Saturday 23 September 2017

ध्रुवीय हिमखंडों के महत्त्व पर चर्चा करें। ये क्यों पिघल रहे हैं ? इनके पिघलने के क्या प्रभाव हो सकते हैं?

अन्य भागों की अपेक्षा उच्च अक्षांशों पर पृथ्वी सूर्य से न्यूनतम ताप प्राप्त करती है, इसलिये ये क्षेत्र बर्फ की मोटी चादर के रूप में जमे हुए हैं। उत्तरी ध्रुव (आर्कटिक ) का औसत तापमान -30 डिग्री सेल्सियस और दक्षिणी ध्रुव (अंटार्कटिका) का औसत तापमान -60 डिग्री सेल्सियस है।

ध्रुवीय हिमखंडों का महत्त्व –
  • ध्रुवीय ग्लेशियर अपनी उच्च परावर्तन क्षमता (albedo) द्वारा सूर्य प्रकाश को परावर्तित कर धरती के औसत ताप को नियंत्रित रखते हैं।
  • ध्रुवीय बर्फ महासागरों की धाराओं को विनियमित करती है। यह विषुवतीय प्रदेश से आने वाले ताप को पूरी पृथ्वी पर पुनर्वितरित कर देती है।
  • ध्रुवों पर बड़ी मात्रा में मीथेन संग्रहित है। इस प्रकार यह ग्रीनहाउस प्रभाव को नियंत्रित करने में सहायक है।
  • ध्रुवीय बर्फ के क्षेत्र कुछ विशेष प्राणियों जैसे – ध्रुवीय भालू, पेंगुइन, सील व कुछ विशिष्ट मछलियों आदि के अस्तित्व हेतु अनुकूल परिस्थितियाँ उपलब्ध करवाते हैं।
  • पर्याप्त प्रमाण उपलब्ध हैं कि दोनों ध्रुवों के हिमखंड बहुत तेज गति से पिघल रहे हैं। इनके पिघलने के निम्नलिखित कारण हैं-
  • विश्व के कई भागों में तीव्र औद्योगीकरण और जीवाश्म ईंधन, जैसे-कोयला, पेट्रोल आदि के अत्यधिक उपयोग के कारण ध्रुवों की परावर्तन क्षमता में कमी आई है। इससे ध्रुवों पर औसत तापमान बढ़ गया और बर्फ पिघलने लगी।
  • निर्वनीकरण, खेती की अनुचित विधियों आदि के कारण ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा वायुमंडल में लगातार बढ़ रही है। इसलिये ध्रुवीय बर्फ तेजी से पिघल रही है।

ध्रुवीय बर्फ पिघलने के प्रभाव –
  • ध्रुवीय बर्फ के पिघलने से समुद्रों का जल स्तर बढ़ेगा और विश्व के तटीय इलाके जलमग्न हो जाएंगे।
  • ध्रुवीय बर्फ के पिघलने से उसमें संग्रहित मीथेन मुक्त हो जाएगी और ग्रीनहाउस प्रभाव में वृद्धि के लिये जिम्मेदार होगी।
  • स्थानीय जीव जैसे ध्रुवीय भालू, पेंगुइन, सील आदि विलुप्ति की कगार में पहुँच जाएंगे।
  • समुद्री सतह के तापमान में वृद्धि से चक्रवाती तूफानों की आवृत्ति बढ़ जाएगी, जिससे विध्वंसकारी प्रतिकूल मौसमी परिघटनाएं वैश्विक जीवन को प्रभावित करेंगी।
  • आशंका है कि यदि उत्तरी ध्रुव से ठंडे जल की शक्तिशाली धारा बही तो वह यूरोप के मौसम को प्रभावित कर देगी। यह मेक्सिको से आने वाली गर्म जल की धारा गल्फ स्ट्रीम के प्रभाव को कम कर देगी, जिससे यूरोप में अत्यधिक सर्दी पड़ने लगेगी। इसका प्रतिकूल प्रभाव विश्व के मौसम पर भी पड़ेगा।