भारत के सैनिक स्कूलों में अब तक लड़कों को प्रवेश दिया जाता था लेकिन लखनऊ के सैनिक स्कूल ने पहल करते हुए लड़कियों को भी प्रवेश की अनुमति प्रदान की है। इस वर्ष आरंभ हो रहे सत्र के लिए 15 लड़कियों का चयन किया गया है।
घोषणा के मुख्य तथ्य
- सत्र 2018-19 के लिए लगभग 2500 लड़कियों ने आवेदन किया था, जिनमें से 15 लड़कियों का चयन किया गया।
- इन सभी को नौंवीं कक्षा में दाखिला दिया गया है।
- सभी छात्राओं ने 19 अप्रैल से कक्षा में जाना शुरू किया।
- इन 15 छात्राओं के अतिरिक्त यहां 450 अन्य छात्र भी हैं।
- छात्राओं को प्रवेश देने से पहले स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर में कुछ बदलाव किये गये. लड़कों के हॉस्टल्स में से एक खाली कराकर उसे लड़कियों के लिए तैयार किया गया।
भारत में सैनिक स्कूलों का महत्व
भारत में कुल 27 सैनिक स्कूल हैं। देश के सैनिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में से बेहतरीन का चयन कर उन्हें राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से सैन्य तैयारी के लिए भेजा जाता है। इन स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा वह नींव बनती है जिसके आधार पर आगे चल कर बच्चे देश का सशक्त सैनिक बनते हैं। वर्ष 2016 में एनडीए में दाखिला लेने वाले कुल कैडेट में 29.33% कैडेट इन सैनिक स्कूलों से आए थे। देश के सभी 27 सैनिक स्कूल केंद्र सरकार के अधीन हैं, जबकि लखनऊ का सैनिक स्कूल राज्य सरकार के अधीन है।
लखनऊ सैनिक स्कूल के बारे में
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का सैनिक स्कूल वर्ष 1960 में स्थापित किया गया था जो देश में अपनी तरह का पहला स्कूल था। इसके बाद देश के अन्य हिस्सों में 27 ऐसे सैनिक स्कूल स्थापित किए जा चुके हैं। लखनऊ के सैनिक स्कूल से 57 साल में 1000 से ज्यादा सेना के अधिकारी बन चुके हैं। यह सैनिक स्कूल देश का पहला स्कूल है जहां के छात्र मनोज पांडेय को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया है। जुलाई 2017 में यूपी सरकार की कैबिनेट बैठक में स्कूल का नाम कैप्टन मनोज पांडेय सैनिक स्कूल किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।