स्कूली शिक्षा के लिए एक समेकित योजना ‘समग्र शिक्षा’ योजना का शुभारंभ
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने 24 मई 2018 को नई दिल्ली में पहली बार स्कूल पूर्व से उच्च माध्यमिक स्तर पर राज्यों को समर्थन देते हुए स्कूली शिक्षा के लिए एक समेकित योजना ‘समग्र शिक्षा’ योजना का शुभारंभ किया। यह योजना स्कूली शिक्षा की अवधारणा में महत्वपूर्ण बदलाव है और इसमें ‘स्कूल’ को स्कूल पूर्व प्राइमरी, अपर प्राइमरी, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तरों की निरंतरता के रूप में माना गया है।
श्री जावड़ेकर के अनुसार ‘सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा’ प्रदान करने की प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता के अनुरूप मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है और स्कूली शिक्षा की वर्तमान योजना को पूरी तरह बदल दिया है ताकि स्कूली शिक्षा को स्कूल पूर्व प्राइमरी, अपर प्राइमरी, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तरों की निरंतरता के रूप में माना जा सके।
योजना का फोकस
योजना का फोकस अंग्रेजी के टी शब्द – टीचर्स और टेक्नोलॉजी का एकीकरण करके सभी स्तरों पर गुणवत्ता में सुधार लाना है। समग्र का अर्थ संपूर्ण है न कि विभिन्न भागों की संख्या। इस योजना का नामकरण सटीक है क्योंकि यह योजना विभिन्न स्तरों की शिक्षा को बांटे बगैर स्कूल शिक्षा को समग्र दृष्टि से देखती है।
परिव्यय
नई योजना पर बजट परिव्यय अब 2018-19 में 34,000 करोड़ रुपये एवं 2019-20 में 41,000 करोड़ रुपये होगा। लगभग एक मिलियन स्कूलों को पुस्तकालयों को सुदृढ़ बनाने के लिए 5,000 रुपये से 20,000 रुपये तक का पुस्तकालय अनुदान प्राप्त होगा, जिससे कि ‘पढ़ेगा भारत, बढ़ेगा भारत’ सुनिश्चित हो सके।
- प्रत्येक स्कूल को समग्र शिक्षा के तहत प्राथमिक के लिए 5,000 रुपये, उच्चतर प्राथमिक के लिए 10,000 रुपये तथा एसएससी और एचएससी स्कूलों के लिए 25,000 रुपये तक की कीमत के खेल उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे कि ‘ खेलेगा भारत, खिलेगा भारत’ के स्वप्न को साकार करने के लिए खेल की भावना उत्पन्न किया जा सके तथा खेलों के महत्व पर जोर दिया जा सके।
- यह योजना ग्रेड अनुसार, विषय अनुसार शिक्षा प्राप्ति परिणामों पर आधारित होगी।
- शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए जिला स्तर के कदमों के बारे में रणनीति बनाने के लिए 2017-18 में सबसे बड़ा राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) कराया गया। इससे विद्यार्थियों को शिक्षा देने में फोकस विषय वस्तु से लेकर योग्यता पर किया जाएगा।
- योजना में सभी हितधारकों:- माता-पिता/अभिभावक, स्कूल प्रबंधन समिति सदस्य, समुदाय तथा राज्यकर्मी सभी की सक्रिय भागीदारी होगी ताकि बच्चों को गुणवत्ता संपन्न शिक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- यह योजना इस महत्वपूर्ण स्तंभ को मजबूत बनाने पर फोकस करेगी। यह कार्य प्रशिक्षण के लिए नोडल एजेंसियों-एससीईआरटी तथा डीआईईटी के माध्यम से किया जाएगा। इन संस्थानों को मजबूत बनाया जाएगा ताकि राज्यों में इन-सर्विस और प्री-सर्विस के एकीकरण पर बल दिया जा सके। इससे सभी स्तरों पर स्कूली शिक्षण की गुणवत्ता में मजबूती आएगी।
- यह योजना टेक्नोल़ॉजी का लाभ उठाने और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अच्छी गुणवत्ता, संपन्न शिक्षा की पहुंच को व्यापक बनाने में सहायक होगी। शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफार्म ‘दीक्षा ’ शिक्षकों के उपयोग के लिए उच्च गुणवत्ता की शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराएगा।
- यह योजना पांच वर्षों से अधिक सभी माध्यमिक विद्यालयों में ‘ऑपरेशन डिजिटल बोर्ड ’ को समर्थन देगी ताकि स्मार्ट क्लास रूमों, डिजिटल बोर्डों तथा डीटीएच चैनलों के माध्यम से डिजिटल टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को बढ़ाया जा सके। शाला कोष, सगुन, शाला सारथी जैसी डिजिटल पहलों को मजबूत बनाया जाएगा।
- एक अन्य निर्णय के तहत 2018-19 में 4385.60 करोड़ तथा 2019-20 में 4553.10 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) को विस्तारित कर कक्षा 6-8 से कक्षा 6-12 तक कर दिया गया है।