Wednesday, 3 January 2018

वर्षांत समीक्षा: पेयजल एवं स्‍वच्‍छता मंत्रालय


स्‍वच्‍छ भारत मिशन

हर जगह स्‍वच्‍छता सुनिश्चित करने के प्रयासों में तेजी लाने और सुरक्षित साफ-सफाई उपलब्‍ध कराने पर ध्‍यान केन्द्रित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने महात्‍मा गांधी की जयंती पर 2 अक्‍टूबर, 2014 को स्‍वच्‍छ भारत मिशन (एसबीएम) का शुभारंभ किया था। एसबीएम का उद्देश्‍य भारत को ओडीएफ (खुले में शौच मुक्‍त) देश में तब्दील करने और 2 अक्‍टूबर, 2019 तक स्‍वच्‍छ भारत के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करना है और इस तरह महात्‍मा गांधी की 150वीं जयंती पर उन्‍हें यथोचित श्रद्धांजलि अर्पित करना है।

इसके तहत मुख्‍य रूप से लोगों के नजरिये में बदलाव लाने पर फोकस किया जा रहा है, जो ओडीएफ संबंधी नतीजे प्राप्‍त करने का मौलिक साधन है। मंत्रालय अपने ध्यान केंद्रित सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) कार्यक्रम के जरिये इसे हासिल करने के लिए प्रयासरत है। मंत्रालय महिला-पुरुष की दृष्टि से संवेदनशील माने जाने वाली सूचनाओं के साथ-साथ लोगों के व्‍यवहार अथवा नजरिये में बदलाव लाने से जुड़े दिशा-निदेर्शों और जन शिक्षा से जुड़ी विभिन्‍न गतिविधियों को भी बढ़ावा देता है। मंत्रालय ने वर्ष 2017 में महिला-पुरुष से संबंधित दिशा-निर्देश और वर्ष 2015 में स्रियों के मासिक धर्म से संबंधित दिशा-निर्देश जारी किए थे।

2 अक्‍टूबर, 2014 को एसबीएम (जी) के शुभारंभ के अवसर पर स्‍वच्‍छता कवरेज 38.70 प्रतिशत थी। यह कवरेज 18 दिसम्‍बर, 2017 तक बढ़कर 74.15 प्रतिशत हो गई है।


एसबीएम (जी) के तहत उपलब्धियां

568.15 - घरों में निर्मित शौचालय (लाख में) - 2 अक्‍टूबर, 2014 से लेकर अब तक

35.45 - प्रतिशत वृद्धि स्‍वच्‍छता कवरेज में - 2 अक्‍टूबर, 2014 से लेकर अब तक

255 - स्‍व-घोषित ओडीएफ जिलों की संख्‍या 

4470 - नमामि गंगे के तहत ओडीएफ गांव

8 - ओडीएफ राज्‍य/केन्‍द्र शासित प्रदेश (सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, केरल, उत्तराखंड, हरि‍याणा, गुजरात, दमन एवं दीव और चंडीगढ़)

2,92,896 - स्‍व-घोषित ओडीएफ गांवों की संख्‍या


स्‍वच्‍छ भारत मिशन: सभी को स्‍वच्‍छता के लिए जिम्‍मेदार बनाना

पेयजल एवं स्‍वच्‍छता मंत्रालय को एसबीएम-ग्रामीण के आवंटित प्रभार के अलावा ‘स्‍वच्‍छ भारत’ के लक्ष्‍य की प्राप्ति के लिए आवश्‍यक गतिविधियां आयोजित करने के साथ-साथ समस्‍त संबंधित गतिविधियों एवं पहलों में तालमेल बैठाने की जिम्‍मेदारी भी दी गई है। यह मंत्रालय इस जिम्‍मेदारी के निर्वहन के लिए अन्‍य सभी मंत्रालयों, राज्‍य सरकारों, स्‍थानीय संस्‍थानों, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), आस्‍था संगठनों, मीडिया और शेष हितधारकों के साथ मिलकर इस दिशा में निरंतर प्रयासरत है। यह दृष्टिकोण प्रधानमंत्री के इस आह्वान पर आधारित है कि स्‍वच्‍छता केवल स्‍वच्‍छता विभागों की ही नहीं, बल्कि सभी की जिम्‍मेदारी है। इस दिशा में बड़ी तेजी से अनगिनत विशेष पहल की गई हैं और विभिन्‍न परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इस दिशा में समस्‍त हितधारकों की ओर से मिली प्रतिक्रिया को अत्‍यंत उत्‍साहजनक बताया जा रहा है।

स्‍वच्‍छता पखवाड़ा

स्‍वच्‍छता पखवाड़े का शुभारंभ अप्रैल, 2016 में हुआ था, जिसका उद्देश्‍य इस अवधि के दौरान अपने-अपने क्षेत्राधिकार में केन्‍द्रीय मंत्रालयों और विभागों का ध्‍यान स्‍वच्‍छता से जुड़े मसलों और तौर-तरीकों पर केन्द्रित करना था। इस पखवाड़े के दौरान वि‍भिन्‍न गतिविधियों के बारे में समुचित योजना बनाने में मदद करने के लिए विभिन्‍न मंत्रालयों के बीच एक वार्षिक कैलेंडर पहले ही जारी कर दिया गया था।

नमामि गंगे

नमामि गंगे कार्यक्रम जल संसाधन मंत्रालय की एक पहल है, जिसमें गंगा नदी के किनारे अवस्थित गांवों को ओडीएफ करना भी शामिल है। पेयजल एवं स्‍वच्‍छता मंत्रालय द्वारा ठोस एवं तरल कचरे के प्रबंधन से जुड़े अनेक कार्य क्रियान्वित किये जा रहे हैं।

उत्‍तराखंड, उत्‍तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के 52 जिलों में फैले समस्‍त 4470 गांवों को राज्‍य सरकारों की सक्रिय मदद से ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। मंत्रालय ने अब गंगा नदी के किनारे अवस्थित 24 गांवों पर अपना ध्‍यान केन्द्रित किया है, ताकि उन्‍हें एनएमसीजी के साथ समन्‍वय स्‍थापित करके ‘गंगा ग्राम’ में तब्‍दील किया जा सके।

स्‍वच्‍छता कार्य योजना (एसएपी)

स्‍वच्‍छता के लिए अपनी तरह का पहला अन्‍तर-मंत्रालय कार्यक्रम ‘एसएपी’ प्रधानमंत्री के इस विजन को साकार करने की दिशा में एक ठोस कार्य योजना है कि ‘स्‍वच्‍छता सभी की जिम्‍मेदारी है।' सभी केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों ने समुचित बजट प्रावधानों के जरिये उल्‍लेखनीय ढंग से इस सपने को साकार करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। वित्‍त मंत्रालय ने इसके लिए एक अलग बजट तैयार किया है। वित्‍त वर्ष 2017-18 के दौरान 77 मंत्रालयों/विभागों ने अपनी-अपनी एसएपी के लिए 12468.62 करोड़ रुपये की राशि मुहैया कराने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की है। एसएपी पर अमल 1 अप्रैल, 2017 से शुरू हुआ।

स्वच्छ प्रतीक स्थान (एसआईपी)

माननीय प्रधानमंत्री की प्रेरणा के तहत मंत्रालय ने एक बहु-हितधारक पहल की है, जिसके अन्‍तर्गत देश भर में अवस्थित ऐसे 100 स्‍थलों की साफ-सफाई पर ध्‍यान केन्‍द्रि‍त किया जा रहा है, जो अपनी धरोहर, धार्मिक और/अथवा सांस्‍कृतिक अहमियत की बदौलत ‘प्र‍तीक या प्रतिष्ठित’ स्‍थल माने जाते हैं।

इस पहल का लक्ष्‍य इन स्‍थलों पर साफ-सफाई के माहौल को बेहतरीन बनाना है। इस पहल पर शहरी विकास, पर्यटन एवं संस्‍कृति मंत्रालयों की सहभागिता के साथ अमल किया जा रहा है, जबकि पेयजल एवं स्‍वच्‍छता मंत्रालय को इसके लिए प्रमुख मंत्रालय माना गया है। प्रथम दो चरणों में अब तक 20 प्रतीक (आइकोनिक) स्‍थलों पर काम शुरू किया गया है। वित्‍तीय एवं तकनीकी सहायता हेतु इन सभी 20 प्रतिष्ठित अथवा ऐतिहासिक स्‍थलों के लिए विशेष सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (पीएसयू) अथवा कम्‍पनियों को निर्दिष्‍ट किया गया है।

स्‍वच्‍छ शक्ति, 8 मार्च, 2017

‘स्‍वच्‍छ शक्ति’ का आयोजन अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस पर 8 मार्च, 2017 को गांधीनगर स्थित महात्‍मा मंदिर में किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस अवसर पर उपस्थित जन समुदाय को सम्‍बोधित किया। लगभग 6,000 चयनित महिला सरपंचों एवं देश भर से आए जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर स्‍वच्‍छता के उन महारथियों को सम्‍मानित किया गया गया, जिन्‍होंने ग्रामीण भारत में ‘स्‍वच्‍छ भारत’ को एक सच्‍चाई में तब्‍दील करने के लिए उल्‍लेखनीय योगदान दिया है।

खुले में शौच से मुक्ति (एफओडी) का सप्‍ताह (9 अगस्‍त-15 अगस्‍त)

लोगों के व्‍यवहार अथवा नजरिये में तेजी से व्‍यापक बदलाव सुनिश्चित करने के उद्देश्‍य से घर-घर आईपीसी, स्‍वच्‍छता रथों, रैलियों, मैराथन, इस अभियान के महारथियों का अभिनंदन करना, जागरूकता पैदा करने के लिए प्रश्‍नोत्‍तरी/चित्रकला प्रतियोगिताएं और ग्रामीण इलाकों में समुदायों को एकजुट करना जैसी विभिन्‍न आईईसी गतिविधियां आयोजित की गईं।

‘स्‍वच्‍छ संकल्‍प से स्‍वच्‍छ सिद्ध‍ि’ प्रतियोगिता (17 अगस्‍त-8 सितम्‍बर)

माननीय प्रधानमंत्री ने ‘संकल्‍प से सिद्धि’ के तहत वर्ष 2022 तक एक ‘नए भारत’ का निर्माण करने का बिगुल बजा दिया है, जो ‘सभी तरह की गंदगी भारत छोड़ो’ के संकल्‍प को दर्शाता है। इस विजन को साकार करने के लिए पेयजल एवं स्‍वच्‍छता मंत्रालय ने 17 अगस्‍त से लेकर 8 सितम्‍बर, 2017 तक देश भर में फिल्‍म, लेख एवं चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया, जो स्‍वच्‍छता को एक जन आंदोलन बनाने की दिशा में एक और प्रमुख कदम है।

‘दरवाजा बंद’ मीडिया अभियान

लोगों के व्‍यवहार अथवा नजरिये में बदलाव लाने के उद्देश्‍य को ध्‍यान में रखते हुए ‘दरवाजा बंद’ नामक एक आक्रामक जन मीडिया अभियान शुरू किया गया, जिसमें अमिताभ बच्‍चन को विशेषकर पुरुषों द्वारा शौचालय का निरंतर उपयोग करने के लिए प्रोत्‍साहित करते हुए दर्शाया गया है। इस अभियान में हिन्‍दी सहित 9 भाषाओं में 5 टीवी एवं रेडियो स्‍पॉट शामिल हैं। इस अभियान को देश भर में मास मीडिया पर सफलतापूर्वक शुरू किया गया है।


स्‍वच्‍छता ही सेवा (एसएचएस), 16 सितम्‍बर-2 अक्‍टूबर, 2017

माननीय प्रधानमंत्री ने 27 अगस्‍त, 2017 को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देशवासियों से स्‍वच्‍छता की भावना अपनाने एवं ‘श्रमदान’ करने का आह्वान किया और समस्‍त एनजीओ, स्‍कूलों, कॉलेजों, सामाजिक, सांस्‍कृतिक व राजनीतिक नेताओं, कम्‍पनियों, सरकारी अधिकारियों, कलक्‍टरों और सरपंचों से 15 सितम्‍बर से लेकर 2 अक्‍टूबर, 2017 तक की अवधि के दौरान स्‍वच्‍छता से जुड़ी गतिविधियों में तेजी लाने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने वाराणसी के शहंशाहपुर गांव में दोहरे गड्ढे वाले शौचालय के निर्माण के लिए श्रमदान कर इस अभियान की अगुवाई की। उन्‍होंने यह टिप्‍पणी की कि ‘‘स्‍वच्‍छता को ‘स्‍वभाव’ बनाना होगा- अपने देश को स्‍वच्‍छ बनाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।’’ एसएचएस को देशवासियों की ओर से भरपूर समर्थन मिला और देश भर में रक्षा बलों एवं दिव्‍यांगजनों सहित तमाम लोगों ने इसके लिए बड़े पैमाने पर एकजुटता दिखाते हुए विभिन्‍न गतिविधियों के जरिये स्‍वच्‍छता और साफ-सफाई के लिए स्‍वयंसेवक के तौर पर श्रमदान किया।