अध्ययन के अनुसार 15 से 19 आयु वर्ग की कन्याओं के बाल विवाह का राष्ट्रीय औसत 11.9 प्रतिशत है किंतु त्रिपुरा के लिए यही आंकड़ा 21.6 प्रतिशत का है।
हाल ही में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किये गये एक अध्ययन के अनुसार भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में से एक त्रिपुरा बाल विवाह के मामलों में देश में दूसरे स्थान पर है। अध्ययन के अनुसार त्रिपुरा में 15 से 19 वर्ष की कन्याओं की शादी के मामले देखे गये हैं।
इस अध्ययन का शीर्षक ‘यंग लाइव्स-एन इंटरनेशनल स्टडी ऑन चाइल्डहुड पॉवर्टी’ है जिसमें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2015-16) का हवाला दिया गया है। इसमें कहा गया है कि राज्य में होने वाले सभी बाल विवाह के मामलों में 80 प्रतिशत विवाह तीन जिलों के स्थित ग्रामीण क्षेत्रों में होते हैं। यह अध्ययन ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की एक टीम द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।
मुख्य बिंदु
👫 अध्ययन के अनुसार 15 से 19 आयु वर्ग की कन्याओं के बाल विवाह का राष्ट्रीय औसत 11.9 प्रतिशत है किंतु त्रिपुरा के लिए यही आंकड़ा 21.6 प्रतिशत का है।
👫 इस अध्ययन से यह बात भी सामने आई है कि देश के 100 जिलों में से त्रिपुरा के चार ऐसे जिले शामिल हैं जहाँ बाल विवाह अत्यधिक प्रचलन में है।
👫 रिपोर्ट में यह भी तथ्य सामने आया है कि त्रिपुरा के धलाई जिले में बाल विवाह की दर 24.7 प्रतिशत है, जो राज्य में सबसे अधिक है। बाल विवाह के उच्च प्रसार वाले अन्य जिलों में दक्षिण त्रिपुरा, उत्तरी त्रिपुरा और पश्चिम त्रिपुरा शामिल हैं।
👫 किशोरावस्था में मां बनने वाली लड़कियों से पैदा होने वाले बच्चों की संख्या के विश्लेषण पर यह देखा गया है कि कि 52 प्रतिशत विवाहित किशोर लड़कियों ने कम से कम एक बच्चे को जन्म दिया है।
👫 इनमें 5.5 प्रतिशत लड़कियों ने कम से कम 2 बच्चों को जन्म दिया था और एक प्रतिशत में 2 से अधिक बच्चे थे।
भारत में बाल विवाह की स्थिति
नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (2015-16) के अनुसार, देश में बाल विवाद की औसत दर 11.9% है। हिमाचल प्रदेश और मणिपुर में आंकड़ों में कुछ वृद्धि जरूर दर्ज की गई है। एनएफएचएस 3 (2005-06) के आंकड़ों से एनएफएचएस-4 (2015-16) के आंकड़ों में उत्तर प्रदेश के आंकड़ों में काफी सुधार हुआ है। उत्तर प्रदेश में 29 फीसदी से दर कम होकर सिर्फ 6.4 फीसदी ही रह गया है। पश्चिम बंगाल में भी सुधार हुआ है, लेकिन अपेक्षाकृत कम है। बंगाल में 34 फीसदी से यह दर कम होकर 25.6 फीसदी रह गई है।
बाल विवाह कानूनी अपराध
बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत बाल विवाह दंडनीय अपराध है। इसमें 18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों का विवाह करने पर दो साल की जेल और एक लाख रुपये का जुर्माने का प्रावधान है। ऐसे विवाह में हिस्सा लेने वाले लोगों पर भी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।
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