भारत का NSG में शामिल होना क्यों जरूरी है? दरअसल हमारे देश में उर्जा की जरूरतें बढ़ती जा रही हैं। और उसे पूरा करने के लिए संसाधनों की भारी कमी है सरकार मानती है कि परमाणु उर्जा के उत्पादन को बढ़ाना बेहतर विकल्प है इसीलिए भारत का NSG में शामिल होना जरूरी है। न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में शामिल होने का रास्ता भारत के लिए उस वक्त खुला जब 2008 में अमेरिका से न्यूक्लियर डील हुई सवाल ये है कि भारत के लिए NSG में शामिल होना इतना जरूरी क्यों है? दरअसल एनएसजी में शामिल होने से देश को पाँच बड़े फायदे होंगे
  • भारत एनएसजी में शामिल हुआ तो उसे दवाई से लेकर न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने तक की तकनीक बेहद आसानी से उपलब्ध होगी।
  • भारत के पास अपनी स्वदेशी तकनीक भी है. लेकिन एनएसजी के सदस्य के तौर पर दूसरे देशों के पास मौजूद अत्याधुनिक तकनीक हासिल करने में किसी तरह की कोई मुश्किल नहीं आएगी।
  • भारत का लक्ष्य है कि वो उर्जा की अपनी 40 फीसदी जरूरत रीन्यूवेबल और क्लीन एनर्जी से पूरा करेगा। और ये तभी मुमकिन हो पाएगा जब परमाणु उर्जा के उत्पादन को बढ़ाया जाए।


दूसरा फायदा: यूरेनियम आसानी से मिलेगा
  • एनएसजी का सदस्य बनते ही परमाणु उर्जा उत्पादन भारत के लिए आसान हो जाएगा। क्योंकि रिएक्टर्स में इस्तेमाल होने वाला यूरेनियम उसे सदस्य देशों से आसानी से मिल जाएगा।

  • यही नहीं भारत इसके जरिए मेक इन इंडिया प्रोग्राम को बढ़ावा दे सकता है।
  • सदस्यता मिलने के बाद भारत न्यूक्लियर पावर प्लांट के उपकरणों का उत्पादन बड़े पैमाने पर अपने यहां कर सकेगा। जिसका इस्तेमाल आर्थिक और रणनीतिक फायदे के लिए किया जा सकता है।

  • भारत के पास वो काबिलियत आ जाएगी कि वो दुनिया के दूसरे देशों को अपने पावर प्लांट बेच सके।
  • इसका मतलब ये हुआ कि पूरी न्यूक्लियर इंडस्ट्री और इससे संबंधित तकनीक के विकास के बाजार में भारत की अपनी मजबूत जगह बन जाएगी।

  • एक ओर चीन जहाँ भारत को एऩएसजी में शामिल होने से रोकना चाहता है।
  • वहीं दूसरी ओर वो 2020 तक अपनी परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता को तीन गुना करना चाहता है। चीन की तरह ही भारत को भी उर्जा की बड़ी जरूरत है।
  • भारत के पास फिलहाल 21 परमाणु संयत्र हैं। जिनसे 5800 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है।
  • 6 नए रिएक्टर्स अभी बनाए जा रहे हैं। अपनी ऊर्जा संबंधी जरूरतों को देखते हुए भारत ने 2032 तक 63 हजार मेगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य बनाया है।

किसान व मजदुर आन्दोलन (GK Q & A, भाग-63)


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Saturday 27 May 2017

Current Affairs in Hindi (भाग-46)


Thursday 25 May 2017

दिल्ली सल्तनत के अंतर्गत सैय्यद राजवंश का संक्षिप्त विवरण


सैय्यद राजवंश की स्थापना खिज्र खान ने की थी, जो मुल्तान का राज्यपाल था और भारत में तैमूर का उत्तराधिकारी थाl इस राजवंश के चार शासकों- खिज्र खान, मुबारक, मुहम्मद शाह और आलम शाह ने 1414 से 1451 के बीच 37 वर्षों तक शासन किया थाl इस लेख में हम दिल्ली सल्तनत के अंतर्गत शासन करने वाले सैय्यद राजवंश का संक्षिप्त विवरण दे रहे हैंl सैय्यद राजवंशीय शासकों के अंतर्गत दिल्ली सल्तनत किसी प्रांतीय राज्य की तरह थाl सुल्तान नासिरूद्दीन महमूद के बाद “दौलत खान” ने तुगलक वंश के शासक के रूप में सत्ता संभाली, लेकिन मुल्तान के गवर्नर “खिज्र खान” ने तैमूर की ओर से “दौलत खान” के खिलाफ आक्रमण किया और 1414 ईस्वी में दिल्ली पर कब्जा कर लियाl

खिज्र खान
  • वह भारत में सैय्यद राजवंश का संस्थापक था और उसने तैमूर के पुत्र और उत्तराधिकारी “शाहरुख” के प्रतिनिधि के रूप में शासन किया थाl
  • उसका शासनकाल पूर्ण रूप से अराजकता और अव्यवस्था से परिपूर्ण थाl उसके साम्राज्य का क्षेत्र संकीर्ण होकर दिल्ली और आस-पास के इलाकों तक सिमट गया था और इन हिस्सों को भी अक्सर इटावा, काटेहार, कन्नौज, पटियाला और काम्पिल्य के हिन्दू जमींदारों से चुनौती मिलती थीl
  • 1421 ईस्वी में बीमारी से उसकी मृत्यु हो गईl

दिल्ली सल्तनत के दौरान किए गए सैन्य सुधारों का संक्षिप्त विवरण
मुबारक शाह
  • वह खिज्र खान का पुत्र था, जिन्होंने अपने नाम से खुतबा और सिक्के जारी किया थाl उसने किसी भी विदेशी शक्ति के सत्ता को स्वीकार नहीं कियाl
  • वह सैय्यद वंश का सबसे सुयोग्य शासक थाl उसने भटिंडा और दाओब में विद्रोह को कम किया और खोखार प्रमुख “जसरत” द्वारा किए गए विद्रोह को दबायाl
  • उन्होंने “तारिक-ए-मुबारक शाही” के लेखक “वाहिया बिन अहमद सरहिंद” को संरक्षण प्रदान किया थाl

मुबारक शाह के बाद दो अयोग्य शासक “मुहम्मद शाह” (1434-1445 ईस्वी) और “अलाउद्दीन आलम शाह” (1445-1450 ईस्वी) सत्ता पर काबिज हुएl ने स्थान दिया था। उस समय अधिकांश प्रांतीय राज्यों ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी, इसलिए आलम शाह ने बदायूं में सत्ता त्याग कर आत्मसमर्पण कर दियाl अंततः बहलोल लोदी ने “वजीर खान” के समर्थन से दिल्ली के सिंहासन पर कब्जा कर लियाl