भारत और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं के बीच तीसरा नौसैनिक युद्धाभ्यास ऑसीइंडैक्स-2019 विशाखापतनम के नौसैनिक अड्डे पर 02 अप्रैल 2019 को शुरू हुआ। ऑसीइंडैक्स के तीसरे संस्करण में भाग लेने के लिये आस्ट्रेलियाई नौसेना के हेलिकॉप्टर पोत कैनबरा, फ्रिगेट न्यू कैसल और पारामाट्टा, पनडुब्बी कोलिंस और एक तेलवाहक पोत विशाखापतनम अड्डे पर पहुँच चुके हैं।
इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य भारतीय नौसेना और रॉयल ऑस्ट्रेलियन नौसेना के बीच सम्पर्क और व्यवसायिक विचारों के आदान-प्रदान के अवसर उपलब्ध कराने के माध्यम से दोनों नौसेनाओं के बीच परस्पर सहयोग और अंतर-संचालन को मजबूती देना और उसमें वृद्धि करना है। भारत के प्रधानमंत्री और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री द्वारा 2014 में घोषित सुरक्षा सहयोग के लिए फ्रेमवर्क (एफएससी) की परिकल्पना के अनुरूप दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय और रक्षा सहयोग को मजबूत करने के संकेत के रूप में विशाखापत्तनम में सितंबर 2015 में अभ्यास का पहला संस्करण आयोजित किया गया था।
अभ्यास के दूसरे संस्करण की मेजबानी ऑस्ट्रेलिया ने जून 2017 में फ्रीमैंटल में की थी, जिसमें भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े के जहाजों ने रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के जहाजों और पनडुब्बियों के साथ अभ्यास किया।
मुख्य बिंदु
➤ पिछले चार वर्षों में द्विवार्षिक सामुद्रिक अभ्यास की जटिलता निरंतर बढ़ती गई है। तीसरे संस्करण में एएसडब्ल्यू पर केन्द्रित तीनों आयामों वाले अभ्यास शामिल किये जाएंगे।
➤ द्विपक्षीय अभ्यास में दोनों देशों की नौसेनाओं द्वारा अब तक की सर्वाधिक इकाइयां भाग ले रही हैं।
➤ दोनों देशों द्वारा भागीदारी के पैमाने में वृद्धि इस अभ्यास को दिये जा रहे महत्व को दर्शाती है, जबकि बढ़ी हुई जटिलता दोनों नौसेनाओं के बीच अंतर-संचालन का संकेत है।
यह अभ्यास भारत के विजन सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और प्रगति) और सामुद्रिक क्षेत्र में अच्छी व्यवस्था सुनिश्चित करने के प्रति दोनों देशों के साझा उद्देश्यों को रेखांकित करता है तथा मित्र एवं सामंजस्यपूर्ण देशों के साथ एकजुटता प्रकट करता है।
पृष्ठभूमि
पहले विश्व युद्ध के दौरान गैलीपोली की खाइयों और पश्चिमी मोर्चे के साथ साझा अनुभवों सहित सहयोग के लंबे इतिहास पर आधारित भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सकारात्मक रक्षा संबंध रहे हैं, जिन्हें साल 2006 के रक्षा सहयोग के ज्ञापन तथा साल 2009 के सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा-पत्र के माध्यम से नया आधार प्रदान किया गया। हालांकि साल 2014 में द्विपक्षीय एफएससी के बाद दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा के मामलों को महत्वपूर्ण गति मिली और इस प्रकार सचेत और केन्द्रित वृद्धि देखी गई।
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