आनंद, फिर ललक, और फिर उसके बिना ना रह पाने की हालत - विज्ञान की नजर से देखिए कि किसी भी नशीली चीज की लत क्यों लग जाती है।
किसी भी तरह का नशा हो, उसकी लत लग ही जाती है। ऐसा सोचने वाले हमेशा गलत साबित होते हैं जो पहले तो अपनी मर्जी से कोई नशीला पदार्थ लेना शुरु करते हैं, लेकिन बाद में वो नशा उन्हें नहीं छोड़ता। विज्ञान की नजर से जानने की कोशिश करते हैं कि किसी नशे की लत कैसे लगती है। असल में इन चीजों का सीधा असर दिमाग पर होता है। इनके कारण दिमाग के कुछ हिस्से प्रभावित होते हैं, जो बिल्कुल वैसी ही भावनाएं पैदा करते हैं जैसी लोगों को दूसरी खुशी देने वाले कामों से मिलती है जैसे कि कुछ अच्छा खाने से। लेकिन अंतर ये है कि नशीले पदार्थों से पैदा होने वाली आनंद की ये भावना उसकी तुलना में कहीं ज्यादा प्रबल होती हैं। इनके कारण मस्तिष्क की कुछ कोशिकाओं से डोपामीन हॉर्मोन के रूप में कुछ रासायनिक संदेश भी निकलते हैं। यही वह चीज है जो और ज्यादा ड्रग्स लेने के लिए प्रेरित करता है। समय के साथ साथ यही डोपामीन का स्राव दिमाग में ऐसी उत्कट इच्छा पैदा करता है, जो कि कई बार नशा छोड़ने की कोशिश कर रहे लोगों को दुबारा अपनी चपेट में ले लेता है। ब्रेन सर्किट्स में कई नशीले पदार्थ ऐसे असर करते हैं कि सांसें धीमी चलने लगती हैं और उनींदापन सा महसूस होता है। बार बार नशा करने से दिमाग के यह सर्किट इस तरह के ढल जाते हैं कि ड्रग्स लेते समय इंसान काफी सामान्य महसूस करने लगता है। उस हाल में ऐसा होता है कि जब वो इंसान नशा नहीं करता है तो वह चिड़चिड़ा और परेशान सा हो जाता है - जहां से विड्रॉवल के लक्षणों की शुरुआत होती है। इससे लोगों का खुद पर से नियंत्रण धीरे धीरे कम होने लगता है। ऐसे में अगर वे कभी ना भी चाहें, तो उन्हें नशा करना पड़ता है।
निकोटीन
तंबाकू उत्पादों में निकोटीन की लत सबसे आसानी से लगती है। स्मोकिंग करने पर सिगरेट का निकोटीन तेजी से फेफड़ों से होता हुआ दिमाग तक पहुंचता है। अमेरिकी रिसर्च के मुताबिक स्मोकिंग को आजमाने वाले दो तिहाई लोग अंतत: सिगरेट के लती हो जाते हैं।
कोकेन
कोकेन दिमाग में डोपामीन हार्मोन के काम में बाधा डालता है, जिससे एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक संदेश पहुंचने में गड़बड़ होती है। जानवरों पर हुई रिसर्च के मुताबिक शरीर में कोकेन जाने पर डोपामीन का स्तर सामान्य से तीन गुना बढ़ जाता है। कोकेन के क्रिस्टल कोकेन के पाउडर से ज्यादा लती बनाने वाले होते हैं।
शराब
शराब के दिमाग पर कई तरह के असर होते हैं। शराब दिमाग में डोपामीन के असर को 40 से 360 फीसदी तक बढ़ा सकती है। अमेरिका में शराब को एक बार चखकर देखने वालों में से 22 फीसदी जीवन के किसी मोड़ पर शराब पर निर्भर पाए गए।
हेरोइन
हेरोइन दिमाग में डोपामीन के स्तर को 200 फीसदी तक बढ़ा देती है। गंभीर लत के अलावा इसके भयानक खतरे भी हैं, इसकी ज्यादा मात्रा जान भी ले सकती है। दुर्भाग्यवश हेरोइन नशा करने वालों के बीच खासी लोकप्रिय है।
नींद की दवाइयां
पारंपरिक तौर पर इनका इस्तेमाल व्यग्रता और नींद ना आने की समस्या से निपटने के लिए किया जाता था। यह दवा दिमाग के कुछ हिस्से को कुछ समय के लिए निष्क्रिय कर देती है। ज्यादा खुराक जान तक ले सकती है। खासकर अगर इसे शराब के साथ लिया जाता है।