Monday, 29 January 2018

HIV/AIDS एवं STI पर राष्ट्रीय कार्यनीति योजना, 2017-24


भारत में पहली बार वर्ष 1986 में ‘ह्यूमन इम्यूनोडिफीसिएंसी वायरस (HIV : Human Immunodeficiency Virus) और एक्वायर्ड इम्यून डिफीसिएंसी सिंड्रोम (AIDS : Acquired Immune Deficiency Syndrome) सूचित हुआ था। तीन दशकों के राष्ट्रीय प्रयासों के फलस्वरूप वर्ष 2000 से नए संक्रमण में 66 प्रतिशत की कमी और वर्ष 2007 से एड्स (AIDS) संबंधित मौतों में 54 प्रतिशत की महत्वपूर्ण कमी आई है। जून, 2016 में एड्स पर संयुक्त राष्ट्र की उच्चस्तरीय बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में एड्स महामारी की 2030 तक समाप्ति’ (Ending the AIDS Epidemic as a Public Health Threat By, 2030) के लक्ष्य के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई थी जिसमें वर्ष 2020 हेतु एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम (UNAIDS) और 2030 हेतु सतत विकास लक्ष्य’ (SDGs) शामिल थे। भारत ने ‘सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों’ (MDGs) के तहत निर्धारित लक्ष्य वर्ष 2015 तक वार्षिक नए एचआईवी संक्रमण और एड्स-संबंधित मौतों में 50 प्रतिशत की कमी को पहले ही प्राप्त कर लिया है। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) द्वारा एड्स-संबंधित सेवाओं को अधिक प्रभावी, टिकाऊ एवं व्यापक आच्छादन सुनिश्चित करने हेतु ‘एचआईवी/एड्स और एसटीआई पर राष्ट्रीय कार्यनीति, 2017-24’ (National Strategic Plan on HIV/AIDS and STI, 2017-24) का कार्यान्वयन किया जाना है।

HIV/AIDS एवं STI पर राष्ट्रीय कार्यनीति
1 दिसंबर, 2017 को विश्व एड्स दिवस के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने ‘HIV/AIDS और ‘सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन’ (STI) पर राष्ट्रीय कार्यनीति योजना, 2017-24’ को जारी किया।

विजन
कार्यनीति का विजन (Vision) एचआईवी रोकथाम एवं उपचार के सार्वभौमिक आच्छादन के माध्यम से ‘एड्स मुक्त भारत हेतु मार्ग प्रशस्त करना’ (Paving the way for an AIDS free India) है।

मिशन
कार्यनीति का मिशन आवश्यकताओं के अनुरूप प्रभावी, समावेशी, न्यायसंगत एवं अनुकूलित देखभाल सेवाओं की निरंतरता के माध्यम से एचआईवी रोकथाम एवं उपचार हेतु सार्वभौमिक आच्छादन प्राप्त करना है।

लक्ष्य
कार्यनीति का लक्ष्य शून्य नए संक्रमण, शून्य एड्स-संबंधित मौतें और शून्य भेदभाव को प्राप्त करना है।

उद्देश्य
कार्यनीति के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
1. वर्ष 2024 तक नए संक्रमण 80 प्रतिशत तक कम करना।
2. वर्ष 2024 तक अनुमानित ‘पीपुल लिविंग विथ एचआईवी’ (PLHIV) के 95 प्रतिशत को सेवाओं से जोड़ना।
3. वर्ष 2024 तक टिकाऊ वायरल शमन हेतु PLHIV के 90 प्रतिशत को एआरटी (Anti Retro Viral Tiral Treatment) आरंभ एवं अवधारण सुनिश्चित करना।
4. वर्ष 2020 तक माता से शिशु को एचआईवी और सिफलिस के संचरण को समाप्त करना।
5. वर्ष 2020 तक एचआईवी से संबंधित भेदभाव को समाप्त करना।
6. वर्ष 2024 तक टिकाऊ ‘राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम’ (NACP) सेवा वितरण उपलब्ध कराना।

प्राथमिकताएं
कार्यनीति की प्राथमिकताएं निम्नलिखित हैं-
  • जोखिम वाले समूह और प्रमुख जनसंख्या (Key Population) में एचआईवी की रोकथाम तेज करना।
  • व्यापक एचआईवी देखभाल तक सार्वभौमिक पहुंच के साथ गुणवत्तापूर्ण सुनिश्चित एचआईवी परीक्षण का विस्तार करना।
  • माता से शिशु को एचआईवी एवं सिफलिस के संचरण का उन्मूलन करना।
  • एचआईवी कार्यक्रम निर्माण में महत्वपूर्ण सहयोगियों का पता लगाना।
  • रोगी-केंद्रित एवं प्रभावी बनाने हेतु रणनीतिक सूचना प्रणाली का पुनर्गठन करना।

वित्तीयन
कार्यनीति के 7 वर्षीय (2017 से 2024 तक) कार्यान्वयन हेतु 33088.19 करोड़ रुपये के बजट का प्रस्ताव है।
प्रस्तावित बजट आवश्यकता का लगभग 59 प्रतिशत रोकथाम के लिए है, जबकि एक-तिहाई (32%) देखभाल, समर्थन एवं उपचार के लिए है।

निष्कर्ष
वयस्क जनसंख्या में 0.26 प्रतिशत के एचआईवी प्रसार के साथ भारत में वर्ष 2015 में 2.1 मिलियन ‘पीपुल लिविंग विथ एचआईवी’ (PLHIV) हैं। विगत 15 वर्षों में भारत में अनुमानित नए एचआईवी संक्रमण, प्रसार एवं एड्स-संबंधित कारकों से होने वाली मौतों में लगातार गिरावट आई है। फिर भी सतत विकास लक्ष्यों के तहत वर्ष 2030 तक ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में एड्स महामारी की समाप्ति’ हेतु व्यापक एवं टिकाऊ प्रगति की आवश्यकता है जिसकी पूर्ति HIV/AIDS एवं STI पर सात वर्षीय राष्ट्रीय कार्यनीति योजना से हो सकती है।