जम्मू कश्मीर में पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सम्बन्ध और भी ख़राब दौर से गुजर रहे हैं। भारत ने इस गर्म माहौल में पाकिस्तान को निर्यात की जाने वाली बहुत सी वस्तुओं के निर्यात पर रोक लगा दी है और उसको दिए गए 'वरीयता वाले देश' (MFN) का दर्जा भी वापिस ले लिया है। इसके अलावा पाकिस्तान के ऊपर संयुक्त राष्ट्र संघ सहित सुरक्षा परिषद् के सभी परमानेंट सदस्यों के द्वारा दबाव ने तो जैसे उसकी सासें ही रोक दी हैं।
आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि भारत के कूटनीतिक प्रयासों से पाकिस्तान के ऊपर किस तरह के संकट आ चुके हैं और पाकिस्तान किस तरह की समस्याओं से गुजर रहा है।
पाकिस्तान मुख्य रूप से निम्न संकटों में फंस रहा है;-
1. खाद्य संकट
2. महंगाई में वृद्धि
3. रुपये की वैल्यू में गिरावट
4. कर्ज में वृद्धि
5. अंतरराष्ट्रीय दबाव
6. देश की इमेज ख़राब
7. फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स की ग्रे लिस्ट में शामिल
8. गृह युद्ध के आसार
आइये अब इनके बारे में विस्तार से जानते हैं;
1. खाद्य संकट: आकंड़ों में मुताबिक भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार लगभग 2 अरब डॉलर का है। भारत, पाकिस्तान को मुख्य रूप से सब्जियां, मसाले, फल, कॉटन, टायर, जैविक रसायन, प्लास्टिक, रबर, खाद्य नट, पलस्तर सामग्री और खनिज ईंधन निर्यात करता है।
भारत ने पाकिस्तान के भारत द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुओं पर 200% कस्टम ड्यूटी लगा दी है जिससे पाकिस्तान का आयात प्रभावित होगा जो की अभी US$490 मिलियन डॉलर का है। भारत के इस कदम से पाकिस्तान में खाने की चीजों के साथ अन्य चीजों की भी कमी हो गयी है।
2. महंगाई में वृद्धि: भारत ने पाकिस्तान को निर्यात को जाने वाली वस्तुओं पर कर की दरें बढ़ा दी हैं जिससे पाकिस्तान जाने वाली कई वस्तुओं के दाम बढ़ गये हैं और ऐसी अपुष्ट खबरें आ रहीं हैं कि पाकिस्तान में टमाटर 200 रुपये किलो बिक रहा है। पाकिस्तान के अफगानिस्तान, बांग्लादेश जैसे पडोसी देशों के साथ भी रिश्ते ठीक नहीं हैं जिसके कारण पाकिस्तान में महंगाई में कमी आने की कोई संभावना नजर नहीं आती है।
3. पाकिस्तानी रुपये की वैल्यू में गिरावट: वर्तमान में एक अमेरिकी डॉलर और पाकिस्तानी रुपये के बीच विनिमय दर 1 डॉलर =140 पाकिस्तान रुपये है जो कि एक एक साल पहले केवल 1 डॉलर =110 पाकिस्तान रुपये थी। इससे पता चलता है की पाकिस्तान के रुपये की हालत पतली होती जा रही है। ध्यान रहे कि डॉलर और भारतीय रुपये के बीच विनिमय दर अभी 70 रुपये के आस पास है।
4. पाकिस्तान के कर्ज में वृद्धि: दिसम्बर 2018 तक पाकिस्तान के ऊपर कुल 97 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज था जो कि उसकी जीडीपी का 87% है। इसका मतलब है की पाकिस्तान के हर व्यक्ति के ऊपर लगभग 15 लाख रुपये का कर्ज है। पाकिस्तान के कुल कर्ज का 20% चीन से लिया गया है। पाकिस्तान में जिस तरह के हालात हैं उसे देखते हुए लग रहा है कि यह देश चीन का गुलाम जल्दी बनेगा।
5. अंतरराष्ट्रीय दबाव: जैसा कि पूरा विश्व जान गया है की पाकिस्तान की विदेश नीति ही आतंकबाद को बढ़ावा देना है। इसी कारण इसके ऊपर पूरे विश्व के बड़े देशों और संस्थाओं का दबाव बढ़ता जा रहा है। अभी अमेरिका ने पाकिस्तान के नागरिकों को दी जाने वाली वीजा अवधि को 5 वर्ष से घटाकर 1 वर्ष कर दिया है। अमेरिका ने पाकिस्तान को पिछले 15 सालों में 33 अरब डॉलर की सैन्य सहायता दी है लेकिन अब यह अमेरिकी मदद केवल 150 मिलियन डॉलर रह गयी है।
6. देश की ख़राब इमेज: आतंकबाद को बढ़ावा देने के कारण पूरे विश्व समुदाय में पाकिस्तान की छवि बहुत खराब हो चुकी है। अब विश्व के हर देश में पाकिस्तान के नागरिकों को शक की नजर से देखा जाता है। यही कारण है कि विश्व की कोई भी क्रिकेट टीम पाकिस्तान में मैच नहीं खेलती है और ये मैच सऊदी अरब या दुबई में कराये जाते हैं।
7. फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट में शामिल: पाकिस्तान द्वारा आतंकी गतिविधियों की फंडिंग पर रोक नही लगायी गयी है इस कारण फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स ने इसे ग्रे लिस्ट में डाल दिया है। इससे पाकिस्तान को विश्व की संस्थाओं जैसे विश्व बैंक और IMF से लोन मिलने में आसानी नहीं होगी और इसके अलावा विश्व के अन्य अमीर देश भी इसे लोन देने से कतराने लगे हैं।
8. गृह युद्ध के आसार: पाकिस्तान के कुछ लोग देश में चीन के बढ़ते प्रभाव का विरोध कर रहे हैं कुछ लोग समर्थन, बहुत से लोग आतंक से तंग हैं और इसका विरोध कर रहे हैं और पूरी जनता महंगाई की मार से पीड़ित हैं। देश में गरीबी बढती जा रही है। कुल मिलाकर जिस तरह के आसार पाकिस्तान में बन रहे हैं उससे यह लगता है की पाकिस्तान गृह युद्ध की तरफ बढ़ रहा है।
सारांश के तौर यह कहना ठीक होगा कि पाकिस्तान को अपनी आतंकी नीति, आर्थिक नीति और विदेश नीति को बदलने की जरूरत है, नहीं तो हालात बहुत जल्दी ही बेकाबू होने वाले हैं। मुझे लगता है कि पाकिस्तान चीन की गुलामी की तरफ बढ़ रहा है जिसके कारण वहाँ पहले आर्थिक गुलामी आएगी और फिर राजनीतिक गुलामी।