Wednesday, 31 May 2017

नाबार्ड (संशोधन) विधेयक, 2017


भारत में कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र के विकास हेतु नाबार्ड अधिनियम, 1981 द्वारा नाबार्ड (National Bank for Agriculture and Rural Development) की स्थापना की गई थी। ग्रामीण क्षेत्र की उन्नति हेतु नाबार्ड द्वारा कृषि, लघु एवं कुटीर उद्योग, हस्तशिल्प तथा ग्रामीण क्षेत्रों से सहबद्ध अन्य आर्थिक क्रिया-कलापों के ऋण के साथ ही अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाता है और इनका विनियमन भी करता है। इसके बावजूद भी वर्ष 2015-16 की आर्थिक समीक्षा के अनुसार, भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में कृषि की हिस्सेदारी 17.40 प्रतिशत है और कृषि पर जनसंख्या का भारी दबाव बना हुआ है। नाबार्ड पूर्णतः कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र के लिए समर्पित है और इस क्षेत्र के सशक्तीकरण का प्रश्न प्रत्यक्ष नाबार्ड के सशक्तीकरण से जुड़ा प्रश्न है।
  • 5 अप्रैल, 2017 को वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा नाबार्ड (संशोधन) विधेयक, 2017 लोक सभा में पेश किया गया।
  • यह विधेयक नाबार्ड अधिनियम, 1981 में संशोधन के द्वारा नाबार्ड को और अधिक सशक्त बनाने का प्रयास करता है।
  • इस विधेयक के कुछ प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं-
  • नाबार्ड की अधिकृत पूंजी को 5000 करोड़ रुपये तक बढ़ाना।
  • इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार को रिजर्व बैंक के परामर्श से इस अधिकृत पूंजी को 30000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने के लिए प्राधिकृत करने का प्रावधान है।
  • नाबार्ड अधिनियम, 1981 के अनुसार, नाबार्ड की अधिकृत पूंजी 100 करोड़ रुपये है।
  • नाबार्ड में केंद्रीय सरकार की न्यूनतम हिस्सेदारी 51 प्रतिशत निर्धारित की गई है।
  • नाबार्ड अधिनियम, 1981 के अनुसार, नाबार्ड में केंद्र सरकार एवं रिजर्व बैंक की संयुक्त हिस्सेदारी को न्यूनतम 51 प्रतिशत रखने का प्रावधान था।
  • प्रस्ताविक विधेयक द्वारा नाबार्ड में रिजर्व बैंक की हिस्सेदारी का केंद्र सरकार द्वारा अधिग्रहण करने का प्रावधान किया गया है।
  • वर्तमान में रिजर्व बैंक की हिस्सेदारी 0.4 प्रतिशत है जो लगभग 20 करोड़ रुपये के बराबर है।
  • नाबार्ड में भारत सरकार की हिस्सेदारी 99.6 प्रतिशत है और अधिग्रहण के पश्चात यह पूर्णतया केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली संस्था होगी।
  • वर्ष 1981 के प्रावधानों के तहत नाबार्ड केवल लघु उद्यमों (Small-Scale Industries), कुटीर एवं ग्रामोद्योग (Cottage and Village Industries) के लिए ही ऋण उपलब्ध करवाता है।
  • प्रस्तावित विधेयक में इस समूह में सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों (Micro and Medium Enterprises) को भी शामिल करने का प्रावधान है।
  • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए मानकों का निर्धारण एमएसएमई अधिनियम (MSME Act), 2006 के अनुरूप किया जाएगा जो इस प्रकार है-
उद्यमप्लांट एवं मशीनरी में निवेश
सूक्ष्म उद्यम25 लाख रु. तक
लघु उद्यम25 लाख – 5 करोड़ रु. तक
  • मध्यम उद्यम 5 करोड़ रु. – 10 करोड़ रु. तक
  • नाबार्ड अधिनियम, 1981 के विभिन्न प्रावधानों में उल्लिखित ‘कंपनी अधिनियम, 1956’ को ‘कंपनी अधिनियम, 2013’ द्वारा प्रतिस्थापित करने का प्रावधान किया गया है।