Sunday 28 May 2017

भारत का NSG में शामिल होना क्यों जरूरी है? एनएसजी में शामिल होने से देश क्या फायदे होंगे?



भारत का NSG में शामिल होना क्यों जरूरी है? दरअसल हमारे देश में उर्जा की जरूरतें बढ़ती जा रही हैं। और उसे पूरा करने के लिए संसाधनों की भारी कमी है सरकार मानती है कि परमाणु उर्जा के उत्पादन को बढ़ाना बेहतर विकल्प है इसीलिए भारत का NSG में शामिल होना जरूरी है। न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में शामिल होने का रास्ता भारत के लिए उस वक्त खुला जब 2008 में अमेरिका से न्यूक्लियर डील हुई सवाल ये है कि भारत के लिए NSG में शामिल होना इतना जरूरी क्यों है? दरअसल एनएसजी में शामिल होने से देश को पाँच बड़े फायदे होंगे
  • भारत एनएसजी में शामिल हुआ तो उसे दवाई से लेकर न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने तक की तकनीक बेहद आसानी से उपलब्ध होगी।
  • भारत के पास अपनी स्वदेशी तकनीक भी है. लेकिन एनएसजी के सदस्य के तौर पर दूसरे देशों के पास मौजूद अत्याधुनिक तकनीक हासिल करने में किसी तरह की कोई मुश्किल नहीं आएगी।
  • भारत का लक्ष्य है कि वो उर्जा की अपनी 40 फीसदी जरूरत रीन्यूवेबल और क्लीन एनर्जी से पूरा करेगा। और ये तभी मुमकिन हो पाएगा जब परमाणु उर्जा के उत्पादन को बढ़ाया जाए।


दूसरा फायदा: यूरेनियम आसानी से मिलेगा
  • एनएसजी का सदस्य बनते ही परमाणु उर्जा उत्पादन भारत के लिए आसान हो जाएगा। क्योंकि रिएक्टर्स में इस्तेमाल होने वाला यूरेनियम उसे सदस्य देशों से आसानी से मिल जाएगा।

  • यही नहीं भारत इसके जरिए मेक इन इंडिया प्रोग्राम को बढ़ावा दे सकता है।
  • सदस्यता मिलने के बाद भारत न्यूक्लियर पावर प्लांट के उपकरणों का उत्पादन बड़े पैमाने पर अपने यहां कर सकेगा। जिसका इस्तेमाल आर्थिक और रणनीतिक फायदे के लिए किया जा सकता है।

  • भारत के पास वो काबिलियत आ जाएगी कि वो दुनिया के दूसरे देशों को अपने पावर प्लांट बेच सके।
  • इसका मतलब ये हुआ कि पूरी न्यूक्लियर इंडस्ट्री और इससे संबंधित तकनीक के विकास के बाजार में भारत की अपनी मजबूत जगह बन जाएगी।

  • एक ओर चीन जहाँ भारत को एऩएसजी में शामिल होने से रोकना चाहता है।
  • वहीं दूसरी ओर वो 2020 तक अपनी परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता को तीन गुना करना चाहता है। चीन की तरह ही भारत को भी उर्जा की बड़ी जरूरत है।
  • भारत के पास फिलहाल 21 परमाणु संयत्र हैं। जिनसे 5800 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है।
  • 6 नए रिएक्टर्स अभी बनाए जा रहे हैं। अपनी ऊर्जा संबंधी जरूरतों को देखते हुए भारत ने 2032 तक 63 हजार मेगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य बनाया है।