Friday 12 January 2018

ऑपरेशन एंतेब्बे: इजराइल का डेयरिंग ‘मिशन’


इजराइल की सुरक्षा दुनिया में अचूक मानी जाती है इसकी दो वजह हैं- पहली इजराइल के कमांडोज और दूसरी यहां की सुरक्षा एजेंसी मोसाद

मोसाद के नाम से दुनिया की बड़ी-बड़ी सुरक्षा एजेंसियां भी थर्राती हैं एजेंसी के एजेंट्स दुनिया में सबसे खतरनाक माने जाते हैं मोसाद अपनी बनाई गई साहसिक योजनओं के कारण जितनी ख्याति पाती है, उतनी ही बदनाम है उन तरीकों के लिए जिसके जरिए वह अपने दुश्मनों से सच उगलवाते हैं

खैर आज बात होगी उनकी उस खतरनाक योजना आॅपरेशन एंतेब्बे के बारे में जिसके जरिए इजराइल के कमांडोज ने 1976 में अपने 102 अपहृत नागरिकों को फिलिस्तीनी लड़ाकों से बचाकर उस मिशन को अंजाम दिया गया, जिसको आज तक नहीं दोहराया जा सका

आखिर कैसे विपरीत परिस्थितियों में भी इजराइल ने जीत दर्ज की आइए जानते हैं–

प्लेन को कर लिया गया था हाइजैक

27 जून 1976 को इसराइल के तेल अवीव से पेरिस जा रही एक फ्लाइट ने थोड़ी देर एथेंस में रुकने के बाद उड़ान भरी ही थी कि पिस्टल और ग्रेनेड लिए चार यात्री उठे और विमान को पहले लीबिया के बेनगाजी और फिर युगांडा के एंतेब्बे हवाई अड्डे ले गए यात्री कुछ समझ पाते इसके पहले उन्होंने अपनी पहचान जाहिर करते हुए बताया कि वह ‘पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन फॉर फिलिस्तीन‘ के सदस्य हैं

मतलब साफ था इसराइल और फिलिस्तीन की दुश्मनी एक बार फिर सिर उठा चुकी थी खास बात यह थी कि युगांडा के तानाशाह ईदी अमीन की सहानुभूति अपहरणकर्ताओं के साथ थी ईदी ने आतंकियों को अपनी सेना के जरिए सुरक्षा देने का वादा तक किया था

इजराइल को युगांडा से इस साथ की उम्मीद नहीं थी अपहरणकर्ताओं ने 47 गैर यहूदी यात्रियों को रिहा कर दिया इसके बाद मांग हुई कि इजराइल, केन्या और पश्चिमी जर्मनी की जेलों में रह रहे 54 फिलस्तीनी कैदियों को रिहा किया जाए नहीं तो वे बंधकों को एक-एक करके मारना शुरू कर देंगे

इजराइल के इतिहास में हुआ यह अभी तक का सबसे खतरनाक हाइजैक था बहुत बड़ी संख्या में इजराइली नागरिक प्लेन में थे अगर आतंकी उन्हें मार देते तो इजराइल की सुरक्षा पर यह सदैव के लिए एक दाग बन के लग जाता

तैयार किया गया ‘नकली टर्मिनल’

मोसाद को अचानक हुई फिलिस्तीनी लड़ाकों की इस हरकत का जरा भी अंदाजा नहीं था, पर देर न करते हुए एजेंसी ने घटनाक्रम को बिंदुवार समझना शुरू किया जिन गैर-यहूदी यात्रियों को रिहा किया गया था उन्हें विशेष विमान से पेरिस ले जाया गया वहाँ मोसाद के जासूसों ने उनसे बात कर एंतेब्बे के बारे में छोटी से छोटी जानकारी जुटाने की कोशिश की

एक साथ कई लोगों की जान खतरे में थी इसलिए इजराइल कोई भी गलती नहीं करना चाहता था कैदियों को वह छोड़ तो सकते थे, लेकिन इससे आतंकियों के हौसले और भी बढ़ जाते इजराइल ने तुरंत ही फैसला किया कि वह लड़ेंगे और अपने सभी लोगों को वापस लेकर आएँगे

मोसाद के एक एजेंट ने केन्या में एक विमान किराए पर लेकर एंतेब्बे के ऊपर उड़ान भरकर उसकी बहुत सारी तस्वीरें खींची दिलचस्प बात यह थी कि एंतेब्बे हवाई अड्डे के टर्मिनल को जहाँ बंधकों को रखा गया था, एक इसराइली कंपनी ने ही बनाया था। कंपनी ने उस टर्मिनल का नक्शा उपलब्ध कराया और रातों रात इसराइल में एक नकली टर्मिनल खड़ा कर लिया गया, ताकि इसराइली कमांडो उस पर हमले का अभ्यास कर सकें

कमांडोज ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी इस मिशन के लिए

वह भी जानते थे कि एक छोटी गलती का कितना बड़ा दुष्परिणाम हो सकता था इजराइल की सुरक्षा से जुड़े हर व्यक्ति ने इस मिशन को सफल बनाने के लिए अपने आप को इसमें झोंक दिया था मोसाद ने प्लान बना लिया था कि उनके कमांडो टर्मिनल की ट्रेनिंग पूरी करके उसी के हिसाब से अपने इस मिशन को अंजाम देंगे

बनाया गया अचूक प्लान

मोसाद को अब तक इस बात का अंदाजा लग चुका था कि विमान में यात्रियों की स्थिति क्या है और अपहरणकर्ताओं के पास कैसे हथियार हैं सैनिकों का प्रशिक्षण पूरा हो चुका था. अब तक 4 दिन निकल चुके थे मोसाद ने तीन विकल्प तैयार किए पहला हमले के लिए विमानों का सहारा लिया जाए दूसरा नौकाओं से वहाँ पहुंचा जाए और तीसरा केन्या के सड़क मार्ग से युगांडा में घुसा जाए

बाद में एजेंसी ने पुख्ता प्लान तैयार किया और तय हुआ कि एंतेब्बे पहुंचने के लिए विमानों का इस्तेमाल होगा और युगांडा के सैनिकों को ये आभास दिया जाएगा कि इन विमानों में राष्ट्रपति ईदी अमीन विदेश यात्रा से लौट रहे हैं

इसके लिए एजेंसी ने हूबहू वैसी ही कार का इंतजाम किया, जैसी राष्ट्रपति ईदी अमीन के पास थी. मिशन में एक बड़ी परेशानी यह भी थी कि इजराइली सैनिकों को अपने इस मिशन के दौरान ही अपने प्लेनों में ईंधन भी भरना था हर पल यह मिशन और भी मुश्किल होता जा रहा था

जानलेवा होता जा रहा था मिशन…

मिशन के लिए 100 इजराइली स्पेशल सैनिकों की एक बड़ी टीम बनाई गई सैनिकों के अलग-अलग गुट बनाए गए ताकि सभी अलग-अलग कामों को अंजाम दे सकें कुछ को हमला करना था तो कुछ को बंदियों को बचाना था. इजराइल से एंतेब्बे तक जाने के लिए उन्हें चार सी-130 विमान दिए गए इसके साथ ही दो बोइंग 707 भी जिसमें सैनिकों को बंधकों को लाना था सभी चीजों को ले कर इजराइली सैनिक निकल गए इस खतरनाक मिशन पर

3 जुलाई को करीब रात के 11 बजे इजराइली प्लेन एंतेब्बे हवाई अड्डे के पास पहुंचे उन्होंने गाड़ियाँ निकाली और ऐसा प्रतीत करवाया कि ईदी अमीन का काफिला आ रहा है गेट पर खड़े ईदी अमीन के सैनिकों को इजराइली सैनिकों ने बेवकूफ बना दिया था अब समय था उन्हें मार गिराने का गाड़ी के अंदर से एक सैनिक ने सिलेंसर लगी बंदूक से गार्ड को मारना चाहा मगर वह चूक गया मजबूरन दूसरे कमांडो को उसे मारना पड़ाकमांडो की बंदूक में सिलेंसर नहीं था, इसलिए उसकी आवाज से आतंकी चौकन्ने हो गए इजराइली सैनिकों ने जल्दी ही गाड़ियाँ टर्मिनल में घुसाई और अपने मिशन को शुरू कर दिया

गोलियों की आवाज से बहुत से आतंकी बाहर आ गए थे इजराइली कमांडो नहीं चाहते थे कि मुठभेड़ में उनका कोई भी सैनिक और नागरिक घायल हो इसलिए उन्होंने तुरंत ही हमला शुरू कर दिया एक के बाद एक आतंकी ढेर होने लगे पूरे एयरपोर्ट पर गोलियों की आवाज गूंजने लगी हर तरफ बस खून ही खून थाकुछ कमांडो जल्दी से उस जगह तक गए जहां पर बंदियों को रखा गया था और उन्हें जल्द ही वहाँ के आतंकियों को ढेर करके उनको आजाद करवाया इस दौरान कमांडो टीम के कमांडर योनाटन को गोली लग गई थी

एयरपोर्ट के कोने-कोने से आतंकी और युगांडा के सैनिक आकर गोलियां बरसाने लगे मगर इजराइली कमांडोज ने भी हिम्मत नहीं हारी और वह डंटे रहे

जैसे ही एयरपोर्ट के आतंकियों को मार दिया गया जल्दी से सभी इजराइली नागरिकों को प्लेन में बैठाया गया कमांडो ने एअरपोर्ट पर खड़े बाकि प्लेनों को आग लगा दी ताकि उनका पीछा न किया जा सके मिशन सफल रहा मगर उसमें कमांडर योनाटन और कुछ बंधकों को अपनी जान गंवानी पड़ी

पूरा मिशन करीब 90 मिनट तक चला यह बहुत ही लंबा और खतरनाक मिशन था आखिरकार इजराइली कमांडोज ने इसे पूरा करके दिखा ही दिया था जैसे ही सब बंधक प्लेन में बैठे वह एयरपोर्ट से उड़ गए एक लंबी उड़ान के बाद सभी सैनिक और बंधक अपने वतन वापस लौटे

इस मिशन के साथ ही इजराइल ने बहादुरी के इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा लिया

कोई नहीं कर सका नकल…

मोसाद की योजना और इजराइली कमांडोज के साहस से भरे इस आॅपरेशन की नकल आज तक कोई सुरक्षा एजेंसी नहीं कर पाई एक बार ऐसा ही प्रयास अमेरिका में भी किया गया था पर वह विफल रहा सन 1979 में अमेरिका ने ईरान की राजधानी तेहरान में 53 बंदियों को बचाने के लिए ऑपरेशन ईगल क्लॉ चलाया

इस आॅपरेशन को मोसाद के प्लान के हिसाब से ही अंजाम दिया जाना था, लेकिन अमेरिकी स्पेशल फोर्स के कमांडो रेत के तूफान में फंस गए और उनका हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया जिसमें 8 अमेरिकी सैनिकों की जान चली गई और एक भी बंधक बरी नहीं हो पाया

इजराइल ने जिस हिसाब से अपना मिशन पूरा किया था वह आज तक एक मिसाल बना हुआ है उन्होंने आतंकियों को दिखाया कि आखिर क्यों उन्हें इजराइल के साथ दुश्मनी नहीं करनी चाहिए