अशोक चक्र को भारत में 'धर्म चक्र' माना गया है। इस धर्म चक्र को 'विधि का चक्र' कहते हैं, जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है। इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि- जीवन गतिशील है और रुकने का अर्थ मृत्यु है
- मौर्य राजवंश के महान शासक सम्राट अशोक के बहुत से शिलालेखों पर प्रायः एक 'चक्र' (पहिया) बना हुआ है। इसे 'अशोक चक्र' कहते हैं। यह चक्र, धर्म चक्र का प्रतीक है। उदाहरण के लिये सारनाथ स्थित सिंह-चतुर्मुख एवं अशोक स्तम्भ पर अशोक चक्र विद्यमान है।
- भारत के राष्ट्रीय ध्वज में भी अशोक चक्र को दर्शाया गया है।
- अशोक चक्र में चौबीस तीलियाँ (स्पोक्स्) हैं, जो दिन के चौबीस घंटो का प्रतीक हैं।
- किसी बार-बार दुहराने वाली प्रक्रिया को भी 'चक्र' कहा जाता है। चक्र स्वत: परिवर्तित होते रहने वाले समय का प्रतीक है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार संसार को चार युगों से होकर गुजरना पड़ता है, जिन्हें सतयुग, त्रेता, द्वापर एवं कलि के नाम से जाना जाता है।
- कुछ लोग इन तीलियों का एक अन्य अर्थ भी लगाते हैं, जिसके अनुसार चक्र की चौबीस तीलियाँ भारतवासियों की एकता का प्रतीक है।
- अशोक चक्र शांति काल में दिया जाने वाला वीरता पुरस्कार है। यह युद्ध के अतिरिक्त शौर्य, बहादुरी और बलिदान के लिए दिया जाता है। इस पुरस्कार का वहीं महत्व है जो युद्ध काल में परमवीर चक्र का है।
इस पुरस्कार की स्थापना 4 जनवरी 1952 को स्थापित किया गया है तब इसका नाम ‘अशोक चक्र, वर्ग-1’ था। सन् 1967 में इस सम्मान
से वर्ग की शर्त का हटा दिया गया और इसके तीन सम्मान घोषित किए गए। इनका
नामकरण ‘अशोक चक्र’, ‘कीर्ति चक्र’ और ‘शौर्य चक्र’ किया गया। 1 फरवरी 1999 से केंद्र सरकार ने अशोक चक्र के लिए 1400 रुपए का मासिक भत्ता निर्धारित किया गया है। 3/8 इंच व्यास का सोने का गोल टुकड़ा। बीच में अशोक चक्र की प्रतिकृति, जोकि कमल की पंखुड़ियों से घिरी रहती है। पदक की परिधि को समेटते हुए अशोक चक्र नाम। दूसरी ओर कमल के फूल की उभरी प्रतिकृति। इसमें लगा रिबन की लंबाई 31 मिलीमीटर, 15 मिलीमीटर चौड़ाई, रंग गहरा हरा, बीच में 2 मिमी की केसरिया पट्टी है। यह पुरस्कार सेना के जवान, आम नागरिक को जीवित या मरणोपरांत दिया जाता है। आजादी के बाद से करीब 40 अशोक चक्र सम्मान दिए गए हैं।
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