Monday, 25 September 2017

कौन हैं रोहिंग्या मुस्लिम और क्यों हो रही है देश में इनकी चर्चा?




पिछले दिनों म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई हिंसा के बाद से ही म्यांमार से बड़ी तादाद में रोहिंग्या मुसलमान पलायन कर रहे हैं। 
  • इनके भारत में आने की खबरों के बीच देश के आम लोगों में भी अब इस बारे में चर्चा हो रही है। भारत में इनके अवैध रूप से शरण लेने से देश के लोगों के लिए खतरा बढ़ गया है। 
  • अब तक तकरीबन 4 लाख से भी अधिक रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश में पलायन कर चुके हैं। पिछले हफ्ते ही संयुक्त राष्ट्र ने रोहिंग्या समुदाय के "जातीय सफाये" को लेकर चिंता जाहिर की थी।
  • भारत सरकार ने उच्चतम न्यायालय में रोहिंग्या मुसलमानों को अवैध आप्रवासी बताते हुए उन्हें देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। सरकार ने कहा है कि म्यांमार के रोहिंग्या लोगों को देश में रहने की अनुमति देने से भारतीय नागरिकों के हित प्रभावित होंगे और तनाव पैदा होगा।


कौन हैं रोहिंग्या:-
  • रोहिंग्या लोगों का कोई देश नहीं है। यानी उनके पास किसी देश की नागरिकता नहीं है। वे म्यामांर में रहते हैं, लेकिन वह उन्हें सिर्फ गैरकानूनी बांग्लादेशी प्रवासी मानता है। 
  • म्यांमार सरकार की 2014 की जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक रखाइन की कुल आबादी करीब 21 लाख है, जिसमें से 20 लाख बौद्ध हैं।
  • यहाँ करीब 29 हजार मुसलमान रहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की करीब 10 लाख की आबादी को जनगणना में शामिल नहीं किया गया था। रिपोर्ट में इस 10 लाख की आबादी को मूल रूप से इस्लाम धर्म को मानने वाला बताया गया है। 
  • अधिकांश रखाइन बौद्धों का मानना है कि 'रोहंग्या' एक गढ़ी हुई धार्मिक पहचान है। ऐतिहासिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए म्यानमार के लोग दावा करते हैं कि बर्मा के अतीत में कभी भी कोई भी समुदाय नहीं था, जिसे रोहिंग्या कहा जाता है। 
  • बौद्ध और कट्टरपंथी रोहिंग्या के बीच कई बार झड़प हो चुकी है। ऐसे में वे म्यानमार से भागने को मजबूर हो रहे हैं।

बांग्लादेशी प्रवासी हैं
रोहिंग्या मुसलमान 15वीं सदी से म्यांमार में बसे हुए हैं और इन्हें बांग्लादेशी प्रवासी माना जाता है। ब्रिटिश काल के समय में साल 1948 तक भारत और बांग्लादेश से बड़ी संख्या में म्यांमार चले गए थे। 1948 में स्वतंत्र होने के बाद म्यांमार ने इनकी नागरिकता रद्द कर दी।