भारतीय सेना के रणबांकुरों को असाधारण वीरता दर्शाने पर दिए जाने वाले
सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र का डिजाइन विदेशी मूल की एक महिला ने किया था और 26 जनवरी 1950 से अब तक इसके आरंभिक स्वरूप में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया
गया है।
- इस पदक की संरचना एवं इस पर अंकित आकृतियां भारतीय संस्कृति एवं दैविक वीरता को उद्धृत करती हैं। भारतीय सेना की ओर से 'मेजर जनरल हीरालाल अटल' ने परमवीर चक्र डिजाइन करने की जिम्मेदारी ' सावित्री खालोनकर उर्फ सावित्री बाई ' को सौंपी जो मूल रूप से भारतीय नहीं थीं।
- स्विट्जरलैंड में 20 जुलाई 1913 को जन्मी सावित्री बाई का मूल नाम 'ईवावोन लिंडा मेडे डे मारोस' था जिन्होंने अपने अभिवावक के विरोध के बावजूद 1932 में भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट के तत्कालीन कैप्टन विक्रम खानोलकर से प्रेम विवाह के बाद हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया था।
- मेजर जनरल अटल ने भारतीय पौराणिक साहित्य संस्कृत और वेदांत के क्षेत्र में सावित्री बाई के ज्ञान को देखते हुए उन्हें परमवीर चक्र का डिजाइन तैयार करने की ज़िम्मेदारी सौंपी। तत्कालीन समय उनके पति भी मेजर जनरल बन चुके थे। मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) 'इयान कारडोजो' की हालिया प्रकाशित पुस्तक परमवीर चक्र के मुताबिक सावित्री बाई ने भारतीय सेना के भरोसे पर खरा उतरते हुए सैन्य वीरता के सर्वोच्च पदक के डिजाइन के कल्पित रूप को साकार किया। पदक की संरचना के लिए उन्होंने महर्षि दधीचि से प्रेरणा ली जिन्होंने देवताओं का अमोघ अस्त्र बनाने को अपनी अस्थियां दान कर दी थीं जिससे 'इंद्र के वज्र' का निर्माण हुआ था।
परमवीर चक्र भारत
का सर्वोच्च सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की
शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह
सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। इस पुरस्कार की स्थापना भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी इस पुरस्कार के पात्र होते हैं एवं इसे देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है। इससे पहले जब भारतीय सेना ब्रिटिश सेना के तहत कार्य करती थी तो सेना का सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रास हुआ करता था।
लेफ्टीनेंट
या उससे कमतर पदों के सैन्य कर्मचारी को यह पुरस्कार मिलने पर उन्हें (या
उनके आश्रितों को) नकद राशि या पेंशन देने का भी प्रावधान है। हालांकि
पेंशन की न्यून राशि जो सैन्य विधवाओं को उनके पुनर्विवाह या मरने से पहले
तक दी जाती है अभी तक विवादास्पद रही है। मार्च 1999 में यह राशि बढाकर
1500 रुपये प्रतिमाह कर दी गयी थी। जबकि कई प्रांतीय सरकारों ने परमवीर
चक्र से सम्मानित सैन्य अधिकारी के आश्रितों को इससे कहीं अधिक राशि की
पेंशन मुहैय्या करवाती है।
परमवीर चक्र हासिल करने वाले शूरवीरों में सूबेदार मेजर बन्ना सिंह ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो कारगिल युद्ध तक जीवित थे। सूबेदार सिंह जम्मू कश्मीर लाइट इनफेन्ट्री के आठवें रेजीमेंट में कार्यरत थे।
परमवीर चक्र विजेताओं के नाम
- नायब सूबेदार बाना सिंह
- सूबेदार जोगिन्दर सिंह
- कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया
- मेजर सोमनाथ शर्मा
- कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद
- मेजर होशियार सिंह
- कैप्टन विक्रम बत्रा
- लांस नायक अल्बर्ट एक्का
- लेफ्टिनेंट कर्नल ए. बी. तारापोरे
- राइफलमैन संजय कुमार
- कम्पनी हवलदार मेजर पीरू सिंह
- कैप्टन मनोज कुमार पांडेय
- मेजर धन सिंह थापा
- ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव
- फ्लाइंग ऑफसर निर्मलजीत सिंह सेखों
- लांस नायक करम सिंह
- नायक जदु नाथ सिंह
- मेजर शैतान सिंह
- सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल
- मेजर रामास्वामी परमेस्वरन
- सेकेंड लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राने
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