चिट फंड अधिनियम, 1982 की धारा 2 (बी) के अनुसार:
चिट फंड स्कीम का मतलब होता है कि कोई शख्स या लोगों का समूह या पड़ोसी आपस में वित्तीय लेन देन के लिए एक समझौता करे। इस समझौते में एक निश्चित रकम या कोई चीज एक तय वक्त पर किश्तों में जमा की जाती है और परिपक्वता अवधि पूरी होने पर ब्याज सहित लौटा दी जाती है। चिट फण्ड को कई नामों जैसे चिट, चिट्टी, कुरी से भी जाना जाता है। चिट फण्ड के माध्यम से लोगों की छोटी छोटी बचतों को इकठ्ठा किया जाता है। चिट फंड अक्सर माइक्रोफाइनेंस संगठन होते हैं।
भारत में चिट फंड का रेगुलेशन चिट फंड अधिनियम, 1982 के द्वारा होता है। इस कानून के तहत चिट फंड कारोबार का पंजीयन व नियमन संबद्ध राज्य सरकारें ही कर सकती हैं। चिट फंड एक्ट 1982 के सेक्शन 61के तहत चिट रजिस्ट्रार की नियुक्ति सरकार के द्वारा की जाती है। चिट फंड के मामलों में कार्रवाई और न्याय निर्धारण का अधिकार रजिस्ट्रार और सम्बंधित राज्य सरकार का ही होता है।
चिट फंड क्यों सफल होते हैं?
चिट फण्ड की सफलता का राज यह है कि इन कंपनियों का बिजनेस ऐसे एजेंटों के माध्यम से चलता है जो कि पने आस-पास के लोगों, रिश्तेदारों को जानते हैं इसलिए इन लोगों से पैसा निवेश करवाने में आसानी होती है।
कंपनियां ग्रामीण और टाउन इलाकों में ज्यादा सक्रिय रहती हैं। बाजार में फैले उनके एजेंट साल, महीनें या फिर दिनों में जमा पैसे पर दोगुने या तिगुने मुनाफे का लालच देते हैं। अर्थात चिट फण्ड कंपनियों द्वारा ललचाऊ और लुभावनी योजनाओं (पॉन्जी स्कीम) के जरिए कम समय में बहुत अधिक मुनाफा देने का दावा किया जाता है। चिट फण्ड कम्पनियाँ कंपनी के विज्ञापन और बुकलेट में बड़ी-बड़ी फिल्मी हस्तियों, बड़े-बड़े नेताओं, के साथ अपने फोटो छपवा देते हैं जिसके कारण निवेशक कंपनी और एजेंटों पर आंख मूंद कर भरोसा कर लेते हैं। कंपनियां निवेश की रकम का 25 से 40 फीसदी तक एजेंट को कमीशन के तौर पर देती हैं। जिसके कारण ये एजेंट अपने सगे सम्बन्धियों का पैसा भी इनमें लगवा देते हैं।
चिट फंड कंपनियां इस काम को मल्टी लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) में तब्दील कर देती हैं। इन चिट फण्ड कंपनियों में अक्सर मौजूदा एजेंटों को इस स्कीम में अन्य लोगों को जोड़ने पर और भी अधिक कमीशन दिया जाता है जिससे इनका नेटवर्क दिन रात बड़ा होता जाता है।
चिट फण्ड कम्पनियाँ पैसा कहाँ निवेश करतीं हैं;
चिट फण्ड कम्पनियाँ मुख्य रूप से शेयर बाजार, रियल एस्टेट, होटल, मनोरंजन और पर्यटन, माइक्रो फाइनेंस, अखबार, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, अभिनेताओं और हस्तियों के साथ अनुबंध में पैसा लगातीं हैं।