Saturday, 9 December 2017

दुनिया का सबसे विवादित स्थल: यरूशलम क्यों है

World's Most Controversial Site: Why is Jerusalem (Author: Rajeev Ranjan)


वर्तमान में चर्चा में क्यों?
यरूशलम इस्लाम, ईसाई और यहूदी धर्मों का पवित्र स्थल है। अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप यरूशलम को इजराइल की राजधानी मान लिया हैं ऐसा करने वाले वो पहले वैश्विक नेता  हैं। अमरीकी अधिकारियों को कहना है कि हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप तुरंत ही अमरीकी दूतावास को तेल अवीव से यरूशलम नहीं ले जाएंगे



मध्य-पूर्व के अरब नेताओं का कहना है कि ऐसा करना मुसलमानों को उकसाना होगा और इससे मध्य पूर्व के हालात बिगड़ जाएंगे

इजराइलियों और फलस्तीनियों के पवित्र शहर यरूशलम को लेकर विवाद बहुत पुराना और गहरा है! राष्ट्रपति ट्रंप यरूशलम को इजराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता दे दिये हैं। यरूशलम इसराइल-अरब तनाव में सबसे विवादित मुद्दा भी है। ये शहर इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्मों में बेहद अहम स्थान रखता है

पैगंबर इब्राहीम को अपने इतिहास से जोड़ने वाले ये तीनों ही धर्म यरूशलम को अपना पवित्र स्थान मानते हैं

यही वजह है कि सदियों से मुसलमानों, यहूदियों और ईसाइयों के दिल में इस शहर का नाम बसता रहा है हिब्रू भाषा में येरूशलायीम और अरबी में अल-कुद्स के नाम से जाना जाने वाला ये शहर दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है

इस शहर को कई बार कब्याजा गया है, ध्वस्त किया गया है और फिर से बसाया गया है यही वजह है कि यहाँ की मिट्टी की हर परत में इतिहास की एक परत छुपी हुई है

कौन से चार हिस्से?

आज यरूशलम अलग-अलग धर्मों के लोगों के बीच विभाजन और संघर्ष की वजह से सुर्खियों में रहता है लेकिन इस शहर का इतिहास इन्हीं लोगों को आपस में जोड़ता भी है

शहर के केंद्र बिंदू में एक प्राचीन शहर है जिसो "ओल्ड सिटी" कहा जाता है संकरी गलियों और ऐतिहासिक वास्तुकला की भूलभुलैया इसके चार इलाकों- ईसाई, इस्लामी, यहूदी और अर्मेनियाईं- को परिभाषित करती हैं

इसके चारों ओर एक किलेनुमा सुरक्षा दीवार है जिसके आसपास दुनिया के सबसे पवित्र स्थान स्थित हैं हर इलाके  की अपनी आबादी है

ईसाइयों को दो इलाके हैं क्योंकि अर्मेनियाई भी ईसाई ही होते हैं चारों इलाकों में सबसे पुराना इलाका अर्मेनियाइयों का ही है


ये दुनिया में अर्मेनियाइयों का सबसे प्राचीन केंद्र भी है सेंट जेंम्स चर्च और मोनेस्ट्री में अर्मेनियाई समुदाय ने अपना इतिहास और संस्कृति सुरक्षित रखी है

पहले चर्च की कहानी

ईसाई इलाके में 'द चर्च आफ द होली सेपल्कर' है ये दुनियाभर के ईसाइयों की आस्था का केंद्र है ये जिस स्थान पर स्थित है वो ईसा मसीह की कहानी का केंद्रबिंदू है

यहीं ईसा मसीह की मौत हुई थी, उन्हें सूली पर चढ़ाया गया था और यहीं से वो अवतरित हुए थे दातर ईसाई परंपराओं के मुताबिक, ईसा मसीह को यहीं 'गोलगोथा' पर सूली पर चढ़ाया गया था

इसे ही हिल ऑफ द केलवेरी कहा जाता है ईसा मसीह का मकबरा सेपल्कर के भीतर ही है और माना जाता है कि यहीं से वो अवतरित भी हुए थे

इस चर्च का प्रबंधन ईसाई समुदाय के विभिन्न संप्रदायों, खासकर ग्रीक ऑर्थोडॉक्स पैट्रियार्केट, रोमन कैथोलिक चर्च के फ्रांसिस्कन फ्रायर्स और अर्मेनियाई पैट्रियार्केट के अलावा इथियोपियाई, कॉप्टिक और सीरियाई ऑर्थोडॉक्स चर्च से जुड़े पादरी भी संभालते हैं

दुनियाभर के करोड़ों ईसाइयों के लिए ये धार्मिक आस्था का मुख्य केंद्र हैं हर साल लाखों लोग ईसा मसीह के मकबरे पर आकर प्रार्थना और पश्चाताप करते हैं

मस्जिद की कहानी?


मुसलमानों का इलाका चारों इलाकों में सबसे बड़ा है और यहीं पर डोम ऑफ द रॉक और मस्जिद अल अक्सा स्थित है यह एक पठार पर स्थित है जिसे मुस्लिम हरम अल शरीफ या पवित्र स्थान कहते हैं

मस्जिद अल अक्सा इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है और इसका प्रबंधन एक इस्लामिक ट्रस्ट करती है जिसे वक्फ कहते हैं

मुसलमानों का विश्वास है कि पैगंबर मोहम्मद ने मक्का से यहाँ तक एक रात में यात्रा की थी और यहां पैगंबरों की आत्माओं के साथ चर्चा की थी यहाँ  से कुछ कदम दूर ही डोम ऑफ द रॉक्स का पवित्र स्थल है यहीं पवित्र पत्थर भी है मान्यता है कि पैगंबर मोहम्मद ने यहीं से जन्नत की यात्रा की थी

मुसलमान हर दिन हजारों की संख्या में इस पवित्र स्थल में आते हैं और प्रार्थना करते हैं रमजान के महीने में जुमे के दिन ये तादाद बहुत ज्यादा होती है

पवित्र दीवार

यहूदी इलाके में ही कोटेल या पश्चिमी दीवार है ये "वॉल ऑफ दा माउंट" का बचा हिस्सा है माना जाता है कि कभी यहूदियों का पवित्र मंदिर इसी स्थान पर था


इस पवित्र स्थल के भीतर ही द होली ऑफ द होलीज या यूहूदियों का सबसे पवित्र स्थान था

यहूदियों का विश्वास है कि यही वो स्थान है जहाँ से विश्व का निर्माण हुआ और यहीं पर पैगंबर इब्राहिम ने अपने बेटे इश्हाक की बलि देने की तैयारी की थी कई यहूदियों का मानना है कि वास्वत में डोम ऑफ द रॉक ही होली ऑफ द होलीज है


आज पश्चिमी दीवार वो सबसे नजदीक स्थान है जहाँ से यहूदी होली ऑफ द होलीज की अराधना कर सकते हैं

इसका प्रबंधन पश्चिमी दीवार के रब्बी करते हैं यहां हर साल दुनियाभर से दसियों लाख यहूदी पहुंचते हैं और अपनी विरासत के साथ जुड़ाव महसूस करते हैं

क्यों हैं तनाव

यरूशलम की स्थिति में जरा सा भी बदलाव हिंसक झड़पों की वजह बनता रहा है। फलस्तीनी और इसराइली विवाद के केंद्र में प्राचीन यरूशलम शहर ही है यहाँ की स्थिति में बहुत मामूली बदलाव भी कई बार हिंसक तनाव और बड़े विवाद का रूप ले चुका है यही वजह है कि यरूशलम में होने वाली हर घटना महत्वपूर्ण होती है

इस प्राचीन शहर में यहूदी, ईसाई और मुस्लिम धर्म के सबसे पवित्र स्थल हैं ये शहर सिर्फ धार्मिक रूप से ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि कूटनीतिक और राजनीतिक रूप से भी बेहद अहम है

अधिकतर इसराइली यरूशलम को अपनी अविभाजित राजधानी मानते हैं इसराइल राष्ट्र की स्थापना 1948 में हुई थी तब इसराइली संसद को शहर के पश्चिमी हिस्से में स्थापित किया गया था 1967 के युद्ध में इसराइल ने पूर्वी यरूशलम पर भी कब्जा कर लिया था

प्राचीन शहर भी इसराइल के नियंत्रण में आ गया था बाद में इसराइल ने इस इलाके पर कब्जा कर लिया लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली

यरूशलम पर इसराइल की पूर्ण संप्रभुता को कभी मान्यता नहीं मिली है और इसे लेकर इसराइल नेता अपनी खीज जाहिर करते रहे हैं

जाहिर तौर पर फलस्तीनियों का नजरिया इससे बिलकुल अलग है वो पूर्वी यरुशलम को अपनी राजधानी के रूप में मांगते हैं। इसराइल-फलस्तीन विवाद में यही शांति स्थापित करने का अंतरराष्ट्रीय फार्मूला भी है

इसे ही दो राष्ट्र समाधान के रूप में भी जाना जाता है इसके पीछे इसराइल के साथ-साथ 1967 से पहले की सीमाओं पर एक स्वतंत्र फलस्तीनी राष्ट्र के निर्माण का विचार है। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों में भी यही लिखा गया है

यरूशलम की एक तिहाई आबादी फलस्तीनी मूल की है जिनमें से कई के परिवार सदियों से यहाँ रहते आ रहे हैं शहर के पूर्वी हिस्से में यहूदी बस्तियों का विस्तार भी विवाद का एक बड़ा का कारण है अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत ये निर्माण अवैध हैं पर इसराइल इसे नकारता रहा है

अंतरराष्ट्रीय समुदाय दशकों से ये कहता रहा है कि यरूशलम की स्थिति में कोई भी बदलाव शांति प्रस्ताव से ही आ सकता है यही वजह है कि इसराइल में दूतावास रखने वाले सभी देशों के दूतावास तेल अवीव में स्थित हैं और यरूशलम में सिर्फ कांसुलेट हैं

लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप जोर दे रहे हैं कि वो अपने दूतावास को यरूशलम में स्थानांतरित करना चाहते हैं ट्रंप का कहना है कि इसराइलियों और फलस्तीनियों के बीच शांति के अंतिम समझौतों के तौर पर ऐसा कर रहे हैं। वो दो राष्ट्रों की अवधारणा को नकारते हैं। ट्रंप कहते हैं कि मैं एक ऐसा राष्ट्र चाहता हूँ  दोनों पक्ष सहमत हों