हाल ही में संयुक्त राष्ट्र बाल निधि (UNICEF) ने एक रिपोर्ट, 'फैक्टशीट चाइल्ड मैरिजेज 2019' जारी की है जिसके अंतर्गत कहा गया है कि भारत के कई क्षेत्रों में अब भी बाल विवाह हो रहा है। इसमें कहा गया है कि पिछले कुछ दशकों के दौरान भारत में बाल विवाह की दर में कमी आई है लेकिन बिहार, बंगाल और राजस्थान में यह प्रथा अब भी जारी है।
भारत के संदर्भ में यूनिसेफ की रिपोर्ट
➦ यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार, बंगाल और राजस्थान में बाल विवाह की यह कुप्रथा आदिवासी समुदायों और अनुसूचित जातियों सहित कुछ विशेष जातियों के बीच प्रचलित है।
➦ रिपोर्ट में कहा गया है कि बालिका शिक्षा की दर में सुधार, किशोरियों के कल्याण के लिये सरकार द्वारा किये गए निवेश व कल्याणकारी कार्यक्रम और इस कुप्रथा के खिलाफ सार्वजनिक रूप से प्रभावी संदेश देने जैसे कदमों के चलते बाल विवाह की दर में कमी देखने को मिली है।
➦ रिपोर्ट के अनुसार 2005-2006 में जहाँ 47 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो गई थी, वहीं 2015-2016 में यह आँकड़ा 27 फीसदी था।
➦ यूनिसेफ के अनुसार, अन्य सभी राज्यों में बाल विवाह की दर में गिरावट लाए जाने की प्रवृत्ति दिखाई दे रही है किंतु कुछ ज़िलों में बाल विवाह का प्रचलन अब भी उच्च स्तर पर बना हुआ है।
वैश्विक संदर्भ में यूनिसेफ की रिपोर्ट
➦ मौजूदा समय में विश्व भर में लगभग 65 करोड़ ऐसी लड़कियाँ/महिलाएँ हैं जिनकी शादी 18 वर्ष की उम्र से पहले ही कर दी गई है, जबकि बचपन में लड़कियों की शादी कर दिये जाने के मामले में यह संख्या प्रतिवर्ष करीब 1.2 करोड़ है।
➦ दक्षिण एशिया में बाल विवाह की दर 40 प्रतिशत (वैश्विक दर की) है, जबकि उप-सहारा अफ्रीका में बाल विवाह की दर 18 प्रतिशत (वैश्विक दर की) है।
➦ लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में बाल विवाह की स्थिति में बदलाव नहीं आया है।
➦ पिछले एक दशक में बाल विवाह की दर में 15 प्रतिशत की कमी आई है जिसके तहत लगभग 2.5 करोड़ बाल विवाह होने से रोके गए हैं।
बाल विवाह के कारण
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार गरीबी, लड़कियों की शिक्षा का निम्न स्तर, लड़कियों को आर्थिक बोझ समझना, सामाजिक प्रथाएँ एवं परंपराएँ बाल विवाह के प्रमुख कारण हैं। भारत में बाल विवाह पर रोक संबंधी कानून सर्वप्रथम सन् 1929 में पारित किया गया था। बाद में सन् 1949, 1978 और 2006 में इसमें संशोधन किये गए। बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के नए कानून के तहत बाल विवाह कराने पर 2 साल की जेल एक लाख रुपए का दंड निर्धारित किया है।