Wednesday, 26 December 2018

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 24 दिसंबर को मनाया गया


राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस भारत में 24 दिसंबर 2018 को मनाया गया। यह दिवस उपभोक्ता आंदोलन को अवसर प्रदान करता है और उसके महत्व को उजागर करता है। इसके साथ ही हर उपभोक्ता को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरुक करने की प्रेरणा देता है।

इस दिन लोगों को उपभोक्‍ता आंदोलन के महत्‍व को रेखांकित करने का अवसर मिलता है, साथ ही प्रत्‍येक उपभोक्‍ता को उनके अधिकारों और जिम्‍मेदारियों के बारे में अधिक जागरूक करने की आवश्‍यकता भी रेखांकित होती है।


विषयवस्‍तु

भारत में एक विशिष्‍ट विषयवस्‍तु के साथ राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय “उपभोक्‍ता शिकायतों के समयबद्ध निपटान” है


उद्देश्य

उपभोक्‍ता सुरक्षा अधिनियम का उद्देश्‍य त्रुटिपूर्ण वस्‍तुओं, सेवाओं में कमी तथा अनुचित व्‍यापार प्रचलनों जैसे विभिन्‍न प्रकार के शोषणों के खिलाफ उपभोक्‍ताओं को प्रभावी सुरक्षा उपलब्‍ध कराना है। ये दिन इसलिए मनाया जाता है ताकि उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा सके और इसके साथ ही अगर वे धोखाधड़ी, कालाबाजारी आदि का शिकार होते हैं तो वे इसकी शिकायत कर सकें।


राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के बारे में

भारत में 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए 24 दिसंबर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 लागू किया गया था।

इसके बाद इस अधिनियम में 1991 तथा 1993 में संशोधन किये गए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को अधिकाधिक कार्यरत और प्रयोजनपूर्ण बनाने के लिए दिसंबर 2002 में एक व्यापक संशोधन लाया गया और 15 मार्च 2003 से लागू किया गया। परिणामस्वारूप उपभोक्ता संरक्षण नियम, 1987 में भी संशोधन किया गया और 5 मार्च 2004 को अधिसूचित किया गया।

भारत में यह दिवस पहली बार वर्ष 2000 में मनाया गया यह दिवस भारत में प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। भारत सरकार ने उपभोक्ता के हितों को रक्षा करने तथा उनके अधिकारों को बढावा देने के उद्देश्य से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कानून बनाया था। 


उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986

यह अधिनियम उन सभी उपभोक्ता अधिकारों को सुरक्षित करता है जिनको अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया। इस अधिनियम के अनुसार उपभोक्ता अधिकारों को बढ़ावा देने और संरक्षण देने के लिए केंद्रीय, राज्य एवं जिला स्तरों पर उपभोक्ता संरक्षण परिषद स्थापित किए गए है।

सुरक्षा का अधिकार: जीवन के लिए नुकसानदेह/हानिकारक वस्तुाओं और सेवाओं के खिलाफ संरक्षण प्रदान करना। 

सूचना का अधिकार: उपभोक्ता द्वारा अदा की गई कीमतों /सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, वजन और कीमतों की जानकारी ताकि गलत व्यापारिक प्रक्रियाओं द्वारा किसी उपभोक्ता को ठगा नहीं जा सके।

चुनने का अधिकार: प्रतिस्पर्धी कीमतों पर वस्तुओं और सेवाओं के अनेक प्रकारों तक यथासंभव पहुँच को निश्चित करना।

सुने जाने का अधिकार: उपयुक्त फोरम पर सुने जाने का अधिकार और यह आश्वासन कि विषय पर उचित ध्यान दिया जाएगा।

उपचार का अधिकार: गलत या प्रतिबंधित कारोबारी गतिविधियों/शोषण के खिलाफ कानूनी उपचार की मांग करना।


उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार: उपभोक्ता शिक्षा तक पहुँच 

हाल ही में, लोकसभा में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2018 पास हो गया है। यह विधेयक उपभोक्ताओं के हित के संरक्षण तथा उनसे जुड़े विवादों का समय से प्रभावी निपटारा करेगा। उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2018 पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 की जगह लेगा। इसका उद्देश्य भ्रामक विज्ञापनों, डिजिटल लेनदेन और ई-कॉमर्स से जुड़ी समस्याओं को बेहतर तरीके से दूर करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है।

इस विधेयक में यह प्रावधान है कि यदि कोई निर्माता या सेवा प्रदाता झूठा या भ्रामक प्रचार करता है जो उपभोक्ता के हित के खिलाफ है तो उसे दो साल की सजा और 10 लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है। अपराध दोहराये जाने पर जुर्माने की राशि 50 लाख रुपये तक और कैद की अवधि पांच साल तक हो जायेगी।