पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बेंस एक तरह का उष्णकटिबंधीय तूफान है जो मेडिटरेनियन रीजन से शुरू होता है और सर्दियों के मौसम में उत्तर भारत में बारिश की वजह बनता है। इस वाक्य में तीन शब्द - वेस्टर्न डिस्टर्बेंस, उष्णकटिबंधीय तूफान और मेडिटरेनियन रीजन हैं। इनके बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते, इसलिए इन्हें एक-एक करके समझते हैं। वेस्टर्न डिस्टर्बेंस में जहां वेस्टर्न शब्द इस बात को दिखाता है कि इस भौगोलिक घटना में हवाएं पश्चिम से पूरब की ओर चला करती हैं, वहीं डिस्टर्बेंस शब्द से मतलब है, हवाओं के दबाव में गड़बड़ी या कमी आना। यहाँ पर हम स्कूलों में पढ़ा हुआ सामान्य ज्ञान फिर दोहरा लेते हैं कि गर्मियों में हवाएं गर्म होकर ऊपर उठने लगती हैं, इसलिए जमीन के पास हवा का दबाव कम हो जाता है। इसके उलट सर्दियों में हवाओं का ऊपर उठना नहीं हो पाता इसलिए हवा का दबाव अधिक रहता है। यही कारण है कि अक्सर जाड़े के मौसम में ही वेस्टर्न डिस्टर्बेंस अपना असर दिखाता है, लेकिन कैसे? यह समझने लिए अब उष्णकटिबंधीय तूफान को समझना जरूरी है।
वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की शुरुआत उष्णकटिबंधीय तूफान से ही होती है। अगर आप ग्लोब को ध्यान से देखें तो पाएंगे कि धरती के ठीक बीचों-बीच (कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच) से गुजरने वाली क्षैतिज पट्टी वाला क्षेत्र उष्णकटिबंध कहलाता है। यह हिस्सा सूर्य की किरणों से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है और धरती के सबसे गर्म हिस्से भी इसी कटिबंध में आते हैं। जब इस पट्टी में बाहर से आने वाली सर्द हवाएं पहुंचती हैं तो उष्णकटिबंधीय तूफान आते हैं। ये तूफान भूमध्य सागर (मेडिटरेनियन सी) के उस हिस्से में उत्पन्न होते हैं जो यूरोप और अफ्रीका महाद्वीप के बीच में पड़ता है और इस हिस्से को मेडिटरेनियन रीजन कहा जाता है।
मेडिटरेनियन रीजन से पैदा हुआ यह तूफान काला सागर और कैस्पियन समुद्र से गुजरता हुआ भारी मात्रा में नमी लेकर भारत पहुँचता है। आमतौर पर गर्मियों में हवा का दबाव कम होने के कारण वायुमंडल की निचली परत में तेज हवाएं चलती हैं और ये तूफान हिमालय के ऊपर ही ऊपर निकल जाते हैं। लेकिन सर्दियों हवा का दबाव ज्यादा होता है तो ये तूफान हिमालय के नीचे से गुजरता है और भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में बारिश करवाता है। इस तरह पश्चिम यानी यूरोप से आने वाली हवाएं जो हमारे देश का मौसम कुछ समय के लिए बदल देती हैं, वेस्टर्न डिस्टर्बेंस कहलाती हैं।