कई साल पहले हाई जंप का वर्ल्ड रेकॉर्ड था – 7 फुट, 4 इंच। सवाल यह था कि इसे तोड़ने के लिए इतने ऊंचे डंडे के ऊपर से कैसे छलांग लगाई जाए। जब एथलीट से एक आम आदमी ने पूछा, ‘आप इतना ऊंचा कैसे कूदोगे?’ तो उसने जबाव में कहा, ‘मैं अपने दिल को डंडे के ऊपर फेंकता हूँ, जिस्म अपने आप ऊपर चला आता है।’
जिंदगी में कोई भी काम सिर्फ हाथ और दिमाग से ही नहीं होता। जब तक किसी काम से दिल नहीं जुड़ा होगा, तब तक उसे कुशलतापूर्वक नहीं किया जा सकता। एक कारीगर और एक कलाकार में बस यही फर्क होता है। याद रखिए कि,
“जो इंसान सिर्फ हाथ से काम करता है, उसे मजदूर कहा जाता है।
जो इंसान हाथ और दिमाग से काम करता है, उसे कारीगर कहा जाता है।
और जो इंसान हाथ, दिमाग और दिल, तीनों से काम करता है, उसे कलाकार कहा जाता है।”
जब तक हम हर कार्य को कला का रूप नहीं देंगे, जिंदगी में कभी सफल नहीं हो सकते। अलग ढंग से काम करने वाले हाथ, दिमाग और दिल, तीनों का इस्तेमाल बखूबी ढंग से करते हैं, और यही बात उन्हें विजेता बनाती है। तो इसमें क्या ताज्जुब की बात है कि वह एथलीट चैंपियन बना!
मंजिल पाने के लिए इंसान को सच्चा और ईमानदार होना बेहद जरूरी है। जब तक हम खुद के प्रति ईमानदार और सच्चे नहीं होंगे, तब तक दूसरे के प्रति वफादार नहीं हो सकते। इसलिए जीवन में कोई भी संकल्प लेने से पहले यह जरूर विचार कर लें कि ‘मैं इस संकल्प में अपना 100 प्रतिशत न्यौछावर करने के लिए पूरी तरह तैयार हूँ या नहीं।’ क्योंकि जो लोग कोशिश करने की बात करते हैं, वो हमेशा असफलता को गले लगाते हैं। ध्यान रखें कि संकल्प करने के बाद जो व्यक्ति रास्ते में आने वाली सभी चुनौतियों का जवाब देकर आगे बढ़ना जारी रखता है, वही जीतता है।
बहुत से लोग प्रोजेक्ट या योजनाएं तो बनाते हैं, फिर उन्हें शुरू भी करते हैं, लेकिन उन्हें खत्म नहीं करते। इसका नतीजा यह होता है कि उनके अंदर कभी पूर्ति का अहसास नहीं हो पाता। उनमें वह भाव या उत्साह नहीं आ पाता, जो उस संकल्प या योजना को पूरा करके आ सकता था। इसलिए जिस काम की शुरुआत की जाए, उसे पूरा भी करना चाहिए, वरना इंसान खुद को अंदर से खोखला महसूस करता है।
हमेशा याद रखिए, दुनिया भी हमेशा सफलता को सलाम करती है, मेहनत को नहीं।