Sunday 21 January 2018

जानें कैसे, ज्यादा तनाव में रहनेवाले पुरूष अपने आनेवालों संतानों को अनुवांशिक सौगात के रूप में तनाव प्रदान करते है।


पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय(University of Pennsylvania) के शोधकर्ताओं ने आण्विक स्तर पर अपने प्रयोग में यह दिखा दिया है की ज्यादा तनाव में रहनेवाले पुरूष अपने आनेवालों संतानों को अनुवांशिक सौगात के रूप में तनाव प्रदान करते है। ज्यादा तनाव का सामना करनेवाले पुरुषों के शुक्राणुओं के मुंह का आकार बदल जाता है यह परिवर्तन DNA कोड के अलावा MicroRNAs के माध्यम से एक वंश से दूसरे वंश में अनुवांशिक रूप से चला जाता है इसे तनाव बढ़ाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

आधुनिक शोधों से पता चलता है की केवल DNA को अनुवांशिक गुणों का वाहक मानना आण्विक स्तर पर एकमात्र विकल्प नहीं है बल्कि माता पिता द्वारा किये गये अनुभव भी बड़े पैमाने पर DNA और microRNAs पर व्यापक असर डालते है। पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के न्यूरोसाइंटिस्ट ट्रेसी बेल(Tresy Bell) का कहना है “एक पुरूष पिता के जीवन अनुभव, व्यवहार और तनाव जैसी घटनाएं उनके बच्चों के मस्तिष्क के विकास और मानसिक स्वास्थ्य पर जैविक रूप से प्रभाव डालते है। हमने अपने प्रयोग में उल्लेख किया है पुरुषों के शुक्राणुओं के मुख के आकार का हल्का सा बदलाव भी microRNAs प्रतिक्रिया में बड़े बदलाव का संकेत दे सकता है और यह बदलाव उसके आगामी संतानों पर देखा जा सकता है।”

पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के न्यूरोएंडोक्रिनोलॉजिस्ट जेनिफर चान(Jennifer Chang) ने वाशिंगटन, डी.सी. में आयोजित सोसाइटी फॉर न्यूरोसाइंस की वार्षिक बैठक मे कहा “तनावग्रस्त पुरूष का शुक्राणु एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में तनाव को ले जाते है लेकिन हमें वास्तविक सवाल पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए की इस तनाव को कैसे खत्म या कम-से-कम किया जा सकता है।”

फिलहाल शोधकर्ताओं द्वारा इसे समझने के लिए पुरुष प्रजनन स्थान एपीडिड्यमिस(epididymis) पर ध्यान केंद्रित किया है यह वह स्थान है जहाँ शुक्राणु कोशिका परिपक्व होती है। शोध अध्ययन से पता चलता है की तनाव हार्मोन संवेदक(stress-hormone sensor) से छुटकारा पाने के लिए ग्लूकोकोर्टिकोइड रिसेप्टर्स(glucocorticoid receptor) की बड़ी अहम भूमिका होती है। ग्लूकोकोर्टिकोइड रिसेप्टर्स की मात्रा में कमी बड़े पैमाने पर तनाव संचरण को कम कर सकते है। चूहों पर किये गये एक प्रयोग में देखा गया की शिकारी जीवों का लगातार सामना करनेवाले चूहे जो की लंबे समय तक तनावपूर्ण अवस्था मे थे उन्होंने अपने तनाव हार्मोन कॉर्टिकोस्टेरोन(stress-hormone corticosterone) को काफी बढ़ा लिया था लेकिन जिन चूहों के एपीडिड्यमिस में रिसेप्टर्स की मात्रा कम थी वो सामान्य हार्मोनल प्रतिक्रियाएं प्रदर्शित कर रहे थे।


इससे पहले के शोध से पता चला था की तनाव की अवस्था मे एपीडिड्यमिस कोशिकाओं RNA से भरा छोटे पैकेट जारी करते हैं जो शुक्राणुओं को फ्यूज कर सकते हैं और उनके आनुवंशिक पेलोड को बदल सकते हैं। जब सवाल शोधकर्ताओं से पूछा गया की शुक्राणुओं को कैसे बदल सकते है इसका एक स्पष्टीकरण शोधकर्ताओं द्वारा दिया गया है। ग्लुकोकॉर्टीकॉइड रिसेप्टर जब ज्यादा सक्रिय हो तो एपीडिड्यमिस RNA को तनाव में ला देते है। इसके बाद उन RNA द्वारा शुक्राणुओं में अपनी बदलती सामग्री वितरित करते है इससे शुक्राणुओं की आकृति में बदलाव आता है और इस तरह शुक्राणु अगली पीढ़ी को तनाव प्रसारित कर देते हैं। तनाव से दूर रहना ही इसका सर्वश्रेष्ठ विकल्प है।