Thursday, 4 May 2017

रेरा का आगाज



रियल एस्टेट यानी भवन निर्माण एवं बिक्री क्षेत्र के नियमन की मांग 1 मई 2017 से मूर्त रूप ले रहा है। नौ वर्षो के लंबे इंतजार के बाद रियल एस्टेट (रेग्युलेशन ऐंड डिवेलपमेंट) ऐक्ट 2016 यानी रेरा एक साथ पूरे देश में लागू हो रहा है। इस कानून का लक्ष्य भवन निर्माण एवं खरीद बिक्री को सही नियमों के दायरे में लाकर इसमें छाई अनियमितता, अपारदर्शिता एवं भ्रष्टाचार का अंत करना है। माना जा रहा है कि यह कानून एक ओर जहां खरीदारों को हर स्तर पर सुरक्षा का अहसास कराएगा वहीं इस क्षेत्र के कारोबारियों के लिए भी दूरगामी दृष्टि से लाभकारी होगा। रियल एस्टेट क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रमुख अंग होने के बावजूद अनेक प्रकार की विसंगतियों का शिकार रहा है। हम आए दिन बिल्डरों से खरीदारों के धोखा खाने या बिल्डरों के कानून का पालन न करने के कारण परियोजनाओं के लटक जाने की शिकायत सुनते रहे हैं। इसका अंत किया जाना हर हाल में जरूरी था। अब इसके लिए एक नियामक प्राधिकारण या रेग्युलेटरी अथॉरिटी की स्थापना हो गई है। इस कानून के तहत सिर्फ रियल एस्टेट कंपनियों को ही नहीं बल्कि बिचौलिए की भूमिका निभाने वाले रियल एस्टेट एजेंट को भी अपना निबंधन कराना होगा। इन रियल एस्टेट एजेंटस को एक तय शुल्क भी नियामक को जमा करनी होगी। अगर ये एजेंट भी खरीदार से झूठे वादे करने के दोषी पाए गए तो इन पर भी कानून का वैिक कसेगा। इस कानून के दायरे में सिर्फ प्राइवेट बिल्डर या डिवेलपर्स ही नहीं डीडीए, जीडीए जैसे सरकारी विभाग भी आएंगे। वाणिज्यिक परियोजनाओं में भी रियल एस्टेट नियामक कानून लागू होगा। अब तक यह क्षेत्र काला धन के ठिकाने के रूप में बदनाम रहा है। इसमें पारदर्शिता आएगी। चूंकि सारा ब्योरा नियामक के पास होगा इसलिए उनकी साख बढ़ेगी और लोगों का विास उनके प्रति जमेगा। स्वाभाविक ही उन्हें बैंकों और वित्तीय संस्थानों ही नहीं बल्कि बाजार से भी परियोजनाओं के लिए धन पाने में कठिनाई नहीं आएगी। साथ ही सरकारी विभागों से एनओसी लेने में भी ज्यादा झंझट नहीं होगा। इस तरह यह कानून खरीदार और कारोबारी दोनों के लिए लाभकारी होगा।