सुप्रीम कोर्ट का फैसला
तमिलनाडु और कर्नाटक के बाच काफी लंबे समय से चल रहे कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु को मिलने वाले पानी का हिस्सा घटाकर 192 से 177.25 TMCFt करते हुए यह हिस्सा कर्नाटक को आवंटित कर दिया है। हिस्सेदारी बढ़ जाने के बाद कर्नाटक को 270 TMCFt की जगह 284.75 TMCFt पानी मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने 1894 और 1924 के समझौतों को तथा उन्हें वैध ठहराने वाले ट्रिब्यूनल के फैसले को भी सही करार दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि राष्ट्रीय जल योजना के लागू होने के बाद कोई भी राज्य किसी ऐसी नदी पर अपना एकछत्र अधिकार नहीं जता सकता, जो किसी राज्य में उद्गम होने के बाद किसी दूसरे राज्य से गुजरती है। कोर्ट ने कहा है कि तमिलनाडु को हर महीने दिये जाने वाले पानी को लेकर ट्रिब्यूनल का आदेश अगले 15 साल तक मान्य होगा।
TMCFt- एक हजार मिलियन घन फीट का संक्षिप्त रूप है, जो किसी नदी या जलाशय में जल प्रवाह आयतन को संदर्भित करता है।
कावेरी जल विवाद
कावेरी एक अंतरराज्जीय बेसिन है जिसका उदगम कर्नाटक है और यह बंगाल की खाड़ी में गिरने से पूर्व तमिलनाडु और पांडिचेरी से होकर गुजरता है। कावेरी बेसिन का कुल जलसंभरण 81,155 वर्ग किलोमीटर है जिनमें से कर्नाटक में नदी का जल संभरण क्षेत्र लगभग 34,273 वर्ग किलोमीटर है, केरल में कुल जल संभरण क्षेत्र 2,866 वर्ग किलोमीटर है तथा तमिलनाडु और पांडिचेरी में शेष 44,016 वर्ग किलोमीटर जल संभरण क्षेत्र है।
- कर्नाटक में हरंगी और हेमावती बांधों का निर्माण हरंगी और हेमावती नदियों पर किया गया है जो नदियों कावेरी नदी की सहायक नदियां हैं। कर्नाटक में मुख्य कावेरी नदी में इन दो बांधों के निम्न धारा में कृष्णा राजा सागर बांध का निर्माण किया गया है। कर्नाटक के कबिनी जलाशय का निर्माण कावेरी नदी की एक साहायक नदी कबिनी नदी पर किया गया है जो कृष्णा सागर जलाशय में जुड़ती है। तमिलनाडु में कावेरी की मुख्यधारा में मेटुर बांध का निर्माण किया गया है । कावेरी के साथ कबिनी और मेटूर बांध के संगम के बीच केन्द्रीय जल आयोग ने मुख्य कावेरी नदी पर दो जीएंडडी स्थलों यथा कोलेगल और बिलीगुंडलू की स्थापना की है। बिलीगुंडुलू जीएंडडी स्थल मेटूर बांध के तहत लगभग 60 किलोमीटर है जहां कावेरी नदी कर्नाटक और तमिलनाडु के साथ सीमा का निर्माण करती है।
- तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पुदुचेरी राज्यों के बीच अंतरराज्जीय कावेरी जल और नदी घाटी के संबंध में जल विवाद के न्यायनिर्णयन करने के लिए भारत सरकार ने 2 जून, 1990 को कावेरी जल विवाद अधिकरण (सीडब्लूडीटी) का गठन किया।
- कावेरी जल विवाद अधिकरण (सीडब्लूडीटी) ने कर्नाटक राज्य को कर्नाटक में अपने जलाशय से पानी छोड़ने का निर्देश देते हुए 25 जून, 1991 को एक अंतरिम आदेश पारित किया था ताकि किसी जल वर्ष में (1 जून से 31 मई) के बीच मासिक रूप से या साप्ताहिक आकलन के रूप में तमिलनाडु के मेटूर जलाशय को 205 मिलियन क्यूबिक फीट (टलएमसी) पानी सुनिश्चित हो सके।
- किसी विशेष महीने के संदर्भ में चार बराबर किस्तों में चार सप्ताहों में पानी छोड़ा जाना होता है। यदि किसी सप्ताह में पानी की अपेक्षित मात्रा को जारी करना संभव नहीं हो तो उक्त कमी को बाद के सप्ताह में छोड़ा जाएगा। विनियमित तरीके से तमिलनाडु राज्य द्वारा पांडिचेरी संघ राज्य क्षेत्र के काराइकेल क्षत्र के लिए 6 टीएमसी जल दिया जाएगा।