नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में इलेक्ट्रिक टैक्सियों के लिये वायरलेस चार्जिंग की सुविधा उपलब्ध कराने वाला यह दुनिया का पहला शहर बन गया है। नॉर्वे सरकार ने एक परियोजना के तहत ओस्लो शहर की सड़कों पर इंडक्शन टेक्नोलॉजी के साथ चार्जिंग प्लेट इंस्टॉल किया है, जहाँ इलेक्ट्रिक कार को चार्ज किया जा सकता है।
नॉर्वे की पर्यावरण हितैषी परियोजना
नॉर्वे की कुल आबादी भारत से कहीं ज्यादा कम है. वहाँ की सरकार ने देश को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये एक परियोजना तैयार की है।
सरकार की योजना के अनुसार ओस्लो में इलेक्ट्रिक कार चार्जिंग स्टेशन का पुख्ता इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराकर लोगों में इलेक्ट्रिक कार खरीदने को बढ़ावा दिया जा रहा है।
इसके अलावा इलेक्ट्रिक कार खरीदने पर टैक्स और अन्य छूट भी दी जाती है। इसी का नतीजा है कि 2018 में नॉर्वे में 46,143 नई इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री हुई।
आज नॉर्वे दुनिया में सबसे अधिक इलेक्ट्रिक कारें रखने वाला देश है और वहाँ 2023 तक शून्य उत्सर्जन प्रणाली कायम करने का लक्ष्य रखा गया है।
नॉर्वे में सबसे अधिक इलेक्ट्रिक कारें
इलेक्ट्रिक कार की बिक्री के आंकड़ों में नॉर्वे ने यूरोपीय कंट्री जर्मनी और फ्रांस को पछाड़ दिया है। यूरोपियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन द्वारा जारी जानकारी के अनुसार पिछले साल जर्मनी में 36,216 और फ्रांस में 31,095 इलेक्ट्रिक कारें खरीदी गई हैं। वहीं, नॉर्वे के पब्लिक चार्जिंग नेटवर्क के प्रमुख गुडब्रेन हैम्पबेल ने कहा है कि नॉर्वे दुनिया का सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक कार की ओनरशिप वाला देश है और पिछले साल यहाँ बिकने वाली हर तीसरी कार में से एक इलेक्ट्रिक कार थी। इस देश में रोड टोल, पार्किंग, चार्जिंग प्वाइंट में डिस्काउंट दिया जाना भी एक बड़ी वजह है।
वायरलेस चार्जिंग
इंडक्टिव चार्जिंग (वायरलेस चार्जिंग या कॉर्डलेस चार्जिंग के रूप में भी जाना जाता है) एक प्रकार का वायरलेस चार्जिंग है जो विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के माध्यम से दो वस्तुओं के बीच ऊर्जा को स्थानांतरित करने के लिए करता है। इसका उपयोग आमतौर पर एक चार्जिंग स्टेशन के साथ किया जाता है। यह एक पैड जैसा दिखने वाला उपकरण होता है जिसे सड़क पर फिट कर दिया जाता है। इसके ऊपर से गुजरने वाले इलेक्ट्रिक वाहन इस चुंबकीय उर्जा से स्वयं चलते-चलते चार्ज होते रहते हैं।
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