टाटा स्टील की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई बामनीपाल स्टील लिमिटेड ने 18 मई 2018 को दिवाला कानून के तहत समाधान की कार्रवाई में भूषण स्टील लिमिटेड की 72.65 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण पूरा कर लिया है।
टाटा स्टील लिमिटेड ने कर्ज में फंसी भूषण स्टील लिमिटेड के लिए आयोजित नीलामी में सफल बोली लगाई थी। भूषण स्टील लिमिटेड कर्ज में डूबी उन 12 कंपनियों में है जिनके मामले भारतीय रिजर्व बैंक ने दिवाला शोधन प्रक्रिया के तहत निपटाने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण (एनसीएलटी) को भेजे थे।
मुख्य तथ्य
- टाटा स्टील ने भूषण स्टील को परिचालन कार्य के लिए उधार देने वाले कर्जदाताओं को 12 महीने की अवधि में 1,200 करोड़ रुपए का भुगतान कर देगी।
- कंपनी ने समाधान प्रक्रिया के तहत तय कर्मचारियों के बकायों का भुगतान कर दिया है और भूषण स्टील के वित्तीय कर्जदाताओं (बैंक एवं वित्तीय संस्थानों) को 35,200 करोड़ रुपए के बराबर के भुगतान को समाधान की शर्तों के अनुसार निपटाया जा रहा है।
- टाटा समूह यह अधिग्रहण बामनीपाल स्टील द्वारा बाहर से लिए गए 16,500 करोड़ रुपए के ब्रिज लोन (प्रारंभिक आवश्यकताओं के लिए लिए गए ऋण) और टाटा स्टील की तरफ से निवेश के जरिए कर रहा है।
हरीश मनवानी टाटा संस में स्वतंत्र निदेशक नियुक्त
- हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड के गैर-कार्यकारी चेयरमैन हरीश मनवानी को टाटा संस में स्वतंत्र निदेशक नियुक्त किया गया है।
- हरीश मनवानी अपने साथ वैश्विक स्तर पर कारोबार का प्रबंधन एवं नेतृत्व करने का अपार अनुभव लेकर आए हैं।
- हरीश मनवानी यूनिलीवर के पूर्व मुख्य वैश्विक परिचालन अधिकारी रह चुके हैं। वे क्वालकॉम, गिलीड साइंसेज, नील्सन होल्डिंग्स, व्हर्लपूल और सिंगापुर के आर्थिक विकास बोर्ड के निदेशक मंडलों में भी रह चुके हैं।
- वे इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के कार्यकारी बोर्ड के चेयरमैन भी हैं।
दिवाला एवं ऋण शोधन संहिता (आईबीसी), 2016 के तहत निपटने वाला यह पहला मामला है।
दिवालियापन क्या है?
एक कंपनी तब दिवालिया होती है, जब वह अपने लेनदारों का कर्ज़ चुकाने में असमर्थ हो। कुछ भारतीय कंपनियों के कर्ज चुकाने की अक्षमता के कारण बैंकिंग प्रणाली में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ बढ़ जाती हैं। इस प्रकार के ऋण के रूप में फंसे पैसे को मुक्त करने के लिये एक प्रणाली आवश्यक है। इसी दिशा में आईबीसी बनाया गया है।
दिवाला और दिवालियापन संहिता-2016 (आईबीसी)
- दिवाला और दिवालियापन संहिता-2016 (आईबीसी) के प्रावधानों के अंतर्गत डिफाल्ट के मामले में किसी बैंकिंग कंपनी को दिवाला समाधान प्रक्रिया प्रारंभ करने संबंधी निर्देश के लिए आरबीआई को प्राधिकृत करने के लिए बैंकिंग नियमन संशोधन अध्यादेश 2017 लागू किया गया है।
- यह अध्याादेश बाध्य होकर बेची जाने वाली परिसम्पधत्तियों के मामले में निर्देश देने का अधिकार भी रिजर्व बैंक को देता है।
- भारतीय रिजर्व बैंक विवशतावश बेची जाने वाली परिसम्पलत्तियों के बारे में बैंकिंग कंपनियों को सलाह के लिए बैंक की स्वी कृति के साथ समिति की नियुक्ति का निर्देश देने का अधिकार भी दिया है।
टाटा स्टील
टाटा स्टील (पूर्व में टाटा आयरन ऐंड स्टील कंपनी लिमिटड) अर्थात टिस्को के नाम से जाने जाने वाली यह भारत की प्रमुख इस्पात कंपनी है। जमशेदपुर स्थित इस कारखाने की स्थापना वर्ष 1907 में की गयी थी। यह दुनिया की पांचवी सबसे बडी इस्पात कंपनी है जिसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 28 मिलियन टन है।
यह फार्च्यून 500 कंपनियों में भी शुमार है जिसमें इसका स्थान 315 वां है। कम्पनी का मुख्यालय मुंबई में स्थित है। टाटा स्टील भारत की सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली नीजि क्षेत्र की दूसरी बडी कंपनी भी है। कंपनी का मुख्य प्लांट जमशेदपुर, झारखंड में स्थित है।