शिक्षा मनोविज्ञान दो शब्दों से मिलकर बना है, शिक्षा और मनोविज्ञान। मनोविज्ञान को मानसिक प्रक्रियाओं, अनुभवों और व्यवहार के वैज्ञानिक अध्ययन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। वहीं शिक्षा को इंसान के व्यक्तित्व के सर्वांगीण (शारीरिक, संज्ञानात्मक, भावनात्मक और सामाजिक विकास) के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
इस अर्थ में शिक्षा मनोविज्ञान बच्चों व बड़ों के मनोविज्ञान को शिक्षा के संदर्भ में व्यावहारिक रूप से प्रयोग करने के लिए सैद्धांतिक जमीन मुहैया करवाता है जिसके आधार पर अधिगम, प्रेरणा, व्यक्तित्व विकास और बाल मनोविज्ञान के विभिन्न विषयों पर एक समग्र समझ का निर्माण करने की कोशिश होती है।
शिक्षा क्या है?
अतः संक्षेप में कहा जा सकता है कि शिक्षा का अर्थ मनुष्य की आंतरिक शक्तियों को बाहर की तरफ आने के लिए प्रेरित करना। जॉन एडम्स के मुताबिक प्राचीन काल में शिक्षा शिक्षक केंद्रित थी। जिसके दो छोर थे, शिक्षक और शिक्षार्थी। बाद में जॉन डिवी ने शिक्षा को बालकेंद्रित बताते हुए इसके तीन केंद्रों का जिक्र किया। जो क्रमशः शिक्षक, शिक्षार्थी और पाठ्यक्रम हैं।शिक्षा शब्द संस्कृत के शिक्ष् धातु से बना है जिसका अर्थ है सीखना या सिखाना। यानि इस अर्थ में शिक्षा सीखने-सिखाने की प्रक्रिया है। शिक्षा के लिए विद्या शब्द का भी उपयोग किया जाता है जिसका अर्थ होता है जानना। एजुकेशन शब्द लैटिन भाषा के चार शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है प्रशिक्षित करना, अन्दर से बाहर निकालना, पालन पोषण करना और आंतरिक से वाह्य की तरफ जाना।
शिक्षा की विभिन्न परिभाषाएं
गीता से अनुसार, “सा विद्या विमुक्ते”। यानि विद्या वही है जो बंधनों से मुक्त करे।
टैगोर के अनुसार, “हमारी शिक्षा स्वार्थ पर आधारित, परीक्षा पास करने के संकीर्ण मकसद से प्रेरित, यथाशीघ्र नौकरी पाने का जरिया बनकर रह गई है जो एक कठिन और विदेशी भाषा में साझा की जा रही है। इसके कारण हमें नियमों, परिभाषाओं, तथ्यों और विचारों को बचपन से रटना की दिशा में धकेल दिया है। यह न तो हमें वक़्त देती है और न ही प्रेरित करती है ताकि हम ठहरकर सोच सकें और सीखे हुए को आत्मसात कर सकें।”
महात्मा गांधी के अनुसार, ” सच्ची शिक्षा वह है जो बच्चों के आध्यात्मिक, बौद्धिक और शारीरिक पहलुओं को उभारती है और प्रेरित करती है। इस तरीके से हम सार के रूप में कह सकते हैं कि उनके मुताबिक शिक्षा का अर्थ सर्वांगीण विकास था।”
स्वामी विवेकानन्द के अनुसार, “शिक्षा व्यक्ति में अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है।”
अरस्तु के अनुसार, “शिक्षा मनुष्य की शक्तियों का विकास करती है, विशेष रूप से मानसिक शक्तियों का विकास करती है ताकि वह परम सत्य, शिव एवम सुंदर का चिंतन करने योग्य बन सके।”
शिक्षा मनोविज्ञान क्या है?
शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की एक व्यावहारिक शाखा है। मनोविज्ञान के सिद्धांतों का शिक्षण प्रक्रिया में इस्तेमाल करना और शैक्षिक समस्याओं के समाधान में प्रयोग करना शिक्षा मनोविज्ञान के दायरे को परिभाषित करता है।
यानि शिक्षा मनोविज्ञान का संबंध मनोविज्ञान के सिद्धांतों और शिक्षा के सिद्धांतों व समस्याओं दोनों से है। मनोविज्ञान व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन करता है, जबकि शिक्षा में व्यवहार के परिमार्जन व सामाजिकरण के ऊपर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएं
क्रो एण्ड क्रो, “शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से वृद्धावस्था तक सीखने के अनुभवों का वर्णन और व्याख्या करता है।”
कॉलसनिक के अनुसार, “मनोविज्ञान के सिद्धांतों का उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में करना शिक्षा मनोविज्ञान कहलाता है।”
स्कीनर के मुताबिक, “शैक्षणिक परिस्थितियों में मानव व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन शिक्षा मनोविज्ञान कहलाता है।”
जेम्स ड्रेवर के अनुसार, “शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षा में मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों तथा खोजों के प्रयोग के साथ ही शिक्षा की समस्याओं के मनोवैज्ञानिक अध्ययन से संबंधित है।”
शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन का केंद्र शैक्षणिक परिस्थितियों में मानव व्यवहार है। इस विज्ञान और कला दोनों श्रेणी में रखा जाता है। इसकी प्रकृति वैज्ञानिक है क्योंकि अध्ययन के लिए वैज्ञानिक विधियों का उपयोग किया जाता है।