Monday, 2 April 2018

महान गणितज्ञ डा वशिष्ट नारायण सिंह


समय बड़ा बलवान होता है। समय रूपी चक्र के सामने बड़े-बड़े महारथी धरासायी हो जाते हैं। तो वक्त के खेल के बारे में लोगों का कहना है कि इसके सामने आज तक कोई भी नहीं टिका है। समय के सामने जहां राजा को भी रंक होना पड़ता है तो फकीर को राजा। जी हां इसी समय ने आज बिहार के महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह को कहां से कहां लाकर पहुंचा दिया इसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। एक वक्त वो भी था जब इस महान गणितज्ञ का लोहा हिंदुस्तान ही नहीं बल्की अमेरिका जैसा विकसित देश भी मानता था। 

क्योंकि वशिष्ठ नारायण सिंह के द्वारा कई ऐसे रिसर्च किए गए हैं जिसे आज भी अमेरिकी छात्रों द्वारा प्रमुखता से पढ़ा जाता है। तो एक वह भी वक्त था जब उन्होंने अपनी रिसर्च और प्रतिभा से नासा और आईआईटी सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था। लेकिन अचानक वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि वह अपनी ही राज्य में एक गुमनाम जिंदगी जीने पर मजबूर हो गए। वर्ष 1997 में उन्हे सीजोफ्रेनिया नामक मानसिक बीमारी ने जकड़ लिया।

जिससे वो आज तक मुक्त नहीं हो पाए। आज उनका हाल ऐसा है की गणित के भगवान कहे जाने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह को अब आस पड़ोस के बच्चे भी चिढ़ाने लगे हैं। जिसे देखते हुए गणित के जानकार और आस पडोस के लोगों की आंखों में आंसू आ जाती है। आईए आपको बताते हैं इस महान गणितज्ञ के बारे में कुछ खास।

कैसे पड़ा वशिष्ठ नारायण सिंह का नाम गणित का भगवान

बिहार के भोजपुर जिले के रहने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म 2 अप्रैल 1942 को जिले के बसंतपुर गांव में हुआ था। नेतरहाट विद्यालय से उन्होंने प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूल की शिक्षा प्राप्त की। पढ़ाई-लिखाई के मामले में शुरु से ही जादूगर कहे जाने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह को पटना के साइंस कॉलेज में प्रथम वर्ष में ही Bsc ऑनर्स की परीक्षा देने की अनुमति दे दी थी। जिसके बाद उन्होंने 1969 में अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया और बर्कली से Reproducing Kernels and Operators with a Cyclic Vector विषय पर PhD की उपाधि हासिल किया था।
जिसके बाद नासा के एसोसिएट साइंटिस्ट प्रोफेसर के पद पर बहाल हुए। नौकरी के तुरंत बाद वर्ष 1971 मे उन्होंने शादी कर ली लेकिन उनका वैवाहिक जीवन कुछ ज्यादा दिन नहीं चला। कुछ ही वर्षों में उनकी पत्नी भी उनसे अलग हो गई। जिसके बाद उन्होंने 1972 में हमेशा के लिए भारत आ गए और आईआईटी कानपुर के लेक्चरर बने।

5 वर्षों के बाद वो अचानक सीजोफ्रेनिया नामक मानसिक बीमारी से ग्रसित हो गए। जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए पागलखाने में भर्ती कराया गया। लेकिन बेहतर इलाज नहीं होने के कारण एक दिन वहां से भाग गए। जिसके बाद उनका कुछ अता पता नहीं चला। लेकिन 1992 में उन्हें सीवान के एक पेड़ के नीचे विचित्र अवस्था में बैठे देखा गया। जिसके बाद लोगों ने यह जाना कि यही वशिष्ठ नारायण सिंह है।

जब इन्होंने चैलेंज किया था आइंस्टिन के सिद्धांत E= MC2

गणित के क्षेत्र में वशिष्ठ नारायण सिंह को कोई भगवान समझता था तो कोई जादूगर। इन्होंने इस क्षेत्र में कई ऐसे सिद्धांत का आविष्कार किया है जो आज भी प्रचलित है। एक वक्त वह भी था जब इन्होंने आइंस्टिन के सिद्धांत E= MC2 को चैलेंज कर दिया था। इनके इस चैलेंज से सभी गणितज्ञ हैरत में पड़ गए थे। तो अपने आप मे गणित के महारथी कहलाने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह ने मैथ में रेयरेस्ट जीनियस कहा जाने वाला गौस की थ्योरी को भी चैलेंज कर दिया था।

इन सभी को चैलेंज करते हुए उन्होंने अपने हिसाब से सिद्ध कर सभी के सामने दिखाया। जिसका आज भी देश विदेश के बच्चे अध्ययन करते हैं। इनके बारे में ऐसा कहा जाता है कि अपोलो मिशन के दौरान वो नासा में मौजूद थे तभी गिनती करने वाले कंप्यूटर में अचानक खराबी आ गई। खराबी की वजह से सभी कंप्यूटर कर्मी मैकेनिक का इंतजार करते हुए काम बंद कर दिया था। तो उन्होंने अंगुलियों पर ही सारे आकड़े गिन ली। वहीं जब कंप्यूटर सही हुआ तो इनके द्वारा जोड़ो हुए आंकड़े बिल्कुल सही साबित हुए थे।

आज बच्चे भी उड़ाते हैं इनकी खिल्ली

किसी जमाने में गणित में महारत हासिल करने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह की हालत आज ऐसी हो गई है कि अब इनके गणित को देख कर बच्चे भी मजाक उड़ाने लगते हैं। एक बुड्ढा जो हाथ में पेन लिए घर के चारों ओर भटकता रहता है कभी आपस में ही बातें करते हुए खुश होता है तो कभी अपने आप पर ही नाराज होते हुए गालियां देता है। तो घर की चारदीवारी से लेकर अखबार कॉपी यहां तक कि जमीन पर भी कुछ लिखता रहता है। तो आस पड़ोस के बच्चे भी इनकी इस हरकत को देखकर चिढ़ाने की कोशिश करने लगते हैं। यह सब बातें देखकर उनके परिजनों की आंखें छलक जाती हैं। कभी वैज्ञानिक जी के नाम से मशहूर व्यक्ति आज कौन से जन्मों की सजा काट रहा है।