Sunday, 10 September 2017

जोन्हा जलप्रपात, चित्रकूट जलप्रपात, अमृतधारा जल प्रपात, दूधसागर झरना, नियाग्रा जलप्रपात, जोग प्रपात, हुंडरू जलप्रपात, धुआँधार प्रपात


जोन्हा जलप्रपात, राँची
जोन्हा जलप्रपात झारखण्ड की राजधानी राँची से 40 कि.मी. दूर टाटा-राँची मार्ग पर 'तईमारा' नामक गाँव के निकट स्थित है। यहाँ भगवान गौतम बुद्ध की एक प्रतिमा भी स्थापित की गई है, जिसके चलते इसे 'गौतम धारा' भी कहा जाता है।
राँची-मूरी मार्ग से दक्षिण में स्थित यह प्रपात भी राँची पठार की भ्रंश रेखा पर निर्मित है।
इस जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 150 फीट है।
जोन्हा प्रपात राढू नदी पर स्थित है। इसके पास में ही 'सीताधारी' नामक एक छोटा प्रपात भी है।
जलप्रपात हर दिन पर्यटकों की भीड़ से चहल-पहल भरा रहता है।
जोन्हा जलप्रपात पर बुद्ध का प्रसिद्ध मंदिर है और पर्यटक भगवान बुद्ध के मन्दिर के दर्शन के लिए भी जाते है।
इसके आस-पास का नज़ारा भी बहुत ख़ूबसूरत है, जो पर्यटकों को मंत्र-मुग्ध कर देता है।

चित्रकूट जलप्रपात
विवरण - 'चित्रकूट जलप्रपात' छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। यह प्रपात 'भारतीय नियाग्रा' के नाम से भी जाना जाता है।
राज्य- छत्तीसगढ़
जिला- बस्तर
नदी -इन्द्रावती नदी
ऊँचाई - 90 फुट
कब जाएँ -जुलाई-अक्टूबर
अन्य जानकारी - आकार में यह झरना घोड़े की नाल के समान है और इसकी तुलना विश्व प्रसिद्ध नियाग्रा झरनों से की जाती है।
चित्रकूट अथवा चित्रकोट जलप्रपात सभी मौसम में छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर ज़िले में इन्द्रावती नदी पर स्थित एक सुंदर जलप्रपात है। हालांकि छत्तीसगढ़ राज्य में और भी बहुत-से जलप्रपात हैं, किन्तु चित्रकूट जलप्रपात सभी से बड़ा है।आप्लावित रहने वाला यह जलप्रपात पौन किलोमीटर चौड़ा और 90 फीट ऊँचा है।
इस जलप्रपात की विशेषता यह है कि वर्षा के दिनों में यह रक्त लालिमा लिए हुए होता है, तो गर्मियों की चाँदनी रात में यह बिल्कुल सफ़ेद दिखाई देता है।
जगदलपुर से 40 कि.मी. और रायपुर से 273 कि.मी. की दूरी पर स्थित यह जलप्रपात छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा, सबसे चौड़ा और सबसे ज्यादा जल की मात्रा प्रवाहित करने वाला जलप्रपात है।
इस प्रपात से इन्द्रावती नदी का जल प्रवाह लगभग 90 फुट ऊंचाई से नीचे गिरता है।
चित्रकूट जलप्रपात बहुत खूबसूरत हैं और पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। सधन वृक्षों एवं विंध्य पर्वतमालाओं के मध्य स्थित इस जल प्रपात से गिरने वाली विशाल जलराशि पर्यटकों का मन मोह लेती है।
'भारतीय नियाग्रा' के नाम से प्रसिद्ध चित्रकूट प्रपात वैसे तो प्रत्येक मौसम में दर्शनीय है, परंतु वर्षा ऋतु में इसे देखना अधिक रोमांचकारी अनुभव होता है। वर्षा में ऊंचाई से विशाल जलराशि की गर्जना रोमांच और सिहरन पैदा कर देती है।
आकार में यह झरना घोड़े की नाल के समान है और इसकी तुलना विश्व प्रसिद्ध नियाग्रा झरनों से की जाती है।वर्षा ऋतु में इन झरनों की ख़ूबसूरती अत्यधिक बढ़ जाती है।
जुलाई-अक्टूबर का समय पर्यटकों के यहाँ आने के लिए उचित है।
चित्रकोट जलप्रपात के आसपास घने वन विराजमान हैं, जो कि उसकी प्राकृतिक सौंदर्यता को और बढ़ा देती है।
रात में इस जगह को पूरा रोशनी के साथ प्रबुद्ध किया गया है। यहाँ के झरने से गिरते पानी के सौंदर्य को पर्यटक रोशनी के साथ देख सकते हैं।
अलग-अलग अवसरों पर इस जलप्रपात से कम से कम तीन और अधिकतम सात धाराएँ गिरती हैं।

अमृतधारा जल प्रपात, छत्तीसगढ़
अमृतधारा जल प्रपात छत्तीसगढ़ राज्य के कोरिया ज़िले में स्थित है। सम्पूर्ण भारत में कोरिया को प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। इस ज़िले को प्रकृति ने अपनी अमूल्य निधियों से सजाया और सँवारा है। यहाँ चारों ओर प्रकृति के मनोरम दृश्य बिखरे पड़े हैं। इन्हीं में से एक 'अमृतधारा जल प्रपात' है, जो कि हसदो नदी पर स्थित है।

प्रपात की सुन्दरता
कोरिया जिला अपने पूरे घने जंगलों, पहाड़ों, नदियों और झरनों से भरा पड़ा है। अमृतधारा प्रपात कोरिया में सबसे प्रसिद्ध प्रपातों मे से एक है। छत्तीसगढ़ में कोरिया भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान एक रियासत थी। अमृतधारा जल प्रपात एक प्राकृतिक झरना है, जहाँ से हसदो नदी का जल गिरता है। यह झरना मनेन्द्रगढ़-बैकुन्ठपुर सड़क पर स्थित है। भारत के छत्तीसगढ़ में अमृतधारा प्रपात कोरिया ज़िले में है, जिसका जल 90 फीट की ऊंचाई से गिरता है। वह बिंदु जहाँ पानी गिरता है, वहाँ एक बड़ा ही प्यारा-सा बादल के जैसा माहौल चारों ओर बन जाता है, जिससे प्रपात की सुन्दरता में चार चाँद लग जाते हैं।

शिव मंदिर
अमृतधारा जल प्रपात एक बहुत ही शुभ शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस जगह के आस-पास एक बहुत प्रसिद्ध मेला हर साल आयोजित किया जाता है। मेले का आयोजन रामानुज प्रताप सिंह जूदेव, जो कोरिया राज्य के राजा थे, ने वर्ष 1936 में किया गया था। महाशिवरात्रि के उत्सव के दौरान इस जगह मे मेले का आयोजन होता है, जिस दौरान यहाँ लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उपस्थित होती है।

पर्यटन स्थल
पिकनिक व सैर-सपाटे के लिए भारी संख्या में लोग इस स्थान पर आते हैं। लोग यहाँ परिवार के साथ पिकनिक का अनुभव लेने आते है। पर्यटन स्थल तक जाने के लिए पक्की सड़क है। रैलिंग, पैगोडा रेस्ट हाउस का निर्माण भी कराया गया है। इसे देखने दूर-दूर से सैलानी प्रतिवर्ष आते रहते हैं। इस पर्यटन स्थल का ऐतिहासिक महत्व भी है। यहाँ हनुमान व भगवान शिव के मंदिर हैं, जो अपने प्रतिवर्ष लगने वाले मेलों के लिए भी प्रसिद्ध हैं

दूधसागर झरना, गोवा
दूधसागर झरना गोवा-कर्नाटक की सीमा के पास मांडवी नदी पर स्थित एक जलप्रपात है। दूधसागर शब्द का अर्थ है 'दूध के सागर'। यह झरना विश्व के सुंदर और लोकप्रिय झरनों में से एक है। यह झरना पणजी से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दूधसागर झरना सबसे ऊँचे झरनों की सूची में भारत में 5 वें और विश्व में 227वें स्थान पर है। इस झरना की ऊँचाई 310 मीटर और औसत चौड़ाई 30 मीटर है। दूधसागर झरना मानसून के दौरान पर्यटकों को ज़्यादा आकर्षित करता है।

सी ऑफ मिल्क
गोवा कर्नाटक बार्डर पर यह झरना बेहद ही मनोहारी दृश्य प्रस्तुत करता हैं। जैसा कि नाम से ही जाहिर है इसे 'सी ऑफ मिल्क' कहा जाता है। इसके सामने से रेलवे लाइन गुजरती है। शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण अभिनीत सुपरहिट फिल्म 'चेन्नई एक्सप्रेस' के कुछ शॉट इसी जगह फ़िल्माए गए थे।

नियाग्रा जलप्रपात
नियाग्रा जलप्रपात अमेरिका के न्यूयॉर्क और कनाडा के ओंटारियो प्रांतों के मध्य अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बहने वाली नियाग्रा नदी पर स्थित है।
यह दुनियाँ का सबसे ऊँचा जलप्रपात है। यह जलप्रपात न्यूयॉर्क के बफेलो से 27 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम और कनाडा के टोरंटो (ओन्टारियो) से 120 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में स्थित है।
यह जलप्रपात कनाडा के ओंटारियो और अमेरिका के न्यूयॉर्क राज्य की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित नियाग्रा नदी द्वारा बना है।
नियाग्रा नदी पर स्थित इस अद्भुत और अंतरमन को छू लेने वाले जलप्रपात को देखते समय कई सारे अहसास एक साथ पैदा होते हैं।
नियाग्रा जलप्रपात की खूबसूरती अतुलनीय है। यहां रात में होने वाले लाइट शॉ के सतरंगी नज़ारे की खूबसूरती बयां नहीं की जा सकती।
इस प्रपात से गिरने वाली अथाह जल राशि से इसकी विशालता का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
नियाग्रा जलप्रपात को दुनिया का एक करिश्मा ही कहा जाएगा। यहां गजब की खूबसूरती है।
स्थल की बात करें तो कनाडा की साइड पर जहां हॉर्स शू प्रपात है, वहीं अमेरिका वाली साडड पर अमेरिकन
प्रपात पड़ते हैं। हॉर्स शू प्रपात यहाँ आने वाले पर्यटकों को ऐसे ऑब्जर्वेशन रूम्स में ले जाते हैं, जहां गिरते पानी के बीच खड़े होने का अहसास होता है।
आमतौर वर्ष के दिसम्बर से फ़रवरी के बीच यहाँ सर्दी चरम पर होती है, जिस कारण यहाँ काफ़ी मात्रा बर्फ जमती है, इसकी ख़ूबसूरती देखने लायक होती है।

जोग प्रपात
जोग प्रपात को जरस्पा प्रपात भी कहा जाता है। यह शिमोगा, कर्नाटक से 104 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। एशिया के सबसे ऊँचे जल प्रपात के रूप में जाना जाने वाला जोग प्रपात कर्नाटक का मुख्य पर्यटक स्थल और आकर्षण का केन्द्र है।
जोग प्रपात अरब सागर में नदी के मुहाने के पास स्थित होनावर से 29 कि.मी. प्रतिकूल दिशा में स्थित है।
यह 253 मीटर की ऊँचाई से एक गहरी खाई में गिरता है और चार धाराओं में बंट जाता है, जिन्हें 'राजा' या घोड़े की नाल, 'रोरर', 'रॉकेट' और 'रानी' या 'ला डेम ब्लांशे' कहा जाता है।
यह प्रपात लोगों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है और इसे नदी के दोनों किनारों पर बने बंगलों से देखा जा सकता है।
धारा में नीचे की ओर जोग में एक विशाल पनबिजली परियोजना स्थापित की गई है।

हुंडरू जलप्रपात
हुंडरू जलप्रपात झारखण्ड राज्य का सबसे प्रसिद्ध जलप्रपात है। यह रांची से क़रीब 42 किलो मीटर दूर स्वर्णरेखा नदी के किनारे है। वर्षा ऋतु में इस झरने को देखने के लिए पर्यटकों की यहाँ भारी भीड़ उमड़ती है।
यह सुन्दर झरना राँची-पुरुलिया मार्ग पर स्थित है।
हुंडरू जलप्रपात 74 मीटर यानी क़रीब 243 फीट की उंचाई से गिरता है।
यह झारखण्ड का सबसे ऊँचा जलप्रपात है, जिसकी छटा देखते ही बनती है।
वर्षा के दिनों में इस जलप्रपात की धारा मोटी हो जाती है। इन दिनों में तो इसका दृश्य और भी सुंदर व मनमोहक हो जाता है।
इसी जलप्रपात से सिकीदरी में पनबिजली का उत्पादन किया जाता है।

धुआँधार प्रपात
धुआँधार प्रपात मध्य प्रदेश के जबलपुर के निकट स्थित एक बहुत ही सुन्दर जल प्रपात है।
भेड़ाघाट में जब नर्मदा नदी की ऊपरी धारा विश्व प्रसिद्ध संगमरमर के पत्थरों पर गिरती है, तो जल की सूक्ष्म बूँदों से एक धुएँ जैसा झरना बन जाता है, इसी कारण से इसका का नाम 'धुआंधार प्रपात' रखा गया है।
यह प्रपात नर्मदा नदी का जल प्रपात है, जो जबलपुर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
घुआंधार प्रपात अपनी शांति और सुन्दर दृश्यावली से पर्यटकों का मन मोह लेता है।
इसका जल लगभग 95 मीटर की ऊँचाई से गिरता है।
यहाँ से जल गिरने की गति बहुत ही तेज़ है।
इस प्रपात की गर्जना दूर-दूर तक सुनी जा सकती है।
इस आकर्षक जल प्रपात में जल की नन्हीं बूँदें बिखरकर धुँए का दृश्य बना देती हैं।
इसलिए इसे 'धुँआधार प्रपात' के नाम से जाना जाता है।