रक्षा मंत्रालय की ओर से शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) से जुड़ा अहम फैसला आया, जिसमें भारतीय सेना की उन सभी दस ब्रांच में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिए जाने की घोषणा की गई। इससे पहले सेन्य बलों में महिलाओं की नियुक्ति शॉर्ट सर्विस कमीशन में होती थी। स्थायी कमीशन दिये जाने का मतलब है, अब महिलाएं रिटायरमेंट की उम्र तक सेना में काम कर सकती हैं। वे अपनी मर्जी के अनुसार या फिर रिटायरमेंट की उम्र खत्म होने पर नौकरी छोड़ सकती हैं।
स्थायी कमीशन से क्या बदलेगा
शार्ट सर्विस कमीशन की तरफ से महिला अधिकारियों को सेवा के आखिरी चार साल पूरे करने से पहले उन्हें स्थाई कमीशन विकल्प दिया जाएगा। महिला अधिकारियों को जिन शाखाओं में पर्मानेंट कमीशन दिया जाएगा
उनमें सिग्नल, इंजीनियर, आर्मी एविएशन, आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर, आर्मी सर्विस कॉर्प्स, आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प्स और इंटेलिजेंस शामिल हैं।
इन शाखाओं में थी स्थायी कमीशन की इजाजत
अब तक महिला अधिकारियों को सिर्फ दो शाखाओं (न्यायाधीश एडवोकेट जनरल (JAG) और सेना शिक्षा कोर) में स्थायी कमीशन की अनुमति थी। वर्तमान में भी सेनाओं में महिलाओं को जहां स्थाई कमीशन दिया जाता है वह कुछ ही गैर युद्धक ब्रांचों तक सीमित है।
क्या है शॉर्ट सर्विस कमीशन
भारतीय जल सेना, थल सेना और वायु सेना में महिला अफसरों की भर्ती एसएससी यानी 'शार्ट सर्विस कमीशन' के जरिये भी की जाती है। एसएससी के जरिये भर्ती अफसर 14 साल तक सेवाएं दे पाते हैं। फिर ये महिलाएं 14 साल बाद रिटायर हो जाती हैं, जबकि कोई भी अधिकारी 20 साल की नौकरी करने के बाद पेंशन लेने का हक़दार बनाता है।
साल 14 के बाद रोजगार में मुश्किल
14 साल की सेवा में महिलाएं लगभग 40 की उम्र, या उससे भी ज्यादा पार कर चुकी होती, जिसके बाद उन्हें रोजगार मिलना मुश्किल होता है। एसएससी के जरिए भर्ती हुई महिलाएं सिर्फ 14 साल तक सेना में काम कर पाने की वजह से पेंशन और दूसरे फायदे लेने योग्य नहीं होतीं। हमारी तीनों सेनाओं 'शार्ट सर्विस कमीशन' के जरिये भर्ती हुई करीब साढ़े तीन हजार महिला अधिकारी कार्यरत हैं।
शार्ट सर्विस कमीशन का मकसद
शार्ट सर्विस कमीशन शुरू करने का मकसद सैन्य बलों में बीच के स्तर पर अफसरों की कमी दूर करना था।
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण शार्ट सर्विस कमीशन में महिलाओं को पुरुषों के समान स्थायी कमीशन मिलने की बात कह चुकी हैं।
शार्ट सर्विस कमीशन में आए बदलाव
पहले सेना में शार्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के जरिए जो अधिकारी भर्ती होते थे, वह केवल 10 साल तक सेवा दे पाते थे। लेकिन सातवें वेतन आयोग के बाद इसे बढ़ाया गया है। अब वे 14 साल तक सेवा दे पाते हैं। इसके साथ ही सातवें वेतन आयोग में यह विकल्प दिया गया है कि अगर कोई सात साल के बाद सेवा छोड़ना चाहता है, तो उसे गोल्डन हैंडसेक दिया जाएगा।
महिला अधिकारियों के एक समूह ने स्थाई कमीशन का दायरा बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में रिट फाइल की थी। जिसके बाद सरकार ने दायरा बढ़ाने के फैसले पर विचार किया।
कब हुआ था स्थाई कमीशन का ऐलान
पीएम मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से सेनाओं में शार्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के जरिए भर्ती होने वाली महिला अफसरों को स्थाई कमीशन दिए जाने की घोषणा की थी।
दुनिया भर में सेनाओं में महिलाओं को हासिल पद और कई ऐसे देश ऐसे हैं जहाँ लड़ाई को लीड करती हैं:-
अमेरिका: अमेरिकी सेना में महिलाएं इराक और अफगानिस्तान में युद्धों के परिणामस्वरूप, 2002 से प्रत्यक्ष युद्ध महिलाओं में अधिक सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। जनवरी 2013 में अमेरिकी सेना ने आधिकारिक तौर पर युद्ध की भूमिका में सेवा करने वाली महिला सैनिकों पर प्रतिबंध हटा लिया और कहा कि किसी को भी योग्यता प्राप्त करने के लिए अपने लिंग के बावजूद युद्ध की अगली पंक्तियों पर लड़ने का मौका मिलेगा।
स्वीडन: 1989 से स्वीडिश सेना में किसी भी पद पर कोई लिंग प्रतिबंध नहीं रहा है। ब्रिटिश सर्वेक्षण के अनुसार, युद्ध सहित सभी सेवाओं और भूमिकाओं में महिलाओं को अनुमति है।
स्पेन: मई 1999 में सशस्त्र बलों के कर्मियों के कानून ने लिंग भेदभाव को समाप्त कर दिया और महिलाओं को किसी भी सेवा में सभी पदों में शामिल होने की अनुमति दी गई।
नीदरलैंड्स: डच महिलाओं को करीबी मुकाबला भूमिकाओं में अनुमति देता है।
इजराइल: 1995 में इजरायली रक्षा बल ने महिलाओं को युद्ध की स्थिति में शामिल करना शुरू किया था।
जर्मनी: यूरोपीय न्यायालय के न्यायमूर्ति के फैसले के बाद महिलाएं 2001 में जर्मन युद्ध इकाइयों में शामिल हो गईं, जिसमें कहा गया कि महिलाओं को युद्ध की भूमिका से रोकना लिंग समानता के सिद्धांतों के खिलाफ था।
फ्रांस: महिलाएं पनडुब्बियोंऔर दंगा-नियंत्रण गेंडमेरी में छोड़कर फ्रांसीसी सेना में सेवा दे सकती हैं। 2006 के एक ब्रिटिश सर्वेक्षण में पाया गया कि युद्ध में 1.7% महिलाएं शामिल थीं और 19% फ्रांसीसी सैन्य कर्मी महिलाएं थीं।
फिनलैंड: फिनलैंड महिलाओं को करीबी मुकाबला भूमिकाओं में अनुमति देता है। फिनिश रक्षा बलों और फिनिश सीमा गार्ड की सभी सेवाएं और इकाइयां महिलाओं को स्वीकार करती हैं।
डेनमार्क: रक्षा मंत्रालय के 2010 के एक सर्वेक्षण के मुताबिक, 1985 और 1987 में परीक्षणों के बाद युद्ध में महिलाओं की क्षमताओं की खोज के बाद 1988 में दानों को कुल समावेशन की नीति अपनाई। सर्वेक्षण में कई यूरोपीय देशों को सूचीबद्ध किया गया।
कनाडा: 1989 से सभी सैन्य व्यवसाय महिलाओं के लिए खुले रहे हैं। पनडुब्बी सेवा 2000 में शुरु हुई थी। कनाडा में सशस्त्र बलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 2001 में 11.4% से बढ़कर फरवरी 2017 तक 15.1% हो गया है।
ऑस्ट्रेलिया: 1 जनवरी, 2013 से, देश ने एडीएफ में सेवा करने वाली महिलाओं को ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बल में सभी रोजगार श्रेणियों को खोला।