Thursday 17 May 2018

‘आईपी नानी' बौद्धिक संपदा के मस्कट का शुभारंभ किया


केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने 16 मई 2018 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार कानून पर आयोजित सम्मेलन में राष्ट्रीय संपदा के प्रतीक चिन्ह (मस्कट)-आईपी नानी का शुभारंभ किया।

समारोह के दौरान सुरेश प्रभु ने एंटी पायरेसी वीडियो भी लांच किया. इस विडियो में अमिताभ बच्चन ने भूमिका निभाई है।

आईपी नानी
  • मस्कट आईपी नानी तकनीक को समझने और उपयोग करने वाली एक नानी है, जो अपने पोते ‘छोटू’ आदित्य की सहायता से आईपी अपराधों से लड़ने में सरकार तथा एजेंसियों की मदद करती है।
  • यह आईपी मस्कट सुरूचिपूर्ण ढंग से लोगों विशेषकर बच्चों में बौद्धिक संपदा अधिकार के प्रति जागरूकता फैलायेगा।
  • यह चरित्र विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) के अभियान के अनुरूप है जो महिलाओं की प्रतिभा सरलता जिज्ञासा और साहस को दुनिया में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण मानता है।
  • यह इस तथ्य को रेखांकित करता है कि एक मजबूत आईपी प्रणाली नवोन्मेषी और रचनात्मक महिलाओं को समर्थन प्रदान करती।

आईपी नानी: राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) नीति का एक हिस्सा
  • सामाजिक और आर्थिक प्रगति के लिए आईपीआर महत्वपूर्ण होता जा रहा है. केन्द्रीय कैबिनेट ने 12 मई 2016 को राष्ट्रीय आईपीआर नीति को मंजूरी दी थी।
  • इस नीति के तहत इस बात पर बल दिया गया है कि भारत बौद्धिक संपदा संबंधी कानूनों को मानता है और बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के लिए यहां प्रशासनिक तथा न्‍यायिक ढांचा मौजूद है।
  • ज्ञान आधारित समाज के निर्माण के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार की सुरक्षा महत्वपूर्ण है. बौद्धिक संपदा अधिकार की सुरक्षा के लिए केवल कानूनी प्रावधान ही प्रयाप्त नहीं है बल्कि इन्हें सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
  • बौद्धिक संपदा अधिकार के चोरी किये जाने के संदर्भ में जागरूकता फैलानी चाहिए और इस प्रयास में समाज की हिस्सेदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
  • आईपी नानी पर आधारित वीडियो सीआईपीएएम के यूट्यूब चैनल (सीआईपीएएम इंडिया), ट्वीटर हैंडल और फेसबुक पेज पर उपलब्ध है।

राष्ट्रीय आईपीआर नीति के सात उद्देश्य

बौद्धिक संपदा अधिकार जागरूकता: पहुँच और प्रोत्‍साहन – समाज के सभी वर्गो में बौद्धिक संपदा अधिकारों के आर्थिक, सामाजिक और सांस्‍कृतिक लाभों के प्रति जागरूकता पैदा करना।

बौद्धिक संपदा अधिकारों का सृजन- बौद्धिक संपदा अधिकारों के सृजन को बढ़ावा।

वैधानिक एवं विधायी ढांचा- मजबूत और प्रभावशाली बौद्धिक संपदा अधिकार नियमों को अपनाना, ताकि अधिकृत व्‍यक्तियों तथा बृहद लोकहित के बीच संतुलन कायम हो सके।

प्रशासन एवं प्रबंधन – सेवा आधारित बौद्धिक संपदा अधिकार प्रशासन को आधुनिक और मजबूत बनाना।

बौद्धिक संपदा अधिकारों का व्‍यवसायीकरण – व्‍यवसायीकरण के जरिए बौद्धिक संपदा अधिकारों का मूल्‍य निर्धारण।

➤ प्रवर्तन एवं न्‍यायाधिकरण – बौद्धिक संपदा अ‍धिकारों के उल्‍लंघनों का मुकाबला करने के लिए प्रवर्तन एवं न्‍यायिक प्रणालियों को मजबूत बनाना।

➤ मानव संसाधन विकास – मानव संसाधनों, संस्‍थानों की शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसंधान क्षमताओं को मजबूत बनाना तथा बौद्धिक संपदा अधिकारों में कौशल निर्माण करना।