खिलजी, दिल्ली के इल्बरी वंश के शासकों की सेवा करते थेl मलिक फिरोज ने खिलजी वंश की स्थापना की थी, जो मूलतः इल्बरी वंश के पतन के दिनों में “कैकूबाद” द्वारा नियुक्त “अर्ज-ए-मुमालिक” थाl बलबन के उत्तराधिकारियों के अयोग्य होने के कारण उसने राजनीतिक अस्थिरता का फायदा उठाया और 13 जून, 1290 को “जलालुद्दीन फिरोज खिलजी” के नाम से दिल्ली के सिंहासन पर आसीन हो गयाl
जलालुद्दीन फिरोज खिलजी (1290-96 ईस्वी):-
- वह सत्तर साल की उम्र में सत्ता पर काबिज हुआ और छह सालों तक शासन कियाl लेकिन फिरोज खिलजी बलबन के सिंहासन पर नहीं बैठा, क्योंकि उसने एक गुलाम के रूप में बलबन की सेवा की थीl उसने “कैलूगढ़ी/किलोखरी” को अपनी राजधानी बनाया।
- उसने पहले के शासकों के समय के अमीरों और मंगोलों के लिए एक समझौता नीति अपनाईl इसलिए उसने बलबन के भतीजे “मलिक चाजू” को “कारा” का गवर्नर नियुक्त किया था, लेकिन उसने विद्रोह कर दियाl
- उसके शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक दक्कन क्षेत्र में यादवों के राजा रामचंद्रदेव की राजधानी “देवगिरी” पर उसके भतीजे, दामाद और “कारा” के गवर्नर “अली गुरशप” द्वारा आक्रमण करना थाl
- अपने सफल अभियान के बाद, “अली गुरशप” ने विशाल मात्रा में एकत्रित धन को लेने के लिए “फिरोज खिलजी” को कारा आमंत्रित कियाl फिरोज खिलजी जब जुलाई 1296 में “कारा” पहुँचा तो “अली गुरशप” ने उसकी हत्या कर दी और खुद को अलाउद्दीन के नाम से सुल्तान घोषित कियाl
- वह खिलजी वंश का सबसे महान शासक था और भारत के सुदूर दक्षिण तक अपने साम्राज्य का विस्तार करने वाला पहला मुस्लिम शासक थाl उसने अपने लोगों, अमीरों और मंत्रियों के बीच काफी पैसे और सोने का वितरण किया था ताकि वे लोग “जलालुद्दीन फिरोज खिलजी” की हत्या को भूल जाएं और उसका समर्थन करें।
- वह दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था, जिसने खलीफा से “मंशुर” (निवेश पत्र) के लिए नहीं पूछा था, लेकिन खलीफा के उत्तराधिकारी को खुद बुलाया थाl
- उसने राज्य के सभी अधिकारों को अपने हाथों में केन्द्रित कर लिया था, जिसके कारण उसके शासनकाल में निरंकुश शासन अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई थीl
- ऐसा माना जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी को “मलिक काफूर” ने जहर दे दिया था, जिसके कारण जनवरी 1316 में उसकी मृत्यु हो गई थीl
अलाउद्दीन खिलजी की मंगोल नीति:-
- अलाउद्दीन के शासनकाल के प्रारंभिक वर्षों के दौरान मंगोलों ने कई बार दिल्ली सल्तनत पर आक्रमण किया और यहां तक कि दिल्ली और आसपास के जिलों को भी लूटा, लेकिन वे हमेशा पराजित होते रहेl
- अलाउद्दीन ने मंगोलों से निपटने के लिए बलबन की "लौह और रक्त" की नीति अपनाई थीl इसके तहत उसने दिल्ली की रक्षा के लिए दीवार की स्थापना की और मंगोलों के मार्ग पर स्थित पुराने किलों की मरम्मत करवाई थीl
- उसने “समाना” और “दीपालपुर” में मजबूत सैन्य टुकड़ियों को तैनात किया थाl
- उसने सेना में सैनिकों की संख्या में बढ़ोतरी की थीl उसने अपने विश्वसनीय कमांडरों को सेना में उच्च पदों पर नियुक्त किया था, जिसमें उत्तर पश्चिम भारत में स्थित सैन्य टुकड़ी के सेनापति के रूप में नियुक्त “गाज़ी मलिक” (बाद में सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक के नाम से प्रसिद्ध) भी शामिल थाl
अलाउद्दीन खिलजी की सुधार और प्रयोग:-
अलाउद्दीन खिलजी ने प्रशासन को बेहतर बनाने, सेना को मजबूत बनाने, भू-राजस्व प्रशासन की मशीनरी को विकसित करने, खेती में सुधार और विस्तार करने और लोगों के कल्याण के उद्देश्य से विभिन्न सुधार किये थेl
विद्रोहियों की रोकथाम के लिए अलाउद्दीन खिलजी के प्रशासनिक उपाय:-
विद्रोहियों की रोकथाम के लिए अलाउद्दीन खिलजी के प्रशासनिक उपाय:-
- दिल्ली और उसके पड़ोसी इलाकों में शराब और नशीले पदार्थों की बिक्री और उपयोग पर रोक लगाई गई थी और सुल्तान ने खुद भी पीना छोड़ दिया थाl
- अलाउद्दीन खिलजी ने बिना उसकी अनुमति के अमीरों के बीच पार्टियों और विवाह संबंधों के आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया थाl
- अलाउद्दीन खिलजी ने कई जागीरों और संपत्तियों को जब्त कर लिया था और उसके मालिकों के पेंशन और भत्ते को रोक लगा दी थीl इसके अलावा उसके शासनकाल में राज्य द्वारा दिए जाने वाले सभी धार्मिक अनुदान और भूमि अनुदान (वक्फ और इनाम) रद्द कर दिए गए थे।
- उसने अपने पूरे साम्राज्य में मसालों का एक नेटवर्क स्थापित किया थाl
अलाउद्दीन खिलजी की राजस्व / कृषि सुधार:-
- उसका पहला राजस्व नियमन (जबाइता) खेती योग्य भूमि के माप से संबंधित थाl इसके तहत खेती योग्य भूमि के माप के लिए “बिस्वा” को मानक इकाई घोषित किया गया थाl
- गंगा और यमुना के बीच के क्षेत्र अर्थात “दोआब” में “पैमाश” (माप) के आधार पर उत्पाद के आधे हिस्से पर भू-राजस्व (खराज) निर्धारित किया गया थाl भू-राजस्व संग्राहक का क्रम इस प्रकार था- राय, राणा, रावत (शीर्ष स्तर पर) और खुट, मुक्द्दम, चौधरी (ग्रामीण स्तर पर)l आवास कर (घड़ी) और चरागाह कर (चराई) भी लगाए गए थेl
- भूमि राजस्व नकद में वसूल किया जाता थाl
- अलाउद्दीन खिलजी ने एक नए राजस्व विभाग “दिवान-ए-मुस्तखराज” की स्थापना की थीl अलाउद्दीन खिलजी के समय में एक नए बिचौलिये वर्ग “खुट” की शुरूआत हुई, जो “परगना” या “शिक” (जिला) स्तर पर काम-काज देखता थाl इन्हें “जमीनदार” के रूप में सर्वप्रथम “अमीर खुसरो” ने संदर्भित किया था
अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण या आर्थिक नियमन:-
- “बरनी” के अनुसार, आर्थिक नियमन मुख्य रूप से एक सैन्य उपाय था अर्थात् यह मंगोलों पर नजर रखने के लिए एक बड़ी और कुशल सेना को बनाए रखने के लिए लागू किया गया थाl लेकिन अमीर खुसरो ने इसे उचित मूल्यों पर महत्वपूर्ण वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक कल्याणकारी उपाय माना हैl
- जवाबित या विस्तृत नियमन सभी वस्तुओं जैसे-अनाज, घोड़े, मवेशी और दासों के मूल्य को निर्धारित करने के लिए किया गया थाl
- उसने अनाज, महंगे कपड़े, घोड़े, दास और मवेशी के लिए दिल्ली में तीन अलग-अलग बाजार स्थापित किए थेl
- बाजार को दो अधिकारियों, “दीवान-ए-रियासत” और “शहना-ए-मंडी” द्वारा नियंत्रित किया जाता थाl
- अलाउद्दीन खिलजी अमीर मुल्तानी व्यापारियों को साम्राज्य के विभिन्न हिस्सों से कपड़े खरीदने के लिए ऋण देता था और ये व्यापारी उन कपड़ों को सराई-अद्ल (कपड़ा बाजार में बदायूं गेट के अंदर एक खुली जगह पर स्थित कपड़े का बाजार) में बेचते थेl
- घोड़ों को सीधे सैन्य विभाग (दीवान-ए-अर्ज) में बेचा जाता थाl
- अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में राज्य द्वारा स्थापित गोदामों में अनाज का भंडारण किया गया था और अकाल या आपूर्ति की कमी के दौरान उसे लोगों में बांटा जाता थाl
- करवानी या बंजरा गांवों से दिल्ली अनाज लाते थेl उस समय किसी प्रकार की जमाखोरी की अनुमति नहीं थी और सभी व्यापारियों को राज्य के दफ्तरों में पंजीकृत किया गया थाl
अलाउद्दीन खिलजी की सैन्य सुधार:-
- नकद के रूप में भू-राजस्व का संग्रह करने के कारण अलाउद्दीन खिलजी ने सैनिकों को नकद रूप में वेतन भुगतान की शुरूआत की थीl ऐसा करने वाला वह पहला सुल्तान था।
- अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में सैनिकों की सीधी भर्ती “अर्ज-ए-मुमालिक” द्वारा की जाती थीl
- बलबन की तरह अलाउद्दीन खिलजी ने उत्तर-पश्चिमी सीमा पर कई किलों का निर्माण करवाया था और पुराने किलों की मरम्मत करवाई थीl
- अलाउद्दीन खिलजी ने दाग (घोड़ों के ब्रांडिंग) और हुलिया या चेहरा (सैनिकों के लिए अलग-अलग भूमिका) प्रणाली की शुरूआत की थीl
- उसने सैनिकों के लिए तीन श्रेणियों की शुरूआत की थी:- पैदल सैनिक, एक घोड़े वाला सैनिक (एक-अस्पा), दो घोड़े वाला सैनिक (दु-अस्पा)l
कला एवं संस्कृति में अलाउद्दीन खिलजीका योगदान:-
- हालांकि अलाउद्दीन अशिक्षित था, लेकिन वह कला और संस्कृति का महान संरक्षक थाl
- अमीर खुसरो और मीर हसन देहलवी दोनों को अलाउद्दीन खिलजी ने संरक्षण प्रदान किया थाl
- अलाउद्दीन खिलजी ने “सिरी” नामक एक नए शहर की स्थापना की और “कुतुबी मस्जिद” का विस्तार किया उसके अंदर एक प्रवेश द्वार का निर्माण कियाl
- उसने निजामुद्दीन औलिया की दरगाह परिसर में “जमात खाना” मस्जिद और कुतुब मीनार के नजदीक “अलाई दरवाजा” का निर्माण करवायाl
- उसने कुतुब मीनार के निकट “अलाई मीनार” का निर्माण शुरू करवाया, लेकिन उसे पूरा नहीं करवा सकाl
अलाउद्दीन की मृत्यु के बाद उसके पसंदीदा सेवक “मलिक काफूर” ने सिंहासन को हड़पने की कोशिश कीl उसने सिंहासन पर स्वर्गीय सुल्तान के नवजात पुत्र “शिहाबुद्दीन उमर” को गद्दी रखा। लेकिन पांच हफ्ते के बाद ही “मलिक काफूर” की हत्या हो गई थीl इसके बाद अलाउद्दीन के एक अन्य पुत्र मुबारक खिलजी ने चार साल तक शासन किया। उसने अपने पिता द्वारा लागू किए गए सभी कृषि और बाजार नियंत्रण नियमों को समाप्त कर दिया। कुछ समय बाद खुसरो मलिक ने उसकी हत्या कर दी थीl
खुसरो शाह एक महान तानाशाह साबित हुआ, लेकिन पंजाब का गवर्नर और सेना प्रमुख “गाजी तुगलक” ने उसे पराजित कियाl इसके बाद गाजी तुगलक “गयासुद्दीन तुगलक” के नाम से दिल्ली सल्तनत का नया शासक बनाl इस प्रकार दिल्ली सल्तनत में खिलजी वंश का स्थान तुगलक वंश ने ले कियाl
खुसरो शाह एक महान तानाशाह साबित हुआ, लेकिन पंजाब का गवर्नर और सेना प्रमुख “गाजी तुगलक” ने उसे पराजित कियाl इसके बाद गाजी तुगलक “गयासुद्दीन तुगलक” के नाम से दिल्ली सल्तनत का नया शासक बनाl इस प्रकार दिल्ली सल्तनत में खिलजी वंश का स्थान तुगलक वंश ने ले कियाl