Monday 8 January 2018

पश्चिमी मध्य रेलवे सबसे पहले ड्रोन कैमरा प्रयोग करने वाला मंडल

ट्रेनों के संचालन में सुरक्षा और कुशलता बढ़ाने के लिए रेलवे ने अपने सभी जोन/डिवीजन में ड्रोन कैमरों की तैनाती का निर्णय लिया

भारतीय रेल ने अपनी गतिविधियों विशेषकर परियोजनाओं की निगरानी, पटरियों की मरम्मत और रेलवे ढांचे पर नजर बनाए रखने के लिए ड्रोन कैमरों की तैनाती का निर्णय लिया है। रेलवे ने अपने सभी मंडलों को ऐसा करने के निर्देश जारी कर दिये हैं। रेलवे तकनीक के प्रयोग से ट्रेनों के संचालन को और सुरक्षित और बेहतर करने के लिए प्रयासरत है।

ड्रोन कैमरो के माध्यम से राहत और बचाव अभियानों की निगरानी करने में मदद मिलगी साथ ही महत्वपूर्ण कार्यों, पटरियों की स्थिति और निरीक्षण कार्यों पर नजर रखी जाएगी। इन कैमरों के जरिए नॉन इंटरलॉकिंग कार्यों के मूल्यांकन की तैयारियों, मेलों के दौरान भीड़ के प्रबंधन, स्टेशनों के हवाई सर्वेक्षण और किसी गड़बड़ी को तुरंत चिन्हित करने में मदद मिलेगी। रेलवे के ढांचे, सुरक्षा और पटरियों की मरम्मत से जुड़ी किसी भी सूचना को रियल टाइम यानि वास्तविक समय प्राप्त करने में यह कैमरे बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगे।

इस पहल के तहत भारत में सबसे पहले ड्रोन की तैनाती पश्चिमी मध्य रेलवे ने की है जिसका मुख्यालय मध्य प्रदेश जबलपुर में है। पश्चिमी मध्य रेलवे ने पिछले सप्ताह इन कैमरों का अपने सभी तीन खंडो के निम्न स्थानों पर परीक्षण किया।

जबलपुर खंड- भिटोनी के नजदीक नर्मदा पुल
भोपाल खंड- (1)- निशातपुरा पुल (2) एचबीजे और मिसरोद के मध्य तीसरी लाइन कार्य
कोटा खंड- (1) कोटा के नजदीक चंबल पुल (2)- कोटा के पास डकनिया तलाव यार्ड
पश्चिमी मध्य रेलवे की भविष्य में बीना-कटनी तीसरी लाइन, कटनी-सिंगरौली लाइन के दोहरीकरण परियोजना की निगरानी के लिए ड्रोन को तैनात करने की योजना है।  महत्वपूर्ण पुलों के निरीक्षण, भोपाल और जबलपुर घाट प्रखंडो में मॉनसून तैयारियों से जुड़े कार्यों में भी ड्रोन की मदद ली जाएगी। इससे पहले जबलपुर यार्ड की विद्युतिकरण परियोजना की निगरानी हेतु ड्रोन कैमरों का प्रयोग किया गया था।