मिडिल क्लास फॅमिली में पली बढ़ी देविका अपने जिंदगी में सबसे ज्यादा गुस्सा अपने पापा से थी। पापा के लिए उसके मन में नफरत के अलावा कुछ न था। 22 साल की हो चुकी देविका ने आज तक एक भी वेलेंटाइन डे नहीं मनाया था। जबकि उसकी क्लास मेट्स हर साल अलग-अलग बॉयज के साथ वेलेंटाइन डे मनाती थी।
खैर, आज देविका देव से शादी के वक़्त सबसे ज्यादा खुश थी, कि आखिर इस बेहद स्ट्रिक्ट, कड़क और डिसिप्लिनड पापा से छुटकारा तो मिला। "ये न करो" "वो न करो" ऐसे कपड़े न पहनों", लेट नाईट पार्टियाँ नहीं,"लड़कों से दोस्ती नहीं।" आज तक एक स्मार्टफोन खरीद तक नहीं दिया। सारे सपनों और अरमानों को अपने नैरो माइंडेड सोच के कारण कुचलकर रख दिया। अब मैं देव के साथ सारी दबी इच्छाएँ पूरी करूँगी।पापा देव व उसके परिवार को भली भांति जानते थे। देव के परिवार से ही देविका के लिए रिश्ता आया था। और पापा ने देव और उसके परिवार वालों से मिलकर शादी के लिए हामी भर दी।
देविका ने विदाई समय पहली बार पापा को उससे लिपटकर बच्चों की तरह फूट फूट कर रोते देखा पर देविका को पापा के इमोशन से कोई मतलब न था वह बस पत्थर की बुत बन खड़ी थी, जाते जाते पापा ने ढ़ेर सारे गिफ्ट के साथ एक बंद लिफाफा भी देविका को दिया।
ससुराल पहुँचते ही सबसे पहले देविका ने लिफाफा खोल पापा की चिट्ठी को पढ़ना शुरु किया "देविका बेटा मैं जानता हूँ कि पिछले दस सालों से मैं तुम्हारे साथ बैड डैड की तरह पेश आता रहा। मैं तुम्हारे सामने स्ट्रिक्ट इसलिए बनता था क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि तुम्हारा भी हाल रागिनी जैसा हो। रागिनी मेरे साथ कॉलेज में पढ़ने वाली एक बहुत अच्छे घर की पढ़ने में तेज शरीफ लड़की थी परंतु फैशन और नकली ग्लैमर के चक्कर में उसने अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली थी।
"उसने वो सब किया जिससे मैं तुम्हें हमेशा रोकता रहा। फैशनेबल कपड़े, लड़को से दोस्ती, लेट नाईट पार्टियाँ सब करती थी, सोचती चरित्र अच्छा है तो इन सब में कोई हर्ज नहीं। फिर एक दिन उसके ड्रिंक्स में नशा डालकर उसके कुछ दोस्तों ने ही उसके साथ.........।
इस घटना से वो अपना दिमागी संतुलन खो बैठी और समाज के तानों और लोगों से बचने के लिए उसके पापा ने उसकी माँ और छोटी बहन के साथ सल्फास खाकर सुसाइड कर लिया।"
देविका बेटा, आज से तुम अब दो परिवारों की इज्जत हो और मैं तुमसे यही उम्मीद करूँगा कि तुम ऐसा कोई काम नहीं करोगी जिससे दोनों परिवारों की इज्जत पे कोई दाग लगे और हो सके तो अपने बैड डैड को माफ कर देना।
चिट्ठी पढ़कर देविका फूट फूट कर रोते हुए तुरंत फोन लगाकर भर्राए आवाज में पापा से कहा" मुझे माफ कर दीजिए पापा। मैं आपके गुस्से के पीछे के प्यार को नहीं देख पाई!!! आपके चिल्लाहट के पीछे की केअर नहीं देख पाई। आपकी झुंझलाहट के पीछे का समर्पण नही देख पाई।" "मैं हर जन्म में आपकी ही बेटी बनना चाहूँगी पापा।"
वक्त बीतता गया ....
देविका को ससुराल आए लगभग एक साल होने को आया। मगर ऐसा कोई दिन ना था जिस दिन उसने अपने पापा को याद ना किया हो। आज उसके पापा का जन्मदिन था। सुबह मंदिर गई। पूजा, पापा की खुशी और सलामती के लिए दुआएँ माँगी। फिर शाम में केक लाकर अपने ससुरालवालों के साथ उनका जन्मदिन मनाने का प्रोग्राम बनाया।
केक काटने से पहले पापा को वीडियो कॉल लगाया उधर पापा मम्मी के साथ उदास बैठे थे। देविका उन्हें देखते ही चहक के बोली, हैप्पी बर्थडे टू यू माई स्वीट पापा !!!! पता है पापा ...... यहाँ मैं आपकी डाँट ..... आपके गुस्से ..... को हर दिन मिस करती हूँ। यहाँ सारे लोग मुझे बहुत प्यार करते हैं स्पेशली सासू माँ।
पता है पापा ..... एक दिन घर में मुहल्ले की औरतों सासु माँ को जब ये बोल रहीं थीं कि कितनी अच्छी बहुत मिली है तुम्हें। ...... कपड़ों ,बोली और स्वभाव में शालीनता जरूर इसके मम्मी पापा से विरासत में मिले है।आज कल की लड़कियों में इतने संस्कार अब कहाँ मिलते हैं। आपके लिए ये शब्द सुनकर पापा मेरा सर फक्र से ऊँचा हो गया।"
"आज मुझे आप पे प्राउड है पापा। आप मम्मा को हमेशा बोलते थे कि" सारी दुनिया को तो सुधार नहीं सकते बस अपना दामन बचा के रखना होगा।"
जानती हूँ पापा और महसूस भी किया है मैंने कि आजकल-लड़कियों के लिए बॉयफ्रेंड बनाना, ड्रिंक्स करना, लिव इन रिलेशन रहना और ट्रांसपेरेंट ड्रेस पहनना फैशन सा है पर आपने एक सुरक्षा कवच बनकर मुझे इन बुराइयों से बचाये रखा।
आपको पता है पापा जब मैं यहाँ बी.एड. का एग्जाम पास कर टीचर बनूँगी ना ....तो बच्चो को यही सिखाऊंगी कि "डैड के तेज गुस्से के पीछे का प्यार महसूस कर सको तो कर लो, ऐसा न हो कि बाद में सिर्फ पछताने के सिवा कुछ न रहे।"
दूसरी तरफ पापा के होंठ काँप रहे थे। वो बोल रहे थे आँखों से लगातार आँसू लिए, मुँह से अपनी देविका बेटी के लिए। "खुश रहो भगवान करे तुम्हें मेरी उम्र और खुशियाँ लग जाए बेटा।"