Sunday 21 May 2017

"मेक इन इंडिया"


मेक इन इंडिया का मकसद देश को मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाना है। घरेलू और विदेशी दोनों निवेशकों को मूल रूप से एक अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने का वायदा किया गया है ताकि 125 करोड़ की आबादी वाले मजबूत भारत को एक विनिर्माण केंद्र के रूप में परिवर्तित करके रोजगार के अवसर पैदा हों। इससे एक गंभीर व्‍यापार में व्‍यापक प्रभाव पड़ेगा और इसमें किसी नवाचार के लिए आवश्‍यक दो निहित तत्‍वों– नये मार्ग या अवसरों का दोहन और सही संतुलन रखने के लिए चुनौतियों का सामना करना शामिल हैं। राजनीतिक नेतृत्‍व के व्‍यापक रूप से लोकप्रिय होने की उम्‍मीद है। लेकिन ‘मेक इन इंडिया’ पहल वास्‍तव में आर्थिक विवेक, प्रशासनिक सुधार के न्‍यायसंगत मिश्रण के रूप में देखी जाती है। इस प्रकार यह पहल जनता जनादेश के आह्वान- ‘एक आकांक्षी भारत’ का समर्थन करती है।
  • मध्‍यावधि की तुलना में विनिर्माण क्षेत्र में 12-14 प्रतिशत प्रतिवर्ष वृद्धि करने का लक्ष्‍य।
  • देश के सकल घरेलू उत्‍पाद में विनिर्माण की हिस्‍सेदारी 2022 तक बढ़ाकर 16 से 25 प्रतिशत करना।विनिर्माण क्षेत्र में 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्‍त रोजगार सृजित करना।
  • ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीब लोगों में समग्र विकास के लिए समुचित कौशल का निर्माण करना।
  • घरेलू मूल्‍य संवर्द्धन और विनिर्माण में तकनीकी ज्ञान में वृद्धि करना।
  • भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्‍पर्धा में वृद्धि करना।
  • भारतीय विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना।
  • भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्‍यवस्‍था के रूप में अपनी हाजिरी दर्ज करा चुका है।यह देश दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍थाओं में शामिल होने वाला है और उम्‍मीद की जाती है कि वर्ष 2020 तक यह दुनिया की सबसे बड़ा उत्‍पादक देश बन जाएगा।
  • अगले दो तीन दशकों तक यहां की जनसंख्‍या वृद्धि उद्योगों के अनुकूल रहेगी। जनशक्ति काम करने के लिए बराबर उपलब्‍ध रहेगी।अन्‍य देशों के मुकाबले यहाँ जनशक्ति पर कम लागत आती है।यहां के व्‍यावसायिक घराने उत्‍तरदायित्‍वपूर्ण ढंग से, भरोसेमंद तरीकों से और व्‍यावसायिक रूप से काम करते हैं।घरेलू मार्किट में यहां तगड़ा उपभोक्‍तावाद चल रहा है।
  • इस देश में तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमताएं मौजूद है और उनके पीछे वैज्ञानिक और तकनीकी संस्‍थानों का हाथ है। विदेशी निवेशकों के लिए बाजार खुला हुआ है और यह काफी अच्‍छी तरह से विनियमित है।

जनशक्ति प्रशिक्षण

कोई भी उत्‍पादन क्षेत्र बिना कुशल जनशक्ति के सफल नहीं हो सकता। इसी सिलसिले में यह संतोषजनक बात है कि सरकार ने कौशल विकास के लिए नये उपाय किये हैं। इनमें से निश्‍चय ही गांवों से रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन रुकेगा और शहरी गरीबों का अधिक समावेशी विकास हो सकेगा। यह उत्‍पादन क्षेत्र को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कदम होगा।

नये मंत्रालय 
  • कौशल विकास और उद्यमियता ने राष्‍ट्रीय कौशल विकास पर राष्‍ट्रीय नीति में संशोधन शुरू कर दिया है। ये ध्‍यान देने की बात है कि मोदी सरकार ने ग्राम विकास मंत्रालय के तहत एक नया कार्यक्रम शुरू कर दिया है। इस कार्यक्रम का नाम बीजेपी के नायक पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय के नाम पर रखा गया है। नये प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत देशभर में 1500 से 2000 तक प्रशिक्षण केन्‍द्र खोले जाने का कार्यक्रम है। इस सारी परियोजना पर 2000 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। यहाँ सार्वजनिक-निजी भागीदारी प्रारूप में संचालित की जाएगी।
  • नये प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत युवा वर्ग को उन कौशलों में प्रशिक्षित किया जाएगा, जिनकी विदेशों में मांग है। जिन देशों को नजर में रखकर यह कार्यक्रम बनाया गया है, उनमें स्‍पेन, अमेरिका, जापान, रूस, फ्रांस, चीन, ब्रिटेन और पश्चिम एशिया शामिल हैं। सरकार ने हर साल लगभग तीन लाख लोगों को प्रशिक्षित करने का प्रस्‍ताव किया है और इस प्रकार से वर्ष 2017 के आखिर तक 10 लाख ग्रामीण युवाओं को लाभान्वित करने का कार्यक्रम बनाया गया है।
  • अन्‍य जो उपाय किये जाने हैं उनमें मूल सुविधाओं और खासतौर से सड़कों और बिजली का विकास करना शामिल है। लंबे समय तक बहुराष्‍ट्रीय कंपनियां और सॉफ्टवेयर कंपनियां भारत में इसलिये काम करना पसंद करती थी, क्‍योंकि यहां एक विस्‍तृत मार्किट और नागरिकों की खरीद क्षमता है। इसके अलावा इस देश में उत्‍पादन सुविधायें भी मौजूद हैं। इस संदर्भ में यह भी ध्‍यान देने योग्‍य बात है कि यहाँ पर सशक्‍त राजनीतिक इच्‍छा शक्ति, नौकरशाहों और उद्यमियों का अनुकूल रवैया, कुशल जनशक्ति और मित्रतापूर्ण निवेश नीतियां मौजूद हैं।
  • इसी संदर्भ में सरकार की दिल्‍ली और मुम्‍बई के बीच एक औद्योगिक गलियारा विकसित करने की कोशिशों की जा रहीं हैं। सरकार बहुपक्षीय नीतियों पर काम कर रही है। इनमें मुख्‍य संयंत्रों और मूल सुविधाओं के विकास में सम्‍पर्क स्‍थापित करने और पानी की सप्‍लाई सुनिश्चित करने, उच्‍च क्षमता की परिवहन सुविधा विकसित करने का काम शामिल है। इन क्षेत्रों में काम करते हुए सरकार ने पांच सार्वजनिक क्षेत्र के निगमों को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। सार्वजनिक क्षेत्र के 11 निगम ऐसे हैं, जिनके बारे में सरकार का विचार है कि छः निगमों को बंद कर दिये जाने की जरूरत है। 1000 करोड़ रूपये की लागत पर इन निगमों के कर्मचारियों के लिए स्‍वैच्छिक सेवानिव़ृत्ति योजना लाई जा रही है। यह एक बारगी समझौता होगा। सरकार द्वारा संचालित जिन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को फिर से काम लायक बनाने का फैसला किया गया है। उनमें एचएमटी मशीन टूल्‍स लिमिटेड, हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन, नेपा लिमिटेड, नगालैंड पेपर एंड पल्‍प कंपनी लिमिटेड और त्रिवेणी स्‍ट्रेक्‍चरल्स शामिल हैं।