Monday, 5 November 2018

भारत-जापान ने तुरगा पनबिजली समझौते पर हस्ताक्षर किये


भारत एवं जापान के प्रतिनिधियों के मध्य हाल ही में 1,817 करोड़ रुपये का पनबिजली समझौता हस्ताक्षरित किया गया। यह समझौता तुरगा पनबिजली परियोजना के लिए किया गया। इस परियोजना के तहत तुरगा पंपडस्टोरेज पनबिजली परियोजना का निर्माण किया जायेगा।

यह आशा की जा रही है कि तुरगा पनबिजली परियोजना के पूरा के होने के बाद पश्चिम बंगाल में औद्योगिक विकास तथा जीवन-यापन स्तर में सुधार देखने को मिल सकता है।


तुरगा पनबिजली परियोजना के प्रमुख तथ्य

💡 तुरगा पनबिजली परियोजना समझौते पर भारत सरकार की ओर से केन्द्रीय वित्त मंत्रालय तथा जापान की ओर से जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) के मुख्य प्रतिनिधि कात्सुओ मात्सुमोतो ने हस्ताक्षर किये।

💡 इस परियोजना का उद्देश्य विद्युत् मांग को पूरा करना है।

💡 इस परियोजना से औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आएगी।

💡 यह माना जा रहा है कि तुरगा पनबिजली परियोजना से पश्चिम बंगाल के स्थानीय क्षेत्रों में बिजली की कमी की समस्या से निजात मिलेगी।


पनबिजली उर्जा क्या होती है?

बहते हुए या गिरते हुए जल की उर्जा से जो विद्युत उत्पन्न की जाती है उसे पनबिजली अथवा जलविद्युत कहते हैं। वर्ष 2005 में विश्व भर में लगभग 816 गीगावाट इलेक्ट्रिकल जलविद्युत उर्जा उत्पन्न की जाती थी जो कि विश्व की सम्पूर्ण विद्युत उर्जा का लगभग 20 प्रतिशत है। यह बिजली उत्पादन प्रक्रिया प्रदूषण रहित होती है और पर्यावरण के अनुकूल होती है।


पनबिजली उर्जा प्रक्रिया

बाँध के ऊपर एक अग्रताल बनाया जाता है, जहाँ से पानी खुली नहर अथवा नलों द्वारा बिजलीघर तक ले जाया जाता है। यह पानी बिजलीघर में स्थित बड़े बड़े टरबाइनों को चलाता है, जिनसे योजित जनित्रों में विद्युत् शक्ति का जनन होता है। टरबाइन, सीमेंट कंक्रीट के बने ड्राफ़्टट्यूब के मुख पर अवस्थित होता है। पानी गाइड वेन में होता हुआ टरबाइन के ब्लेडों को घुमाता है और इस प्रकार अपने निहित ऊर्जा का टरबाइन के चलाने में उपयोग करता है। चलते हुए टरबाइन की यांत्रिक ऊर्जा विद्युत् ऊर्जा में रूपांतरित कर दी जाती है और इस प्रकार जल में निहित ऊर्जा जलविद्युत् का रूप ले लेती है।


भारत और जापान संबंध

भारत और जापान के बीच 1958 से द्विपक्षीय सम्बन्ध फलीभूत हुए हैं पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग में काफी वृद्धि हुई है इससे दोनों देशों के सामरिक, आर्थिक तथा वैश्विक सहयोग में भी सुदृढ़ता देखने को मिली है