What is the Geneva Convention and what powers it pays to the prisoners (Author : R. Kumari)
जेनेवा समझौता क्या है और यह युद्धबंदियों को क्या अधिकार देता है?
भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की तनातनी की स्थिति में 27 फरवरी को भारत का एक जेट विमान जब क्रेश हो गया तो उसमें सवार विंग कमांडर ‘अभिनंदन वर्तमान’ ने पैराशूट से छलांग लगा दी और पाकिस्तान की सीमा में पकडे गए। ऐसी हालत में कई लोगों के दिमाग में यह प्रश्न उठ रहा है कि अब पाकिस्तान जैसा क्रूर देश उनके साथ किस तरह का बर्ताव करेगा।
आइये इस बारे में विस्तार से जानते हैं:-
युद्धबंधियों के मानव अधिकारों की रक्षा के लिए जेनेवा समझौते में चार संधियां हुई हैं जो कि यह नियम बतातीं हैं कि युद्ध में पकडे गए सैनिकों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाना चाहिए।
जेनेवा समझौता क्या है?
जेनेवा समझौता मुख्य रूप से युद्धबंदियों के मानवाधिकारों को बनाये रखने के लिए बनाया था ताकि युद्ध के दौरान शत्रु देश द्वारा बंदी बनाये गये सैनिकों के साथ मानवीय व्यवहार किया जाये।
दरअसल युद्धबंदियों (Prisoner of war) के अधिकारों को बरकरार रखने के जेनेवा समझौते (Geneva Convention) में कई नियम दिए गए हैं।
जेनेवा समझौते में चार संधियां और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल (मसौदे) शामिल हैं। यह संधि युद्ध बंदियों के मानवाधिकारों का संरक्षण करती है। मानवता को बरकरार रखने के लिए पहली संधि 1864 में हुई थी। इसके बाद दूसरी संधि 1906 में और तीसरी संधि 1929 में हुई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1949 में 194 देशों ने मिलकर चौथी संधि की थी जो कि अब तक लागू है।
जिनेवा संधि के तहत युद्धबंदियों को किसी भी तरह से डराया-धमकाया या उनका अपमान नहीं किया जा सकता है। पकड़े जाने पर युद्धबंदियों को अपना नाम, सैन्य पद और नंबर बताने का प्रावधान किया गया है और युद्धबंदी की जाति, धर्म, जन्म आदि बातों के बारे में नहीं पूछा जाता है।
युद्धबंदियों पर या तो मुकदमा चलाया जा सकता है या युद्ध के बाद उन्हें उनके देश को लौटा दिया जाता है।
हालांकि कुछ देशों ने जिनेवा संधि का उल्लंघन किया है। पूर्व एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने कहा है पाकिस्तान हर समय जिनेवा संधि का पालन नहीं करता है, हालाँकि ऐसे समय में जब पूरे विश्व का पाकिस्तान के ऊपर दबाव है तो पाकिस्तान एक और इंटरनेशनल ट्रीटी का उल्लंघन नहीं करना चाहेगा। अगर पाकिस्तान ऐसा करता है तो उसे इसका खामियाजा भुगतना होगा।
जेनेवा संधि के मुख्य नियम इस प्रकार हैं;
➦ युद्धबंदियों से उनका नाम, सैन्य पद और नंबर पूछा जा सकता है और युद्धबंदी की जाति, धर्म, जन्म आदि बातों के बारे में नहीं पूछा जा सकता है साथ ही उसे डराया धमकाया या मारा पीटा नहीं जा सकता है।
➦ घायल सैनिक की उचित देखरेख की जाती है यदि कोई घाव या चोट लगी है तो उसका उपचार भी किया जाता है।
➦ युद्धबंदियों को खाना पीना और जरूरत की सभी चीजें दी जाती है।
➦ किसी भी युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जा सकता है।
➦ किसी देश का सैनिक (स्त्री या पुरुष) जैसे ही पकड़ा जाता है उस पर ये संधि लागू होती है।
➦ युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जा सकता है।
पाकिस्तान ने जिस तरह के वीडियो सोशल मीडिया पर डाले हैं उससे तो यह बात स्पष्ट हो जाती है कि उसने जेनेवा संधि का उल्लंघन कर दिया है क्योंकि अभिनंदन वर्तमान को जनता ने पीटा है और उनके मुंह और चेहरे से खून भी निकलता दिख रहा है।
हालाँकि भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि उसके सैनिक को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुँचाया जाना चाहिए यदि ऐसा हुआ तो अंजाम भुगतने के लिए भी पाकिस्तान तैयार रहे।
अंत में एक भारतीय के रूप में हम सभी कामना करते हैं कि पाकिस्तान को सद्बुद्धि आये और वह जेनेवा संधि का पालन करते हुए अभिनंदन वर्तमान को सही सलामत भारत सरकार को सौंपे।
वर्ष 1947 से अब तक भारत के कितने पायलटों को पाकिस्तान ने पकड़ा कैसा हुआ सलूक
ये पहला मौका नहीं है जब युद्ध के दौरान किसी भारतीय पायलट को पाकिस्तानी सेना ने बंदी बनाया हो. करीब सभी भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय पायलटों को पाकिस्तानी सेना ने बंदी बनाया है।
भारत पाक युद्ध 1965 एयर मार्शल (रिटा.) बृजपाल सिंह सिकंद
भारत-पाक युद्ध 1965 के दौरान तत्कालीन स्क्वाड्रन लीडर बृजपाल सिंह सिकंद को पाक सीमा में पकड़ लिया गया। युद्ध के दौरान वो एक जीनाट विमान उड़ा रहे थे। हवा में अपना पूरा कर वो सुरक्षित जमीन पर उतर चुके थे। लेकिन विमान उतारने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने गलती से दुश्मन देश की सीमा के पसरूर में विमान उतार दिया।
जब उन्होंने उड़ान भरनी चाहिए तब तक रनवे पर पाकिस्तानी सेना की जीप पहुँच गई, जिसने उड़ान में बाधा पहुँचाई। उन्हें घेरकर विमान से नीचे उतरने पर मजबूर कर दिया गया।
हालांकि बाद में जेनेवा संधि के तहत उन्हें पाकिस्तान ने रिहा कर दिया। वे एयर मार्शल के पद से रिटायर हुए।
उन्होंने साल 1950 में एक फाइटर पायलट के पद से इंडियन एयरफोर्स में शुरुआत की थी। बृजपाल सिंह सिकंद के अनुसार, तब उन्हें पाकिस्तानी सेना ने प्रताड़ित किया था।
भारत पाक युद्ध 1971 एयर वाइस मार्शल (रिटा.) आदित्य विक्रम पेठिया
भोपाल में रह रहे वायुसेना के रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल आदित्य विक्रम पेठिया 1971 में युद्ध के दौरान पाकिस्तान में युद्ध बंदी रह चुके हैं।
रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल आदित्य विक्रम पेठिया भारतीय वायुसेना की उस कमान में शामिल थे, जिसने 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान पर एयर अटैक किया। आदित्य विक्रम पेठिया पाकिस्तान की सीमा में युध्द बंदी बना लिए गए। वो पांच महीने वहाँ युद्ध बंदी रहे। उन्हें जो यातनाएं दी गयीं, उसे बयां करते हुए आज भी उनकी आंखों में गुस्सा उतर आता है। जिनेवा संधि के ज़रिए पांच महीने बाद उनकी रिहाई हुई।
भारत पाक युद्ध 1971 विंग कमांडर हरसरन सिंह गिल
भारत-पाक युद्ध 1971 के दौरान 3 दिसंबर से 13 दिसंबर तक विंग कमांडर हरसरन सिंह ने वेस्टर्न विंग का नेतृत्व किया। वे एक जांबाज सेनानी थे। उन्होंने कई दुश्मन विमानों को धूल चटाई। 13 दिसंबर को हवा में युद्ध के दौरान उन्होंने चार दुश्मन विमानों के छक्के छुड़ा दिए। लेकिन जब चारों दुश्मन जहाज वापस भागने लगे तो उन्होंने अकेले ही अपने मिग 21 विमान से चारों को खदेड़ लिया।
लेकिन इसी दौरान पाकिस्तान ने जमीन से हमला कर उनके विमान को गिरा दिया। इसमें वे शहीद हो गए. उनके इस असाधारण वीरता के लिए उन्हें वीर चक्र से नवाजा गया।
कारगिल युद्ध 1999 लेफ्टिनेंट नचिकेता
कारगिल ऑपरेशन के दौरान सीमाई इलाके में पहाड़ियों पर बैठे घुसपैठियों को भगाने की कार्रवाई में एक मिग दुर्घटना का शिकार हो गया था। पायलट के विमान को छोड़ने के दौरान पैराशूट अनियंत्रित हो गया, जिसकी वजह से पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता को पाकिस्तान के इलाके में उतरना पड़ा। ये जानकारी होते ही भारत ने रेडक्रॉस और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नचिकेता को छुड़ाने की कोशिशें तेज कर दी थीं।
विंग कमांडर रिटायर्ड एके सिंह से बात की तो उन्होंने बताया, “27 मई 1999 के दिन, नचिकेता अपने मिग-27 विमान से दुश्मनों के ठिकानों पर हमला कर रहे थे। उन्होंने जैसे ही एक ठिकाने को निशाना बनाकर उसपर 30 एमएम की एक मिसाइल चलाई, उनके मिग-27 विमान का इंजन बंद हो गया। इंजन से चिंगारी और धुआं निकलने लगा। एक कुशल पायलट की तरह उन्होंने हवा में ही विमान के इंजन को फिर से चालू करने की कोशिश की, लेकिन इंजन शुरू नहीं हुआ। विमान से निकलकर वह पैराशूट द्वारा जिस जगह पर उतरे वह बर्फ से ढका दुश्मन का पहाड़ी इलाका था।
नचिकेता को पाकिस्तानी सेना ने पकड़ लिया। उन्हें रावलपिंडी की कालकोठरी में बंद कर दिया गया। भारतीय कोशिश, रेडक्रॉस और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दखल के चलते पाकिस्तान को झुकना। उसे नचिकेता को रिहा करने पर मजबूर होना पड़ा।
नचिकेता को आठ दिन बाद 3 जून 1999 को पाकिस्तान ने रिहा कर दिया था। नचिकेता 26 मई से पाकिस्तानी हिरासत में थे। हालांकि नचिकेता भारत लौटने के तीन साल बाद तक इलाज चलता रहा। वे दोबारा साल 2003 में फिर से उड़ान भरने के काबिल हुए। इसकी वजह उन्होंने खुद ही भारत लौटने के बाद कई मीडिया संस्थानों को दिए अपने इंटरव्यू में बताई है।
कारगिल युद्ध 1999 स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा
कारगिल युद्ध में जिस दिन लेफ्टिनेंट के नचिकेता पाकिस्तानी चपेट में आए थे, ठीक उसी दिन अजय आहूजा भी एक मिग-21 में हवा में मोर्चा संभाले हुए थे। युद्ध के दौरान एक पाकिस्तानी मिसाइल उनके विमान से आ टकराई। उनका विमान गिर गया। लेकिन इसमें उनकी जान नहीं गई।
एक रिपोर्ट के अनुसार जब स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा पाकिस्तान में गिरे तो वे जिंदा थे। लेकिन वहाँ गिरने के बाद उन्हें गोली मार दी गई। भारत के एयर वाइस-मार्शल एसके मलिक के अनुसार, "आहूजा की हत्या की गई थी। उनके सिर और सीने में गोली लगने के पुख्ता सबूत थे।" भारत ने तब पाकिस्तान पर जेनेवा संधि के उल्लंघन का आरोप भी लगाया था।
अजय आहूजा राजस्थान के कोटा के रहने वाले थे। साल 1985 में उनका चयन फाइटर पायलट के तौर पर भारतीय वायुसेना में हुआ था।