Monday, 23 April 2018

बलात्कारियों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान (आपराधिक विधि (संशोधन) अध्यादेश 2018)


राष्ट्रपति ने ‘आपराधिक विधि (संशोधन) अध्यादेश 2018 (Criminal Law (Amendment) Ordinance) पर हस्ताक्षर कर दिया। इस तरह यह अध्यादेश 22 अप्रैल, 2018 से लागू हो गया।

जैसा की आप जानते हैं कि देश भर में विगत कुछ दिनों में बलात्कार की घटनाओं विशेषकर जम्मू-कश्मीर के कठुआ में छह वर्ष की बच्ची का बलात्कार एवं उन्नाव में बलात्कार की घटना के पश्चात देश भर गुस्सा का माहौल था। यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की अध्यक्षा क्रिस्टिना लैगार्ड ने भी भारत में बलात्कार की घटनाओं पर चिंता जाहिर की थीं।

इसी आलोक में प्रधानमंत्री के लंदन राष्ट्रमंडल सम्मेलन से वापस आने के पश्चात केंद्रीय कैबिनेट ने 21 अप्रैल, 2018 को उपर्युक्त अध्यादेश को मंजूरी प्रदान की थी। 


अध्यादेश के मुख्य प्रावधान

➤ आपराधिक विधि (संशोधन) अध्यादेश 2018 के माध्यम से भारतीय दंड संहिता, भारत साक्ष्य अधिनियम, आपराधिक प्रक्रिया संहिता तथा यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा (पॉस्को एक्ट) अधिनियम में संशोधन किये गये हैं। 

 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों का बला त्कार के मामले में न्यूनतम 20 वर्ष की जेल की सजा या आजीवन कारावास या फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है। 

 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों का सामूहिक बलात्का र के मामले में आजीवन कारावास या फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है। 

 16 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के बलात्कार के मामले में दोषियों की सजा की अवधि 10 वर्ष से बढ़ाकर 20 वर्ष या आजीवन कारावास कर दी गई है। 

 16 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के सामूहिक बलात्कार के मामले में दोषियों की सजा की अवधि आजीवन कारावास कर दी गई है। 

 महिलाओं के बलात्कार के मामले में सजा की अवधि 7 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दी गई है जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ायी जा सकती है।

 बलात्कार के मामलों की जांच के लिए समर्पित टीम होगी।

 जांच और सुनवाई अनिवार्य तौर पर दो महीनों में पूरी कर ली जाएगी।

 16 वर्ष या उससे कम उम्र की लड़कियों के बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के मामले में दोषियों को कोई अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी।